(71)The Spiritual Path to World Renewal: A Journey from Self to the World?

(71)विश्व नव निर्माण का आध्यात्मिक मार्ग: स्वयं से संसार तक की यात्रा?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“विश्व नवनिर्माण का आध्यात्मिक मार्ग – ब्रह्मा बाबा की प्रेरणा से स्वयं से संसार तक की यात्रा” | BK Dr Surender Sharma


स्पीच: विश्व नवनिर्माण का आध्यात्मिक मार्ग – स्वयं से संसार तक की यात्रा
(आधारित: ब्रह्मा बाबा के जीवन चरित्र का 71वां विषय)


 ब्रह्मा बाबा जैसा बनने का मार्ग

ओम शांति।
हम सभी ब्रह्मा बाबा के जीवन चरित्र का अध्ययन इसलिए कर रहे हैं ताकि हम भी ब्रह्मा समान बन सकें।
आज हम उस महान आत्मा के जीवन से 71वां विषय देख रहे हैं — “विश्व नवनिर्माण का आध्यात्मिक मार्ग।”
आज का युग ऐसे मोड़ पर है जहां

  • पर्यावरणीय संकट,

  • मानसिक तनाव,

  • और नैतिक पतन
    अपने चरम पर हैं।
    ऐसे समय में परमात्मा शिवबाबा का दिव्य संदेश हमें आत्म परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन का रास्ता दिखाता है।


 1. आत्म परिवर्तन से विश्व परिवर्तन

मुरली पॉइंट:

“बच्चों, विश्व परिवर्तन केवल आत्म परिवर्तन से ही संभव है।”

जैसे आत्मा में शुद्धता आती है, वैसे ही प्रकृति सतोप्रधान बनती है।
स्वयं को बदलो — यही विश्व को बदलने का आधार है।
स्व परिवर्तन ही विश्व नवनिर्माण की नींव है।


 2. वर्ल्ड रिन्यूल – ब्रह्मा बाबा की प्रेरणा से

“World Renewal” नामक मासिक पत्रिका, ब्रह्मा बाबा की प्रेरणा से आरंभ हुई —
एक ऐसा माध्यम जो बाबा की शिक्षा को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने के लिए समर्पित है।

इसमें विशेषताएँ थीं:

  • आत्म स्मृति

  • सहज राजयोग

  • पवित्रता व संयम

  • नैतिक मूल्यों का पुनःस्थापन

उदाहरण:
BK जगदीश भाई जैसे विद्वानों ने ज्ञान को पुस्तकों द्वारा दुनिया में फैलाया।
आज ये पुस्तकें 100 से अधिक देशों में पढ़ी जा रही हैं।


 3. बाहरी प्रदूषण का कारण – आंतरिक अशुद्धता

मुरली पॉइंट:

“बच्चे, इस प्रकृति को तुम बच्चों के विकर्मों ने नष्ट किया है, अब तुम ही उसे सतोप्रधान बनाओ।”

जब आत्मा काम, क्रोध, लोभ से भर जाती है —
तो उसका प्रभाव सीधे पर्यावरण पर पड़ता है।

  • वृक्षों की कटाई

  • जलवायु परिवर्तन

  • जल और वायु प्रदूषण

ये सब हमारी आंतरिक स्थिति का बाहरी प्रतिबिंब हैं।


 4. काम और लोभ – विनाश के मूल कारण

मुरली पॉइंट:

“काम और क्रोध सबसे बड़े शत्रु हैं। इनसे ही आत्मा पतित बनी है।”

  • समाज में बलात्कार, तलाक, मानसिक असंतुलन — इनका मूल कारण काम विकार है।

  • उद्योगपति प्रदूषण रोक सकते हैं, पर लोभ उन्हें रोकता है।

  • पर्यावरणीय तकनीकें उपलब्ध हैं, पर मुनाफे की चाह उन्हें अंधा कर देती है।

इसलिए ब्रह्मा बाबा ने बार-बार संयम व पवित्रता को ही सच्चा पर्यावरण प्रेम बताया।


5. विज्ञान का मोह – आत्मा का विस्मरण

मुरली पॉइंट:

“बच्चे, विज्ञान ने आत्मा को नकार कर मस्तिष्क को चेतना मान लिया।”

विज्ञान ने आत्मा को नहीं पहचाना।
उन्होंने चेतना को केवल मस्तिष्क की प्रक्रिया मान लिया।
Geological Uniformitarianism जैसे सिद्धांतों ने चक्र के ज्ञान को छुपा दिया।
समय को रेखा बना दिया, जबकि बाबा कहते हैं —
“समय एक चक्र है।”

इसका परिणाम यह हुआ कि
मानव आत्म-स्मृति खो बैठा
और भौतिक सुखों की अंधी दौड़ में लग गया।


 विश्व नवनिर्माण की यात्रा कहां से शुरू हो?

