(16)Is life made up of only chemicals? Science says life is made up of chemicals.

(16)क्या जीवन सिर्फ केमिकल से बना है? विज्ञान कहता है जीवन केमिकल से बना है।

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“विश्व नाटक का रहस्य: जीवन कब शुरू हुआ? विज्ञान, धर्म और परमात्मा का अद्भुत सत्य” 


 अध्याय: विश्व नाटक — जीवन का अनादि सत्य


1. प्रस्तावना: जीवन का जन्म रहस्य या अनादि प्रवाह?

हम सदियों से यह जानना चाहते हैं:
जीवन कब शुरू हुआ?
क्या यह केवल केमिकल रिएक्शन से बना?
या कोई ज्यादा गहरा आध्यात्मिक सत्य है?

विज्ञान, धर्म और परमात्मा – तीनों की दृष्टि से यह प्रश्न अपने-आप में एक रहस्य है।
आज हम उसी रहस्य पर एक आध्यात्मिक दृष्टिक्षेप डालते हैं।


2. विज्ञान का दृष्टिकोण: जीवन = अणु + केमिकल + चेतना

विज्ञान कहता है:

  • जीवन छोटे-छोटे अणुओं से बना है।

  • रासायनिक क्रियाओं से इसका निर्माण होता है।

  • परंतु एक तीसरी अनिवार्य चीज़ है — चेतना

यही चेतना विज्ञान के लिए सबसे बड़ी पहेली है।

विज्ञान की असमर्थता:

वह बता सकता है कि
“शरीर कैसे काम करता है”,
पर यह नहीं कि
“शरीर को चलाने वाला कौन है?”


3. चेतना: विज्ञान की अब तक अनसुलझी पहेली

चेतना यानी “मैं कौन हूँ?”
वह शक्ति जो सोचती है, अनुभव करती है, निर्णय लेती है —
उसे विज्ञान प्रयोगशाला में पकड़ नहीं पाया।

वैज्ञानिक E.P. Wigner का कथन:

“विज्ञान स्वयं चेतना के माध्यम से काम करता है।”

अर्थात — चेतना विज्ञान से ऊपर है।


4. चेतना और शरीर — मुरली का दृष्टिकोण

 मुरली (18 दिसंबर 1975):

“यह शरीर जड़ है। आत्मा चेतन शक्ति है जो उसे चलाती है।”

उदाहरण: मशीन बनाम मनुष्य

मशीन मनुष्य
प्रोग्राम पर चलता है स्वयं सोचता और अनुभव करता है
अनुभव नहीं कर सकता खुशी-दुःख को महसूस करता है
चेतना नहीं चेतना = आत्मा

कंप्यूटर तेज है लेकिन अनुभवहीन है।
मनुष्य धीमा है लेकिन चेतन है।

 मुरली (3 मार्च 1976):

“आत्मा ही सोचने, समझने और कर्म करने वाली सत्ता है।”


5. धर्मों का दृष्टिकोण — पर अधूरा विवरण

जब विज्ञान चुप हो गया, लोग धर्म की ओर मुड़े।

  • बाइबल: God created life

  • कुरान: Allah created all beings

  • वेद-पुराण: ईश्वर ने पांच तत्वों से संसार बनाया

परंतु प्रश्न वही:

अगर ईश्वर ने बनाया — तो कब? कैसे?
और ईश्वर का सृजन किसने किया?

इसका स्पष्ट उत्तर अधिकांश धर्म नहीं देते।


6. परमात्मा का वास्तविक परिचय — मुरली अनुसार

 मुरली (5 नवंबर 1975):

“परमात्मा अजर-अमर है। उसका न आरंभ है न अंत।
वह सृष्टि की रचना नहीं करता — पुनः सृजन करता है।”

परमात्मा सृजनहार नहीं,
पुनः सृजनहार हैं।


7. जीवन सदा से विद्यमान — शाश्वत सत्य

विज्ञान और धर्म दोनों मानते हैं कि “जीवन बना है।”
परंतु मुरली कहती है:

 मुरली (21 जनवरी 1980):

