गोवर्धन-गिरधारी कौन? श्रीकृष्ण या परमात्मा शिव?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“गोवर्धन-गिरधारी कौन? | क्या श्रीकृष्ण ने सच में पर्वत उठाया? | आध्यात्मिक रहस्य |
“गोवर्धन-गिरधारी कौन?”
1. सत्य का पुनरुद्धार – प्रतीकों के पीछे की सच्चाई
भारत की पावन भूमि पर एक अत्यंत प्रिय नाम है – गोवर्धन-गिरधारी, जिसे हम श्रीकृष्ण से जोड़ते हैं।
लेकिन सवाल यह उठता है:
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क्या सचमुच एक बालक ने पर्वत उठाया था?
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या यह कथा एक गहरे आध्यात्मिक सत्य की प्रतीक है?
आइए आज हम इस रहस्य से पर्दा उठाते हैं।
2. पौराणिक कथा का संक्षेप
भक्ति परंपरा में वर्णित है कि जब इंद्रदेव ने गोकुल पर वर्षा का प्रकोप किया,
तब बालक श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सबकी रक्षा की।
परंतु क्या ये बातें तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संभव हैं?
या यह ईश्वर कार्य के किसी गहरे सांकेतिक रहस्य की ओर संकेत करती है?
3. गिरि = समस्याओं का प्रतीक
‘गिरि’ यानी पर्वत — यह कलियुग के पाप, दुख, और विकारों का प्रतीक है।
आज हर आत्मा पर दुःख, चिंता, और कर्म बंधनों का बोझ है — जैसे एक पहाड़।
तो फिर वो शक्ति कौन है जो इन पहाड़ों को हटाए?
4. ईश्वरीय समाधान – परमात्मा शिव का आगमन
Murli 02-09-1996:
“मैं इस सृष्टि पर पुनः सतयुग की स्थापना के लिए आता हूँ।”
परमात्मा शिव — निराकार, ज्योति बिंदु — कलियुग के इस पापाचारी संसार को
ज्ञान की शक्ति से परिवर्तन करने आते हैं।
वे आते हैं प्रजापिता ब्रह्मा के तन में और ज्ञान-सागर बनकर आत्माओं को सशक्त बनाते हैं।
5. ‘उंगली लगाने’ का आध्यात्मिक अर्थ
परमात्मा कार्य अकेले नहीं करते।
गोप-गोपियाँ, अर्थात आप और हम — उनके कार्य में सहयोगी आत्माएँ बनते हैं।
Murli 12-08-2000:
“बाप कहते हैं – बच्चों, तुम मेरे साथ सहयोगी बनो तो तुम्हें स्वर्ग का राज्य मिलेगा।”
यह ‘उंगली लगाना’ कोई चमत्कार नहीं, संगमयुग की सेवा में योगदान का प्रतीक है।
6. सच्चे ‘गिरधारी’ – शिव बाबा
श्रीकृष्ण तो एक देवता हैं,
परन्तु सच्चे ‘गिरधारी’ हैं — परमात्मा शिव,
जो:
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विकारों के पर्वत को ज्ञान द्वारा नष्ट करते हैं
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आत्माओं को स्वराज्य का अधिकारी बनाते हैं
Murli 14-08-1992:
“मैं राज्य नहीं करता, राज्य देने आता हूँ।”
7. श्रीकृष्ण का सच्चा परिचय
Murli 11-08-1993:
“कृष्ण कोई युद्ध का पात्र नहीं था, वह सतयुग का पहला राजकुमार था।”
श्रीकृष्ण = सतोप्रधान देवता,
लेकिन गीता ज्ञानदाता नहीं।
गीता का भगवान = शिव, जो वर्तमान संगमयुग पर ज्ञान द्वारा पुनर्सृजन कर रहे हैं।
8. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को सार्थक कैसे बनाएं?
Murli 23-08-1994:
“बाप आये हैं सच्ची जन्माष्टमी मनाने। कृष्ण नहीं आता है, ज्ञान बाप सुनाते हैं।”
इसलिए यदि हमें श्रीकृष्ण से सच्चा प्रेम है, तो हमें:
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उनके रचयिता परमात्मा को जानना होगा
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राजयोग सीखकर आत्म-संवरण करना होगा
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ज्ञान, योग, सेवा से सतयुग की स्थापना में सहयोग देना होगा
निष्कर्ष: गोवर्धन-गिरधारी कौन हैं?
