Skip to content
brahmakumarisbkomshanti

brahmakumarisbkomshanti

Welcome to The Home of Godly Knowledge

  • HOME
  • RAJYOGA
  • LITRATURE
  • INDIAN FESTIVALS
  • CONTACT US
  • DISCLAMER
  • Home
  • MURILI 2025
  • MURLI 16-11-2025 |BRAHMA KUMARIS

MURLI 16-11-2025 |BRAHMA KUMARIS

November 15, 2025November 15, 2025omshantibk07@gmail.com
YouTube player

Questions & Answers (प्रश्नोत्तर):are given below

16-11-25
प्रात:मुरली
ओम् शान्ति
”अव्यक्त-बापदादा”
रिवाइज: 15-12-07 मधुबन

समय के महत्व को जान , कर्मों की गुह्य गति का अटेन्शन रखो , नष्टोमोहा , एवररेडी बनो

आज सर्व खजानों के दाता, ज्ञान का खजाना, शक्तियों का खजाना, सर्व गुणों का खजाना, श्रेष्ठ संकल्पों का खजाना देने वाला बापदादा अपने चारों ओर के खजाने के बालक सो मालिक अधिकारी बच्चों को देख रहे हैं। अखण्ड खजानों के मालिक बाप सभी बच्चों को सर्व खजानों से सम्पन्न कर रहे हैं। हर एक को सर्व खजाने देते हैं, किसको कम, किसको ज्यादा नहीं देते क्योंकि अखण्ड खजाना है। चारों ओर के बच्चे बापदादा के नयनों में समाये हुए हैं। सभी खजानों से भरपूर हर्षित हो रहे हैं।

आजकल के समय प्रमाण सबसे अमूल्य श्रेष्ठ खजाना है – पुरुषोत्तम संगम का समय क्योंकि इस संगम पर ही सारे कल्प की प्रालब्ध बना सकते हो। इस छोटे से युग की प्राप्तियों और प्रालब्ध के प्रमाण एक सेकण्ड की वैल्यु एक वर्ष के समान है। इतना यह अमूल्य समय है। इस समय के लिए ही गायन है – “अब नहीं तो कब नहीं” क्योंकि इस समय ही परमात्म पार्ट नूंधा हुआ है इसलिए इस समय को हीरे तुल्य कहा जाता है। सतयुग को गोल्डन एज कहा जाता है। लेकिन इस समय, समय भी हीरे तुल्य है और आप सब बच्चे भी हीरे तुल्य जीवन के अनुभवी आत्मायें हो। इस समय ही बहुतकाल की बिछुड़ी हुई आत्मायें परमात्म मिलन, परमात्म प्यार, परमात्म नॉलेज, परमात्म खजानों के प्राप्ति के अधिकारी बनते हैं। सारे कल्प में देव आत्मायें, महान आत्मायें हैं लेकिन इस समय परमात्म ईश्वरीय परिवार है इसलिए जितना इस वर्तमान समय का महत्व है, इस महत्व को जान, जितना अपने को श्रेष्ठ बनाने चाहे उतना बना सकते हैं। आप सब भी इस महान युग के परमात्म भाग्य को प्राप्त करने वाले पदमापदम भाग्यवान हो ना! ऐसे अपने श्रेष्ठ भाग्य के रूहानी नशे और भाग्य को जानते, अनुभव कर रहे हो ना! खुशी होती है ना! दिल में क्या गीत गाते हो? वाह मेरा भाग्य वाह! क्योंकि इस समय के श्रेष्ठ भाग्य के आगे और कोई भी युग में ऐसा श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त हो नहीं सकता।

तो बोलो, सदा अपने भाग्य को स्मृति में रखते हर्षित होते हो ना! होते हो? जो समझते हैं कि सदा हर्षित होते हैं, कभी-कभी वाले नहीं, जो सदा हर्षित रहते हैं वह हाथ उठाओ। सदा, सदा….। अण्डरलाइन करना सदा। अभी टी.वी. में आपका फोटो आ रहा है। “सदा” वालों का फोटो आ रहा है। मुबारक हो। मातायें हाथ उठायें, शक्तियां उठायें, डबल फारेनर्स…। क्या शब्द याद रखेंगे? सदा। कभी-कभी वाले तो पीछे आने वाले हैं।

बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि समय की रफ्तार बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। समय की गति को जानने वाले अपने को चेक करो कि मास्टर सर्वशक्तिवान हमारी गति तीव्र है? पुरुषार्थ तो सब कर रहे हैं लेकिन बापदादा क्या देखने चाहते? हर बच्चा तीव्र पुरुषार्थी, हर सबजेक्ट में पास विद ऑनर है वा सिर्फ पास है? तीव्र पुरुषार्थी के लक्षण विशेष दो हैं – एक – नष्टोमोहा, दूसरा – एवररेडी। सबसे पहले नष्टोमोहा, इस देहभान, देह-अभिमान से है तो और बातों में नष्टोमोहा होना कोई मुश्किल नहीं है। देह-भान की निशानी है वेस्ट, व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ समय, यह चेकिंग स्वयं ही अच्छी तरह से कर सकते हो। साधारण समय वह भी नष्टोमोहा होने नहीं देता। तो चेक करो हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर कर्म, सफल हुआ? क्योंकि संगमयुग पर विशेष बाप का वरदान है, सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है। तो अधिकार सहज अनुभूति कराता है। और एवररेडी, एवररेडी का अर्थ है – मन-वचन-कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में समय का आर्डर हो अचानक तो एवररेडी, और अचानक ही होना है। जैसे अपनी दादी को देखा अचानक एवररेडी। हर स्वभाव में, हर कार्य में इज़ी रही, सम्पर्क में इज़ी, स्वभाव में इज़ी, सेवा में इज़ी, सन्तुष्ट करने में इज़ी, सन्तुष्ट रहने में इज़ी इसीलिए बापदादा समय की समीपता का बार-बार इशारा दे रहा है। स्व-पुरुषार्थ का समय बहुत थोड़ा है, इसलिए अपने जमा के खाते को चेक करो। तीन विधियां खजानों को जमा करने की पहले भी बताई हैं, फिर से सुना रहे हैं। उन तीनों विधियों को स्वयं चेक करो। एक है – स्वयं के पुरुषार्थ से प्रालब्ध का खजाना जमा करना। प्राप्तियों का खजाना जमा करना। दूसरा है – सन्तुष्ट रहना, इसमें भी सदा शब्द एड करो और सर्व को सन्तुष्ट करना, इससे पुण्य का खाता जमा होता है। और यह पुण्य का खाता अनेक जन्मों की प्रालब्ध का आधार रहता है। तीसरा है – सदा सेवा में अथक, नि:स्वार्थ और बड़ी दिल से सेवा करना, इससे जिसकी सेवा करते हैं उनसे स्वत: ही दुआयें मिलती हैं। यह तीन विधियां हैं, स्वयं का पुरुषार्थ, पुण्य और दुआ। यह तीनों खाते जमा हैं? तो चेक करो कि अचानक अगर कोई भी पेपर आ जाए तो पास विद ऑनर हो सकेंगे? क्योंकि आजकल के समय अनुसार प्रकृति के हलचल की छोटी-छोटी बातें कभी भी आ सकती हैं इसलिए कर्मों के गति का नॉलेज विशेष अटेन्शन में रहे। कर्मों की गति बड़ी गुह्य है। जैसे ड्रामा का अटेन्शन रहता, आत्मिक स्वरूप का अटेन्शन रहता, धारणाओं का अटेन्शन रहता, ऐसे ही कर्मों की गुह्य गति का भी अटेन्शन आवश्यक है। साधारण कर्म, साधारण समय, साधारण संकल्प इससे प्रालब्ध में फ़र्क पड़ जाता है। इस समय आप सभी जो पुरुषार्थी हैं वह श्रेष्ठ विशेष आत्मायें हैं, साधारण आत्मायें नहीं हो। विश्व कल्याण के निमित्त, विश्व परिवर्तन के निमित्त बनी हुई आत्मायें हो। सिर्फ अपने को परिवर्तन करने वाले नहीं हो, विश्व के परिवर्तन के जिम्मेवार हो इसलिए अपने श्रेष्ठ स्वमान के स्मृति स्वरूप बनना ही है।

