08-Beauty, sweetness and destiny of worldly things

08-सौन्दर्य, माधुर्य और सांसारिक चीजों का भाग्य

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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स्वयं ईश्वर सिखाते हैं सहज राजयोग | आठवां पाठ: सांसारिक सुंदरता और आत्मिक सौंदर्य का रहस्य


 प्रस्तावना: स्वयं ईश्वर सिखाते हैं सहज राजयोग

यह संसार जिसे हम देख रहे हैं — जिसमें सौंदर्य है, माधुर्य है, व्यवहार की कुशलता है — इन सबका भविष्य क्या है?
क्या यह सदा रहने वाले हैं?
आज हम सहज राजयोग के आठवें पाठ में गहराई से समझेंगे कि यह संसारिक सौंदर्य अनित्य क्यों है, और आत्मिक सौंदर्य ही शाश्वत क्यों है।


 I. सांसारिक सुंदरता की अनित्यता

हम जो कुछ भी देख रहे हैं — सुंदर पेड़, फूल, पक्षी, चेहरे, वस्त्र, भवन — ये सब कुछ एक दिन क्या हो जाएगा? समाप्त।

 “पेड़ की पत्तियाँ गिर जाती हैं, फल सूख जाते हैं, पक्षी उड़ जाते हैं… और मनुष्य? वह भी एक दिन शरीर छोड़ देता है।”

जैसे ही समय बीतता है, शरीर वृद्ध होता है, आकर्षण कम होता है — और यह संसार धीरे-धीरे क्षीण होता चला जाता है।

यह पाठ हमें स्मृति दिलाता है कि जो सुंदरता हमें आज दिख रही है, वह एक दिन समाप्त हो जाएगी — यह सिर्फ क्षणिक है।


 II. मानवीय लगाव और अज्ञान

मनुष्य क्यों इन चीज़ों से चिपक जाता है? क्योंकि वह इनकी क्षणिकता को समझ नहीं पाता।

“इंद्रियाँ हमें धोखा देती हैं — वह जो क्षणिक है, उसे स्थायी मानने लगते हैं।”

हम इन सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों में फँस जाते हैं — क्योंकि हम जानते ही नहीं कि यह सब एक दिन बदल जाएगा।

परमात्मा आकर यह गहरा ज्ञान देते हैं — “सत्य सौंदर्य आत्मा का है, शरीर और दृश्य तो नाटक के सीन हैं।”


 III. मुक्ति का मार्ग: सहज राजयोग

अब प्रश्न उठता है — क्या करें?

ईश्वर कहते हैं — राजयोग के द्वारा इन झूठे आकर्षणों से सहज मुक्ति पाओ।

 “राजयोग वह यंत्र है, जो आत्मा को बाह्य मोह से निकालकर आंतरिक आनंद की ओर ले जाता है।”

राजयोग यह सिखाता है कि:

  • जो दृश्य दिख रहा है, वह मिटने वाला है।

  • जो अदृश्य है — आत्मा — वही शाश्वत है।

इसलिए योग अभ्यास हमें क्षणिक सुखों पर निर्भरता से मुक्त करता है।


IV. आत्मा का शाश्वत सौंदर्य

अब बात आती है — रियल सौंदर्य क्या है?

 “ज्ञानस्वरूप, शांत स्वरूप, प्रेम स्वरूप — यह आत्मा का असली रूप है।”

  • आत्मा का सौंदर्य कभी नहीं मिटता।

  • यह सत्यम, शिवम, सुंदरम है।

  • यही अति इन्द्रिय आनंद की अनुभूति देता है — जो स्थायी है।

शरीर खत्म होता है, पर आत्मा का गुण — उसका शाश्वत सौंदर्य — अमर रहता है।


V. योग से मन–बुद्धि का संतुलन

राजयोग का एक चमत्कार यह है कि यह मन और बुद्धि के बीच संतुलन स्थापित करता है।

 “मन इच्छाएँ करता है, बुद्धि निर्णय करती है। जब दोनों समरस हो जाते हैं — तब आत्मा शक्तिशाली बनती है।”

योग हमें यह शक्ति देता है कि हम संसार की क्षणिक घटनाओं को डिटैच होकर देख सकें — और सच्ची समझ बना सकें।


 VI. योगी का दृष्टिकोण: संसार से न्यारा, सेवा में प्यारा

एक सच्चा योगी —

  • सुंदरता को देखता है, पर उसमें फँसता नहीं।

  • लोगों से व्यवहार करता है, पर दिल नहीं लगाता।

  • नाटक देखता है, पर जानता है कि यह Screen पर बीतते दृश्य हैं।

 “योगी बाहर मुस्कुराता है, भीतर शिव बाबा से जुड़ा रहता है।”


 निष्कर्ष: ईश्वर का दिया हुआ दिव्य चश्मा

इस आठवें पाठ में, परमात्मा ने हमें वह चश्मा पहनाया जिससे अब हम संसार की हर चीज़ को उसकी सच्ची प्रकृति में देख सकते हैं।

 “अब मन कहता है — सुंदर वही है, जो स्थायी है। और स्थायी केवल एक — परमात्मा और आत्मा।”

सौंदर्य और माधुर्य की सच्ची परिभाषा अब हमें मिल चुकी है।
अब हमें चुनना है — क्षणिक सुंदरता या शाश्वत सौंदर्य?