“जीवन और जगत अनादि हैं। परमात्मा केवल दिशा देते हैं।”

जीवन = शाश्वत चेतना
जो न बनी है, न नष्ट होती है।


8. वैज्ञानिक सत्य: “Life comes from Life”

जीवित कोशिका हमेशा दूसरी जीवित कोशिका से बनती है।
निर्जीव वस्तु जीवन नहीं बना सकती।

इसलिए जीवन non-living से नहीं आ सकता।

 मुरली (22 जुलाई 1974):

“शरीर नष्ट होता है, आत्मा नहीं।”


9. परमात्मा की भूमिका: सृजन नहीं, पुनः सृजन

परमात्मा कहते हैं:
मैं जगत को नया नहीं बनाता — पुरानी दुनिया को पावन बना देता हूँ।

 अव्यक्त मुरली (7 जनवरी 1979):

“परमात्मा सृजनहार नहीं, पुनः सृजनहार हैं।”

योग द्वारा आत्मा को पवित्र बनाना = नई दुनिया की स्थापना।


10. युग-चक्र: विश्व नाटक की अनादि लय

  • स्वर्ण युग = पूर्ण चेतना

  • त्रेता

  • द्वापर

  • कलियुग = अज्ञान, भारीपन

  • संगम युग = परमात्मा का आगमन

 मुरली (25 अप्रैल 1977):

“मैं संगम युग में आकर जगत को नए रूप में स्थापन करता हूँ।”

विश्व नाटक अनादि है,
पर स्वरूप बदलते रहते हैं।


11. अंतिम निष्कर्ष: जीवन कोई रसायन नहीं — चेतना का अनंत प्रवाह

  • विज्ञान शरीर को देखता है

  • धर्म ईश्वर को मानता है

  • परमात्मा आत्मा की पहचान कराते हैं

 मुरली (14 फरवरी 1981):

“जीवन का आरंभ नहीं — केवल परिवर्तन होता है।”

जीवन = चेतना का अमर प्रवाह
जो हर आत्मा में सदा विद्यमान रहता है।

प्रश्न 1: जीवन का रहस्य क्या है? क्या जीवन की कोई शुरुआत है?

✔ उत्तर:
मनुष्य सदियों से पूछता आ रहा है—जीवन कब शुरू हुआ?
विज्ञान कहता है — जीवन रासायनिक क्रियाओं से बना।
धर्म कहते हैं — ईश्वर ने जीवन का सृजन किया।
परंतु मुरली बताती है कि जीवन कभी बना ही नहीं। वह अनादि और अनन्त है।


प्रश्न 2: विज्ञान जीवन को कैसे समझाता है?

✔ उत्तर:
विज्ञान जीवन को तीन भागों में बांटता है—

  1. अणु

  2. केमिकल रिएक्शन

  3. चेतना (Consciousness)

परंतु चेतना का स्रोत विज्ञान नहीं बता पाता।
वह शरीर की क्रियाओं को समझा सकता है, पर “शरीर को चलाने वाला कौन है?” यह नहीं।


 प्रश्न 3: चेतना विज्ञान के लिए अनसुलझी पहेली क्यों है?

✔ उत्तर:
चेतना वह शक्ति है जो सोचती है, महसूस करती है, निर्णय लेती है।
वह किसी प्रयोगशाला में दिखाई नहीं देती।
इसलिए वैज्ञानिक E.P. Wigner ने कहा:
“विज्ञान स्वयं चेतना के माध्यम से काम करता है।”
अर्थात—चेतना विज्ञान से भी ऊँची सत्ता है।


 प्रश्न 4: मुरली चेतना और शरीर को कैसे समझाती है?

✔ उत्तर:

 मुरली (18 दिसंबर 1975):

“यह शरीर जड़ है। आत्मा चेतन शक्ति है जो उसे चलाती है।”

मशीन बनाम मनुष्य उदाहरण:

  • मशीन प्रोग्राम पर चलती है — उसमें चेतना नहीं।

  • मनुष्य सोचता, अनुभव करता है — क्योंकि उसमें आत्मा है।

इसलिए मनुष्य चेतन है, शरीर जड़ है।


 प्रश्न 5: धार्मिक ग्रंथ जीवन को कैसे समझाते हैं?

