भूत ,प्रेत:-(28)वन भूतों का रहस्य: जंगल की आत्माएं डराती हैं या संदेश देती हैं।
भूत प्रेत चुड़ैल पिशाच
इन सबके बारे में हम अध्ययन कर रहे हैं।
आज हमारा 28वां विषय है इस पर।
आज हमारे विषय में है – वन भूतों का रहस्य।
वन में जो भूत होते हैं, उनका रहस्य: जंगल की आत्माएं डराती हैं या संदेश देती हैं?
नंबर एक — वन भूतों का रहस्य: जंगल की आत्माएं डराती हैं या संदेश देती हैं।
जंगल की आत्माओं को अंग्रेजी में कहा जाएगा Forest Spirits — जंगल की आत्माओं का आध्यात्मिक सच।
क्या सभी वनभूत दुष्ट होते हैं?
जंगल की आत्माएं भय हैं या दिव्य चेतावनी?
वन भूतों का रहस्य।
कौन होते हैं वन भूत?
सबसे पहला प्रश्न हम आज सॉल्व करेंगे — जानेंगे कि यह वन भूत होते कौन हैं।
जंगलों में रहने वाली सूक्ष्म शक्तियों या आत्माओं को कई परंपराओं में मंदभूत या Forest Spirits कहा जाता है।
यह आत्माएं अक्सर वे होती हैं जो “अप्राकृतिक मृत्यु” का शिकार हुई।
परंतु भक्ति मार्ग वाले अज्ञानी आत्माएं ऐसा कह सकते हैं — हमारे अनुसार कोई भी मृत्यु अप्राकृतिक नहीं होती।
सभी मृत्यु नेचुरल होती हैं।
चाहे एक्सीडेंट हो, आत्महत्या हो, बाढ़ में मृत्यु हो, या भूकंप में — सभी नेचुरल डेथ होती हैं।
कोई गोली मारे, तलवार से काटे या आग से जलाए — मौत तभी आएगी जब ड्रामा में उसका समय होगा।
शरीर छूटना नेचुरल ही है।
मौत आई है तो शरीर छूटेगा, नहीं आई है तो नहीं छूटेगा।
भयानक एक्सीडेंट में भी कोई जीवित रहता है — क्योंकि अभी समय नहीं आया।
इसलिए मृत्यु का कारण केवल बहाना है।
बीमारी, हार्ट अटैक, किडनी फेल, कैंसर — ये सब केवल ड्रामा अनुसार शरीर छोड़ने के साधन हैं।
दुनिया के लोग इसे अप्राकृतिक मृत्यु कहते हैं, पर वास्तव में सब कुछ नेचुरल है।
अब यह निर्भर है कि आत्मा आपको जंगल में मिल रही है या शहर में, किसी बिल्डिंग में या किसी स्थान पर —
वह आत्मा अपने कर्मों के हिसाब से वहीं प्रकट होती है, जहां उसका अकाउंट जुड़ा होता है।
कर्म बंधन का सिद्धांत
कर्म बंधन के कारण आत्मा कहीं रुक जाती है, या किसी आत्मा के साथ हिसाब बराबर करने के लिए प्रकट होती है।
आत्मा को वहां पहुंचने में समय नहीं लगता — सेकंड भर में पहुंच जाती है।
वह आत्मा किसी पेड़ या बिल्डिंग में स्थायी रूप से नहीं रहती, बल्कि जब पार्ट आता है तभी आती है।
मुरली (14/5/1983):
“आत्मा देह छोड़कर भी आसक्ति में रहती है।
अटैचमेंट के कारण सूक्ष्म लोक में भटकती है — जिसे लोग ‘भूत’ या ‘प्रेत’ कहते हैं।”
जहां आसक्ति है, वहीं आत्मा जाएगी।
जैसे किसी की आसक्ति पहाड़ों से है तो सपने में भी वह वहीं घूमेगा।
मेरी आसक्ति भाषण देने में है, तो मैं सपने में भी भाषण देता रहता हूं — यही आसक्ति का प्रभाव है।
वन भूत का कार्य – भय या संरक्षण
दोनों हो सकते हैं।
कोई आत्मा किसी को बचाने के लिए प्रकट हो सकती है, या किसी को भय देने के लिए — यह उसके कर्म का परिणाम है।
चाहे जंगल हो, घर हो या श्मशान — आत्मा का आना हमेशा कर्मिक अकाउंट के आधार पर होता है।
कभी शरीर लेकर, कभी बिना शरीर के।
सपनों और सूक्ष्म कर्म का संबंध
जो इच्छाएं जागृत जीवन में पूरी नहीं होतीं, वे सपनों में पूरी होती हैं।
इसलिए बाबा कहते हैं — “यदि सपने में भी गलती करते हो, तो समझो अभी सुधरे नहीं हो।”
सपने में मांस खाना, प्याज-लहसुन की इच्छा — यह संकेत है कि भीतर अभी विकार मौजूद हैं।
प्याज और लहसुन का रहस्य
प्याज और लहसुन हमारे शरीर में उत्तेजना बढ़ाते हैं —
जिससे काम और क्रोध की वृद्धि होती है।
सात्विक जीवन के लिए इन्हें वर्जित किया गया।
प्याज का रस लू लगने पर दवा की तरह दिया जा सकता है,
पर जो रोज प्याज खाता है, उसे इसका लाभ नहीं मिलता क्योंकि शरीर उसकी आदत बना लेता है।
लहसुन हार्ट और जोड़ों के दर्द में काम आता है,
क्योंकि यह ब्लड सर्कुलेशन तेज करता है।
परंतु अगर हम नियमित पानी पीएं और brisk walking करें तो शरीर की नालियां स्वाभाविक रूप से साफ हो जाती हैं —
फिर लहसुन की आवश्यकता नहीं रहती।
इसलिए देवी-देवताओं को प्याज-लहसुन का भोग नहीं लगाया जाता था —
क्योंकि वे निर्विकारी थे।
वन आत्माएं और रक्षा का भाव
कुछ आत्माएं जंगल, पेड़, नालों या नदियों की रक्षा में लगी रहती हैं।
जिनकी भावना संरक्षण की होती है, वे सूक्ष्म रूप में भी उस कार्य में लगी रहती हैं।
जैसे नाथुला बॉर्डर (चाइना बॉर्डर) पर एक सैनिक की आत्मा आज भी ड्यूटी पर मानी जाती है —
उसके लिए मीटिंग में कुर्सी रखी जाती है।
वह आत्मा अपने साथी माध्यमों के द्वारा संदेश दिलाती है।
इसी प्रकार ब्रह्मा बाबा के तन में शिव बाबा बोलते हैं।
अधूरी इच्छाएं और भटकती आत्माएं
कुछ आत्माएं अधूरी इच्छाओं या अपूर्ण भावनाओं के कारण भटकती हैं।
जैसे किसी की मृत्यु से पहले उसकी कामना या प्रेम संबंध अधूरा रह गया —
तो वह आत्मा उसी व्यक्ति या स्थान के पास जाती रहती है।
आज के समय में विकारी मृत्यु के कारण विकारी आत्माएं अधूरी इच्छाएं लेकर भटकती हैं,
जिससे वे जीवित व्यक्तियों को भी परेशान करती हैं।
कई बहनें कहती हैं कि उनके दिवंगत पति मृत्यु के बाद उन्हें सताते हैं —
क्योंकि उनका भाव अपूर्ण रहा, उनका लगाव या दुख अधूरा रह गया।
इसलिए आत्मा तब तक मुक्ति नहीं पाती जब तक वह भावना शांत न हो जाए।

