(48)गीता के ज्ञान को ठीक से समझने कीआवश्यकता – 12
“गीता का असली वक्ता कौन? | मुरली द्वारा भक्तियोग और गीता रहस्य | श्रीकृष्ण नहीं, शिव परमात्मा”
प्रस्तावना:
गीता — एक दिव्य और रहस्यमयी ग्रंथ
श्रीमद्भगवद्गीता को संसार का सबसे पवित्र, दिव्य और गूढ़ ग्रंथ माना जाता है।
परंतु क्या आपने कभी सोचा —
जिसने गीता का ज्ञान सुनाया, क्या वह वास्तव में श्रीकृष्ण थे?
या यह कार्य किसी और ने किया?
इस रहस्य को हम केवल ब्रह्माकुमारियों की मुरली से ही सही तरीके से समझ सकते हैं।
अध्याय 1: गीता का वास्तविक वक्ता कौन है?
सामान्य मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान दिया।
लेकिन श्रीकृष्ण तो जन्म लेने वाले, साकार देवता हैं।
ज्ञान देने वाला तो होना चाहिए —
निराकार, जन्म रहित, त्रिकालदर्शी परमात्मा।
Murli: 18 जनवरी 2025
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ।
मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश कर तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”
इससे स्पष्ट होता है —
गीता का वास्तविक ज्ञानदाता परमपिता शिव हैं, जो संगमयुग पर ब्रह्मा में प्रवेश कर ज्ञान सुनाते हैं।
अध्याय 2: द्वादश अध्याय – भक्तियोग की सच्ची व्याख्या
संस्कृत संकेत:
…भक्तियोगो नाम द्वादशोऽध्यायः॥
“भक्तियोग नामक बारहवाँ अध्याय समाप्त हुआ।”
इस अध्याय में भगवान ने भक्त की परिभाषा दी है —
लेकिन वह भक्त कौन है?
सच्चा भक्त वह नहीं जो केवल मूर्ति पूजा करे।
सच्चा भक्त वह है —
जो परमात्मा को निराकार रूप में पहचानता है
और योग द्वारा उससे संबंध जोड़ता है।
अध्याय 3: भक्ति से ज्ञान की ओर – मुरली की भूमिका
भक्ति मार्ग कब समाप्त होता है?
जब परमात्मा स्वयं आकर ज्ञान मार्ग आरंभ करते हैं।
Murli वाणी:
“अब ज्ञान सूर्य आया है, भक्ति मार्ग समाप्त होता है।”
यही भक्तियोग का वास्तविक अर्थ है —
जहां आत्मा भक्ति से आगे बढ़कर ज्ञान प्राप्त करती है,
और फिर परमात्मा से साक्षात्कार कर राजयोग द्वारा जीवन को श्रेष्ठ बनाती है।
निष्कर्ष: गीता को समझने की सच्ची कुंजी – मुरली
गीता का प्रत्येक अध्याय आध्यात्मिक रहस्यों से भरा हुआ कोड है।
और वह कोड सिर्फ मुरली के माध्यम से ही खोला जा सकता है।
परमात्मा शिव ही:
-
गीता के सच्चे वक्ता,
-
भक्तियों के फलदाता,
-
और आत्माओं के मुक्ति-दाता हैं।
आज, जब परमात्मा शिव ब्रह्मा तन द्वारा मुरली के रूप में ज्ञान सुना रहे हैं,
तो यही समय है गीता के रहस्यों को साक्षात्कार रूप में जानने का।
शीर्षक: गीता का असली वक्ता कौन? | मुरली द्वारा भक्तियोग और गीता रहस्य | श्रीकृष्ण नहीं, शिव परमात्मा
प्रश्न 1: गीता का ज्ञान देने वाला वास्तव में कौन था — श्रीकृष्ण या कोई और?
उत्तर:सामान्य धारणा यह है कि गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया, परंतु आध्यात्मिक दृष्टि से यह तर्कसंगत नहीं है।
ज्ञान देने वाला निराकार, जन्म-मरण से परे, त्रिकालदर्शी होना चाहिए — जो केवल परमात्मा शिव हैं।
साकार मुरली – 18 जनवरी 2025:
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ।
मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश कर तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”
अतः गीता का असली वक्ता है — परमात्मा शिव, जो संगमयुग पर ब्रह्मा के तन में प्रवेश करके ज्ञान सुनाते हैं।
प्रश्न 2: गीता का ‘भक्तियोग’ अध्याय क्या बताता है?
उत्तर:द्वादश (12वां) अध्याय — भक्तियोग — आत्मा और परमात्मा के बीच की सच्ची भक्ति को दर्शाता है।
परमात्मा कहते हैं कि सच्चा भक्त वह नहीं जो केवल मूर्ति पूजा करे,
बल्कि वह जो निराकार परमात्मा से योग लगाता है।
श्लोक रेखा:
“…भक्तियोगो नाम द्वादशोऽध्यायः॥”
सच्ची भक्ति वही है जो आत्मा को परमात्मा की पहचान कराकर ज्ञान और योग मार्ग की ओर ले जाए।
प्रश्न 3: भक्तियोग से ज्ञानयोग की यात्रा कब और कैसे होती है?
उत्तर:जब परमात्मा स्वयं संगमयुग पर अवतरित होते हैं, तभी भक्ति मार्ग समाप्त होता है और ज्ञान का सूर्य उदय होता है।
मुरली वाणी:
“अब ज्ञान सूर्य आया है, भक्ति मार्ग समाप्त होता है।”
यह वही समय होता है जब आत्मा भक्ति से ऊपर उठकर राजयोग द्वारा स्वयं को सशक्त बनाती है।
प्रश्न 4: क्या गीता के सभी अध्याय संवाद के रूप में हैं?
उत्तर:हाँ। गीता के प्रत्येक अध्याय के अंत में लिखा है:
“…अर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः॥”
“…संन्यासयोगो नाम पंचमोऽध्यायः॥”
इससे सिद्ध होता है कि गीता कोई धार्मिक कथा नहीं, बल्कि ईश्वर और आत्मा के बीच का संवाद है।
प्रश्न 5: मुरली और गीता का क्या संबंध है?
उत्तर:मुरली = परमात्मा शिव का ब्रह्मा के मुख द्वारा दिया गया प्रत्यक्ष ज्ञान।
यह वही ज्ञान है जो गीता में था, और आज पुनः संगमयुग पर सुनाया जा रहा है।
अव्यक्त मुरली – 21 जुलाई 2025:
“बच्चे, यह मुरली ही गीता का जीवंत रूप है। मैं ब्रह्मा के मुख से सुनाता हूँ, जिससे तुम अर्जुन जैसे वीर बनते हो।”
मुरली ही है — “जीवंत गीता”।
Disclaimer (अस्वीकरण):
इस वीडियो का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाना नहीं है। इसमें व्यक्त विचार ब्रह्माकुमारियों द्वारा प्रतिदिन सुनाई जाने वाली ईश्वरीय मुरली के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित हैं। यह प्रस्तुति गीता के रहस्यों को स्पष्ट करने के लिए की गई है, जिससे आत्मा परमात्मा के वास्तविक संबंध को समझ सके। कृपया इसे एक गहन आध्यात्मिक चिंतन के रूप में देखें।
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