पितृपक्ष में श्राध्द रहस्यः-(24)क्या केवल भक्ति से पितृ प्रसन्न हो सकते हैं?
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अध्याय: पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य
समाज की धारणा
समाज में यह मान्यता है कि –
अगर हम भक्ति, पूजा-पाठ, जप-तप करते रहें तो पितृ प्रसन्न हो जाते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं।
सवाल: क्या वास्तव में ऐसा होता है?
क्या हमारी भक्ति से हमारे पितृ सचमुच संतुष्ट हो सकते हैं
भक्ति और गलतफहमी
भक्ति मार्ग में यह धारणा फैलाई गई कि –
“आप भक्ति करो और संकल्प करके उस आत्मा के निमित्त कर दो तो उसे मिल जाएगा।”
लेकिन यह केवल ब्राह्मणों का व्यवसायिक विचार था।
सच्चाई:
-
जो करेगा वही पाएगा।
-
मेरे किए का फल किसी और को नहीं मिल सकता।
उदाहरण
अगर मैं जप-तप करूँगा, तो उसका फल मुझे मिलेगा, मेरे पिताजी या किसी और को नहीं।
जैसे किसान बीज बो दे लेकिन पानी और खाद न डाले, तो फसल तैयार नहीं होगी।
वैसे ही केवल भक्ति करने से आत्मा को शांति नहीं मिलती।
परमपिता परमात्मा का स्पष्ट संदेश
साकार मुरली – 20 सितम्बर 2017
शिव बाबा कहते हैं –
“भक्ति से आत्मा तृप्त नहीं हो सकती। आत्मा की भूख है शांति और शक्ति, और वह केवल मुझ परमपिता परमात्मा से ही मिल सकती है।”
भक्ति आत्मा को केवल संकेत और प्रतीक देती है।
असली अनुभव शांति और शक्ति का होता है योग बल से।
योग बल क्या है?
योग बल का अर्थ है – बाबा की श्रीमत पर चलना।
-
जितनी बार हम बाबा की श्रीमत पर चलते हैं, उतनी शक्ति मिलती है।
-
बार-बार पालन से संस्कार पक्का हो जाता है और आत्मा मजबूत होती जाती है।
साकार मुरली – 22 सितम्बर 2016
शिव बाबा कहते हैं –
“श्राद्ध, तर्पण – सब भक्ति मार्ग की रस्में हैं, उनमें आत्मा को शांति नहीं मिलती।”
असली पितृ प्रसन्नता कैसे मिले?
पितरों को प्रसन्न करने का असली तरीका है –
-
जब संतान पवित्र जीवन जीती है।
-
जब आत्मा ईश्वर की याद से शक्तिशाली बनती है।
-
जब ज्ञान और योग का प्रकाश मनसा सेवा से फैलाया जाता है।
तब आत्माएं शांति और सुख अनुभव करती हैं।
यही है असली पितरों की सेवा।
उदाहरण
मान लीजिए कोई किसान खेत में बीज तो बो दे, लेकिन पानी और खाद न दे।
फसल तैयार नहीं होगी।
इसी प्रकार केवल भक्ति करना बीज बोने जैसा है।
परंतु आत्मा को असली शक्ति और शांति का पानी केवल परमात्मा की याद से ही मिल सकता है।
निष्कर्ष
-
केवल भक्ति से पितृ प्रसन्न नहीं हो सकते।
-
भक्ति एक प्रतीकात्मक साधन है।
-
आत्मा की असली तृप्ति ज्ञान और योग से होती है।
-
पितरों को शांति और संतोष दिलाने का असली मार्ग है –
राजयोग ध्यान और पवित्र जीवन का प्रकाश फैलाना।
प्रश्न 1: समाज में पितृ प्रसन्नता को लेकर क्या धारणा है?
उत्तर:
समाज में यह मान्यता है कि अगर हम भक्ति, पूजा-पाठ, जप-तप करते रहें तो पितृ प्रसन्न हो जाते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं।
प्रश्न 2: क्या वास्तव में केवल भक्ति से पितृ प्रसन्न हो सकते हैं?
उत्तर:
नहीं। केवल भक्ति से पितृ संतुष्ट नहीं हो सकते। भक्ति आत्मा को प्रतीकात्मक रूप में संकेत देती है, लेकिन असली शक्ति और शांति केवल परमपिता परमात्मा से प्राप्त होती है।
प्रश्न 3: भक्ति मार्ग में कौन-सी गलतफहमी फैली है?
