Pitr Paksh (17)AHas God taught to perform Shraddha?

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पितृपक्ष में श्राध्द रहस्यः-(17)क्या भगवान ने श्राद्ध करने की शिक्षा दी है?

अध्याय: क्या भगवान ने श्राद्ध करने की शिक्षा दी है?

1. समाज की मान्यता

समाज में यह धारणा है कि श्राद्ध भगवान का आदेश है
लाखों लोग मानते हैं कि पितरों को तृप्त करने के लिए अन्न-पानी और तर्पण का नियम भगवान ने दिया।

लेकिन सवाल उठता है:

  • अगर भगवान की शिक्षा होती, तो हर आत्मा उससे शांति क्यों नहीं पा रही?

  • यदि भगवान ने आदेश दिया कि “श्राद्ध करो”, तो क्या हर कोई इससे तृप्त और शांति प्राप्त करता?

निष्कर्ष: केवल समाज की परंपरा पर चलना और उसे भगवान का आदेश मान लेना सही नहीं।


2. भगवान की असली शिक्षा

साकार मुरली – 20 सितंबर 2017:

शिव बाबा कहते हैं – “मैं आया हूं तुम्हें ज्ञान और राजयोग सिखाने।
श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान मेरी शिक्षा में नहीं है।
यह सब भक्ति मार्ग में बाद में जोड़ा गया है।”

व्याख्या:

  • भगवान की असली शिक्षा आत्मा को ज्ञान और योग का बल देना है।

  • अन्न-पानी या रीतियों से आत्मा को शांति नहीं मिलती।


3. श्राद्ध किस मार्ग की परंपरा है?

साकार मुरली – 22 सितंबर 2016:

शिव बाबा कहते हैं – “श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान सब भक्ति मार्ग की रीतियां हैं।
उनसे आत्मा को शांति नहीं मिलती।”

व्याख्या:

  • श्राद्ध भगवान की नहीं, भक्ति मार्ग की परंपरा है।

  • यह केवल बाहरी क्रियाओं का रूप है, असली आत्मिक शांति नहीं देती।


4. भगवान की शिक्षा: असली तर्पण क्या है?

साकार मुरली – 18 सितंबर 2015:

शिव बाबा कहते हैं – “सच्चा तर्पण है आत्मा को ज्ञान और योग का भोजन देना।
वही पितरों को तृप्त करता है।”

व्याख्या:

  • असली श्राद्ध = आत्मा को ज्ञान, योग और पवित्रता देना।

  • अन्न-पानी या बाहरी अनुष्ठान नहीं।


5. उदाहरण

  • कल्पना करें:
    डॉक्टर किसी मरीज को बीमारी की दवाई लिखे।
    अगर मरीज दवाई की बजाय मिठाई खाता रहे और कहे कि “यह डॉक्टर का आदेश है”, तो क्या वह ठीक होगा?

    • उत्तर: नहीं।

  • उसी तरह, श्राद्ध भगवान की शिक्षा नहीं

  • असली दवाई है – ईश्वरीय ज्ञान और योग, जो आत्मा को शांति देता है।


6. निष्कर्ष

  1. भगवान ने श्राद्ध करने की शिक्षा नहीं दी।

  2. श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान भक्ति मार्ग की परंपरा हैं, भगवान का आदेश नहीं।

  3. भगवान की असली शिक्षा है –

    • ज्ञान,

    • राजयोग,

    • पवित्र जीवन।

  4. यही आत्मा की शांति और मुक्ति का मार्ग है।

    प्रश्न 1: समाज में श्राद्ध को लेकर क्या मान्यता है?

    उत्तर:
    समाज में यह धारणा है कि श्राद्ध भगवान का आदेश है। लाखों लोग मानते हैं कि पितरों को तृप्त करने के लिए अन्न-पानी और तर्पण का नियम भगवान ने दिया।


    प्रश्न 2: अगर भगवान ने श्राद्ध करने का आदेश दिया होता, तो क्या हर आत्मा इससे शांति प्राप्त करती?

    उत्तर:
    यदि भगवान की शिक्षा होती, तो हर आत्मा उससे शांति क्यों नहीं पा रही? यदि भगवान ने आदेश दिया कि “श्राद्ध करो”, तो क्या हर कोई इससे तृप्त और शांति प्राप्त करता? इसका उत्तर नहीं है। केवल समाज की परंपरा पर चलना और उसे भगवान का आदेश मान लेना सही नहीं।


    प्रश्न 3: भगवान की असली शिक्षा क्या है?

    उत्तर:
    साकार मुरली – 20 सितंबर 2017:

    शिव बाबा कहते हैं – “मैं आया हूं तुम्हें ज्ञान और राजयोग सिखाने।
    श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान मेरी शिक्षा में नहीं है।
    यह सब भक्ति मार्ग में बाद में जोड़ा गया है।”

    व्याख्या:
    भगवान की असली शिक्षा आत्मा को ज्ञान और योग का बल देना है।
    अन्न-पानी या रीतियों से आत्मा को शांति नहीं मिलती।


    प्रश्न 4: श्राद्ध किस मार्ग की परंपरा है?

    उत्तर:
    साकार मुरली – 22 सितंबर 2016:

    शिव बाबा कहते हैं – “श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान सब भक्ति मार्ग की रीतियां हैं।
    उनसे आत्मा को शांति नहीं मिलती।”

    व्याख्या:
    श्राद्ध भगवान की नहीं, भक्ति मार्ग की परंपरा है।
    यह केवल बाहरी क्रियाओं का रूप है, असली आत्मिक शांति नहीं देती।


    प्रश्न 5: भगवान की शिक्षा के अनुसार असली तर्पण क्या है?

    उत्तर:
    साकार मुरली – 18 सितंबर 2015:

    शिव बाबा कहते हैं – “सच्चा तर्पण है आत्मा को ज्ञान और योग का भोजन देना।
    वही पितरों को तृप्त करता है।”

    व्याख्या:

    • असली श्राद्ध = आत्मा को ज्ञान, योग और पवित्रता देना

    • अन्न-पानी या बाहरी अनुष्ठान नहीं


    प्रश्न 6: इसका उदाहरण क्या है?

    उत्तर:
    कल्पना करें कि डॉक्टर किसी मरीज को बीमारी की दवाई लिखे।
    यदि मरीज दवाई की बजाय मिठाई खाता रहे और कहे कि “यह डॉक्टर का आदेश है”, तो क्या वह ठीक होगा?
    उत्तर: नहीं।

    उसी तरह, श्राद्ध भगवान की शिक्षा नहीं है
    असली दवाई है – ईश्वरीय ज्ञान और योग, जो आत्मा को शांति देता है।


    प्रश्न 7: निष्कर्ष क्या है?

    उत्तर:

    1. भगवान ने श्राद्ध करने की शिक्षा नहीं दी।

    2. श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान भक्ति मार्ग की परंपरा हैं, भगवान का आदेश नहीं।

    3. भगवान की असली शिक्षा है:

      • ज्ञान

      • राजयोग

      • पवित्र जीवन

    यही आत्मा की शांति और मुक्ति का मार्ग है।

    Disclaimer :

    यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ आध्यात्मिक शिक्षाओं और साकार मुरली के संदर्भ पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं का विश्लेषण करती है और किसी विशेष धर्म पर आरोप लगाने का उद्देश्य नहीं है।

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