(03)What is it? Where is it? How did he become the king of Begumpur?

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प्रश्न का मन्थन:-क्या है?कहां है? बेगमपुर का बादशाह कैसे बने?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

अध्याय: बेगमपुर क्या है और बेगमपुर का बादशाह कैसे बने?

1. परिचय: बेगमपुर का अर्थ

बेगमपुर शब्द का अर्थ है:

  • बे = बिना

  • गम = दुख, चिंता, अभाव

  • पुर = नगर या संसार

आध्यात्मिक अर्थ:

  • यह कोई भौतिक स्थान नहीं है।

  • यह आत्मा की सुखमय, पूर्ण स्थिति है, जहां दुख, चिंता और अभाव नहीं होता।

  • यह संगम युग में ब्राह्मण आत्माओं का वह विशेष अनुभव है, जहां उन्हें लगता है कि उन्होंने सब कुछ परमपिता से प्राप्त कर लिया।

Murli नोट (संदर्भ):

  • 14-01-1982, पांडव भवन मुरली: “बेगमपुर कोई जगह नहीं, बल्कि आत्मा की सुखमय स्थिति है।”

उदाहरण:

  • जैसे एक बच्चा अपने जन्मदिन पर सारे उपहार पा लेता है और उसे कोई कमी महसूस नहीं होती, वैसे ही आत्मा को सर्व संपत्ति प्राप्त होने पर यह अनुभव होता है कि उसे कुछ भी और चाहिए ही नहीं।


2. बेगमपुर की पहचान

बेगमपुर में रहने वाली आत्माएं निम्नलिखित अनुभव करती हैं:

  1. संकल्प में भी दुख नहीं: चाहे तन की बीमारी हो या संबंधों की कठिनाई, आत्मा की आंतरिक स्थिति स्थिर रहती है।

  2. आत्मिक संतोष: आत्मा स्वयं को सदा सुख स्वरूप अनुभव करती है।

  3. स्वराज्य अधिकारी: मन, बुद्धि और इंद्रियां बाबा की श्रीमत अनुसार कार्य करती हैं।

  4. असीम खजाना: जितना देना हो, खजाना कभी कम नहीं होता।

Murli नोट (संदर्भ):

  • 22-06-1982, पांडव भवन मुरली: “जंगल में भी मंगल लगे, बेगरी में भी बादशाहपन का नशा रहे।”

उदाहरण:

  • जैसे कोई राजा अपने खजाने में जितना भी बांटे, वह कभी खत्म नहीं होता। वैसे ही ब्राह्मण आत्मा का आध्यात्मिक खजाना निरंतर बढ़ता रहता है।


3. बेगमपुर में कौन रहते हैं?

  • वे आत्माएं जो स्वराज्य अधिकारी हैं।

  • जिनका मन, बुद्धि और संस्कार पूरी तरह से बाबा की श्रीमत पर चलता है।

  • जो आत्माएं सर्व संबंध जोड़कर पूर्ण अनुभव करती हैं।

Murli नोट (संदर्भ):

  • 14-01-1982, पांडव भवन मुरली: “पूर्व माना संसार – ब्राह्मण जीवन का सुखमय संसार जहां आत्मा को सर्व प्राप्तियां परमपिता से मिलती हैं।”

उदाहरण:

  • जैसे कोई विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद संतुष्ट महसूस करता है, वैसे ही ब्राह्मण आत्मा संपूर्णता का अनुभव करती है।


4. बेगमपुर का बादशाह कैसे बने?

  1. संकल्प में दुख नहीं आने दें: तन, मन, धन या संबंधों में कठिनाई होने पर भी आत्मा स्थिर रहे।

  2. स्थिर सुख अनुभव: चाहे जंगल में हों या निर्धनता में, आत्मा को प्रिंस जैसा सुख अनुभव हो।

  3. आध्यात्मिक दृष्टि से दृष्टि बदलना: छोटा स्थान भी स्वर्ग सा लगे, सब कुछ बाबा से प्राप्त समझे।

Murli नोट (संदर्भ):

  • 14-01-1982, पांडव भवन मुरली: “यह संगम युग पर ब्राह्मण जीवन का वह संसार है, जहां आत्मा को सब कुछ प्राप्त है, कोई गम नहीं।”

उदाहरण:

  • जैसे कोई व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और संतोष बनाए रखता है, वैसा ही आत्मा बेगमपुर का बादशाह बनकर सुखमय स्थिति में रहती है।


5. निष्कर्ष

बेगमपुर:

  • कोई भौतिक नगर नहीं, बल्कि आत्मा की पूर्ण, सुखमय, संतुष्ट और सर्वसंपन्न अवस्था

  • बेगमपुर का बादशाह: वह ब्राह्मण आत्मा जो किसी भी परिस्थिति में दुख की भावना को आने नहीं देती और स्थिर सुख में रहती है।

  • बेगमपुर क्या है और बेगमपुर का बादशाह कैसे बने?

    प्रश्न 1: बेगमपुर का अर्थ क्या है?

