(07)डबल सेवा से विश्र्व परिवर्तन
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“ओम शांति: मनसा सेवा का सातवाँ पाठ – बेहद की अदृश्य सेवा से विश्व परिवर्तन कैसे करें?”
Hindi Speech Script with Main Headings:
विषय: मनसा सेवा – सेवा का नया आयाम | सातवाँ पाठ
1. ओम शांति – आज का विषय
आज हम मनसा सेवा के सातवें पाठ में प्रवेश कर रहे हैं।
यह सेवा का एक ऐसा आयाम है जिसे हम केवल आंखों से नहीं देख सकते, परंतु अनुभव कर सकते हैं।
2. सेवा का नया आयाम – मनसा सेवा
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सेवा अब सिर्फ बोलने और करने तक सीमित नहीं रही।
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नई विधि, नया तरीका, नया क्षेत्र – यही है मनसा सेवा।
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यह सेवा अत्यंत सूक्ष्म और शक्तिशाली है – अदृश्य होकर भी कार्य करती है।
3. मनसा सेवा क्या है?
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संकल्पों द्वारा सेवा।
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हम कुछ कहे बिना, सिर्फ शुभभावनाओं और शुभकामनाओं से सेवा कर सकते हैं।
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यह वह सेवा है जो ICU में लेटे हुए व्यक्ति द्वारा भी की जा सकती है।
उदाहरण:अगर कोई अस्पताल में है, बोलने की शक्ति नहीं है, लेकिन सेवा की भावना है, तो वह अपनी शुभ भावना से पूरे वार्ड में शांति की लहर फैला सकता है।
4. डबल सेवा – तन और मन दोनों से
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बाबा कहते हैं: “सेवा का कार्य डबल है – तन से और मन से।”
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बोलकर सेवा करो और साथ ही संकल्पों से पूरे विश्व में शक्ति फैलाओ।
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वाचा सेवा सीमित है, लेकिन मनसा सेवा बेहद की सेवा है।
5. बेहद की सेवा बनाम हद की सेवा
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हद की सेवा: सीमित साधनों और लोगों तक सीमित।
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बेहद की सेवा: दृष्टि, संकल्प और शक्तियों द्वारा संपूर्ण विश्व तक।
6. दृष्टि सेवा – नजर से निहाल करना
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बाबा का एक बड़ा गुण – “नजर से निहाल करना”।
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वही शक्ति हमें भी प्राप्त करनी है।
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एक रूहानी दृष्टि और प्रेममयी मुस्कान किसी की आशाएं पूरी कर सकती हैं।
7. रूप और बसंत – स्वरूप से सेवा
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बोलने से पहले स्वयं बनो।
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जब आत्मा गुण मूरत बनती है, तब वाणी में रूहानियत आ जाती है।
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सूरत और वाणी – दोनों से डबल सेवा।
8. मनसा सेवा का अभ्यास कैसे करें?
तीन चरण में मनसा सेवा करें:
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सतोगुणी संकल्प: “सर्वे भवन्तु सुखिनः” – शुभ भावना, शुभकामना।
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रूहानियत से भरपूर: अपनी स्थिति को ऊँचा बनाओ, तब संकल्प प्रभावशाली होंगे।
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निरंतर अभ्यास:
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चलते-फिरते, घर के कार्य करते हुए, वाहन चलाते हुए –
“मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ, सभी को शक्ति दे रहा हूँ।”
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9. मनसा सेवा के लाभ
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आत्मा शक्तिशाली बनती है।
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वायुमंडल दिव्य बनता है।
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दूसरों के स्वभाव और विचारों में परिवर्तन आता है।
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मन शांत और संतुष्ट होता है।
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देह, मन और धन – तीनों का लाभ मिलता है।
10. रोज़ाना 5 मिनट की मनसा सेवा कैसे करें?
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हर रोज़ 5 मिनट:
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एक निश्चित समय निर्धारित करें – जैसे मुरली से पहले।
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एक पॉइंट चुनें – जैसे “मैं शांति की शक्ति हूँ” – और पूरे विश्व को वह संकल्प दें।
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11. अंतिम युग की सेवा – सिर्फ शक्ति से
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जब शरीर थक जाएंगे, वाणी धीमी हो जाएगी – तब केवल मनसा सेवा काम आएगी।
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आज से ही अभ्यास करें – यह अंतिम समय में सबसे काम आने वाली सेवा है।
12. मुख्य संदेश – गुण और संकल्प का दान
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सेवा करते समय श्रम नहीं, गुणों और संकल्पों का दान करें।
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तभी सेवा का फल डबल मिलेगा – तन से भी लाभ, मन से भी लाभ और आत्मा को अथा धन।
अब प्रश्न है – हमें कौन सी सेवा करनी है? हद की या बेहद की?
उत्तर – बेहद की, मनसा सेवा।
जैसे बाबा नजर से निहाल करते हैं, वैसे हमें भी हर आत्मा को रूहानियत से भरपूर नजर और संकल्प द्वारा सेवा देनी है।
“ओम शांति: मनसा सेवा का सातवाँ पाठ – बेहद की अदृश्य सेवा से विश्व परिवर्तन कैसे करें?”
Q&A शैली में हिंदी स्पीच स्क्रिप्ट (प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत)
प्रश्न 1: ओम शांति – आज का विषय क्या है?