बापदादा ने देखा, सभी का बापदादा और सेवा से अच्छा प्यार है। सेवा का वातावरण चारों ओर कोई न कोई प्लैन प्रमाण चल रहा है। साथ-साथ अभी समय के प्रमाण विश्व की आत्मायें जो दु:खी, अशान्त हो रही हैं उन आत्माओं को दु:ख अशान्ति से छुड़ाने के लिए अपनी शक्तियों द्वारा सकाश दो। जैसे प्रकृति का सूर्य सकाश से अंधकार को दूर कर रोशनी में लाता। अपनी किरणों के बल से कई चीज़ों को परिवर्तन करता। ऐसे ही मास्टर ज्ञान सूर्य अपने प्राप्त हुए सुख शान्ति की किरणों से, सकाश से दु:ख अशान्ति से मुक्त करो। मन्सा सेवा से, शक्तिशाली वृत्ति से वायुमण्डल को परिवर्तन करो। तो अभी मन्सा सेवा करो। जैसे वाचा सेवा का विस्तार किया है, वैसे मन्सा सकाश द्वारा आत्माओं में हैप्पी और होप की लहर फैलाओ। इस वर्ष जो हैप्पी और होप की टॉपिक रखी है उसी प्रमाण हिम्मत दिलाओ, उमंग-उत्साह दिलाओ, बाप का वर्सा दु:ख अशान्ति से मुक्ति दिलाओ। अभी आवश्यकता सकाश देने की ज्यादा है। इस सेवा में मन को बिजी रखो तो माया-जीत विजयी आत्मा स्वत: ही बन जायेंगे। बाकी छोटी-छोटी बातें तो साइडसीन हैं, साइडसीन में कुछ अच्छा भी आता है, कुछ बुरी चीज़ें भी आती हैं। तो साइडसीन को क्रास कर मंजिल पर पहुंचना होता है। साइडसीन देखने के लिए साक्षीदृष्टा की सीट पर सेट रहो, बस। तो साइडसीन मनोरंजन हो जायेगी। तो एवररेडी हो ना? कल भी कुछ हो जाए, एवररेडी हैं? पहली लाइन एवररेडी है? कल भी हो जाए तो? टीचर्स तैयार हैं तो अच्छा। यह वर्ग वाले तैयार हैं। जितने भी वर्ग आये हो, एवर-रेडी। सोचना। देखना दादियां, देख रही हो सब हाथ हिला रहे हैं। अच्छा है, मुबारक हो। अगर नहीं भी हैं ना तो आज की रात तक हो जाना क्योंकि समय आपका इन्तजार कर रहा है। बापदादा मुक्ति का गेट खोलने का इन्तज़ार कर रहा है। एडवांस पार्टी आपका आह्वान कर रही है। क्या नहीं कर सकते हो… मास्टर सर्वशक्तिवान तो हो ही। दृढ़ संकल्प करो यह करना है, यह नहीं करना है, बस। नहीं करना है, तो दृढ़ संकल्प से ‘नहीं’ को ‘नहीं’ करके दिखाओ। मास्टर तो हो ही ना! अच्छा।

अभी पहली बार कौन आये हैं? जो पहली बार आये हैं, वह हाथ उठाओ। ऊंचा हाथ उठाओ, हिलाओ। इतने आये हैं। अच्छा है। जो भी पहले बारी आये हैं उनको पदमगुणा मुबारक है, मुबारक है। बापदादा खुश होते हैं, कि कल्प पहले वाले बच्चे फिर से अपने परिवार में पहुंच गये इसलिए अभी पीछे आने वाले कमाल करके दिखाना। पीछे रहना नहीं, पीछे आये हो लेकिन पीछे नहीं रहना। आगे से आगे रहना। इसके लिए तीव्र पुरुषार्थ करना पड़ेगा। हिम्मत है ना! हिम्मत है? अच्छा है। हिम्मते बच्चे मददे बापदादा और परिवार है। अच्छा है क्योंकि बच्चे घर का श्रृंगार हो। तो जो भी आये हैं वह मधुबन के श्रृंगार हैं। अच्छा।

