(09) If Shiv Baba is the seed of creation then what will Brahma Baba be?

शिवबाबा :ब्रह्मा बाबा का रिश्ता-(09)शिव बाबा सृष्टि का बीज है तो ब्रह्मा बाबा क्या होगा?

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

प्रस्तावना : बीज और तने का अद्भुत रहस्य

बापदादा ने सृष्टि के रहस्य को “कल्प वृक्ष” के रूप में समझाया है।
शिव बाबा — सृष्टि का अविनाशी बीज हैं,
और ब्रह्मा बाबा — उस बीज का जीवित तना

बीज से शक्ति प्रवाहित होती है, और तने से सृष्टि फैलती है।
यही है — सृष्टि पुनर्निर्माण का दिव्य रहस्य।


 1. सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष का रहस्य

ईश्वरीय ज्ञान के अनुसार, यह संसार एक कल्प वृक्ष के समान है।
जिस प्रकार पेड़ में बीज, तना, शाखाएँ और फल होते हैं —
उसी प्रकार इस विश्व वृक्ष में भी हैं —
बीज शिव बाबा, तना ब्रह्मा बाबा, और शाखाएँ धर्म पिताएँ

मुरली बिंदु (साकार, 15 जनवरी 1969)
“बाप है बीज और यह सृष्टि है कल्प वृक्ष। बाप ही सर्व आत्माओं का रचयिता और आधार है।”

उदाहरण:
एक बीज में पूरे वृक्ष का नक्शा छिपा होता है।
वैसे ही शिव बाबा में पूरी सृष्टि का ज्ञान निहित है।


 2. बीज और तने का संबंध

शिव बाबा — अविनाशी, निराकार, ज्ञान और शक्ति का सागर हैं।
वे रचना के लिए एक साकार माध्यम चुनते हैं —
वह हैं प्रजापिता ब्रह्मा बाबा

मुरली बिंदु (साकार, 3 मार्च 1968)
“ब्रह्मा इस वृक्ष का तना है जिससे सब शाखाएँ निकलती हैं।”

उदाहरण:
जैसे बीज से तना निकलता है और उससे शाखाएँ फैलती हैं,
उसी प्रकार शिव बाबा से ब्रह्मा बाबा, और ब्रह्मा से ब्राह्मण सृष्टि फैलती है।


 3. शिव बाबा — सृष्टि का जीवित बीज

शिव बाबा स्वयं कहते हैं —
“मैं इस सृष्टि का बीज हूँ। सब आत्माएँ मेरे बच्चे हैं।”
(मुरली, 21 फरवरी 1970)

वे कहते हैं —
“मेरे में सारी सृष्टि को रचने का ज्ञान है। इसलिए मैं सारी सृष्टि को रचता हूँ।”

उदाहरण:
भौतिक बीज मिट जाता है, पर शिव बाबा जैसा बीज नष्ट नहीं होता।
वह आत्माओं में ज्ञान और शक्ति का बीज बोते हैं,
जिससे आत्माएँ अपने मूल स्वरूप में लौट आती हैं।


 4. ब्रह्मा बाबा — कल्प वृक्ष का तना

अव्यक्त मुरली (18 जनवरी 1969) में बापदादा ने कहा —
“ब्रह्मा तना है जिसके द्वारा बीज कार्य करता है।”

शिव बाबा निराकार हैं —
उन्हें अपने कार्य के लिए एक जीवित माध्यम चाहिए।
वह माध्यम हैं — ब्रह्मा बाबा।

उदाहरण:
जैसे बिजली तार के बिना प्रवाहित नहीं हो सकती,
वैसे ही शिव बाबा का शक्ति प्रवाह ब्रह्मा बाबा के माध्यम से होता है।


 5. बीज और वृक्ष का अदृश्य संबंध

बीज दिखाई नहीं देता, पर उसकी शक्ति हर शाखा में प्रवाहित रहती है।
उसी प्रकार शिव बाबा अदृश्य रहते हुए भी
ब्रह्मा बाबा के माध्यम से कार्य करते हैं।