  • न कोई आंदोलन चाहिए

  • न क्रांति

  • न विज्ञान के चमत्कार
    सिर्फ एक आत्मा का परिवर्तन चाहिए।

और यही ब्रह्मा बाबा ने करके दिखाया।
स्वयं को बदला — परमात्मा की आज्ञा मानी — और यज्ञ की स्थापना की।
आज वही बीज विश्व नवनिर्माण का वटवृक्ष बन चुका है।


 समापन विचार:
चलो हम भी इस विश्व नवनिर्माण यात्रा में ब्रह्मा बाबा के समान सहभागी बनें —
स्वयं को पवित्र बनाकर,
संयमी बनाकर,
शिव बाबा का संदेश घर-घर तक पहुँचाकर
“विश्व का उद्धार” करें।

ओम शांति।

“विश्व नवनिर्माण का आध्यात्मिक मार्ग – ब्रह्मा बाबा की प्रेरणा से स्वयं से संसार तक की यात्रा”
BK Dr Surender Sharma द्वारा स्पीच पर आधारित प्रश्नोत्तर


 Q1: विश्व नवनिर्माण का वास्तविक मार्ग क्या है?

उत्तर:विश्व नवनिर्माण का मार्ग बाहरी क्रांति या आंदोलन से नहीं, बल्कि आत्म परिवर्तन से शुरू होता है।
जैसे-जैसे आत्मा शुद्ध बनती है, वैसे-वैसे प्रकृति और समाज सतोप्रधान बनते हैं।
मुरली में बाबा कहते हैं:

“बच्चों, विश्व परिवर्तन केवल आत्म परिवर्तन से ही संभव है।”


 Q2: ब्रह्मा बाबा ने विश्व नवनिर्माण के लिए कौन-सा माध्यम आरंभ किया था?

उत्तर:ब्रह्मा बाबा की प्रेरणा से “World Renewal” नामक मासिक पत्रिका आरंभ हुई, जो बाबा की शिक्षाओं को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने का माध्यम बनी।
इसमें आत्म स्मृति, राजयोग, पवित्रता और नैतिक मूल्यों का प्रचार हुआ।


Q3: पर्यावरणीय प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर:प्रदूषण का मूल कारण बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक अशुद्धता है —
जैसे काम, क्रोध, लोभ आदि।
बाबा ने मुरली में कहा:

“बच्चे, इस प्रकृति को तुम बच्चों के विकर्मों ने नष्ट किया है, अब तुम ही उसे सतोप्रधान बनाओ।”


 Q4: समाज में फैल रही बुराइयों का मूल विकार कौन-सा है?

उत्तर:काम और लोभ ही विनाश के मूल कारण हैं।

  • काम से समाज में अशांति, बलात्कार, तनाव और टूटते परिवार

  • लोभ से उद्योगों द्वारा बढ़ता प्रदूषण
    मुरली वाणी:

“काम और क्रोध सबसे बड़े शत्रु हैं। इनसे ही आत्मा पतित बनी है।”


 Q5: विज्ञान ने आत्मा के बारे में क्या भूल की?

उत्तर:विज्ञान ने चेतना को केवल मस्तिष्क की गतिविधि माना और आत्मा के अस्तित्व को नकार दिया।
बाबा कहते हैं:

“बच्चे, विज्ञान ने आत्मा को नकार कर मस्तिष्क को चेतना मान लिया।”
इससे आत्म स्मृति खो गई और मनुष्य भौतिक सुखों की अंधी दौड़ में लग गया।


 Q6: क्या विश्व परिवर्तन के लिए क्रांति, आंदोलन या विज्ञान आवश्यक हैं?

उत्तर:नहीं। बाबा कहते हैं कि न क्रांति, न आंदोलन, न विज्ञान —
सिर्फ एक आत्मा का परिवर्तन ही विश्व परिवर्तन का बीज है।
ब्रह्मा बाबा ने स्वयं को बदला और परमात्मा की आज्ञा से यज्ञ की स्थापना की, जिससे आज विश्वभर में आध्यात्मिक जागृति हो रही है।


 Q7: हम ब्रह्मा बाबा की तरह विश्व नवनिर्माण में कैसे सहभागी बन सकते हैं?

उत्तर:

  • स्वयं को पवित्र बनाकर

  • विकारों पर जीत पाकर

  • संयमित जीवन जीकर

  • शिव बाबा का संदेश घर-घर तक पहुँचाकर
    हम भी “विश्व उद्धार” में सहभागी बन सकते हैं।


 Q8: “World Renewal” पत्रिका की विशेषताएं क्या थीं?

उत्तर:
इस पत्रिका की चार मुख्य विशेषताएँ थीं:

  1. आत्म स्मृति का जागरण

  2. सहज राजयोग का प्रचार

  3. पवित्रता व संयम का जीवन

  4. नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना
    यह ब्रह्मा बाबा की दूरदर्शिता और विश्व सेवा की भावना का परिणाम था।


 Q9: समय के विषय में बाबा और विज्ञान में क्या अंतर है?

उत्तर:विज्ञान समय को रेखीय (Linear) मानता है, जबकि बाबा कहते हैं:

समय एक चक्र है।
इस भिन्न दृष्टिकोण ने आत्मा के चक्र ज्ञान को दुनिया से छुपा दिया।


 Q10: ब्रह्मा बाबा की जीवन यात्रा से हमें सबसे महत्वपूर्ण प्रेरणा क्या मिलती है?

उत्तर:ब्रह्मा बाबा ने सिखाया कि
“स्वयं के परिवर्तन से ही युग परिवर्तन होता है।”
उन्होंने केवल ज्ञान का प्रचार नहीं किया, बल्कि उसे जीवन में धारण कर एक आदर्श बनकर दिखाया।

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