शिवबाबा :ब्रह्मा बाबा का रिश्ता:-(07)शिव बाबा सृष्टि के नियंता हैं और ब्रह्मा बाबा परम आत्मा के उपकरण हैं।
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अध्याय 7 — नियंता और उपकरण का रिश्ता
(Shiv Baba aur Brahma Baba ka Rishta)
परिचय:
शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा के संबंध अनेक हैं — पिता-पुत्र, शिक्षक-विद्यार्थी, सतगुरु-शिष्य, और आज हम अध्ययन करेंगे सातवां रिश्ता — नियंता और उपकरण का।
इस गहरे आध्यात्मिक नाते में छिपा है सम्पूर्ण ईश्वरीय नाटक (World Drama) का रहस्य।
1. नाटक का निर्देशक कौन है?
हम सब जानते हैं कि यह संसार एक अनादि वर्ल्ड ड्रामा है।
हर आत्मा अपनी भूमिका निभा रही है — कोई राजा, कोई प्रजा, कोई शिक्षक, कोई शिष्य।
परंतु प्रश्न है — इस महान नाटक का निर्देशक कौन है?
उत्तर: शिव बाबा ही इस विश्व नाटक के निर्देशक हैं।
साकार मुरली 16 फरवरी 1969:
“बाप ही है सृष्टि का रचयिता, नियंता।
मैं इस नाटक का निर्देशक हूं, सबको ड्रामा के अनुसार चलाता हूं।”
शिव बाबा पर्दे के पीछे से ही इस नाटक का संचालन करते हैं।
वे जानते हैं कि कौन-सी आत्मा कब, क्या भूमिका निभाएगी।
वे ही स्क्रिप्ट राइटर भी हैं और डायरेक्टर भी।
उनके एक-एक “डायरेक्शन” से ही विश्व परिवर्तन का कार्य चलता है।
2. ब्रह्मा बाबा — परमात्मा का उपकरण
शिव बाबा निराकार हैं — उन्हें कोई शरीर नहीं है।
इसलिए इस सृष्टि में कार्य करने के लिए उन्हें एक शरीर चाहिए।
वह शरीर है — ब्रह्मा बाबा का।
अव्यक्त मुरली 18 जनवरी 1969:
“जब बाबा अव्यक्त हुए, ब्रह्मा बाबा को बाप ने अपना रथ बनाया।
इस रथ द्वारा सृष्टि परिवर्तन का कार्य संपन्न होता है।”
मुरली 24 मार्च 1969:
“शिव बाबा ने ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण सृष्टि रची।”
ब्रह्मा बाबा ने अपना तन, मन, धन, भावना — सब शिव बाबा को अर्पित कर दिया।
इसलिए वे कहलाए — ईश्वर कार्य के उपकरण।
3. उपकरण का अर्थ — एक उदाहरण से समझें
उपकरण का अर्थ है — पूर्ण आज्ञाकारिता।
जैसे एक संगीतकार वाद्ययंत्र बजाता है —
वाद्य कुछ नहीं करता, संगीतकार की उंगलियों से ही मधुर स्वर निकलते हैं।
उसी प्रकार —
शिव बाबा हैं संगीतकार,
और ब्रह्मा बाबा हैं वाद्ययंत्र।
साकार मुरली 10 अप्रैल 1968:
“ब्रह्मा बाबा द्वारा मैं बच्चों को पढ़ाता हूं।
यह ब्रह्मा रथ है, मैं इसमें बैठकर कार्य करता हूं।”
4. निर्देशक और अभिनेता का संबंध
फिल्म में निर्देशक के पास पूरी स्क्रिप्ट होती है।
वह बताता है — कौन-सा संवाद बोलना है, क्या करना है।
अभिनेता केवल निर्देशों का पालन करता है।
यदि अभिनेता मनमानी करे — फिल्म बिगड़ जाएगी।
उसी प्रकार —
शिव बाबा निर्देशक हैं, ब्रह्मा बाबा अभिनेता।
जो हर दृश्य पूर्ण आज्ञाकारिता से निभाते हैं।
5. नियंता और उपकरण का गुप्त संगम
यह संगम अत्यंत सूक्ष्म है —
कोई देख नहीं सकता कि यह परमात्मा और उपकरण आत्मा का संगम कैसे कार्य कर रहा है।
अव्यक्त मुरली 5 फरवरी 1970:
“शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा दोनों एक साथ हैं।
एक आदेश देता है, दूसरा पालन करता है।”