उत्तर:आज हम मनसा सेवा के सातवें पाठ को समझेंगे। यह सेवा बोलने या करने से नहीं, बल्कि संकल्पों से होती है। यह सेवा आंखों से नहीं देखी जा सकती, परंतु उसके प्रभावों को अनुभव किया जा सकता है।
प्रश्न 2: मनसा सेवा किसे कहते हैं?
उत्तर:मनसा सेवा का अर्थ है – संकल्पों द्वारा सेवा करना। जब हम बिना कुछ बोले, शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा किसी आत्मा को शक्ति देते हैं, तो वह मनसा सेवा होती है।
प्रश्न 3: मनसा सेवा को सेवा का नया आयाम क्यों कहा गया है?
उत्तर:क्योंकि यह सेवा सूक्ष्म, अदृश्य और बेहद शक्तिशाली है। यह सेवा ICU में लेटे व्यक्ति द्वारा भी की जा सकती है। केवल शुभ संकल्पों से वातावरण को दिव्य बनाया जा सकता है।
प्रश्न 4: तन और मन दोनों से सेवा कैसे करें?
उत्तर:बाबा कहते हैं – सेवा डबल होनी चाहिए।
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तन से – वाचा या कर्म से सेवा।
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मन से – संकल्पों द्वारा सेवा।
वाचा सेवा सीमित है, पर मनसा सेवा बेहद की है, जो सीमाओं से परे जाकर कार्य करती है।
प्रश्न 5: बेहद की सेवा और हद की सेवा में क्या अंतर है?
उत्तर:
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हद की सेवा सीमित लोगों और स्थानों तक होती है।
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बेहद की सेवा दृष्टि, संकल्प और शुभ भावना से पूरे विश्व को स्पर्श करती है। यह सीमाओं से परे जाकर आत्माओं को शक्ति देती है।
प्रश्न 6: दृष्टि सेवा का क्या महत्व है?
उत्तर:“नज़र से निहाल करना” – यह बाबा की विशेषता है। हमारी दृष्टि भी रूहानियत से भरपूर होनी चाहिए।
एक प्रेममयी मुस्कान और दिव्य दृष्टि किसी की टूटती आशा को संजीवनी दे सकती है।
प्रश्न 7: ‘रूप और बसंत’ के द्वारा सेवा कैसे करें?
उत्तर:जब हम स्वयं गुण मूरत बनते हैं, तब हमारी उपस्थिति ही सेवा करने लगती है।
रूप – हमारा रूहानी स्वरूप।
बसंत – हमारा मधुर, शांत और दिव्य वायुमंडल।
यह दोनों बिना बोले सेवा करने के साधन हैं।
प्रश्न 8: मनसा सेवा का अभ्यास कैसे करें?
उत्तर:तीन चरण में अभ्यास करें:
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सतोगुणी संकल्प: “सभी सुखी हों” जैसी भावना रखें।
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रूहानियत से भरपूर स्थिति: स्वयं को शक्तिशाली अनुभव करें।
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निरंतर अभ्यास: चलते-फिरते, कार्य करते हुए संकल्प दो – “मैं शांति की शक्ति हूँ।”
प्रश्न 9: मनसा सेवा के लाभ क्या हैं?
उत्तर:
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आत्मा शक्तिशाली बनती है।
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वातावरण दिव्य और शांत होता है।
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दूसरों में भी सकारात्मक परिवर्तन आता है।
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मन शांत और संतुष्ट रहता है।
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देह, मन और धन – तीनों का कल्याण होता है।
प्रश्न 10: रोज़ाना 5 मिनट की मनसा सेवा कैसे करें?
उत्तर:
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हर रोज़ एक समय तय करें – जैसे मुरली से पहले।
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एक पॉइंट चुनें – जैसे “मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ”।
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उसी संकल्प से पूरे विश्व को शक्ति दें।
यह छोटी-सी आदत महान सेवा का रूप बन जाती है।
प्रश्न 11: अंतिम समय में कौन सी सेवा काम आएगी?
उत्तर:अंतिम समय में वाचा थक जाएगी, शरीर कमजोर हो जाएगा – तब सिर्फ मनसा सेवा ही काम आएगी।
इसलिए अभी से अभ्यास करें, ताकि भविष्य में यह मुख्य सेवा का साधन बन सके।
प्रश्न 12: सेवा में सबसे मूल्यवान दान क्या है?
उत्तर:सेवा में सबसे श्रेष्ठ है – गुणों और संकल्पों का दान।
अगर हम रूहानियत से भरपूर संकल्प देते हैं, तो उसका फल डबल मिलता है –
तन को भी और आत्मा को भी।
प्रश्न 13: हमें कौन सी सेवा करनी चाहिए – हद की या बेहद की?
उत्तर:हमें बेहद की सेवा करनी है – अर्थात मनसा सेवा।
जैसे बाबा नजर से निहाल करते हैं, वैसे ही हमें भी हर आत्मा को रूहानियत से भरपूर दृष्टि और संकल्प से शक्ति देनी है।
अंतिम संदेश:
ओम शांति। यह संसार अब अंतिम परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
हमें अपने मन के संकल्पों से विश्व परिवर्तन की वह अदृश्य लहर चलानी है, जो किसी सीमा में नहीं बंधती।
अब समय है – मनसा सेवा के द्वारा बेहद की सेवा करने का।
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