Swadarashan Chakra

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“स्वदर्शन चक्र: आत्मज्ञान और आत्मरक्षा का दिव्य चक्र | 


स्वदर्शन चक्र – आत्मज्ञान का शक्तिशाली साधन


1. प्रस्तावना – क्या है स्वदर्शन चक्र?

जब हम ‘स्वदर्शन चक्र’ शब्द सुनते हैं, तो सामान्यतः हमारे मन में श्रीकृष्ण का वह चक्र घूमता हुआ दिखाई देता है जो युद्ध में दुश्मनों को मारता है।
परंतु ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार, स्वदर्शन चक्र कोई भौतिक अस्त्र नहीं, बल्कि एक आत्मिक अस्त्र है — जो आत्मा को स्वयं का दर्शन कराता है और पुरे सृष्टि चक्र का ज्ञान देता है।

मुरली बिंदु (18 अगस्त 2023):
“बच्चे, सच्चा स्वदर्शन चक्रधारी वही, जो स्वयं आत्मा को और सृष्टि चक्र को जानता हो।”


2. स्वदर्शन चक्र का अर्थ – दो शक्तिशाली शब्दों का योग

  • स्व + दर्शन = स्वयं का दर्शन

  • चक्र = चक्र के रूप में सम्पूर्ण सृष्टि चक्र का ज्ञान

यह चक्र केवल शरीर नहीं, आत्मा और संसार के चक्र का बोध कराता है:
 मैं आत्मा कौन हूँ?
यह सृष्टि रूपी नाटक क्या है?
मेरा पहला जन्म कहाँ था?
मेरी वापसी यात्रा कब और कैसे होती है?

मुरली बिंदु (4 मई 2024):
“जो बच्चे सच्चे स्वदर्शन चक्रधारी हैं, वही सच्चे राजयोगी बन सकते हैं।”


3. श्रीकृष्ण और स्वदर्शन चक्र – प्रतीकात्मक रहस्य

श्रीकृष्ण के हाथ में चक्र एक सांकेतिक चित्र है। वह संकेत करता है कि:

  • कृष्ण आत्मा ने सम्पूर्ण सृष्टि चक्र का ज्ञान प्राप्त किया है।

  • वह आत्मा 84 जन्मों का ज्ञान रखती है।

  • यह चक्र उसकी आत्मिक स्थिति की यादगार है, न कि कोई मारने वाला अस्त्र।

 उदाहरण:

जैसे कोई शिक्षक सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का ज्ञान रखता है और उसी ज्ञान से दूसरों को शिक्षित करता है, वैसे ही सच्चा स्वदर्शन चक्रधारी अपने ज्ञान से विकारों को समाप्त करता है।

मुरली बिंदु (21 फरवरी 2025):
“बच्चे, श्रीकृष्ण ने कोई युद्ध नहीं किया, उनका चक्र तो आत्मा और सृष्टि का ज्ञान है।”


4. स्वदर्शन चक्रधारी कौन? – कौन चला सकता है यह दिव्य चक्र?

सच्चा स्वदर्शन चक्रधारी वह है जो:

  • स्वयं को आत्मा समझता है

  • परमात्मा को पहचानता है

  • सम्पूर्ण 84 जन्मों और चार युगों का ज्ञान रखता है

  • इस ज्ञान से आत्मा को शुद्ध करता है

यह चक्र गुस्से या हथियार के रूप में नहीं चलता, यह चलता है स्मृति, योग, और ज्ञान के अभ्यास से।


5. आत्मरक्षा के लिए स्वदर्शन चक्र

आज के समय में हम बाहरी शत्रुओं से नहीं, आंतरिक विकारों से लड़ रहे हैं –
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार।

स्वदर्शन चक्र का अभ्यास:

  • आत्मा को जागृत करता है

  • विकारों से मुक्ति देता है

  • ईश्वर से मिलन कराता है

  • आत्मा को शक्तिशाली बनाता है

📖 मुरली बिंदु (25 मार्च 2024):
“स्वदर्शन चक्रधारी बच्चे कभी माया से हारते नहीं, वो आत्मरक्षक बनते हैं।”


6. कैसे बनें सच्चे स्वदर्शन चक्रधारी?

अभ्यास:

  1. प्रतिदिन अमृतवेले आत्मा-स्मृति में बैठें।

  2. 84 जन्मों के चक्र को चार युगों में स्मरण करें।

  3. अपने पहले सतोप्रधान स्वरूप को देखें – देवी या देवता।

  4. हर कर्म करते समय आत्मा और परमात्मा की याद में रहें।

अनुभव:

एक साधक जो प्रतिदिन 10 मिनट स्वदर्शन चक्र का अभ्यास करता है, उसका स्वभाव शांत, निर्णय शक्तिशाली और आत्मबल स्थिर हो जाता है।


7. निष्कर्ष – स्वदर्शन चक्र: आत्मा का सबसे बड़ा अस्त्र

यह चक्र हमें आत्म-ज्ञान और ईश्वर-संयोग द्वारा:

  • मन की चंचलता को शांत करता है

  • जीवन को व्यवस्थित करता है

  • विकारों का नाश करता है

  • स्वराज्य अधिकारी बनाता है

मुरली बिंदु (7 जनवरी 2025):
“बच्चे, ज्ञान का यह चक्र तुम बच्चों को विश्व का मालिक बनाता है।”

प्रश्न-उत्तर: स्वदर्शन चक्र – आत्मज्ञान और आत्मरक्षा का दिव्य चक्र


प्रश्न 1: स्वदर्शन चक्र क्या है?

