(62)भगवान का गीत परमात्मा की अमरवाणी
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
भगवान का गीत – परमात्मा की अमरवाणी
1. सुबह-सुबह आत्मा को जगाने वाली आवाज़
हर सुबह, सूर्योदय से पहले, एक अलौकिक ध्वनि गूंजती है।
कोई वाद्य नहीं, कोई साज़ नहीं — सिर्फ आत्मा को झकझोर देने वाली परमात्मा की मुरली।
यह कोई कथा या प्रवचन नहीं —
यह शिवबाबा की अमरवाणी है, जो ब्रह्मा बाबा के मुख से निकलती है।
“यह वाणी सूचना नहीं देती — यह आत्मा को स्पंदन देती है।
यह पहचान दिलाती है कि हम कौन हैं, कहाँ से आए हैं, और कहाँ लौटना है।”
2. जब बुद्धि जागती है, तो भ्रम मिटता है
बाबा की मुरली साधारण भाषाओं में नहीं —
आत्मिक अधिकार में होती है।
वह कहते हैं:
-
“तुम आत्मा हो – यह शरीर नहीं।”
-
“तुम मेरे बच्चे हो – मैं तुम्हारा परम पिता हूँ।”
कोई संत, गुरु, या धर्मगुरु ऐसा नहीं कह सकता,
जैसे परमात्मा स्वयं आत्मा को कहता है।
3. वह बोलते हैं जो कोई नहीं जानता
परमात्मा ज्ञान देते हैं:
-
आत्मा का स्वरूप क्या है
-
परमधाम कहाँ है
-
समय की सच्चाई क्या है
-
यह सृष्टि कैसे चलती है
यह ज्ञान किताबों से नहीं आता,
यह केवल ज्ञान-सागर से ही आता है।
4. भगवान की वाणी: शक्ति और प्रेम का संगम
शिवबाबा की वाणी में शोर नहीं, पर असर है।
वह धीरे-धीरे कहते हैं —
“मेरे बच्चे, मेरे प्यारे बच्चे…”
इन शब्दों में आत्मा की मूल स्मृति जाग उठती है।
कोई भी मानव इतना गहराई से आत्मा को नहीं जान सकता।
केवल परमात्मा ही कह सकता है —
“तुम मेरे हो, और मैं तुम्हारे लिए आया हूँ।”
5. प्रेम का सागर क्यों आता है?
कोई पूछे – “भगवान क्यों आते हैं?”
उत्तर है – “प्यार में खिंच कर।”
उन्हें दुख, असत्य और आत्मा की पीड़ा सहन नहीं होती।
इसलिए वह आते हैं:
-
दंड देने नहीं, उद्धार करने
-
डराने नहीं, सहारा देने
-
उपदेश देने नहीं, परिवर्तन करने
6. परम प्रमाण – यह मनुष्य नहीं, भगवान बोलते हैं
जब कोई आत्मा मुरली सुनती है, तो एक बारीक अनुभूति होती है:
“यह कोई इंसान नहीं बोल रहा।
यह मेरे सर्वोच्च पिता बोल रहे हैं।”
वाणी में:
-
पक्षपात नहीं
-
डर नहीं
-
लेकिन गहन आत्मिक सच्चाई होती है
सिर्फ परमात्मा की मुरली ऐसी हो सकती है —
जिसे सुनकर आत्मा कहे: “मुझे उत्तर मिल गया।”
7. अंतिम चिंतन – अमर गीत अब भी गूंजता है
हर सुबह, अभी भी भगवान का गीत बज रहा है।
लेकिन यह संगीत हमेशा नहीं बजेगा।
“जब उनका कार्य पूर्ण होगा,
तो वह मौन में चले जाएंगे… और हमें साथ ले जाएंगे।”
तो अब समय है —
-
हर सुबह बैठने का
-
ईश्वर की अमरवाणी सुनने का
-
और आत्मा को पुनः जागृत करने का
निष्कर्ष:
ईश्वर को सुनना — यह श्रवण नहीं, मुक्ति है।
यह भगवान की मुरली है, जो पूरे कल्प में केवल एक बार बजती है।
इसे भूलना नहीं है।
क्योंकि यही है आत्मा को परमात्मा से जोड़ने वाला अमर गीत।
प्रश्न 1: ‘मुरली’ क्या है और यह किसके द्वारा सुनाई जाती है?
उत्तर:मुरली कोई साधारण वाणी नहीं, यह स्वयं परमात्मा शिव द्वारा ब्रह्मा बाबा के माध्यम से सुनाई जाने वाली दिव्य ज्ञान की बांसुरी है। यह हर सुबह आत्मा को जगाने के लिए बजती है – यह शब्द नहीं, दिव्य कंपन हैं जो आत्मा की नींद तोड़ते हैं।
प्रश्न 2: यह वाणी विशेष क्यों है? कोई और क्यों नहीं ऐसा बोल सकता?
