प्रश्न का मन्थन:-(09)सत्संग क्या होता है? परमात्मा से आत्मा का मिलन।
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
प्रस्तावना : सत्संग का अर्थ क्या है?
“सत्संग” शब्द बहुत पुराना है, पर उसका गूढ़ अर्थ केवल संगम युग में स्पष्ट होता है।
सत्संग का अर्थ है — सत्य का संग।
और सत्य कौन है? — सत्य परमात्मा।
जब आत्मा, जो चेतन है, सत्य परमात्मा से जुड़ती है —
वही होता है सच्चा सत्संग।
1. सत्संग — सत्य परमात्मा के संग रहना
मुरली 24 अप्रैल 2021:
“सत्संग वही है जिसमें आत्मा को परमात्मा का संग मिलता है।
परमात्मा ही केवल सत्य है। ‘God is Truth.’
जब आत्मा को परमात्मा का संग मिलता है, तब होता है सत्संग।”
उदाहरण:
जैसे सूरज की किरणें दर्पण से मिलकर प्रकाश फैलाती हैं,
वैसे ही आत्मा जब परमात्मा से जुड़ती है, तब दिव्य तेज प्रकट होता है।
2. देह अभिमान — सत्संग की सबसे बड़ी रुकावट
देह अभिमान रूपी “रबर” आत्मा और परमात्मा के बीच इन्सुलेशन की तरह काम करता है।
जब तक देहाभिमान है, तब तक परमात्मा की शक्ति आत्मा में प्रवाहित नहीं हो सकती।
उदाहरण:
नंगी तार और रबर चढ़ी तार —
नंगी तार में करंट प्रवाहित होता है,
पर रबर चढ़ा दो तो करंट नहीं पहुंचेगा।
इसी प्रकार देहाभिमान रूपी रबर आत्मा को परमात्मा से अलग करता है।
3. सत्संग — संगम युग का अनमोल अवसर
मुरली 3 अक्टूबर 2020:
“संगम पर ही परमात्मा आकर आत्माओं को अपना संग देते हैं।”
सतयुग या त्रेता में सत्संग नहीं होता,
क्योंकि वहाँ दुख या अज्ञान का अंधकार नहीं होता।
परमात्मा केवल संगम युग पर आते हैं —
जब आत्माएं अंधकारमय हो चुकी होती हैं।
4. सत्संग की पहचान — निरंतर याद में रहना
सच्चा सत्संग केवल सुनना नहीं,
बल्कि याद की अवस्था में जीना है।
उदाहरण:
जैसे दीपक तेल से भरा हो तो लगातार जलता रहता है।
जब तक परमात्मा की याद का तेल आत्मा में है,
तब तक आत्मा का प्रकाश बना रहता है।
मुरली 22 जुलाई 1974:
“आत्मा का प्रकाश ही शरीर को जीवित रखता है।
आत्मा निकल जाए तो लाइट बुझ जाती है।”
5. सत्संग और संस्कारों का मर्ज–इमर्ज रहस्य
हर आत्मा के संस्कार मर्ज (छिपे) रहते हैं,
और समय आने पर इमर्ज (प्रकट) हो जाते हैं।
मुरली 5 अगस्त 2021:
“संस्कार मिटते नहीं, समय पर इमर्ज होते हैं।”
उदाहरण:
जैसे बीज मिट्टी में छिपा रहता है और समय आने पर अंकुरित होता है,
वैसे ही आत्मा के संस्कार संगम युग पर जागृत होते हैं —
जब आत्मा परमात्मा के सत्संग में आती है।
6. सत्संग — एक धर्म, एक मत की अनुभूति
सतयुग में सब आत्माएं एक मत पर होती हैं,
त्रेता में हल्की गिरावट से मतभेद प्रारंभ हो जाते हैं।
मुरली 12 फरवरी 2022:
“जैसे सूर्य का प्रकाश सब पर समान पड़ता है,
पर कोई पर्दा डाल ले तो उसे कम प्रकाश मिलता है।”
इसी प्रकार सत्संग का प्रकाश सब पर समान है,
पर ग्रहण करने की शक्ति हर आत्मा में भिन्न है।