सेवा का टर्न भोपाल ज़ोन का है :- अच्छा, बहुत आये हैं। (झण्डियां हिला रहे हैं) अच्छा है गोल्डन चांस तो मिला है ना। अच्छा जो भी सेवा के निमित्त आये हुए हैं इनमें से सभी ने सेवा का जो बल है, फल है – अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति का, वह अनुभव किया? किया? अभी भले हाँ के लिए झण्डी हिलाओ, जिसने किया हो। अच्छा अभी तो अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किया, यह सदा रहेगा? या थोड़ा समय रहेगा? जो दिल से प्रॉमिस करता है, देखा देखी हाथ नहीं उठाना, जो दिल से समझता है कि मैं इस प्राप्ति को सदा कायम रखूंगा, विघ्न-विनाशक बनूंगा, वह झण्डी हिलाओ भले। अच्छा। देखो, आप टी.वी. में आ रहे हो फिर यह टी.वी. का फोटो भेजेंगे। अच्छा। यह चांस जो रखा है वह बहुत अच्छा है। चांस लेते भी खुशी से हैं और टर्न बाई टर्न सभी को खुली दिल से छुट्टी भी मिल जाती है आने की। अच्छा, अभी कमाल क्या करेंगे? (2008 में आपको प्रत्यक्ष करके दिखायेंगे) अच्छा है, एक दो को सहयोग देकर इस वायदे को पूरा करना। जरूर करेंगे। मास्टर सर्वशक्तिवान के लिए कोई भी वायदा निभाना, कोई बड़ी बात नहीं है। सिर्फ दृढ़ता को साथी बनाके रखना। दृढ़ता को नहीं छोड़ना क्योंकि दृढ़ता सफलता की चाबी है। तो जहाँ दृढ़ता होगी वहाँ सफलता है ही है। ऐसे है ना! करके दिखायेंगे। बाप-दादा को भी खुशी है, अच्छा है। देखो कितनों को चांस मिलता है। आधा क्लास तो सेवा करने वालों की तरफ का होता है। अच्छा है। देखो, साकार बाबा के होते हुए बहुत अच्छा पार्ट बजाया है, पहला-पहला म्यूज़ियम इसने (महेन्द्र भाई ने) तैयार किया था। तो देखो, साकार बाप की दुआयें सारे ज़ोन को हैं। अभी कोई नवीनता करके दिखायेंगे। अभी बहुत समय हो गया है, कोई नई इन्वेन्शन नहीं निकाली है। वर्गीकरण भी अभी पुराना हो गया है। प्रदर्शनियां, मेला, कॉन्फ्रेन्स, स्नेह मिलन यह सब हो गये हैं। अभी कोई नई बात निकालो। शार्ट और स्वीट, खर्चा कम और सेवा ज्यादा। रायबहादुर हो ना! तो राय-बहादुर नई राय निकालो। जैसे प्रदर्शनी निकली, फिर मेला निकला, फिर वर्गीकरण निकला, ऐसे कोई नई इन्वेन्शन निकालो। देखेंगे कौन निमित्त बनता है। अच्छा है, हिम्मत वाले हैं इसीलिए बापदादा हिम्मत रखने वालों को सदा एडवांस में मदद की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

अभी एक सेकेण्ड में सभी बहुत मीठी-मीठी स्वीट साइलेन्स की स्टेज के अनुभव में खो जाओ। (बापदादा ने ड्रिल कराई) अच्छा।

चारों ओर के सर्व तीव्र पुरुषार्थी, सदा दृढ़ संकल्प द्वारा सफलता को प्राप्त करने वाले, सदा विजय के तिलकधारी, बापदादा के दिल तख्तधारी, डबल ताजधारी, विश्व कल्याणकारी, सदा लक्ष्य और लक्षण को समान करने वाले परमात्म प्यार में पलने वाले ऐसे सर्व श्रेष्ठ बच्चों को बापदादा का यादप्यार, दिल की दुआयें और नमस्ते।

दादियों से :- बच्चे हाज़िर हैं, तो बाप तो हाज़िर है ही। न बाप बच्चों से दूर हो सकता, न बच्चे बाप से दूर हो सकते। वायदा है – साथ हैं, साथ चलेंगे, आधाकल्प ब्रह्मा बाप के साथ रहेंगे। (दादी जानकी जी ने कहा, वह भी (शिवबाबा भी) तो समाया हुआ साथ में है) आपकी यह अनुभूति ठीक है। अभी तो गैरेन्टी है लेकिन जब राज्य करेंगे तो नहीं आयेंगे। कोई देखने वाला भी चाहिए ना। (ऊपर मन कैसे लगेगा?) ड्रामा में पार्ट है। ब्रह्मा बाप तो साथ है ना। देखो, ड्रामा क्या करता है?