वास्तव में तीन गहरे अर्थ हैं:
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गोवर्धन – गोप (आत्मा) + वर्धन (उन्नति) = आत्मा को ज्ञान से सशक्त करने वाला
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गिरधारी – पाप और विकारों के पर्वत को हटाने वाला
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श्रीकृष्ण – सतयुग का पहला देवता, परमात्मा का श्रेष्ठ फल
Q1: ‘गोवर्धन-गिरधारी’ नाम का क्या अर्थ है?
A1: ‘गोवर्धन’ = गोप (आत्मा) + वर्धन (उन्नति)
‘गिरधारी’ = जो विकारों व पापों के पहाड़ को ज्ञान से हटाता है।
यह नाम वास्तव में परमात्मा शिव के दिव्य कार्य का प्रतीक है।
Q2: क्या श्रीकृष्ण ने सच में गोवर्धन पर्वत उठाया था?
A2: नहीं। यह कथा प्रतीकात्मक है।
पर्वत = पाप व समस्याओं का भार
उंगली = सहयोग का प्रतीक
यह कथा दर्शाती है कि परमात्मा के कार्य में सहयोगी आत्माएँ भी होती हैं।
Q3: ‘गिरि’ किसका प्रतीक है?
A3: ‘गिरि’ या पर्वत प्रतीक है कलियुग के विकारों, दुखों, और कर्म बंधनों का।
आज हर आत्मा पर यह बोझ है — और उसे हटाने के लिए दिव्य ज्ञान की आवश्यकता है।
Q4: वो शक्ति कौन है जो इन समस्याओं को हटाती है?
A4: परमात्मा शिव, जो संगमयुग पर आकर ज्ञान द्वारा इस दुखमय संसार को समाप्त कर सतयुग की स्थापना करते हैं।
Murli 02-09-1996:
“मैं सतयुग की स्थापना के लिए आता हूँ।”
Q5: ‘उंगली लगाने’ का क्या आध्यात्मिक अर्थ है?
A5: इसका अर्थ है – परमात्मा के कार्य में सहयोग देना।
सेवा, योग और ज्ञान का अभ्यास द्वारा आत्मा ‘उंगली’ लगाती है।
Murli 12-08-2000:
“तुम मेरे साथ सहयोगी बनो तो तुम्हें स्वर्ग का राज्य मिलेगा।”
Q6: क्या श्रीकृष्ण ही सच्चे गिरधारी हैं?
A6: नहीं। श्रीकृष्ण सतयुग के पहले देवता हैं,
पर सच्चे ‘गिरधारी’ हैं — परमात्मा शिव,
जो विकारों के पर्वत को ज्ञान से समाप्त करते हैं।
Murli 14-08-1992:
“मैं राज्य नहीं करता, राज्य देने आता हूँ।”
Q7: श्रीकृष्ण का वास्तविक परिचय क्या है?
A7: श्रीकृष्ण कोई युद्ध पात्र नहीं, बल्कि सतयुग का पहला राजकुमार थे।
वे स्वयं परमात्मा नहीं, बल्कि परमात्मा की रचना हैं।
Murli 11-08-1993:
“कृष्ण युद्ध का पात्र नहीं, सतयुग का पहला राजकुमार था।”
Q8: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को आध्यात्मिक रूप से कैसे सार्थक बनाएं?
A8:
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गीता के सच्चे भगवान — परमात्मा शिव को पहचानें
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राजयोग का अभ्यास करें
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सतयुग की स्थापना में सहयोगी बनें
Disclaimer (डिस्क्लेमर):
यह वीडियो ब्रह्माकुमारियों के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है और इसमें प्रस्तुत सभी उत्तर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रतीकात्मक व्याख्या हैं। हम किसी धर्म, संप्रदाय या धार्मिक मान्यताओं की आलोचना नहीं करते, बल्कि सभी मान्यताओं का सम्मान करते हुए मूल आध्यात्मिक अर्थ को सरल भाषा में स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं।
इस वीडियो में उपयोग किए गए श्लोक, कहानियाँ और उदाहरण — परमात्म ज्ञान के आधार पर प्रतीक रूप में समझाए गए हैं।
कृपया इसे आध्यात्मिक चिंतन और गहन आत्मचिंतन की दृष्टि से देखें।
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