उत्तर:स्वदर्शन चक्र कोई भौतिक या मारने वाला हथियार नहीं है, बल्कि एक आत्मिक ज्ञान का चक्र है।
‘स्वदर्शन’ का अर्थ है – स्वयं का दर्शन, और ‘चक्र’ का अर्थ है – संपूर्ण सृष्टि चक्र का ज्ञान
यह आत्मा को याद दिलाता है कि मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, और मेरा पुनर्जन्म का चक्र क्या है।

मुरली (18 अगस्त 2023):
“सच्चा स्वदर्शन चक्रधारी वही, जो आत्मा और सृष्टि चक्र को जानता हो।”


प्रश्न 2: श्रीकृष्ण के हाथ में जो चक्र है, उसका क्या अर्थ है?

उत्तर:श्रीकृष्ण के हाथ में जो चक्र दिखाया गया है, वह प्रतीकात्मक है। यह संकेत करता है कि वह आत्मा सम्पूर्ण 84 जन्मों और चार युगों का ज्ञान रखती है।
वह चक्र कोई हिंसात्मक अस्त्र नहीं, बल्कि आत्मिक स्थिति की यादगार है।

मुरली (21 फरवरी 2025):
“श्रीकृष्ण ने कोई युद्ध नहीं किया, उनका चक्र तो आत्मा और सृष्टि का ज्ञान है।”


प्रश्न 3: स्वदर्शन चक्रधारी कौन कहलाता है?

उत्तर:जो आत्मा:

  • स्वयं को आत्मा समझती है

  • परमात्मा को पहचानती है

  • 84 जन्मों और सृष्टि चक्र का ज्ञान रखती है

  • ज्ञान, स्मृति और योग द्वारा स्वयं को शुद्ध करती है
    वही सच्चा स्वदर्शन चक्रधारी कहलाता है।

मुरली (4 मई 2024):
“सच्चे स्वदर्शन चक्रधारी ही सच्चे राजयोगी बन सकते हैं।”


प्रश्न 4: स्वदर्शन चक्र से आत्मरक्षा कैसे होती है?

उत्तर:स्वदर्शन चक्र का अभ्यास आत्मा को आंतरिक विकारों जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, और अहंकार से बचाता है।
यह आत्मा को जागरूक, शक्तिशाली और परमात्मा से जुड़ने योग्य बनाता है।

मुरली (25 मार्च 2024):
“स्वदर्शन चक्रधारी बच्चे कभी माया से हारते नहीं, वो आत्मरक्षक बनते हैं।”


प्रश्न 5: स्वदर्शन चक्र का अभ्यास कैसे करें?

उत्तर:प्रतिदिन अमृतवेले आत्मा-स्मृति में बैठें
चार युगों और 84 जन्मों के चक्र का स्मरण करें
अपने पहले सतोप्रधान स्वरूप (देवता रूप) को देखो
हर कर्म में आत्मा और परमात्मा की याद बनाए रखें

अनुभव:
एक साधक जो प्रतिदिन 10 मिनट अभ्यास करता है, उसका स्वभाव शांत और आत्मबल स्थिर हो जाता है।


प्रश्न 6: स्वदर्शन चक्र का अंतिम लक्ष्य क्या है?

उत्तर:स्वदर्शन चक्र आत्मा को:

  • आत्म-ज्ञान द्वारा स्थिर करता है

  • मन की चंचलता से मुक्ति देता है

  • जीवन को व्यवस्थित बनाता है

  • विकारों को समाप्त करता है

  • और स्वराज्य अधिकारी बनाता है

मुरली (7 जनवरी 2025):
“ज्ञान का यह चक्र तुम बच्चों को विश्व का मालिक बनाता है।”


प्रश्न 7: क्या स्वदर्शन चक्र सभी के लिए है?

उत्तर:हाँ।
हर आत्मा परमात्मा से यह ज्ञान लेकर सच्चे स्वदर्शन चक्रधारी बन सकती है। इसके लिए न कोई जाति, धर्म या लिंग की सीमा है – केवल स्वयं को आत्मा समझकर परमात्मा को याद करने की भावना चाहिए।

डिस्क्लेमर:
यह वीडियो आध्यात्मिक ज्ञान व स्वयं-परिवर्तन की प्रेरणा देने हेतु बनाया गया है। इसमें प्रस्तुत सभी विचार, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की आध्यात्मिक शिक्षाओं एवं मुरली बिंदुओं पर आधारित हैं।
यह किसी धार्मिक मत, व्यक्तित्व, संस्था, या परंपरा की आलोचना या तुलना हेतु नहीं है।
हमारा उद्देश्य आत्मा के वास्तविक स्वरूप, सृष्टि चक्र के रहस्य, और परमात्मा के ज्ञान को सहज, स्पष्ट व आत्म कल्याणकारी रूप में प्रस्तुत करना है।

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