(11)Why do we keep standing in line with others? A profound secret from Baba’s Murli.

साक्षात्कार मूर्त कैसे बने?-(11)क्यों हम दूसरों की लाइन में खड़े रहते हैं? बाबा की मुरली से गहरा रहस्य।

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

अध्याय: दूसरों की लाइन छोड़कर अपनी शक्ति और पहचान में खड़े हों

1. परिचय – आज का ग्यारहवां विषय

आज हम ग्यारहवां विषय कर रहे हैं – क्यों हम दूसरों की लाइन में खड़े रहते हैं
पिछले वीडियो में हमने जाना था कि दूसरों की लाइन में खड़े रहने से साक्षात्कार मूरत नहीं बन सकते
आज हम इसका कारण, प्रभाव और समाधान जानेंगे।


2. दूसरों की लाइन में खड़े होने का कारण

अव्यक्त मुरली 24 जनवरी 1973:
“वर्तमान समय में अधिकांश आत्माएं दूसरों की तुलना में खड़ी हैं। इसलिए उनकी स्वयं की शक्ति और पहचान दब जाती है।”

  • अधिकांश लोग दूसरों के अनुभव और कर्म के आधार पर अपनी दिशा तय कर लेते हैं।

  • जैसे प्रतियोगिता में केवल दूसरों की चाल देखकर वही करने पर अपनी रणनीति और योग्यता छुप जाती है।

उदाहरण:
बच्चा किसी की किताब देखकर अभ्यास करे – उसे केवल ज्ञान का अंश मिलेगा, पूर्ण अनुभव नहीं हो पाएगा।


3. लाइन में रहने का परिणाम

  • दूसरों की लाइन में खड़े रहने से साक्षात्कार और अनुभव लेने का अवसर खो जाता है।

  • आत्मा अपनी शक्ति और पहचान का अनुभव नहीं कर पाती।

  • केवल बाहरी तुलना करने से असली आत्मा शक्ति दब जाती है।


4. कैसे अपनी लाइन में खड़े हों?

  1. स्वयं की पहचान याद रखें:

    • मैं श्रेष्ठ शक्तिशाली आत्मा हूँ।

    • त्रिमूर्ति स्मृति में स्थाई रहें – शिव बाबा, ब्रह्मा बाबा और मैं आत्मा।

  2. दूसरों की तुलना छोड़ें:

    • ईश्वरीय पालना और अनुभव में चले।

उदाहरण:
जैसे सूरज अपने स्थान पर स्थाई है और अपनी रोशनी फैलाता है,
वैसे ही आत्मा अपनी शक्ति और अनुभव में स्थिर होकर प्रकाश फैलाए।


5. साक्षात्कार और अनुभव का महत्व

  • साक्षात्कार और अनुभव ही हमारी असली लाइन तय करते हैं।

  • जितना अनुभव करेंगे, उतना आत्मा का ज्ञान और शक्ति जागृत होगी।

  • यह तय करता है कि हम कितनी आत्माओं को जोड़ पाए और कितनी आत्माओं का अनुभव करवा पाए।


6. सहज योगी क्यों बनें?

  • सहज योगी अपने भीतर की शक्ति जागृत करता है

  • बिना संघर्ष के स्थाई अनुभव प्राप्त करता है।

  • अपनी असली लाइन स्वतः स्पष्ट हो जाती है।

उदाहरण:
जैसे नदी का पानी हमेशा बहता रहता है, वैसे ही आत्मा की ऊर्जा सहज रूप में बहती रहे।
पहचान स्वतः जागृत होती है।


7. निष्कर्ष

  • अभी हम दूसरों की लाइन में इसलिए खड़े हैं कि अपनी स्वयं की पहचान और शक्ति महसूस नहीं कर पा रहे।

  • यदि हम अपनी शक्ति अनुभव करना शुरू करें, तो दूसरों की लाइन में रहने का कोई अर्थ नहीं।

  • साक्षात्कार और अनुभव ही हमारी असली लाइन तय करता है।

एंडिंग लाइन:
आज से निर्णय कर लो – दूसरों की लाइन छोड़ें, अपनी शक्ति अनुभव करें और अपनी सच्ची पहचान में खड़े रहें।
तभी कह पाएंगे – हमने देखा, हमने जाना।

अगला विषय:
“हमने देखा, हमने पाया – यह अनुभव कैसे बनता है?”

