गीता का भगवान काैन है(56)भगवान एक है-शिव ही हैं गीता ज्ञानदाता
“गीता का भगवान कौन? – ज्ञान का सागर शिव ही हैं | शिव बाबा का संदेश”
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परिचय
ओम शांति।
आज हम चर्चा करेंगे – “गीता का भगवान कौन?”
बाबा कहते हैं कि गीता के भगवान को सिद्ध करो। हमें पहले नॉलेज और समझ तो आई। आज हम इसका 56वाँ अंश – भगवान एक है – समझेंगे।
भगवान और गीता ज्ञान दाता – कौन हैं?
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शिव ही गीता ज्ञान दाता हैं।
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सभी कहते हैं “God is One”, और वही शिव हैं।
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श्री कृष्ण ने भी परमात्मा शिव को ही गीता का भगवान माना।
दो मुख्य प्रश्न:
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भगवान कौन?
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गीता का ज्ञान दाता कौन?
मन में भगवान का स्वरूप
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जब भगवान शब्द सुनते हैं तो मन में सबसे पहले कौन आता है?
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कुछ लोग कहते हैं – श्री कृष्ण, राम, शिव।
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हर आत्मा का इष्ट देव अलग होता है।
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शिव के बच्चे शिव का नाम लेंगे।
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श्री कृष्ण को भगवान मानने वाले श्री कृष्ण का नाम लेंगे।
लेकिन गीता में ज्ञान दाता कौन है?
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क्या कोई बालक जो माखन खाता है?
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या निराकार ज्योति बिंदु जो सभी आत्माओं का परम पिता है?
भगवान का वास्तविक स्वरूप
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भगवान = सर्व आत्माओं का परम पिता, ज्ञान का सागर, पतित पावन।
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निराकार, अजन्मा, आभोगता।
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जो जन्म लेता है, शरीर धारी है, शरीर का भोगता है, वह परमात्मा नहीं हो सकता।
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एकमात्र परमात्मा = शिव।
शिव – कल्याणकारी और कर्मातीत
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जन्म नहीं लेते।
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कर्मातीत और अभोक्ता।
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ज्ञान, शांति, प्रेम और पवित्रता का सागर।
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साधन भी वही हैं।
मुरली 6 जनवरी 1991:
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“ना मैं कृष्ण हूं, ना मैं राम। मैं हूं निराकार शिव, जो ब्रह्मा तन में प्रवेश कर ज्ञान सुनाता हूं।”
श्री कृष्ण गीता का वक्ता नहीं हो सकते
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जन्मा हुआ बालक, बाल लीलाएं करता है।
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गीता ज्ञान दाता स्वयं कहते हैं – “मैं अजन्मा और अविनाशी हूं।” (गीता 4:6)
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युद्धभूमि में ज्ञान देना मिथ्या है – ना युद्ध था, ना रथ, ना अर्जुन। यह सब अलंकार है।
पहला अर्जुन और ज्ञान का प्रसारण
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बाप कहते हैं – “मैं ब्रह्मा के तन में बैठ मन मना भाव का ज्ञान देता हूं।”
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यही पहला अर्जुन है।
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गीता ज्ञान दाता ने श्री कृष्ण को देवता बनाया।
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श्री कृष्ण ज्ञान लेने वाला हैं, देने वाला नहीं।
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शिव बाबा ने श्री कृष्ण को श्री नारायण पद प्रदान कराया।
गीता का ज्ञान – सूर्य और मनु
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गीता में लिखा – ज्ञान पहले सूर्य ने मनु को दिया।
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मनु ने इक्षवाकु को दिया। फिर ज्ञान प्रायलोक हो गया।
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सतयुग का पहला व्यक्ति – मनु।
मनु की कथा:
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परमात्मा ने मछली के रूप में साक्षात्कार कर बताया – नाव बनाओ और हिमालय पर्वत पर चले जाओ।
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मनु ने नाव बनाई और सुरक्षित पहुँचाया।
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श्रद्धा से इड़ा हुई, इड़ा से मानव उत्पन्न।
शिव ही गीता का भगवान
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श्री नारायण पद प्राप्त कराया।
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श्री कृष्ण केवल स्वर्ग का पहला प्रिंस हैं।
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मैं ही गीता का भगवान हूं – शिव बाबा।
शिव बाबा का संदेश:
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“मन मना भाव अर्थात मुझे याद करो या मेरी श्रीमत पर चलो। श्री कृष्ण को नहीं, मैं हूं शिव।”
निष्कर्ष
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गीता का भगवान और ज्ञान दाता केवल शिव हैं।
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जन्म, लीलाएं, शरीर और भोग वाला कोई भी व्यक्ति परमात्मा नहीं हो सकता।
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शिव – निराकार, परमधाम वास – ज्ञान, शांति, प्रेम और पवित्रता के सागर हैं।
गीता का भगवान कौन? – ज्ञान का सागर शिव ही हैं | शिव बाबा का संदेश”
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: गीता का भगवान कौन हैं?