मुरली बिंदु (9 जून 1970)
“जो बच्चे बीज से योग लगाते हैं, वे कभी सुख से खाली नहीं रह सकते।”

उदाहरण:
शाखा तभी हरी-भरी रहती है जब वह तने और बीज से जुड़ी हो।
उसी प्रकार आत्मा तभी शक्तिशाली रहती है जब वह शिव बाबा से योग में जुड़ी हो।


 6. कल्प वृक्ष — युगों का जीवित चित्र

मुरली (28 मार्च 1970) में कहा गया —
“यह कल्प वृक्ष जीवित है — बीज शिव है, तना ब्रह्मा है, और शाखाएँ बच्चे हैं।”

युगों का चित्र:

  • सतयुग — वृक्ष पूर्ण, फल-फूलों से भरा (संपूर्णता)

  • त्रेतायुग — वृक्ष विस्तार में (सुख की शतरता)

  • द्वापरयुग — वृक्ष में विकारों की शाखाएँ (अज्ञान आरंभ)

  • कलियुग — वृक्ष सूखने लगता है (अशांति और दुख)

  • संगमयुग — बीज से पुनः नई सृष्टि का जन्म (परमात्मा का अवतरण)


 7. ब्रह्मा बाबा — बीज से जुड़े रहने का प्रतीक

मुरली (8 फरवरी 1970) कहती है —
“ब्रह्मा सदा बीज से जुड़ा रहता है, इसलिए उससे सदा शक्ति का प्रवाह होता है।”

उदाहरण:
जैसे तना बीज से जुड़ा रहकर पूरे वृक्ष को शक्ति देता है,
वैसे ही ब्रह्मा बाबा शिव बाबा से निरंतर योग में जुड़े रहते थे।
इस योग से वे ब्राह्मण सृष्टि को ज्ञान और शक्ति का आधार बनाते हैं।


 8. निष्कर्ष : बीज और तने का अमर प्रेम

अव्यक्त मुरली (23 फरवरी 1975) कहती है —
“बीज और तना सदा साथ हैं। बीज बिना तना के कार्य नहीं करता।”

यह दर्शाता है कि परमात्मा शिव अकेले कार्य नहीं करते —
वे अपने माध्यम ब्रह्मा बाबा के द्वारा कार्य करते हैं।

अंतिम प्रेरणा:
जैसे वृक्ष बीज से जीवन पाता है,
वैसे आत्मा अपने बीज — शिव बाबा से शक्ति पाती है।
और यही है — सृष्टि पुनर्निर्माण का दिव्य रहस्य।

प्रश्न 1: “कल्प वृक्ष” के रूप में सृष्टि का रहस्य क्या है?

उत्तर:
ईश्वरीय ज्ञान के अनुसार यह संसार एक “कल्प वृक्ष” के समान है।
शिव बाबा इस वृक्ष के बीज हैं, ब्रह्मा बाबा उसका तना हैं, और विभिन्न धर्म पिताएँ उसकी शाखाएँ हैं।
जिस प्रकार एक बीज में पूरे वृक्ष का नक्शा छिपा होता है, वैसे ही शिव बाबा में सम्पूर्ण सृष्टि का ज्ञान निहित है।
(मुरली बिंदु – 15 जनवरी 1969: “बाप है बीज और यह सृष्टि है कल्प वृक्ष।”)


प्रश्न 2: बीज (शिव बाबा) और तने (ब्रह्मा बाबा) का क्या संबंध है?