उत्तर:
भक्ति मार्ग में यह धारणा फैली कि – “आप भक्ति करो और संकल्प करके उस आत्मा के निमित्त कर दो तो उसे मिल जाएगा।”
असल में यह केवल ब्राह्मणों का व्यवसायिक विचार था। सच्चाई यह है – जो करेगा वही पाएगा। मेरे किए का फल किसी और को नहीं मिल सकता।
प्रश्न 4: इसका उदाहरण क्या है?
उत्तर:
अगर कोई जप-तप करता है, तो उसका फल केवल उसे ही मिलता है, उसके पिताजी या किसी और को नहीं।
जैसे किसान बीज बो दे लेकिन पानी और खाद न डाले, तो फसल तैयार नहीं होगी। इसी तरह केवल भक्ति करने से आत्मा को शांति नहीं मिलती।
प्रश्न 5: शिव बाबा ने भक्ति के बारे में क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
साकार मुरली – 20 सितम्बर 2017
शिव बाबा कहते हैं –
“भक्ति से आत्मा तृप्त नहीं हो सकती। आत्मा की भूख है शांति और शक्ति, और वह केवल मुझ परमपिता परमात्मा से ही मिल सकती है।”
भक्ति केवल संकेत और प्रतीक देती है।
असली अनुभव शांति और शक्ति का होता है योग बल से।
प्रश्न 6: योग बल क्या है?
उत्तर:
योग बल का अर्थ है – बाबा की श्रीमत पर चलना।
-
जितनी बार हम बाबा की श्रीमत पर चलते हैं, उतनी शक्ति मिलती है।
-
बार-बार पालन से संस्कार पक्का होता है और आत्मा मजबूत होती है।
साकार मुरली – 22 सितम्बर 2016
“श्राद्ध, तर्पण – सब भक्ति मार्ग की रस्में हैं, उनमें आत्मा को शांति नहीं मिलती।”
प्रश्न 7: असली पितृ प्रसन्नता कैसे प्राप्त होती है?
उत्तर:
-
जब संतान पवित्र जीवन जीती है।
-
जब आत्मा ईश्वर की याद से शक्तिशाली बनती है।
-
जब ज्ञान और योग का प्रकाश मनसा सेवा से फैलाया जाता है।
तब आत्माएं शांति और सुख अनुभव करती हैं।
यही है असली पितरों की सेवा।
प्रश्न 8: इसका उदाहरण क्या है?
उत्तर:
मान लीजिए कोई किसान खेत में बीज तो बो दे, लेकिन पानी और खाद न दे।
फसल तैयार नहीं होगी।
इसी प्रकार केवल भक्ति करना बीज बोने जैसा है।
आत्मा को असली शक्ति और शांति केवल परमात्मा की याद से मिलती है।
प्रश्न 9: निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:
-
केवल भक्ति से पितृ प्रसन्न नहीं हो सकते।
-
भक्ति एक प्रतीकात्मक साधन है।
-
आत्मा की असली तृप्ति ज्ञान और योग से होती है।
-
पितरों को शांति और संतोष दिलाने का असली मार्ग है – राजयोग ध्यान और पवित्र जीवन का प्रकाश फैलाना।
- Disclaimer: यह वीडियो केवल आध्यात्मिक अध्ययन और मुरली के गहन चिंतन के उद्देश्य से बनाया गया है। इसका उद्देश्य किसी भी धर्म, परंपरा या मान्यता का विरोध करना नहीं है। हम सबका सम्मान करते हैं और केवल परमात्मा शिव बाबा के साकार और अव्यक्त मुरली संदेश को साझा कर रहे हैं।
- पितृ पक्ष, श्राद्ध का रहस्य, पितृ प्रसन्नता, भक्ति और योग, राजयोग ध्यान, परमात्मा की याद, आत्मा की शांति, शिव बाबा मुरली, भक्ति मार्ग की गलतफहमी, आत्मा को शक्ति और शांति, पवित्र जीवन, पितरों की सेवा, योग बल, ज्ञान और योग, साकार मुरली 2017, साकार मुरली 2016, आध्यात्मिक ज्ञान, BK शिक्षा, ब्रह्माकुमारी, आध्यात्मिक वीडियो, पितृ पक्ष 2025,
- Pitru Paksha, Secret of Shradh, Pleasure of ancestors, Bhakti and Yoga, Raja Yoga meditation, Remembrance of God, Peace of soul, Shiv Baba Murli, Misconceptions of Bhakti Marg, Power and peace to soul, Holy life, Service to ancestors, Yoga power, Gyan and Yoga, Sakar Murli 2017, Sakar Murli 2016, Spiritual knowledge, BK education, Brahma Kumari, Spiritual videos, Pitru Paksha 2025,