उत्तर:जब शिव बाबा बोलते हैं, तो वह आत्मा, परमात्मा, तीन लोक और तीन कालों का सटीक, सहज और सर्वशक्तिमान ज्ञान देते हैं – ऐसा ज्ञान जो न संत, न महात्मा, न कोई विद्वान दे सकता है। यह ज्ञान केवल ज्ञान के सागर से आता है, न कि पुस्तकों से।
प्रश्न 3: भगवान की वाणी का अनुभव कैसा होता है?
उत्तर:भगवान की वाणी में न तो नाटकीयता होती है, न ही आडंबर। पर जब वे कहते हैं –
“मेरे बच्चे, मेरे प्यारे बच्चे…”
तो आत्मा भीतर तक हिल जाती है। यह वाणी आत्मा के मूल बंधन को जगा देती है, यह अनुभूति कराती है कि – “मैं उन्हीं का हूँ, और वे मेरे हैं।”
प्रश्न 4: अगर वह निराकार है, तो वह धरती पर क्यों आता है?
उत्तर:परमात्मा दुखदायी दुनिया में आता है, क्योंकि वह प्रेम का सागर है। वह हमें गिरा हुआ, दुखी और भ्रमित देखता है। वह आता है –
-
दंड देने नहीं,
-
बल्कि प्यार और ज्ञान से उत्थान करने।
उसका मिशन है – -
दुख हटाना
-
आत्मा की पवित्रता को बहाल करना
-
और अज्ञानता के चक्र को समाप्त करना।
प्रश्न 5: हमें कैसे पता चले कि यह वाणी वास्तव में भगवान की है?
उत्तर:इस वाणी में जो बातें होती हैं, वह –
-
निर्भीक होती हैं
-
पक्षपात से मुक्त होती हैं
-
आत्मा को झकझोर देने वाली होती हैं
कई बार एक संशय में डूबी आत्मा भी कह उठती है –
“यह मनुष्य नहीं, स्वयं भगवान बोल रहे हैं।”
यह विश्वास नहीं, अनुभूति और आत्म-चेतना की पहचान होती है।
प्रश्न 6: यह अमरवाणी कब तक सुनाई देगी?
उत्तर:यह भगवान का गीत तब तक बजता है, जब तक उनका कार्य पूरा नहीं हो जाता –
-
जब हम आत्माएं पवित्र बन जाती हैं,
-
तो वे हमें लेकर वापिस निर्वाणधाम चले जाते हैं।
इसलिए आज का समय अत्यंत मूल्यवान है।
“जो अब सुनेंगे, वही भविष्य के देवता बनेंगे।”
प्रश्न 7: मुरली सुनना क्यों जरूरी है?
उत्तर:मुरली सुनना सिर्फ “सुनना” नहीं है, यह दिव्यता का अनुभव करना है।
यह आत्मा को पुनः उसके शाश्वत स्वरूप की याद दिलाता है –
“मैं कौन हूँ?”, “मेरा पिता कौन है?”, और “मेरा घर कहाँ है?”
अंतिम विचार:
किसी मनुष्य को सत्य बोलते सुनना प्रेरणादायक हो सकता है…
लेकिन जब स्वयं ईश्वर सत्य बोलते हैं – वही सच्ची मुक्ति है।
“भगवान का यह गीत हमें समय-चक्र में केवल एक बार सुनाई देता है – इसलिए इसे भूलना नहीं चाहिए।”
भगवान का गीत, परमात्मा की वाणी, मुरली सुनना, ब्रह्माकुमारी मुरली, शिव बाबा का संदेश, आत्मा की पहचान, ज्ञान की बांसुरी, दिव्य वाणी, सुबह की मुरली, ब्रह्मा बाबा, शिव बाबा, आत्मज्ञान, ईश्वर का सच्चा ज्ञान, सत्य वचन, ईश्वर का अवतरण, आत्मा और परमात्मा, ब्रह्मा कुमारिज, परमात्मा की मुरली, निर्वाण धाम, मुरली का चमत्कार, शक्ति का अनुभव, आत्मा का स्वरूप, आध्यात्मिक ज्ञान, ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, निर्विकारी वाणी, ईश्वर का कार्य, सत्य का अनुभव, ईश्वरीय संगीत, बाबा की अमरवाणी, आध्यात्मिक संगीत, आत्मा की जागृति, सत्य ज्ञान का स्रोत, मुरली महिमा, शिव ज्ञान अमृत, Godly versions, Shiv Baba Murli, Brahma Kumaris Murli, BK Murli Today,
God’s song, God’s voice, Listen to Murli, Brahma Kumari Murli, Shiv Baba’s message, Soul’s identity, Flute of knowledge, Divine voice, Morning Murli, Brahma Baba, Shiv Baba, Self-knowledge, True knowledge of God, True words, Incarnation of God, Soul and God, Brahma Kumaris, God’s Murli, Nirvana Dham, Miracle of Murli, Experience of power, Form of soul, Spiritual knowledge, Brahma Kumari Divine University, Viceless voice, Work of God, Experience of truth, Divine music, Immortal words of Baba, Spiritual music, Awakening of soul, Source of true knowledge, Murli glory, Shiv Gyan Amrit, Godly versions, Shiv Baba Murli, Brahma Kumaris Murli, BK Murli Today,