उत्तर:
शिव बाबा निराकार, अविनाशी और शक्ति-सागर हैं।
वे सृष्टि की रचना के लिए एक साकार माध्यम चुनते हैं — वह हैं प्रजापिता ब्रह्मा बाबा
जैसे बीज से तना निकलता है और उससे शाखाएँ फैलती हैं, वैसे ही शिव बाबा से ब्रह्मा बाबा और ब्रह्मा से ब्राह्मण सृष्टि प्रकट होती है।
(मुरली बिंदु – 3 मार्च 1968: “ब्रह्मा इस वृक्ष का तना है जिससे सब शाखाएँ निकलती हैं।”)


प्रश्न 3: शिव बाबा को ‘जीवित बीज’ क्यों कहा गया है?

उत्तर:
शिव बाबा स्वयं कहते हैं — “मैं इस सृष्टि का बीज हूँ, सब आत्माएँ मेरे बच्चे हैं।”
भौतिक बीज मिट जाता है, परंतु शिव बाबा जैसा बीज अविनाशी है।
वे आत्माओं में ज्ञान और शक्ति का बीज बोते हैं, जिससे आत्माएँ पुनः अपने मूल स्वरूप में लौट आती हैं।
(मुरली – 21 फरवरी 1970)


प्रश्न 4: ब्रह्मा बाबा को कल्प वृक्ष का ‘तना’ क्यों कहा गया है?

उत्तर:
शिव बाबा निराकार हैं, इसलिए वे अपना कार्य एक साकार माध्यम से करते हैं — वही हैं ब्रह्मा बाबा।
बापदादा ने कहा — “ब्रह्मा तना है जिसके द्वारा बीज कार्य करता है।”
जैसे बिजली तार के बिना प्रवाहित नहीं हो सकती, वैसे ही शिव बाबा की शक्ति ब्रह्मा बाबा के माध्यम से ही प्रवाहित होती है।
(अव्यक्त मुरली – 18 जनवरी 1969)


प्रश्न 5: बीज और वृक्ष का अदृश्य संबंध क्या दर्शाता है?

उत्तर:
बीज दिखाई नहीं देता, पर उसकी शक्ति हर शाखा में प्रवाहित रहती है।
उसी प्रकार शिव बाबा अदृश्य रहते हुए भी ब्रह्मा बाबा के माध्यम से सब आत्माओं को शक्ति देते हैं।
जो आत्माएँ बीज (शिव बाबा) से योग लगाती हैं, वे कभी दुखी नहीं हो सकतीं।
(मुरली – 9 जून 1970)


प्रश्न 6: कल्प वृक्ष युगों का जीवित चित्र कैसे है?

उत्तर:
कल्प वृक्ष सृष्टि के चार युगों का प्रतीक है:

  • सतयुग: पूर्ण फल-फूलों वाला वृक्ष — संपूर्णता का युग।

  • त्रेतायुग: वृक्ष विस्तार में — सुख की स्थिरता।

  • द्वापरयुग: विकारों की शाखाएँ फैलती हैं — अज्ञान का आरंभ।

  • कलियुग: वृक्ष सूखने लगता है — दुख और अशांति।

  • संगमयुग: बीज से पुनः नई सृष्टि का जन्म — परमात्मा शिव का अवतरण।
    (मुरली – 28 मार्च 1970)


प्रश्न 7: ब्रह्मा बाबा बीज से कैसे जुड़े रहते थे?

उत्तर:
ब्रह्मा बाबा सदा शिव बाबा से योग में जुड़े रहते थे।
उन्हीं के माध्यम से ज्ञान और शक्ति की धारा प्रवाहित होती थी।
जैसे तना बीज से जुड़कर पूरे वृक्ष को शक्ति देता है, वैसे ही ब्रह्मा बाबा ने ब्राह्मण सृष्टि को शक्ति दी।
(मुरली – 8 फरवरी 1970)


प्रश्न 8: “बीज और तना सदा साथ हैं” — इस वाक्य का गूढ़ अर्थ क्या है?

