(16) Madhuban: Why is it called the real home of angels?

फरिश्ता स्थिति:(16)मधुबन:फरिश्तों का असली घर क्यों कहलाता है?

प्रस्तावना

ओम शांति।
आज हम समझेंगे – “फ़रिश्ता स्थिति” का वास्तविक अर्थ।
दुनिया में लोग फ़रिश्ता को पंख वाले देवदूत के रूप में मानते हैं, परंतु मुरली में बाबा ने हमें सिखाया कि असली फ़रिश्ता स्थिति कौन-सी है।


 1. फ़रिश्ता का पहला गुण – देह से परे अनुभव

बाबा कहते हैं –
“फ़रिश्ता आत्मा खुद को शरीर से नहीं, बल्कि बिन्दु ज्योति आत्मा के रूप में अनुभव करती है।”
(अव्यक्त मुरली – 19 जनवरी 1969)

 उदाहरण:
जैसे अभिनेता स्टेज पर आकर रोल बदलते हैं। कपड़ा बदलते ही वे पुराने रोल को भूल जाते हैं। ऐसे ही फ़रिश्ता आत्मा इस देह को केवल “कपड़ा” समझती है, असली पहचान – मैं आत्मा हूँ।


 2. डबल लाइट स्थिति

बाबा कहते हैं –
“फ़रिश्ता मतलब डबल लाइट – तन का भी बोझ नहीं, मन का भी बोझ नहीं।”
(अव्यक्त मुरली – 2 फरवरी 1975)

 उदाहरण:
जैसे गुब्बारा हवा में उड़ता है क्योंकि वह हल्का है। अगर उसमें पत्थर बाँध दें तो गिर जाएगा। उसी तरह जब हम पुराने संस्कार और देह–अभिमान छोड़ देते हैं, तो आत्मा हल्की होकर उड़ती है।


 3. देह–संबंधों से डिटैच

“फ़रिश्ता कभी भी देह और देह के संबंधों की खिंचाव में नहीं आता।”
(अव्यक्त मुरली – 5 मार्च 1979)

 उदाहरण:
कमल का फूल जल में रहता है लेकिन जल से अछूता है। फ़रिश्ता भी परिवार और समाज में रहते हुए डिटैच और लवफुल रहता है।


 4. सदा प्रसन्नता और खुशी का स्रोत

“फ़रिश्ता आत्मा का चेहरा और वाणी सदा खुशी से दैदीप्यमान होती है।”
(साकार मुरली – 14 जून 1967)

 उदाहरण:
जैसे सूर्य बादलों के बीच भी अपनी रोशनी देता है। फ़रिश्ता आत्मा भी परिस्थितियों के बीच सदा खुशी बाँटती है।


 5. फ़रिश्ता की सेवा – वाइब्रेशन से

“फ़रिश्ता आत्मा को जहाँ भी देखते हैं, वहाँ शांति और शक्ति का अनुभव होता है।”
(अव्यक्त मुरली – 21 जनवरी 1970)

 उदाहरण:
जैसे अगरबत्ती से स्वतः सुगंध फैलती है। फ़रिश्ता आत्मा से स्वतः शुभ वाइब्रेशन फैलते हैं।


 निष्कर्ष

संगमयुग पर बाबा हमें “फ़रिश्ता” बनने की पढ़ाई पढ़ा रहे हैं।
जब आत्मा सदा बिन्दु रूप में, हल्की–फुल्की, पवित्र और प्रसन्न रहती है – वही सच्चा फ़रिश्ता स्वरूप है।
और यही फ़रिश्ता स्थिति हमें भविष्य में देव–देवियों का ताज पहनाती है।

1. प्रश्न: मधुबन क्यों फरिश्तों का असली घर कहा जाता है?

उत्तर:
मधुबन वह स्थान है जहाँ आत्मा और परमात्मा का मिलन होता है। यही सच्चा संगम है।
मुरली नोट: अव्यक्त मुरली, 21 जनवरी 1970

“मधुबन फरिश्तों का असली घर है, जहाँ ईश्वरीय संगम मनाया जाता है।”

उदाहरण:
जैसे दो नदियां मिलकर एक हो जाती हैं, वैसे ही आत्मा और परमात्मा का संगम मधुबन में होता है।


2. प्रश्न: मधुबन को शक्ति का घर क्यों कहा गया है?

उत्तर:
मधुबन से विश्व में शांति और शक्ति की किरणें फैलती हैं। यहाँ से फरिश्तों की दिव्य वाइब्रेशंस और संदेश पूरे संसार में पहुँचते हैं।
मुरली नोट: अव्यक्त मुरली, 18 जनवरी 1969

उदाहरण:
जैसे सूर्य की किरणें पूरे विश्व को रोशनी देती हैं, वैसे ही मधुबन आत्माओं को शक्ति और प्रकाश देने का केंद्र है।

मुरली नोट: अव्यक्त मुरली, 4 मई 1977

“फरिश्ता आत्मा मधुबन को अपना असली घर मानती है। क्योंकि यहाँ उस बाबा का साक्षात्कार और सानिध्य सहज मिलता है।”

उदाहरण:
जैसे पक्षी शाम को अपने घोंसले में लौटकर चैन महसूस करते हैं, वैसे ही आत्मा मधुबन में लौटकर शांति और अपनापन अनुभव करती है।


3. प्रश्न: मधुबन में भविष्य की झलक कैसे दिखाई देती है?

उत्तर:
मधुबन वे स्थान हैं जहाँ सतयुग की झलक अभी से दिखाई देती है।
मुरली नोट: साकार मुरली, 5 सितंबर 1969

उदाहरण:
जैसे किसी बगीचे में हर मौसम के फूल खिलते हों, वैसे ही मधुबन में आत्माएं हर समय आनंद और पवित्रता का अनुभव करती हैं।


4. प्रश्न: मधुबन विश्व सेवा का केंद्र कैसे है?

उत्तर:
मधुबन से विश्व सेवा के वाइब्रेशन फैलते हैं। यहाँ से बाबा का संदेश पूरे संसार तक पहुँचता है।
मुरली नोट: अव्यक्त मुरली, 15 अगस्त 1976

उदाहरण:
जैसे रेडियो स्टेशन से तरंगें पूरे विश्व में पहुँचती हैं, वैसे ही मधुबन से बाबा की दिव्य तरंगे आत्माओं तक पहुँचती हैं।


5. प्रश्न: निष्कर्ष क्या है – मधुबन क्यों विशेष है?

उत्तर:
मधुबन केवल एक स्थान नहीं है। यह फरिश्तों का असली घर है। यहाँ आत्मा बाबा से मिलती है, शांति पाती है और विश्व सेवा करती है।
ये अनुभव आत्मा को हल्का, शक्तिशाली और आनंदमय बना देता है।


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डिस्क्लेमर (Disclaimer): यह वीडियो ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली संदेशों पर आधारित है। यहाँ दी गई जानकारी आध्यात्मिक ज्ञान साझा करने के उद्देश्य से है और किसी धर्म या समुदाय विशेष पर टिप्पणी नहीं करती। इस वीडियो में हम समझेंगे कि फरिश्ता आत्मा क्या होती है और उसकी विशेषताएँ क्या हैं। कैसे फरिश्ता आत्मा पराया और अपना का भेद मिटाकर सभी आत्माओं को भाई-भाई की दृष्टि से देखती है।

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