7. मुख वंशावली और संकल्प वंशावली का संग
मुरली 8 जुलाई 2020:
“मुख वंशावली और संकल्प वंशावली दोनों ही ईश्वरीय परिवार का भाग हैं।”
जो ब्रह्मा बाबा के द्वारा साकार सेवा में हैं — वे मुख वंशावली।
और जो अव्यक्त भाव से, संकल्प द्वारा सेवा करते हैं — वे संकल्प वंशावली।
दोनों ही सत्संग में परमात्म कार्य के साधन हैं।
8. संगम युग — एकमात्र सत्संगी युग
मुरली 17 मई 2022:
“संगम युग ही एकमात्र सत्संगी युग है।”
यह युग ही वह दिव्य समय है,
जब आत्मा को परमात्मा से प्रत्यक्ष मिलन का अवसर मिलता है।
बाकी युगों में स्मृति और भक्ति रहती है, अनुभव नहीं।
9. सत्संग का अंतिम रहस्य — आत्म सुधार की यात्रा
मुरली 2 अगस्त 2023:
“सत्संग में आने का अर्थ है आत्मा को याद की यात्रा में स्थिर रहना।”
सत्संग का मतलब केवल सुनना नहीं —
बल्कि अपने अंदर परिवर्तन लाना है।
बाबा की श्रीमत पर चलना ही सच्चा सत्संग है।
उदाहरण:
जैसे गुरु शिष्य को केवल ज्ञान नहीं देता,
बल्कि जीवन में परिवर्तन लाने की प्रेरणा देता है।
वैसे ही परमात्मा का सत्संग आत्मा को दिव्य बनाता है।
निष्कर्ष :
-
सत्संग देह का नहीं, आत्मा और परमात्मा का संग है।
-
सत्य परमात्मा का संग ही सच्चा सत्संग है।
-
संगम युग ही एकमात्र समय है जब परमात्मा स्वयं सत्संग कराते हैं।
-
सत्संग का अर्थ है — “सत्य के साथ रहना, असत्य से दूर होना।”
-
सत्संग तभी सच्चा है जब आत्मा याद की ज्योति में निरंतर जलती रहे।
प्रेरक संदेश (For Voice End):
“सत्संग वह नहीं जो हम सुनते हैं,
सत्संग वह है जो हमें बदल देता है।
जब आत्मा परमात्मा के संग में रहती है,
तब जीवन प्रकाशमय हो जाता है।”प्रश्न 1: “सत्संग” शब्द का सच्चा अर्थ क्या है?
उत्तर:
“सत्संग” का अर्थ है सत्य का संग — अर्थात् आत्मा का सत्य परमात्मा के साथ मिलन।
यह केवल प्रवचन सुनना नहीं, बल्कि चेतना का परम चेतना से मिलना है।
सत्य कौन है? — परमात्मा शिव।
जब आत्मा अपने मूल पिता से जुड़ती है, वही सच्चा सत्संग कहलाता है।मुरली 24 अप्रैल 2021:
“सत्संग वही है जिसमें आत्मा को परमात्मा का संग मिलता है।
परमात्मा ही केवल सत्य है — God is Truth.”उदाहरण:
जैसे सूरज की किरणें दर्पण से मिलकर प्रकाश फैलाती हैं,
वैसे ही आत्मा जब परमात्मा से जुड़ती है, तो दिव्य तेज प्रकट होता है।
प्रश्न 2: सत्संग में सबसे बड़ी बाधा क्या है?
उत्तर:
सत्संग की सबसे बड़ी रुकावट देह अभिमान है।
देहाभिमान आत्मा और परमात्मा के बीच इन्सुलेशन की तरह कार्य करता है।
जब तक देहाभिमान रूपी रबर चढ़ी हुई है, तब तक परमात्मा की शक्ति आत्मा तक नहीं पहुँच सकती।उदाहरण:
नंगी तार में करंट प्रवाहित होता है, पर रबर चढ़ा दो तो करंट नहीं पहुँचेगा।
इसी प्रकार देहाभिमान आत्मा को परमात्मा की शक्ति से वंचित कर देता है।
प्रश्न 3: सत्संग केवल संगम युग पर ही क्यों संभव है?
