(53)कैसे ईश्र्वरीय विश्र्वविधाललय का आरंभ हुआ
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“कैसे हुआ ब्रह्मा कुमारियों ईश्वरीय विश्वविद्यालय का आरंभ? | A Divine Beginning on Mount Abu”
(मुख्य हेडिंग्स के साथ स्पीच)
प्रस्तावना: एक पवित्र भूमि की यादें
आज हम उस अध्यात्मिक अध्याय की चर्चा करेंगे, जिसने भारत की भूमि को पुनः पवित्रता का केंद्र बना दिया — “The Godly World University” की स्थापना की सच्ची कहानी।
साल 1950: विभाजन के बाद भारत वापसी
जब सिंध (कराची) छोड़ना पड़ा, सवाल था — “अब कहां जाएं?”
लेकिन जब खुद शिव बाबा मार्गदर्शन देते हैं, तब सब कुछ पूर्व-नियोजित होता है।
बाबा की आज्ञा और सेवा की शुरुआत
दादी मनमोहिनी जी को बाबा ने आज्ञा दी — “भारत जाओ और सेवा करो।”
भारत में स्वागत के लिए मालाएं आईं, लेकिन बाबा की मर्यादा थी —
“पूजा स्वीकार मत करना जब तक पूर्ण पवित्रता प्राप्त न हो।”
मालाएं लौटा दी गईं — यही था ब्रह्माकुमारियों का आत्म-सम्मान।
बॉम्बे में सेवा और वैराग्य की मिसाल
रिश्तेदारों के घर दो महीने रही बहनें — लेकिन दुनिया की चमक नहीं, ज्ञान की लौ जल रही थी।
कविता उद्धरण:
“India has lost her faith,
Her worship-worthy deities are worshippers today…”
वैराग्य का अद्भुत प्रदर्शन — स्वादिष्ट भोजन को त्यागकर सादा भोजन और योग, जिसने सभी को आकर्षित किया।
शिव बाबा की आज्ञा: अब पूरे यज्ञ को भारत लाओ
सेवा सफल रही — लेकिन बाबा ने कहा:
“केवल वही निमंत्रण दे सकते हैं जो ज्ञान सुनना चाहते हैं और मर्यादा में चलेंगे।”
माउंट आबू की खोज
BK लीलावती जी और दादीजी पुणे, अहमदाबाद गए — कोई स्थान अनुकूल न लगा।
फिर दिखा — Mount Abu में Brij Kothi।
दादी को बाबा की भविष्यवाणी याद आई:
“आखिर में तुम पर्वत पर तपस्या करोगे… और राजाओं के भवनों में रहोगे।”
बाबा को तुरंत फोन किया — उत्तर आया: “Yes – यही स्थान है।”
विश्व किशोर भाई: एक रत्न समान आत्मा
Baba ने अपने भतीजे Vishwa Kishore Bhai को माउंट आबू भेजा।
जिन्होंने सेवा, निष्ठा और अनुशासन से Brij Kothi खरीदकर नींव रख दी — इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय की।
प्रश्न 1: ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना का मूल उद्देश्य क्या था?
उत्तर:इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य था — आत्माओं को उनके सच्चे स्वरूप, आत्मिक पहचान और परमात्मा से संबंध की याद दिलाना। यह कोई साधारण संस्था नहीं, बल्कि स्वयं शिव बाबा द्वारा स्थापित आत्मिक विश्वविद्यालय था, जो आत्मा को पुनः देवत्व की स्थिति तक ले जाने के लिए बना।
प्रश्न 2: भारत वापसी का निर्णय कैसे लिया गया?
उत्तर:साल 1950 में विभाजन के बाद, बाबा ने BK Manmohini ji (Didiji) को निर्देश दिया — “भारत जाओ और सेवा करो।” बाबा के मार्गदर्शन से ही भारत लौटने का निर्णय हुआ। यह कोई भाग्य का खेल नहीं, बल्कि पूर्व-नियोजित ईश्वरीय योजना थी।
प्रश्न 3: बाबा ने दादी को क्या विशेष आज्ञा दी थी?
उत्तर:बाबा ने कहा था — “जब तक पूर्ण पवित्रता प्राप्त न हो, तब तक किसी की पूजा या स्वागत स्वीकार मत करना।”
यह आज्ञा ब्रह्माकुमारियों की मर्यादा बन गई — पवित्रता ही उनकी पहचान थी।
प्रश्न 4: भारत पहुँचकर सेवा का पहला कदम कहाँ और कैसे रखा गया?
उत्तर:पहला सेवा केंद्र Bombay (मुंबई) में रिश्तेदारों के घर पर शुरू हुआ। एक कमरे में ज्ञान सुनाना और राजयोग सिखाना आरंभ हुआ। वे लोग, जो पहले निंदा करते थे, अब ईश्वर का ज्ञान लेने आने लगे।
प्रश्न 5: Mount Abu कैसे चुना गया और उसका क्या महत्व है?
उत्तर:दादी और बहनों ने कई शहरों में स्थान खोजे, लेकिन कोई उपयुक्त न लगा। अंत में Mount Abu में Brij Kothi नामक एक शांत बंगला दिखा — और दादी को बाबा के वचन याद आए:
“अंत में बच्चे एक पर्वत पर तपस्या करेंगे…”
Mount Abu वही पवित्र भूमि थी जिसे परमात्मा ने पहले ही चुना हुआ था।
प्रश्न 6: Brij Kothi को खरीदने और सेवा को स्थिर करने में किसकी प्रमुख भूमिका रही?
उत्तर:बाबा के प्रिय भतीजे, Vishwa Kishore Bhai — एक सफल जौहरी, जो अब सेवा में समर्पित हो चुके थे। उन्होंने अनुशासन, निष्ठा और बुद्धिमत्ता से Brij Kothi को खरीदा और Godly University की नींव रखी।
प्रश्न 7: “Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya” की स्थापना कब और कहाँ हुई?
उत्तर:इस विश्वविद्यालय की नींव 1950 में Mount Abu की Brij Kothi में रखी गई। यह एक आध्यात्मिक विश्वविद्यालय है, जहाँ स्वयं शिव परमात्मा ज्ञान के माध्यम से आत्माओं को फिर से देवत्व का पाठ पढ़ाते हैं।
प्रश्न 8: इस ईश्वरीय संस्था की आत्माओं के लिए क्या विशेष संदेश है?
उत्तर:यह संस्था आत्मा को यह सिखाती है —
“स्वयं को जानो, और परमात्मा को पहचानों।”
यह युद्ध कोई बाहरी युद्ध नहीं — यह आत्मा की विकर्मों पर विजय यात्रा है।
जैसा गीत में कहा गया:
“Death to vice, Death to death itself!”
प्रश्न 9: आज यह संस्था विश्व को क्या दे रही है?
उत्तर:आज Brahma Kumaris विश्व विद्यालय लाखों आत्माओं को शांति, सच्चाई, और पवित्रता का मार्ग दिखा रहा है। यह आत्मा को पुनः स्वर्णयुग के योग्य बना रहा है।
प्रश्न 10: क्या हम सभी इस मिशन का हिस्सा बन सकते हैं?
उत्तर:हाँ, हर आत्मा इस ईश्वरीय यात्रा में शामिल हो सकती है।
हम हैं इस यज्ञ की संतानें।
हम हैं — नवनिर्माण के पथिक,
ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियाँ।
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