सतयुग-(34) सतयुग जहाँ न अपराध है न बीमारी
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
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सतयुग — जहाँ न अपराध है, न बीमारी
भूमिका: स्वर्णिम युग की झलक
सतयुग को क्यों कहते हैं — “स्वर्ण युग”, “सत्य की दुनिया”, और “सुखधाम”?
क्योंकि यह वह युग है जहाँ आत्माएं पवित्र, दिव्य और सतोप्रधान होती हैं।
जहाँ जीवन का हर क्षण शांति, प्रेम और आनंद से भरा होता है।
पूर्ण पवित्रता और दिव्यता का युग
बाबा कहते हैं —
“जहाँ आत्मा सतोप्रधान है, वहाँ कर्म भी श्रेष्ठ और शुद्ध होते हैं।”
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कोई विकार नहीं
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कोई लालच, मोह, ईर्ष्या नहीं
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सभी आत्माएं धर्मात्मा और सिविलाइज्ड होती हैं
सतयुग में क्यों नहीं होते कोर्ट, जज और जेल?
क्योंकि वहाँ कोई क्रिमिनल एक्ट नहीं होता।
कोई चोरी नहीं
कोई हत्या नहीं
कोई झूठ, धोखा, या लड़ाई नहीं
इसलिए —
कोई पुलिस नहीं
कोई कोर्ट, जज या वकील नहीं
कोई जेल की आवश्यकता नहीं
कानून नहीं, धर्म और मर्यादा ही वहाँ का आधार है।
सतयुग में क्यों नहीं होते हॉस्पिटल और डॉक्टर?
देवताओं का जीवन ही होता है Ever Healthy — क्योंकि:
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आत्मा होती है सतोप्रधान
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शरीर होता है शक्तिशाली, सुंदर और रोगमुक्त
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कोई मानसिक तनाव या बीमारी नहीं
इसलिए वहाँ —
कोई हॉस्पिटल नहीं
कोई डॉक्टर नहीं
कोई दवाइयाँ नहीं
✨ उनका स्वास्थ्य नैसर्गिक ऊर्जा और सात्विक जीवनशैली से बना रहता है।
सभी आत्माएँ होती हैं शांत और सिविलाइज्ड
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सभी देवता आत्माएँ होते हैं विनम्र और दात्री भाव वाले
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उनका स्वभाव होता है: प्रेम, नम्रता और संयम
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वे न किसी को दुःख देते हैं, न किसी से दुःख लेते हैं
सतयुग में न कोई अपराध होता है, न कोई पीड़ित
राजा-रानी भी होते हैं धर्म आधारित शासक
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सतयुग की गवर्नेंस होती है प्रेम-आधारित
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कोई बल प्रयोग नहीं, न ही सज़ा का डर
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राजा-रानी स्वयं धार्मिक और मर्यादित होते हैं
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प्रजा उनके जैसा ही श्रेष्ठ आचरण वाली होती है
मर्यादा ही वहाँ की सुरक्षा है।
आज का पुरुषार्थ — कल का स्वर्ण युग
आज संगम युग पर परमात्मा शिव हमें फिर से सतयुग बनाने का ज्ञान दे रहे हैं।
श्रीमत के अनुसार
पवित्र जीवन द्वारा
योगबल से
हम आत्मा को फिर से देवता बना रहे हैं।
ताकि कल जब सतयुग की शुरुआत हो —
हमारी दुनिया हो बिना कोर्ट, बिना हॉस्पिटल और बिना दुःख के।
निष्कर्ष: हमारा भविष्य — अपराध और बीमारी से मुक्त
सतयुग कोई कल्पना नहीं, वह हमारा वास्तविक भविष्य है —
यदि हम आज उसके लायक बनें।
हमारा आज का पुरुषार्थ ही कल का स्वर्णिम जीवन तय करता है।
ओम् शांति