उत्तर:
संगम युग पर ही परमात्मा स्वयं आकर आत्माओं को अपना संग देते हैं।
अन्य युगों — सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग — में परमात्मा नहीं आते, क्योंकि वहाँ दुख और अज्ञान नहीं होता।
जब आत्माएं अंधकारमय हो जाती हैं, तब ही परमात्मा आकर उन्हें सच्चे सत्संग में ले जाते हैं।मुरली 3 अक्टूबर 2020:
“संगम पर ही परमात्मा आकर आत्माओं को अपना संग देते हैं।”
प्रश्न 4: सच्चे सत्संग की पहचान क्या है?
उत्तर:
सच्चा सत्संग केवल सुनने की क्रिया नहीं, बल्कि निरंतर परमात्मा की याद में रहना है।
जब आत्मा परमात्मा की स्मृति में रहती है, तब उसके भीतर दिव्य प्रकाश बना रहता है।उदाहरण:
जैसे दीपक में तेल भरा हो तो वह लगातार जलता है।
जब तक आत्मा में याद का तेल है, वह प्रकाशमान रहती है।मुरली 22 जुलाई 1974:
“आत्मा का प्रकाश ही शरीर को जीवित रखता है।
आत्मा निकल जाए तो लाइट बुझ जाती है।”
प्रश्न 5: आत्मा के संस्कार सत्संग में कैसे इमर्ज होते हैं?
उत्तर:
हर आत्मा में संस्कार मर्ज अवस्था में रहते हैं।
जब आत्मा परमात्मा के सत्संग में आती है, तब वे संस्कार इमर्ज होकर प्रकट हो जाते हैं।मुरली 5 अगस्त 2021:
“संस्कार मिटते नहीं, समय पर इमर्ज होते हैं।”
उदाहरण:
जैसे बीज मिट्टी में दबा रहता है और समय आने पर अंकुरित होता है,
वैसे ही आत्मा के संस्कार भी संगम युग पर परमात्मा के संग से प्रकट होते हैं।
प्रश्न 6: सत्संग का प्रकाश सब पर समान क्यों नहीं पड़ता?
उत्तर:
सत्संग का प्रकाश सब आत्माओं तक पहुँचता है,
पर ग्रहण करने की क्षमता हर आत्मा में अलग-अलग होती है।
यह उनकी अंतःशुद्धता और पुरुषार्थ पर निर्भर करता है।मुरली 12 फरवरी 2022:
“जैसे सूर्य का प्रकाश सब पर समान पड़ता है,
पर कोई पर्दा डाल ले तो उसे कम प्रकाश मिलता है।”
प्रश्न 7: मुख वंशावली और संकल्प वंशावली का सत्संग में क्या योगदान है?