उत्तर: गीता का भगवान केवल शिव हैं। वे निराकार, अजन्मा, अविनाशी हैं और सभी आत्माओं के परम पिता, ज्ञान का सागर और पतित पावन हैं।
प्रश्न 2: गीता का ज्ञान दाता कौन हैं?
उत्तर: गीता का ज्ञान दाता भी केवल शिव बाबा हैं। श्री कृष्ण जन्मा हुआ बालक थे और गीता का ज्ञान देने वाले नहीं, लेने वाले थे।
प्रश्न 3: जब हम “भगवान” शब्द सुनते हैं तो आमतौर पर क्या सोचते हैं?
उत्तर: कई लोग श्री कृष्ण, राम या शिव के रूप में सोचते हैं। हर आत्मा का इष्ट देव अलग होता है। शिव के बच्चे शिव का नाम लेंगे और कृष्ण को भगवान मानने वाले श्री कृष्ण का नाम लेंगे।
प्रश्न 4: क्या कोई जन्मा हुआ बालक गीता का ज्ञान दे सकता है?
उत्तर: नहीं। जन्मा हुआ बालक शरीर धारी और भोग करने वाला है। गीता ज्ञान देने वाला केवल अजन्मा, अविनाशी, निराकार परमात्मा ही हो सकता है।
प्रश्न 5: शिव बाबा ने गीता का ज्ञान युद्धभूमि में दिया?
उत्तर: नहीं। यह मिथ्या है। ना युद्ध हुआ, ना अर्जुन या रथ था। यह सब अलंकारिक है। शिव बाबा ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर मन मना भाव से ज्ञान देते हैं।
प्रश्न 6: गीता का ज्ञान पहले किसे प्राप्त हुआ?
उत्तर: गीता का ज्ञान सबसे पहले सूर्य ने मनु को दिया। मनु ने इसे इक्षवाकु को दिया और फिर यह प्रायलोक में चला गया।
प्रश्न 7: मनु की कथा क्या है?
उत्तर: परमात्मा ने मछली के रूप में साक्षात्कार कराया और कहा – नाव बनाओ और हिमालय पर्वत पर चलो। मनु ने नाव बनाई और सुरक्षित पहुँचाया। श्रद्धा से इड़ा उत्पन्न हुई और इड़ा से मानव।
प्रश्न 8: श्री कृष्ण का गीता में क्या स्थान है?
उत्तर: श्री कृष्ण केवल ज्ञान लेने वाले हैं। शिव बाबा ने उन्हें श्री नारायण पद प्रदान किया। श्री कृष्ण गीता का वक्ता नहीं हैं।
प्रश्न 9: शिव बाबा का संदेश गीता के बारे में क्या है?
उत्तर: “मन मना भाव अर्थात मुझे याद करो या मेरी श्रीमत पर चलो। श्री कृष्ण को नहीं, मैं हूं शिव।”
प्रश्न 10: निष्कर्ष में गीता का भगवान और ज्ञान दाता कौन हैं?
उत्तर: केवल शिव बाबा। जन्म, लीलाएं, शरीर और भोग वाला कोई भी व्यक्ति परमात्मा नहीं हो सकता। शिव – निराकार, परमधाम वास – ज्ञान, शांति, प्रेम और पवित्रता के सागर हैं।
डिस्क्लेमर:
यह वीडियो केवल आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान साझा करने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह किसी भी व्यक्ति, धर्म, या परंपरा के खिलाफ नहीं है। प्रस्तुत जानकारी ब्रह्माकुमारी शिव बाबा की शिक्षाओं और आध्यात्मिक संदर्भों पर आधारित है।
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