जहां “मैं” समाप्त होकर केवल “आपका” भाव रह जाए —
वही है नियंता और उपकरण का सच्चा संगम।
6. करण-करावनहार का रहस्य
शिव बाबा “करण करावनहार” हैं।
वे ज्ञान देते हैं, मार्गदर्शन करते हैं।
हम आत्माएं उनके आदेश से कर्म करती हैं।
शिव बाबा कराते हैं — हम करवाते हैं।
वे हैं “करनहार”, हम हैं “करावनहार”।
जब हमारे संकल्प बाबा की दिशा से जुड़ जाते हैं —
तो कर्म स्वतः सफल हो जाते हैं।
7. प्रेरणा — हम सब भी उपकरण हैं
हम सब आत्माएं भी शिव बाबा के उपकरण हैं।
वे हर एक से कोई-न-कोई ईश्वरीय सेवा कराना चाहते हैं।
साकार मुरली 12 मार्च 1971:
“बच्चे, तुम मेरे सहयोगी, मेरे उपकरण बनो।
मैं तुम्हारे माध्यम से विश्व परिवर्तन कराऊंगा।”
जब हम कहते हैं —
“बाबा, जैसा आप चाहें, वैसा ही मैं करूं,”
तभी हम सच्चे उपकरण बनते हैं।
8. निष्कर्ष — नियंता के निर्देशन में चलना ही योग है
जब तक आत्मा “मैं करता हूं” की भावना में रहती है —
तब तक उलझन रहती है।
पर जब कहती है —
“बाबा, मैं आपका यंत्र हूं,”
तब जीवन सहज, सफल और सेवा-युक्त बन जाता है।
अव्यक्त मुरली 23 फरवरी 1975:
“उपकरण बनकर चलो, तो नियंता स्वयं जिम्मेदारी लेगा।”
यही है सच्चा योग, यही है सच्ची समर्पण अवस्था,
और यही है ईश्वरीय योजना का गुप्त रहस्य।
समापन प्रेरणा:
जब हम ब्रह्मा बाबा की तरह हर कार्य में यह भाव रखें —
“मैं नहीं, नियंता बाबा करा रहे हैं” —
तब हमारा जीवन भी दिव्य निर्देशन में चलने लगता है।
वह निर्देशक है, हम अभिनेता हैं।
वह कराता है, हम करवाते हैं।
वह नियंता है, हम उपकरण हैं।
प्रश्न 1: इस विश्व नाटक का निर्देशक कौन है?
उत्तर:
शिव बाबा ही इस अनादि वर्ल्ड ड्रामा के निर्देशक हैं।
वे पर्दे के पीछे से पूरे नाटक का संचालन करते हैं।
🪶 साकार मुरली 16 फरवरी 1969:
“बाप ही है सृष्टि का रचयिता, नियंता।
मैं इस नाटक का निर्देशक हूं, सबको ड्रामा के अनुसार चलाता हूं।”
शिव बाबा जानते हैं कि कौन-सी आत्मा कब, क्या भूमिका निभाएगी।
वे ही स्क्रिप्ट राइटर भी हैं और डायरेक्टर भी।
🌸 प्रश्न 2: शिव बाबा इस सृष्टि में कार्य कैसे करते हैं?
उत्तर:
शिव बाबा निराकार हैं — इसलिए उन्हें कार्य करने के लिए एक शरीर रूपी माध्यम चाहिए।
वह माध्यम हैं — ब्रह्मा बाबा।
🕊️ अव्यक्त मुरली 18 जनवरी 1969:
“जब बाबा अव्यक्त हुए, ब्रह्मा बाबा को बाप ने अपना रथ बनाया।
इस रथ द्वारा सृष्टि परिवर्तन का कार्य संपन्न होता है।”
ब्रह्मा बाबा ने तन, मन, धन, भावना — सब शिव बाबा को अर्पित कर दिए।
इसलिए वे कहलाए — ईश्वर कार्य के उपकरण।
प्रश्न 3: “उपकरण” का अर्थ क्या है? इसे उदाहरण से समझाइए।
उत्तर:
उपकरण का अर्थ है — पूर्ण आज्ञाकारिता और समर्पण।
जैसे एक संगीतकार वाद्ययंत्र बजाता है —
वाद्य कुछ नहीं करता, संगीतकार की उंगलियों से ही मधुर स्वर निकलते हैं।
उसी प्रकार —
शिव बाबा हैं संगीतकार, और ब्रह्मा बाबा हैं वाद्ययंत्र।
साकार मुरली 10 अप्रैल 1968:
“ब्रह्मा बाबा द्वारा मैं बच्चों को पढ़ाता हूं।
यह ब्रह्मा रथ है, मैं इसमें बैठकर कार्य करता हूं।”
प्रश्न 4: शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा का संबंध फिल्म के निर्देशक और अभिनेता जैसा कैसे है?
