(34)”If you remember the mantra of one, you will see one in everything”

अव्यक्त मुरली-(34)“एक का मन्‍त्र याद रहे तो सबमें एक दिखाई देगा”रिवाइज:13-06-1982

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बच्चों की खुशी में बापदादा की खुशी | अविनाशी संकल्प व अव्यक्त पालना की शक्ति | 


 बच्चों की खुशी में बापदादा की खुशी

(आधारित: अव्यक्त मुरली सन्देशों का सार)


1. भूमिका: स्वागत व भावना

ओम् शांति।

आज का दिन बापदादा के उस सन्देश से भरपूर है जहाँ उन्होंने कहा —
“बच्चों की खुशी में ही बापदादा की सच्ची खुशी समाई हुई है।”

संगमयुग की यह पावन घड़ी, जब बच्चे संगठित रूप से उमंग-उत्साह से भरकर आते हैं, तब बापदादा स्वयं उन्हें देखने, उन्हें पालना देने, और उनके संकल्पों को साकार करने आते हैं।


2. आदि स्थापना की स्मृति

शुरुआत में, बापदादा बच्चों को “प्रिय निज़ आत्मा” कहकर पुकारते थे।
यह शब्द सिर्फ़ संबोधन नहीं था — यह आत्म-स्मृति की शक्ति थी।

 आत्म-अभिमानी बनने की यह सहज विधि है —
“मैं आत्मा हूँ… शान्ति, शक्ति और प्रेम स्वरूप हूँ।”

बापदादा हर आत्मा को उसके मूल स्वरूप की याद दिला रहे हैं।


3. ‘एक का मंत्र’ – एकता की शक्ति

बापदादा ने बार-बार कहा —
“एक बाप, एक धर्म, एक घर, एक मत।”

यह एक का मंत्र ही वह बुनियाद है जिस पर यह यज्ञ टिका हुआ है।
जब “मेरा तो एक बाप” स्वाभाविक अनुभव बनता है, तब ही सच्ची शक्ति आती है।

 यही वह सूत्र है जिससे अनेकता में भी एकता बनी रहती है।


4. स्नेह व निमंत्रण: बापदादा का प्रत्युत्तर

बच्चों की दिल की आवाज़ बिना शब्दों के भी बापदादा तक पहुँच जाती है।
विशेषत: जो बच्चे विदेशों से सेवा में आए हैं — उनके लिए बापदादा कहते हैं:

“तुम दिल से निमंत्रण भेजते हो, और बापदादा दिल से उत्तर देते हैं।”

दिल की नज़दीकी ही सच्ची निकटता है।


5. विशेष सेवा का मार्गदर्शन: संकल्पों से सेवा

अब बापदादा संकल्पों से सेवा कराने आए हैं।

वाणी से नहीं, बल्कि:
“अविनाशी संकल्पों से, अनुभव से सेवा करो।”
 आत्मिक स्थिति से, अनुभूति कराने की सेवा ही “अव्यक्त सेवा” है।

बापदादा ने कहा:

“तुम्हारे संकल्प सच्चे सन्देशवाहक बनें।”


6. शान्ति की विधि और ब्रदरहुड की स्थापना

आज संसार को शस्त्रों की नहीं, संकल्पों के बल की ज़रूरत है।
 जब आत्माएं “मैं आत्मा शांत स्वरूप हूँ” का अनुभव करेंगी, तभी सच्ची शांति स्थापित होगी।

 ब्रदरहुड की अनुभूति से, भेदभाव मिटेगा और एकता की लौ जलेगी।


7. प्रेरक सन्देश: प्यार और शांति की पालना

सभी आत्माओं को शांति और प्यार की अनुभूति कराना ही श्रेष्ठ सेवा है।

बापदादा कहते हैं:

“प्यार की पालना, आत्मा को उड़ान देती है।”
“शांति की शक्ति, आत्मा को स्थायी सुख का अनुभव कराती है।”


8. समापन: माला की विशेषता

संगमयुग की यह माला —
हर दाना (आत्मा) स्नेह में बंधा, समर्पण में समर्पित, और सेवा में सक्रिय हो।

पूर्णता और एकता ही है अन्तिम विजय की निशानी।


9. बापदादा का वरदान

बापदादा का विशेष वरदान:

“सदा उमंग-उत्साह में उड़ते चलो।”
“बाप की छत्रछाया में मास्टर सर्वशक्तिमान बन सेवा करते रहो।”

 यह वरदान तुम्हें संकल्पों में विजयी बनाएगा, और अनुभूति कराएगा कि बाप तुम्हारे साथ हैं।


समापन शब्द:

आज इस पावन मिलन में —
आओ हम सभी अपने दिल में यह दृढ़ संकल्प लें:

“बापदादा की खुशी ही हमारी मंज़िल है।”
“हर आत्मा को शांति और प्यार की अनुभूति देना ही हमारा लक्ष्य है।”

ओम् शांति।

प्रश्नोत्तर श्रृंखला

बच्चों की खुशी में बापदादा की खुशी | अविनाशी संकल्प व अव्यक्त पालना की शक्ति | 


प्रश्न 1: बापदादा की सच्ची खुशी किसमें समाई हुई है?

