(23)The spirits that inhabit the crematorium. The crematorium – not a place of fear, but a place of wisdom The crematorium is not just a place of fear.

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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शमशान निवासी आत्माएं — डर या गहरा आध्यात्मिक रहस्य

भूत-प्रेत, चुड़ैल आदि के बारे में हम अध्ययन कर रहे हैं।
आज 23वां विषय है — शमशान निवासी आत्माएं।


🌑 शमशान — डर नहीं, ज्ञान का स्थान

शमशान सिर्फ डर का स्थान नहीं है।
शमशान को अक्सर भय, अंधकार और आत्माओं से जोड़कर देखा जाता है।
लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से शमशान वह स्थान है जहां शरीर समाप्त होता है,
परंतु आत्मा की यात्रा आगे शुरू होती है।
जिस सेकंड आत्मा ने शरीर छोड़ा, उसी क्षण उसकी नई यात्रा प्रारंभ हो गई।


🔥 श्मशान वासी आत्माएं कौन होती हैं?

शमशान वासी आत्माएं वे हैं जिनका देह से अचानक वियोग हो गया हो —
जैसे दुर्घटना, आत्महत्या या अकाल मृत्यु।

लेकिन मुरली में बाबा ने कहा है कि —
“अचानक मृत्यु नहीं होती, सब ड्रामा अनुसार पूर्व निर्धारित है।”

कुछ आत्माएं देह-अभिमान छोड़ नहीं पातीं,
इसलिए वे शमशान या अपने पुराने स्थानों के आस-पास भटकती रहती हैं।


🕯️ मुरली संदर्भ – 5 जनवरी 1983

“बच्चे, आत्मा अमर है, शरीर मिट्टी है।
जो देह से लगाव रखता है, वह भटकाव में पड़ जाता है।”


🧠 भटकाव का कारण

कुछ आत्माएं मोह, क्रोध, बदले की भावना या अधूरी इच्छाओं में बंधी रहती हैं।
जिन आत्माओं का कर्म हिसाब किसी से अधूरा रह गया,
वे उसी आत्मा से हिसाब पूरा करने के लिए लौटती हैं।

ऐसी आत्माएं अपना देह अभिमान नहीं छोड़ पातीं,
इसलिए देह छोड़ने के बाद भी आसपास भटकती रहती हैं।


💫 क्या आत्मा तुरंत नया शरीर लेती है?

हर आत्मा का अगला जन्म ड्रामा अनुसार पहले से तय होता है।
परंतु जिनके संकल्प अधूरे हों, वे कुछ समय तक उसी स्थान पर रहती हैं।
यह काल अल्प होता है और आत्मा की चेतना के अनुसार भिन्न होता है।


🌚 अमावस्या, पूर्णिमा और ऊर्जा स्तर

अमावस्या, पूर्णिमा या ग्रहण के समय धरती की ऊर्जा में परिवर्तन होता है।
इन समयों में कुछ सूक्ष्म आत्माएं सक्रिय होती हैं।
लेकिन यह भी ड्रामा अनुसार ही होता है।

“जहां भय और अंधविश्वास है, वहां नकारात्मक शक्ति टिक नहीं सकती।
जहां ज्ञान और योग है, वहां से भाग जाती है।”
मुरली 22 फरवरी 1984


🕉️ आध्यात्मिक उपाय — भय से सुरक्षा के लिए

  1. आत्म-स्मृति में रहो
    “मैं आत्मा हूं, यह शरीर नश्वर है। शिवबाबा मेरा पिता है।”

  2. पवित्रता और सात्विक आहार अपनाओ
    सात्विकता आत्मा की ऊर्जा को ऊँचा करती है,
    जिससे नकारात्मकता प्रवेश नहीं कर सकती।

  3. मुरली सुनना और राजयोग का अभ्यास करना
    इससे आत्मा के चारों ओर सुरक्षा का प्रकाश-वृत्त बनता है।

“पवित्र आत्मा के पास कोई भी भूत, टोटका या अशुभ शक्ति नहीं ठहर सकती।
योगवान आत्मा ही सबसे सुरक्षित रहती है।”
मुरली 18 जनवरी 1984


👶 यदि कोई बच्चा रात में भयभीत हो…

तो “ओम शांति” का स्मरण करे।
शांति की तरंग नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देती है।
परंतु यह केवल रटने से नहीं — अनुभव करने से लाभ देता है।


👻 क्या शमशान आत्माएं हमेशा दुष्ट होती हैं?

नहीं।
कुछ आत्माएं भ्रमित होती हैं, दुष्ट नहीं।
कुछ आत्माएं अपने परिवार की रक्षा भी करती हैं (जैसे पूर्वज आत्माएं)।
पर कुछ आत्माएं अधूरी इच्छाओं या प्रतिशोध के कारण परेशान करती हैं।

“आत्मा न अच्छी होती है, न बुरी —
उसके कर्म उसे श्रेष्ठ या निकृष्ट बनाते हैं।”
मुरली 14 मार्च 1985


🕊️ आध्यात्मिक संदेश

शमशान की कहानियां डराने के लिए नहीं,
बल्कि हमें याद दिलाने के लिए हैं कि —
शरीर मिट्टी है, आत्मा अमर है।
कर्मों का हिसाब हर आत्मा को देना ही पड़ता है।
जीवन मोह में नहीं, ईश्वर-स्मृति में व्यतीत करो।

“शमशान याद दिलाता है कि यह देह खत्म हो जाएगी,
पर आत्मा और उसके कर्म साथ जाएंगे।”

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