उत्तर:
अव्यक्त मुरली में कहा गया — “बीज और तना सदा साथ हैं। बीज बिना तना के कार्य नहीं करता।”
यह दर्शाता है कि परमात्मा शिव अकेले सृष्टि का कार्य नहीं करते,
वे अपने माध्यम ब्रह्मा बाबा के द्वारा ही नया विश्व रचते हैं।


प्रश्न 9: इस बीज-तना संबंध से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर:
जैसे वृक्ष बीज से जीवन पाता है,
वैसे आत्मा अपने परम बीज — शिव बाबा से शक्ति पाती है।
जब आत्मा इस योग-संबंध में रहती है,
तभी उसमें दिव्यता, शक्ति और शांति प्रवाहित होती है।
यही है — सृष्टि पुनर्निर्माण का दिव्य रहस्य।


Disclaimer:

यह वीडियो ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है।
इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शिक्षा और आत्म-जागृति है।
यह किसी धर्म, व्यक्ति या संस्था की आलोचना नहीं करता।
यह सामग्री ईश्वरीय मुरली ज्ञान के अध्ययन और मनन के लिए बनाई गई है।

ब्रह्मा बाबा, शिव बाबा, कल्प वृक्ष, बीज और तना, सृष्टि का रहस्य, ब्रह्माकुमारी ज्ञान, ब्रह्मा बाबा का तना रूप, शिव बाबा का बीज रूप, सृष्टि पुनर्निर्माण, ईश्वरीय ज्ञान, अविनाशी बीज, निराकार परमात्मा, ब्रह्मा कुमारिज मुरली, साकार मुरली बिंदु, अव्यक्त मुरली सार, संगमयुग का रहस्य, आत्मा और परमात्मा का संबंध, ब्राह्मण सृष्टि, योग और शक्ति प्रवाह, बीज और वृक्ष का संबंध, कल्प वृक्ष का चित्र, ब्रह्मा द्वारा सृष्टि विस्तार, ईश्वरीय सृजन का विज्ञान, आत्मा की शक्ति का स्रोत, परमात्मा का अवतरण, ब्रह्मा शिव का दिव्य संबंध, सृष्टि चक्र का ज्ञान, आध्यात्मिक वृक्ष, ब्रह्मा बाबा का योग, शिव बाबा की शक्ति, दिव्य रहस्य, कल्प वृक्ष का तात्त्विक अर्थ, बीज से वृक्ष तक, सृष्टि की रचना कैसे होती है, ईश्वरीय सृष्टि का विज्ञान, ब्रह्माकुमारीस आध्यात्मिकता, शक्तिशाली आत्मा कैसे बने, आत्मा परमात्मा योग, बीज से तना का संबंध, कल्प वृक्ष की आत्मिक व्याख्या, शिव बाबा ब्रह्मा बाबा संबंध, बीज और तना का अद्भुत रहस्य,Brahma Baba, Shiv Baba, Kalpa Tree, Seed and Stem, Secret of Creation, Brahma Kumaris Knowledge, Brahma Baba’s Stem Form, Shiv Baba’s Seed Form, Creation Reconstruction, Divine Knowledge, Indestructible Seed, Formless God, Brahma Kumaris Murli, Sakar Murli Bindu, Avyakt Murli Essence, Secret of Confluence Age, Relationship between Soul and God, Brahmin Creation, Yoga and Power Flow, Relationship between Seed and Tree, Picture of Kalpa Tree, Creation Expansion by Brahma, Science of Divine Creation, Source of Soul’s Power, Incarnation of God, Brahma Shiva’s Divine Relationship, Knowledge of the Cycle of Creation, Spiritual Tree, Brahma Baba’s Yoga, Shiv Baba’s Power, Divine Secret, Essential Meaning of Kalpa Tree, From Seed to Tree, How Creation Happens, Science of Divine Creation, Brahma Kumaris Spirituality, How to Become a Powerful Soul, Soul-God Yoga, Relationship between Seed and Stem, Spiritual Explanation of Kalpa Tree, Shiv Baba Brahma Baba Relationship, Amazing Secret of Seed and Stem,