उत्तर:बापदादा ने स्पष्ट कहा — “बच्चों की खुशी में ही बापदादा की सच्ची खुशी समाई हुई है।”
जब बच्चे उमंग-उत्साह से भरकर संगठित रूप से आते हैं, तो बापदादा स्वयं उन्हें देखने और पालना देने आते हैं।


प्रश्न 2: बापदादा बच्चों को “प्रिय निज़ आत्मा” क्यों कहते थे?

 उत्तर:यह केवल संबोधन नहीं था, बल्कि आत्मा को उसके आत्म-अभिमानी स्वरूप की याद दिलाने का माध्यम था।
“मैं आत्मा हूँ – शांति, शक्ति और प्रेम स्वरूप हूँ” — यह स्मृति आत्मा को जाग्रत करती है।


प्रश्न 3: ‘एक का मंत्र’ क्या है और इसका क्या महत्व है?

उत्तर:zएक का मंत्र’ है — “एक बाप, एक धर्म, एक मत, एक घर।”
इस मंत्र से ही एकता की शक्ति उत्पन्न होती है, और यही ब्रह्मा कुमारियों की नींव है।


प्रश्न 4: बच्चों के निमंत्रण पर बापदादा कैसे प्रत्युत्तर देते हैं?

 उत्तर:बापदादा बच्चों की दिल की आवाज़ शब्दों के बिना भी सुन लेते हैं।
उन्होंने कहा: “तुम दिल से निमंत्रण भेजते हो, और बापदादा दिल से उत्तर देते हैं।”


प्रश्न 5: आज की सेवा किस विधि से विशेष बताई गई है?

उत्तर:आज बापदादा ने कहा कि वाणी से नहीं, बल्कि संकल्पों और अनुभवों से सेवा करो।
“तुम्हारे संकल्प सच्चे सन्देशवाहक बनें” — यही है अव्यक्त सेवा की सच्ची विधि।


प्रश्न 6: सच्ची शांति की स्थापना किस प्रकार संभव है?

 उत्तर:जब आत्माएं यह अनुभव करें — “मैं आत्मा शांत स्वरूप हूँ,”
और ब्रदरहुड की अनुभूति से जुड़ें — तभी शस्त्र नहीं, संकल्पों के बल से सच्ची शांति संभव है।


प्रश्न 7: शांति और प्यार की पालना आत्मा को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर:बापदादा ने कहा:
“प्यार की पालना आत्मा को उड़ान देती है,”
“शांति की शक्ति आत्मा को स्थायी सुख का अनुभव कराती है।”


प्रश्न 8: संगमयुग की माला की विशेषता क्या है?

उत्तर:हर आत्मा (माला का दाना) स्नेह में बंधी, समर्पण में डूबी और सेवा में सक्रिय हो —
पूर्णता और एकता ही अन्तिम विजय की निशानी है।


प्रश्न 9: बापदादा का विशेष वरदान क्या है?

उत्तर:“सदा उमंग-उत्साह में उड़ते चलो।”
“बाप की छत्रछाया में मास्टर सर्वशक्तिमान बन सेवा करते रहो।”
यह वरदान आत्मा को संकल्पों में विजयी बनाता है।


प्रश्न 10: आज हमें क्या संकल्प लेना चाहिए?

उत्तर: “बापदादा की खुशी ही हमारी मंज़िल है।”
 “हर आत्मा को शांति और प्यार की अनुभूति देना ही हमारा लक्ष्य है।”

Disclaimer (डिस्क्लेमर):

इस वीडियो का उद्देश्य ब्रह्मा कुमारी संस्था के गूढ़ आध्यात्मिक ज्ञान को प्रश्नोत्तर शैली में सरल व प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत करना है। इसमें उद्धृत सभी आध्यात्मिक विचार ब्रह्मा कुमारीज़ की मूल शिक्षाओं पर आधारित हैं। यह वीडियो किसी भी धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने हेतु नहीं है, बल्कि आत्म-उन्नति, शांति, और ब्रह्मज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु है। कृपया इसे आध्यात्मिक जागरूकता के दृष्टिकोण से देखें।

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