भूत ,प्रेत:-(22)“नर्क की प्रेत आत्माएं — क्या वो सच में होती हैं?” डर नहीं, ज्ञान से करें सामना।
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
हम भूत, प्रेत, पिशाच आदि के बारे में अध्ययन कर रहे हैं।
आज हम 22वां विषय अध्ययन करेंगे —
“नर्क की प्रेत आत्माएं — क्या वो सच में होती हैं?”
डर नहीं, ज्ञान से करें सामना।
बापदादा कहते हैं — डर से नहीं, ज्ञान और योग से मुक्ति मिलती है।
अब आपको मुक्ति चाहिए तो ज्ञान और योग अपने जीवन में लाओ।
आत्मा की अवस्था और उसका लोक
आत्मा की अवस्था के अनुसार उसका लोक स्वर्ग या नर्क बनता है।
आत्मा का लोक वही बनता है जो उसने अपने कर्म, संकल्प और भावनाओं से रचा होता है।
नर्क की आत्मा वे होती हैं जो अंधकारमय कर्मों में फंसी रहती हैं।
परमात्मा कहते हैं — बच्चे, डर से नहीं, ज्ञान और योग से मुक्ति मिलती है।
भय से मुक्ति का अभ्यास
प्रतिदिन 10 मिनट स्मृति रखें —
“मैं ज्योति बिंदु आत्मा हूं। परमपिता परमात्मा की संतान हूं। किसी भय की छाया मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकती।”
इसे मंत्र की तरह रटना नहीं है — समझना है, बुद्धि को समझाना है, और उसे स्वीकार कराना है।
बार-बार समझाना है और अपने आप को भय-मुक्त बनाना है।
ज्ञान की सच्ची समझ
केवल शब्दों का रिपीटेशन करने से सफलता नहीं मिलेगी,
बल्कि समझने से, अनुभव से, गहराई से आत्मसात करने से मिलेगा।
रटने से थोड़ी देर खुशी मिलती है पर स्थायी शांति नहीं।
इसलिए बाबा कहते हैं — “अपने आप को भय-मुक्त करो।”
बाबा का ज्ञान ही हमें भय-मुक्त करता है।
नर्क की प्रेत आत्माएं कौन होती हैं?
प्रेत आत्मा वह आत्मा है जो देह छोड़कर भी देह-अभिमान में अटकी हुई है।
जब कोई आत्मा भारी कर्म-संस्कारों, आसक्तियों या द्वेष में देह छोड़ती है,
तो वह नीच चेतना क्षेत्र में रहती है — यही नर्क कहलाता है।
उदाहरण के लिए —
कोई व्यक्ति जिसने जीवनभर दूसरों को पीड़ा दी और पश्चाताप नहीं किया,
उसकी आत्मा उस पीड़ा की कंपन में फंसी रहती है।
वह आत्मा नर्क की आत्मा कहलाती है।
मुरली 2 जून 2019 में बाबा कहते हैं —
“जो बच्चे कर्म में भारीपन रखते हैं, उनकी आत्मा ऊपर नहीं जा सकती। देह और देह-अभिमान से मुक्त हो जाओ।”
क्या नर्क की प्रेत आत्माएं आज भी प्रभाव डालती हैं?
हाँ, आत्माएं कंपन (vibrations) के रूप में रहती हैं।
यदि कोई आत्मा बहुत निचली अवस्था में है, तो उसकी ऊर्जा नकारात्मक प्रभाव दे सकती है —
जिससे डर, उदासी या अशांति महसूस होती है।
लेकिन केवल वही व्यक्ति प्रभावित होता है जो कमजोर चेतना में रहता है —
जैसे बहुत तनाव, दुख, अपराध-बोध या भय में जी रहा हो।
परंतु जो आत्मा ईश्वर-स्मृति में है, योगयुक्त है, वह खुशी और उमंग में रहती है।
ऐसी आत्मा पर कोई नकारात्मक शक्ति प्रभाव नहीं डाल सकती।
मुरली 15 जुलाई 2020
“बच्चे, जब तुम्हारे पास बाबा की याद का तेज है,
तो कोई भी नकारात्मक आत्मा पास नहीं आ सकती।”
आत्मिक उपाय – नर्क की प्रेत आत्माओं से डरने की बजाय क्या करें?
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राजयोग ध्यान का अभ्यास करें –
प्रतिदिन सुबह और रात में स्मृति रखें:
“मैं आत्मा हूं, मेरा पिता शिव बाबा है।”
यह स्मृति आत्मा को ऊँच लोक में ले जाती है। -
सकारात्मक संकल्प और बोल –
भय या अंधकार की बात न करें।
हर स्थान पर “ओम शांति” की स्पंदन फैलाएं। -
ओम शांति का अनुभव करें –
“मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं।
मेरा पिता शांति का सागर है।
मेरा घर शांति धाम है।” -
शुद्ध आहार और संगति –
सात्विक भोजन और पवित्र संगति से आत्मा की शक्ति बढ़ती है।
ईश्वरीय मुरली का स्वाद लें —
क्योंकि मुरली के शब्दों में वह शक्ति है जो नकारात्मकता को जलाती है।
मुरली 5 मार्च 2018
“ज्ञान और योग अग्नि सब कर्मों के बीज को भस्म कर देती है।”
जो निरंतर बाबा की याद में रहते हैं, वे हर भय से मुक्त हो जाते हैं।
नैतिक और आध्यात्मिक संदेश
नर्क की प्रेत आत्माओं की कहानियां डराने के लिए नहीं,
बल्कि चेतावनी देने के लिए हैं —
कि यदि हम अवगुणों और विकर्मों को अपनाते हैं, तो दुख भोगने पड़ते हैं।
एक कहानी में बताया गया है —
एक राजा जो अत्याचार करता था, मृत्यु के बाद भटकती आत्मा बन गया।
वह दूसरों को डराती नहीं थी, बल्कि चेतावनी देती थी —
“अहंकार विनाश का कारण है।”
मुरली 20 दिसंबर 2016
“ड्रामा का हर दृश्य शिक्षा देने वाला है।
डरने से नहीं, सीखने से सुधार होता है।”
नर्क की प्रेत आत्माएं और भूत-प्रेत में अंतर
| तुलना | नर्क की प्रेत आत्माएं | भूत-प्रेत आत्माएं |
|---|---|---|
| स्थिति | बहुत भारी कर्म-संस्कारों में अटकी आत्माएं | भावनात्मक आसक्ति से बंधी आत्माएं |
| ऊर्जा स्तर | अंधकारमय, पीड़ादायक चेतना | सीमित लेकिन सक्रिय कंपन |
| उद्देश्य | कर्मों के परिणाम से मुक्ति न मिलना | अपूर्ण इच्छाओं या लगाव में फंसी रहना |
| मुक्ति का उपाय | ज्ञान, योग, पवित्रता, और सत्य स्मृति | संकल्प-शक्ति और शिवस्मृति से शांति देना |
निष्कर्ष
नर्क की प्रेत आत्माएं भय का नहीं, बल्कि चेतना का विषय हैं।
ज्ञान, योग, और पवित्रता की रोशनी में कोई भी अंधकार टिक नहीं सकता।
जिस प्रकार सूरज की किरणों में अंधकार का अस्तित्व नहीं रहता,
वैसे ही योगयुक्त आत्मा के पास कोई नकारात्मक शक्ति नहीं ठहर सकती।

