(105)विकारों से मुक्ति का सच्चा मार्ग गीता का गुप्त संदेश
“स्मृति स्वरूप बन तीव्रगति से परिवर्तन कैसे करें? | पास विद ऑनर की विधि |”
1. प्रस्तावना
ओम् शांति।
आज हम अव्यक्त बापदादा की मधुर मुरली से यह विशेष शिक्षा ले रहे हैं कि —
स्मृति स्वरूप और अनुभवी मूर्त बनकर सेकण्ड की तीव्रगति से परिवर्तन कैसे करना है और पास विद ऑनर कैसे बनना है।
2. स्मृति स्वरूप बनना क्यों ज़रूरी है?
बापदादा ने कहा —
सच्चा पुरूषार्थ वही है, जिसमें आत्मा निरन्तर यह स्मृति रखे कि मैं परमपिता शिवबाबा का संतान हूँ।
जब आत्मा इस निरन्तर स्मृति में रहती है, तो माया का कोई भी आक्रमण उसे प्रभावित नहीं कर सकता।
स्मृति ही शक्ति है, स्मृति ही आत्मा का असली बल है।
3. अनुभवी मूर्त कैसे बनें?
सिर्फ ज्ञान सुनना या याद करना काफ़ी नहीं है।
हमें अपने हर अनुभव को मूर्त स्वरूप में धारण करना है।
जैसे —
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योग में अनुभव हुआ शान्ति का सागर — वह अनुभव हमारे चेहरे और कर्म में झलकना चाहिए।
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बाबा के साथ की अनुभूति — वह सदा व्यवहार में मधुरता और करुणा बनकर प्रकट होनी चाहिए।
अनुभव को जीवन का हिस्सा बना देना ही अनुभवी मूर्त बनना है।
4. सेकण्ड में परिवर्तन की कला
संगमयुग का समय बहुत नाजुक है।
बाबा कहते हैं — परिवर्तन में देर न करो।
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व्यर्थ संकल्प आया — सेकण्ड में स्व-स्थिति में आओ।
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नकारात्मक स्थिति आई — सेकण्ड में “मैं आत्मा हूँ” का अभ्यास करो।
सेकण्ड की यह तीव्रगति ही हमें पास विद ऑनर बनाती है।
5. पास विद ऑनर बनने की विधि
पास विद ऑनर का अर्थ है —
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हर परीक्षा में, हर परिस्थिति में, सहजता से पास होना।
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अंतिम समय में बिना किसी भी बोझ के बाबा के साथ उड़ जाना।
इसकी विधि है —
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स्मृति स्वरूप रहना।
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अनुभवी मूर्त बनना।
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परिवर्तन में तीव्रगति लाना।
जो इस रीति से चलेंगे, वे बाबा से मिलकर पास विद ऑनर का ताज पहनेंगे।
6. निष्कर्ष
बापदादा हम सब बच्चों को यही वरदान दे रहे हैं —
“सदा स्मृति स्वरूप, अनुभवी मूर्त बनो और सेकण्ड की तीव्रगति से परिवर्तन कर पास विद ऑनर बनो।”
स्मृति स्वरूप बनकर पास विद ऑनर कैसे पाएं?
(प्रश्नोत्तर विशेष)
प्रश्न 1: ‘स्मृति स्वरूप’ बनने का क्या अर्थ है?
उत्तर: स्मृति स्वरूप का अर्थ है – स्वयं को आत्मा और शिवबाबा को अपना पिता, शिक्षक और सतगुरु निरंतर याद करना। स्मृति में रहना यानी अपने हर कर्म में ईश्वरीय पहचान को साथ रखना।
प्रश्न 2: ‘अनुभवी मूर्त’ बनने का संकेत क्या है?
उत्तर: अनुभवी मूर्त वह है जो केवल ज्ञान को सुना या पढ़ा नहीं बल्कि जीवन में उसे अनुभव कर रहा है। जैसे शांति, पवित्रता, शक्ति और प्रेम – ये गुण उसके चेहरे और व्यवहार में दिखाई देते हैं।
प्रश्न 3: सेकण्ड की तीव्रगति से परिवर्तन करने का रहस्य क्या है?
उत्तर: इसके लिए बाबा ने कहा – संकल्प को तुरंत बदलना सीखो। नकारात्मक या व्यर्थ विचार आते ही स्मृति की शक्ति से उन्हें पॉजिटिव बना दो। जितनी शीघ्र गति से संकल्प बदलेंगे, उतनी ही तेजी से संस्कार बदलेंगे।
प्रश्न 4: पास विद ऑनर कौन बन सकता है?
उत्तर: जो अन्तिम समय में भी बाबा की याद, आत्मिक स्वरूप और सेवा की भावना को धारण किए रहे। पास विद ऑनर वही है जो पेपर समय में भी व्यर्थ संकल्प में नहीं फँसता और परीक्षाओं में विजयी बनता है।
प्रश्न 5: ‘पास विद ऑनर’ बनने के लिए रोज़ की प्रैक्टिस क्या होनी चाहिए?
उत्तर:
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अमृतवेले बाबा से मिलन।
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दिनभर में बार-बार स्मृति अभ्यास।
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सेवा में रचनात्मकता।
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व्यर्थ संकल्प का तुरंत परिवर्तन।
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अन्त में बाबा को धन्यवाद और रिपोर्ट।
Disclaimer
इस वीडियो में प्रस्तुत सभी विचार, ज्ञान और व्याख्या ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय ज्ञान तथा मुरली से प्रेरित हैं। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति, सकारात्मक सोच और जीवन में शांति एवं शक्ति लाना है। यह किसी भी धर्म, मत, पंथ या संप्रदाय की आलोचना या विरोध के लिए नहीं है। कृपया इस ज्ञान को आत्म-कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति के लिए ही अपनाएँ।
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