स्वयं ईश्वर सिखाते हैं सहज राजयोग | आठवां पाठ: सांसारिक सुंदरता और आत्मिक सौंदर्य का रहस्य

 प्रश्नोत्तर (Q&A) स्वरूप में गहन आत्म-चिंतन


प्रश्न 1:यह संसारिक सुंदरता जो हम देखते हैं — क्या यह स्थायी है?

उत्तर:नहीं। यह संसारिक सुंदरता — चाहे वह पेड़ हों, फूल हों, सुंदर चेहरे हों या आलीशान इमारतें — सब अनित्य हैं। समय के साथ यह सब नष्ट हो जाते हैं।
“पेड़ की पत्तियाँ झड़ जाती हैं, फल सूख जाते हैं, और मनुष्य भी एक दिन शरीर छोड़ देता है।”


प्रश्न 2:यदि यह सब क्षणिक है, तो हम इनसे क्यों चिपकते हैं?

उत्तर:क्योंकि मनुष्य इनकी सच्चाई नहीं समझ पाता।
“इंद्रियाँ हमें धोखा देती हैं — जो क्षणिक है, उसे स्थायी मानने लगते हैं।”
हम मोह के कारण इन चीज़ों से बँध जाते हैं, और आत्मा की वास्तविकता को भूल जाते हैं।


प्रश्न 3:ईश्वर क्या समाधान बताते हैं इन सांसारिक मोहों से मुक्त होने का?

उत्तर:ईश्वर स्वयं आकर सहज राजयोग सिखाते हैं — यह एक ऐसा साधन है जिससे आत्मा बाह्य मोह से मुक्त होकर आंतरिक आनंद का अनुभव करती है।
“राजयोग वह यंत्र है, जो आत्मा को बाह्य मोह से निकालकर आंतरिक आनंद की ओर ले जाता है।”


प्रश्न 4:क्या आत्मा का भी कोई सौंदर्य होता है?

उत्तर:हाँ। आत्मा का सौंदर्य शाश्वत होता है — वह न कभी घटता है, न मिटता है।
“ज्ञानस्वरूप, शांत स्वरूप, प्रेम स्वरूप — यही आत्मा का असली सौंदर्य है।”
यह सौंदर्य सत्यम, शिवम, सुंदरम है — जो आत्मा को अति इन्द्रिय आनंद का अनुभव कराता है।

प्रश्न 5:राजयोग से मन और बुद्धि में क्या परिवर्तन आता है?

उत्तर:राजयोग मन–बुद्धि के बीच संतुलन स्थापित करता है।
“जब मन और बुद्धि समरस होते हैं, तब आत्मा निर्णयशक्ति और स्थिरता में सशक्त हो जाती है।”
यह संतुलन हमें संसार की क्षणिकता को समझने में मदद करता है।


प्रश्न 6:एक सच्चे योगी का दृष्टिकोण क्या होता है संसार की ओर?

उत्तर:एक योगी संसार को देखता है, पर उसमें फँसता नहीं।
“वह सुंदरता को देखता है, व्यवहार करता है, पर भीतर से शिवबाबा से जुड़ा रहता है।”
उसे ज्ञात होता है कि यह संसार एक ड्रामा है — जो दृश्य हैं, वो बीत जाने वाले हैं।


प्रश्न 7:इस पाठ से हमें क्या नया दृष्टिकोण मिला?

उत्तर:इस पाठ ने हमें ईश्वर का दिया हुआ दिव्य चश्मा पहनाया — जिससे हम अब जान पाए कि
“सच्चा सौंदर्य वही है, जो कभी न मिटे — और वह केवल आत्मा और परमात्मा में है।”

आठवाँ पाठ | सहज राजयोग का दिव्य ज्ञान क्या संसारिक सौंदर्य सदा रहता है? क्या सुंदरता केवल बाहरी होती है — या आत्मा का भी कोई सौंदर्य होता है?इस गहन वीडियो में हम सीखते हैं:

सांसारिक सुंदरता की अनित्यताआत्मा का शाश्वत सौंदर्यमन और बुद्धि का संतुलन कैसे बनाएँ एक योगी की दृष्टि क्या होती है और वह दिव्य चश्मा जो स्वयं ईश्वर पहनाते हैं

Lesson Eight | Divine Wisdom of Sahaja Raja Yoga Does worldly beauty last forever? Is beauty only external — or is there beauty of the soul too? In this in-depth video we learn:

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