उत्तर:
जैसे फिल्म में निर्देशक बताता है कि कौन-सा संवाद बोलना है, क्या करना है,
और अभिनेता केवल उसका पालन करता है —
उसी प्रकार ब्रह्मा बाबा, शिव बाबा के निर्देशन में कार्य करते हैं।
शिव बाबा निर्देशक हैं, ब्रह्मा बाबा अभिनेता —
जो हर दृश्य पूर्ण आज्ञाकारिता से निभाते हैं।
प्रश्न 5: नियंता और उपकरण का संगम किस प्रकार गुप्त है?
उत्तर:
यह संगम बहुत सूक्ष्म है।
कोई देख नहीं सकता कि परमात्मा और उपकरण आत्मा का यह संबंध कैसे कार्य करता है।
अव्यक्त मुरली 5 फरवरी 1970:
“शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा दोनों एक साथ हैं।
एक आदेश देता है, दूसरा पालन करता है।”
जहां “मैं” समाप्त होकर केवल “आपका” भाव रह जाए —
वही है नियंता और उपकरण का सच्चा संगम।
प्रश्न 6: “करण-करावनहार” का क्या अर्थ है?
उत्तर:
शिव बाबा हैं “करणहार” — वे कराते हैं।
हम आत्माएं हैं “करावनहार” — हम उनके निर्देशन में कार्य करती हैं।
जब हमारे संकल्प बाबा की दिशा से जुड़ जाते हैं,
तो हर कर्म स्वतः सफल हो जाता है।
शिव बाबा कराते हैं — हम करवाते हैं।
यही है करण-करावनहार का रहस्य।
प्रश्न 7: क्या हम सब आत्माएं भी उपकरण हैं?
उत्तर:
हाँ, हम सब आत्माएं भी शिव बाबा के उपकरण हैं।
वे हर एक से कोई-न-कोई ईश्वरीय सेवा कराना चाहते हैं।
साकार मुरली 12 मार्च 1971:
“बच्चे, तुम मेरे सहयोगी, मेरे उपकरण बनो।
मैं तुम्हारे माध्यम से विश्व परिवर्तन कराऊंगा।”
जब हम कहते हैं —
“बाबा, जैसा आप चाहें, वैसा ही मैं करूं,”
तभी हम सच्चे उपकरण बनते हैं।
प्रश्न 8: सच्चा योग और समर्पण किसे कहा गया है?
उत्तर:
जब तक आत्मा “मैं करता हूं” की भावना में रहती है —
तब तक उलझन रहती है।
पर जब आत्मा कहती है —
“बाबा, मैं आपका यंत्र हूं,”
तब जीवन सहज, सफल और सेवा-युक्त बन जाता है।
अव्यक्त मुरली 23 फरवरी 1975:
“उपकरण बनकर चलो, तो नियंता स्वयं जिम्मेदारी लेगा।”
यही है सच्चा योग, यही है सच्चा समर्पण,
और यही है ईश्वरीय योजना का गुप्त रहस्य।
समापन प्रेरणा
जब हम ब्रह्मा बाबा की तरह हर कार्य में यह भाव रखें —
“मैं नहीं, नियंता बाबा करा रहे हैं,”
तब हमारा जीवन भी दिव्य निर्देशन में चलने लगता है।
वह निर्देशक है — हम अभिनेता हैं।
वह कराता है — हम करवाते हैं।
वह नियंता है — हम उपकरण हैं।
डिस्क्लेमर (Disclaimer):यह वीडियो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शिक्षाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार और आत्म-जागृति को प्रेरित करना है। यह किसी धर्म, संप्रदाय या व्यक्ति विशेष के विरोध हेतु नहीं है।
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