दूसरों की लाइन छोड़कर अपनी शक्ति और पहचान में खड़े हों – प्रश्न और उत्तर


प्रश्न 1: आज का ग्यारहवां विषय क्या है?
उत्तर: आज का ग्यारहवां विषय है – क्यों हम दूसरों की लाइन में खड़े रहते हैं और इसका हमारे साक्षात्कार मूरत बनने पर क्या प्रभाव पड़ता है।


प्रश्न 2: दूसरों की लाइन में खड़े रहने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: अव्यक्त मुरली 24 जनवरी 1973 के अनुसार, “वर्तमान समय में अधिकांश आत्माएं दूसरों की तुलना में खड़ी हैं। इसलिए उनकी स्वयं की शक्ति और पहचान दब जाती है।”

  • लोग दूसरों के अनुभव और कर्म के आधार पर अपनी दिशा तय कर लेते हैं।

  • उदाहरण: प्रतियोगिता में केवल दूसरों की चाल देखकर वही करना → अपनी रणनीति और योग्यता छुप जाती है।

  • जैसे बच्चा किसी की किताब देखकर अभ्यास करे – उसे केवल ज्ञान का अंश मिलता है, पूर्ण अनुभव नहीं।


प्रश्न 3: दूसरों की लाइन में खड़े रहने का परिणाम क्या होता है?
उत्तर:

  • साक्षात्कार और अनुभव लेने का अवसर खो जाता है।

  • आत्मा अपनी शक्ति और पहचान का अनुभव नहीं कर पाती।

  • केवल बाहरी तुलना करने से असली आत्मा शक्ति दब जाती है।


प्रश्न 4: अपनी लाइन में खड़े होने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:

  1. स्वयं की पहचान याद रखें: “मैं श्रेष्ठ शक्तिशाली आत्मा हूँ।”

  2. त्रिमूर्ति स्मृति में स्थाई रहें: शिव बाबा, ब्रह्मा बाबा और मैं आत्मा।

  3. दूसरों की तुलना छोड़ दें।

  4. ईश्वरीय पालना और अनुभव में चलें।
    उदाहरण: सूरज अपने स्थान पर स्थाई है और अपनी रोशनी फैलाता है, वैसे ही आत्मा अपनी शक्ति और अनुभव में स्थिर होकर प्रकाश फैलाए।


प्रश्न 5: साक्षात्कार और अनुभव का महत्व क्या है?
उत्तर:

  • साक्षात्कार और अनुभव ही हमारी असली लाइन तय करते हैं।

  • जितना अनुभव करेंगे, उतना आत्मा का ज्ञान और शक्ति जागृत होगी।

  • यह तय करता है कि हम कितनी आत्माओं को जोड़ पाए और कितनी आत्माओं का अनुभव करवा पाए।


प्रश्न 6: सहज योगी क्यों बनना चाहिए?
उत्तर:

  • सहज योगी अपने भीतर की शक्ति जागृत करता है।

  • बिना संघर्ष के स्थाई अनुभव प्राप्त करता है।

  • अपनी असली लाइन स्वतः स्पष्ट हो जाती है।
    उदाहरण: जैसे नदी का पानी हमेशा बहता रहता है, वैसे ही आत्मा की ऊर्जा सहज रूप में बहती रहे। पहचान स्वतः जागृत होती है।


प्रश्न 7: निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:

  • हम दूसरों की लाइन में इसलिए खड़े हैं कि अपनी स्वयं की पहचान और शक्ति महसूस नहीं कर पा रहे।

  • यदि हम अपनी शक्ति अनुभव करना शुरू करें, तो दूसरों की लाइन में रहने का कोई अर्थ नहीं।

  • साक्षात्कार और अनुभव ही हमारी असली लाइन तय करता है।

  • एंडिंग लाइन: आज से निर्णय कर लो – दूसरों की लाइन छोड़ें, अपनी शक्ति अनुभव करें और अपनी सच्ची पहचान में खड़े रहें।

  • अगला विषय: “हमने देखा, हमने पाया – यह अनुभव कैसे बनता है?”

Disclaimer:
यह वीडियो ब्रह्मा कुमारियों के आध्यात्मिक ज्ञान और बाबा की मुरली पर आधारित है। इसमें दिए गए अनुभव और उदाहरण केवल आध्यात्मिक शिक्षा के लिए हैं। कृपया इसे व्यक्तिगत जीवन में लागू करने से पहले विवेकपूर्ण विचार करें।

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