✔ उत्तर:

  • बाइबल: God created life

  • कुरान: Allah created all beings

  • वेद–पुराण: ईश्वर ने पाँच तत्वों से सृष्टि बनाई

पर इनमें एक सवाल का स्पष्ट उत्तर नहीं मिलता:
ईश्वर ने कब, कैसे बनाया? और ईश्वर को किसने बनाया?


 प्रश्न 6: परमात्मा का वास्तविक स्वरूप मुरली क्या बताती है?

✔ उत्तर:
परमात्मा न तो पैदा होते हैं, न मरते हैं।
वह अनादि-अनंत हैं।

 मुरली (5 नवंबर 1975):

“परमात्मा सृष्टि की रचना नहीं करते, पुनः-सृजन करते हैं।”

अर्थात—परमात्मा दुनिया को नया नहीं बनाते,
गिरी हुई आत्माओं को पवित्र बनाकर नई दुनिया की स्थापना करते हैं।


 प्रश्न 7: क्या जीवन कभी बना है? या वह अनादि है?

✔ उत्तर:
विज्ञान व धर्म दोनों कहते हैं—जीवन किसी समय उत्पन्न हुआ।
परंतु मुरली के अनुसार—

 मुरली (21 जनवरी 1980):

“जीवन और जगत अनादि हैं।”

जीवन = शाश्वत चेतना
जो न बनाई गई, न नष्ट होती है।


 प्रश्न 8: वैज्ञानिक सिद्धांत “Life comes from Life” का क्या अर्थ है?

✔ उत्तर:
जीवित कोशिका केवल जीवित कोशिका से बनती है।
निर्जीव वस्तु कभी जीवन पैदा नहीं कर सकती।

इसलिए विज्ञान भी मानता है—
Life cannot come from non-life.

 मुरली (22 जुलाई 1974):

“शरीर नष्ट होता है, आत्मा नहीं।”


 प्रश्न 9: परमात्मा वास्तव में क्या करते हैं — सृजन या पुनः सृजन?

✔ उत्तर:
परमात्मा कहते हैं—
मैं रचना नहीं करता,
मैं आत्माओं को पवित्र बनाकर नई दुनिया स्थापित करता हूँ।

 अव्यक्त मुरली (7 जनवरी 1979):

“परमात्मा सृजनहार नहीं, पुनः-सृजनहार हैं।”

योग = आत्मा की सफाई
सफाई = नई दुनिया की नींव


 प्रश्न 10: विश्व-चक्र और युग कैसे घूमते हैं?

✔ उत्तर:
दुनिया एक अनादि चक्र में घूमती है:

  • स्वर्ण युग — पूर्ण पवित्रता

  • त्रेता — कम पवित्रता

  • द्वापर — अज्ञान की शुरुआत

  • कलियुग — अज्ञान और भारीपन

  • संगम युग — परमात्म साक्षात्कार और पुनः-सृजन

 मुरली (25 अप्रैल 1977):

“मैं संगम युग में आकर जगत को नए रूप में स्थापन करता हूँ।”


 प्रश्न 11: जीवन का अंतिम सत्य क्या है?

✔ उत्तर:
जीवन रासायनिक पदार्थ नहीं है।
जीवन = चेतना
चेतना = आत्मा
आत्मा = अनादि, अमर, अविनाशी

 मुरली (14 फरवरी 1981):

“जीवन का आरंभ नहीं — केवल परिवर्तन होता है।”

इसलिए—
जीवन कोई केमिकल नहीं, चेतना का अनंत प्रवाह है।

Disclaimer :

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की ईश्वरीय ज्ञानधारा पर आधारित आध्यात्मिक चिंतन है।
इसका उद्देश्य किसी भी धर्म, पंथ या विज्ञान का खंडन नहीं बल्कि जागृति, समझ और सकारात्मकता का प्रसार है।
सभी मुरली उद्धरण ब्रह्माकुमारीज़ की आधिकारिक तिथियों के अनुसार लिए गए हैं।

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