    उत्तर:

    • शब्दार्थ:

      • बे = बिना

      • गम = दुख, चिंता, अभाव

      • पुर = नगर या संसार

    • आध्यात्मिक अर्थ: बेगमपुर कोई भौतिक स्थान नहीं है। यह आत्मा की सुखमय, पूर्ण स्थिति है, जहां दुख, चिंता और अभाव नहीं होता। संगम युग में यह ब्राह्मण आत्माओं का वह अनुभव है, जब उन्हें लगता है कि उन्होंने सब कुछ परमपिता से प्राप्त कर लिया।

    Murli नोट (संदर्भ):
    14-01-1982, पांडव भवन मुरली: “बेगमपुर कोई जगह नहीं, बल्कि आत्मा की सुखमय स्थिति है।”

    उदाहरण:
    जैसे बच्चा अपने जन्मदिन पर सारे उपहार पा लेता है और उसे कोई कमी महसूस नहीं होती, वैसे ही आत्मा को सर्व संपत्ति प्राप्त होने पर यह अनुभव होता है कि उसे कुछ भी और चाहिए ही नहीं।


    प्रश्न 2: बेगमपुर की पहचान कैसे की जा सकती है?

    उत्तर:
    बेगमपुर में रहने वाली आत्माएं निम्नलिखित अनुभव करती हैं:

    1. संकल्प में भी दुख नहीं: चाहे तन की बीमारी हो या संबंधों की कठिनाई, आत्मा की आंतरिक स्थिति स्थिर रहती है।

    2. आत्मिक संतोष: आत्मा स्वयं को सदा सुख स्वरूप अनुभव करती है।

    3. स्वराज्य अधिकारी: मन, बुद्धि और इंद्रियां बाबा की श्रीमत अनुसार कार्य करती हैं।

    4. असीम खजाना: जितना देना हो, खजाना कभी कम नहीं होता।

    Murli नोट (संदर्भ):
    22-06-1982, पांडव भवन मुरली: “जंगल में भी मंगल लगे, बेगरी में भी बादशाहपन का नशा रहे।”

    उदाहरण:
    जैसे कोई राजा अपने खजाने में जितना भी बांटे, वह कभी खत्म नहीं होता। वैसे ही ब्राह्मण आत्मा का आध्यात्मिक खजाना निरंतर बढ़ता रहता है।


    प्रश्न 3: बेगमपुर में कौन रहते हैं?

    उत्तर:

    • वे आत्माएं जो स्वराज्य अधिकारी हैं।

    • जिनका मन, बुद्धि और संस्कार पूरी तरह बाबा की श्रीमत पर चलता है।

    • जो आत्माएं सर्व संबंध जोड़कर पूर्ण अनुभव करती हैं।

    Murli नोट (संदर्भ):
    14-01-1982, पांडव भवन मुरली: “पूर्व माना संसार – ब्राह्मण जीवन का सुखमय संसार जहां आत्मा को सर्व प्राप्तियां परमपिता से मिलती हैं।”

    उदाहरण:
    जैसे कोई विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद संतुष्ट महसूस करता है, वैसे ही ब्राह्मण आत्मा संपूर्णता का अनुभव करती है।


    प्रश्न 4: बेगमपुर का बादशाह कैसे बने?

    उत्तर:

    1. संकल्प में दुख नहीं आने दें: तन, मन, धन या संबंधों में कठिनाई होने पर भी आत्मा स्थिर रहे।

    2. स्थिर सुख अनुभव: चाहे जंगल में हों या निर्धनता में, आत्मा को प्रिंस जैसा सुख अनुभव हो।

    3. आध्यात्मिक दृष्टि से दृष्टि बदलना: छोटा स्थान भी स्वर्ग सा लगे, सब कुछ बाबा से प्राप्त समझे।

    Murli नोट (संदर्भ):
    14-01-1982, पांडव भवन मुरली: “यह संगम युग पर ब्राह्मण जीवन का वह संसार है, जहां आत्मा को सब कुछ प्राप्त है, कोई गम नहीं।”

    उदाहरण:
    जैसे कोई व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और संतोष बनाए रखता है, वैसा ही आत्मा बेगमपुर का बादशाह बनकर सुखमय स्थिति में रहती है।


    प्रश्न 5: निष्कर्ष क्या है?

    उत्तर:

    • बेगमपुर: कोई भौतिक नगर नहीं, बल्कि आत्मा की पूर्ण, सुखमय, संतुष्ट और सर्वसंपन्न अवस्था।

    • बेगमपुर का बादशाह: वह ब्राह्मण आत्मा जो किसी भी परिस्थिति में दुख की भावना को आने नहीं देती और स्थिर सुख में रहती है।

    • Disclaimer:डिस्क्लेमर यह वीडियो ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक शिक्षाओं और अव्यक्त मुरली के आधार पर बनाया गया है। इसमें दिए गए सभी दृष्टांत आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक हैं। यह किसी धार्मिक या भौतिक स्थान का प्रचार नहीं करता। यह केवल आत्मा और ब्राह्मण जीवन की उच्च आध्यात्मिक स्थिति को समझाने के लिए है।
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