उत्तर:
मुख वंशावली वे आत्माएं हैं जो ब्रह्मा बाबा के द्वारा साकार सेवा में हैं।
संकल्प वंशावली वे हैं जो अव्यक्त भाव से, संकल्प द्वारा परमात्म कार्य करती हैं।
दोनों ही सत्संग में परमात्म कार्य के साधन हैं।मुरली 8 जुलाई 2020:
“मुख वंशावली और संकल्प वंशावली दोनों ही ईश्वरीय परिवार का भाग हैं।”
प्रश्न 8: संगम युग को ही “सत्संगी युग” क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि संगम युग पर ही आत्मा को परमात्मा से प्रत्यक्ष मिलन का अवसर मिलता है।
बाकी युगों में केवल भक्ति और स्मृति रहती है, अनुभव नहीं।मुरली 17 मई 2022:
“संगम युग ही एकमात्र सत्संगी युग है।”
प्रश्न 9: सच्चे सत्संग का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
सच्चे सत्संग का उद्देश्य केवल सुनना नहीं, बल्कि आत्म-सुधार की यात्रा पर चलना है।
बाबा की श्रीमत पर चलकर अपने संस्कारों को दिव्य बनाना ही सच्चा सत्संग है।मुरली 2 अगस्त 2023:
“सत्संग में आने का अर्थ है आत्मा को याद की यात्रा में स्थिर रहना।”
उदाहरण:
जैसे गुरु शिष्य को केवल ज्ञान नहीं देता,
बल्कि जीवन में परिवर्तन लाने की प्रेरणा देता है —
वैसे ही परमात्मा का सत्संग आत्मा को दिव्यता में रूपांतरित करता है।
निष्कर्ष:
सत्संग देह का नहीं — आत्मा और परमात्मा का संग है।
संगम युग पर ही परमात्मा स्वयं सच्चा सत्संग कराते हैं।
सत्संग का अर्थ है “सत्य के साथ रहना, असत्य से दूर होना।”
सत्संग तभी सच्चा है जब आत्मा याद की ज्योति में निरंतर जलती रहे।
प्रेरक संदेश (For Voice End):
“सत्संग वह नहीं जो हम सुनते हैं,
सत्संग वह है जो हमें बदल देता है।
जब आत्मा परमात्मा के संग में रहती है,
तब जीवन प्रकाशमय हो जाता है।”
Disclaimer:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की मुरलियों पर आधारित आध्यात्मिक अध्ययन है।
इसका उद्देश्य केवल आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक उत्थान है।
यह किसी धर्म, व्यक्ति या संस्था के विरोध हेतु नहीं है।
“सत्य का संग” — अर्थात् परमात्मा से आत्मा का सच्चा मिलन — यही इस ज्ञान का सार है।सत्संग का अर्थ, सत्य परमात्मा का संग, ब्रह्माकुमारी सत्संग, संगम युग का सत्संग, आत्मा और परमात्मा का मिलन, सच्चा सत्संग क्या है, देह अभिमान और सत्संग, मुरली के अनुसार सत्संग, आत्म सुधार की यात्रा, सत्संग से परिवर्तन, परमात्मा का संग, सत्य का संग, ब्रह्माकुमारी मुरली ज्ञान, संगम युग का रहस्य, आत्मा का प्रकाश, आत्मा और परमात्मा का संबंध, सत्संग की पहचान, याद की यात्रा, ईश्वरीय परिवार, मुख वंशावली, संकल्प वंशावली, एक धर्म एक मत, सत्य युग और सत्संग, आत्मा चेतन प्रकाश, शिव बाबा मुरली, ब्रह्माकुमारी ज्ञान वीडियो, सत्संग और आत्म परिवर्तन, सच्चा योग सत्संग, ईश्वरीय सत्संग, आध्यात्मिक सत्संग, सत्संग का विज्ञान, आत्मिक शक्ति, योग और सत्संग, परमात्मा मिलन, संगम युग ज्ञान, ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिकता, आत्मा परमात्मा संग, सत्संग की सच्ची परिभाषा, मुरली आधारित सत्संग,Meaning of Satsang, Company of the True God, Brahma Kumari Satsang, Satsang of the Confluence Age, Union of the Soul and the Supreme Soul, What is True Satsang, Body Pride and Satsang, Satsang according to the Murli, Journey of Self Improvement, Transformation through Satsang, Company of the Supreme Soul, Company of Truth, Brahma Kumari Murli Knowledge, Secrets of the Confluence Age, Light of the Soul, Relationship between the Soul and the Supreme Soul, Identification of Satsang, Journey of Remembrance, Divine Family, Mukh Lineage, Sankalp Lineage, One Religion, One Opinion, Satya Yuga and Satsang, Soul Conscious Light, Shiv Baba Murli, Brahma Kumari Knowledge Video, Satsang and Self Transformation, True Yoga Satsang, Divine Satsang, Spiritual Satsang, Science of Satsang, Spiritual Power, Yoga and Satsang, Union of the Supreme Soul, Confluence Age Knowledge, Brahma Kumari Spirituality, Union of the Soul and the Supreme Soul, True Definition of Satsang, Murli Based Satsang,