वरदान:- वरदान :- रीयल्टी द्वारा हर कर्म वा बोल में रायॅल्टी दिखलाने वाले फर्स्ट डिवीजन के अधिकारी भव
रीयल्टी अर्थात् अपने असली स्वरूप की सदा स्मृति, जिससे स्थूल सूरत में भी रॉयल्टी नज़र आयेगी। रीयल्टी अर्थात् एक बाप दूसरा न कोई। इस स्मृति से हर कर्म वा बोल में रॉयल्टी दिखाई देगी। जो भी सम्पर्क में आयेगा उन्हें हर कर्म में बाप समान चरित्र अनुभव होंगे, हर बोल में बाप के समान अथॉर्टी और प्राप्ति की अनुभूति होगी। उनका संग रीयल होने के कारण पारस का काम करेगा। ऐसी रीयल्टी वाली रॉयल आत्मायें ही फर्स्ट डिवीजन के अधिकारी बनती हैं।
स्लोगन:- श्रेष्ठ कर्मो का खाता बढ़ाओ तो विकर्मो का खाता समाप्त हो जायेगा।

अव्यक्त इशारे – अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ

चारों ओर हलचल है, व्यक्तियों की, प्रकृति की हलचल बढ़नी ही है, ऐसे समय पर सेफ्टी का साधन है सेकण्ड में अपने को विदेही, अशरीरी वा आत्म-अभिमानी बना लेना। तो बीच-बीच में ट्रायल करो एक सेकण्ड में मन-बुद्धि को जहाँ चाहे वहाँ स्थित कर सकते हैं! इसको ही साधना कहा जाता है।

सूचना:- आज मास का तीसरा रविवार है, सभी राजयोगी तपस्वी भाई-बहनें सायं 6.30 से 7.30 बजे तक, विशेष योग अभ्यास के समय अपनी शुभ भावनाओं की श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा मन्सा महादानी बन सबको निर्भयता का वरदान देने की सेवा करें।

Q1. बापदादा आज किस आधार पर बच्चों को ‘मालिक अधिकारी’ कहकर देख रहे हैं?

A. क्योंकि आज सर्व खजानों के दाता बापदादा बच्चों को ज्ञान, शक्तियाँ, गुण और श्रेष्ठ संकल्पों का अखण्ड खजाना दे रहे हैं।
बाबा किसी को कम या ज्यादा नहीं देते—हर बच्चे को पूरा अधिकार मिलता है।
बापदादा देखते हैं कि बच्चे इन खजानों से भरपूर, हर्षित और सम्पन्न बने हुए हैं।


Q2. संगमयुग के समय को हीरे तुल्य क्यों कहा गया है?

A. क्योंकि —

  • यह समय सीधे परमात्मा का पार्ट नूंधा हुआ समय है।

  • यही समय पूरे कल्प की प्रालब्ध बनाने वाला है।

  • यहाँ एक सेकण्ड की वैल्यु एक वर्ष के समान है।

  • इस युग में आत्मा परमात्म मिलन, परमात्म खजाने, परमात्म प्यार प्राप्त कर सकती है।
    इसलिए इसे हीरे से भी अधिक मूल्यवान समय कहा गया है।


Q3. नष्टोमोहा किसे कहा जाता है और इसका पहला चरण क्या है?

A. नष्टोमोहा का अर्थ है—सभी प्रकार के मोह, आसक्ति, देह-अभिमान से मुक्त होना।
इसका पहला और मुख्य चरण है देह-भान का समाप्त होना।
देह-भान की निशानी है व्यर्थ संकल्प और व्यर्थ समय।
जब देह-भान मिटता है तो अन्य बातों में नष्टोमोहा होना आसान हो जाता है।


Q4. एवररेडी अवस्था किसे कहा गया है?

A. एवररेडी का अर्थ है—

  • मन, वचन, कर्म में

  • संबंध और सम्पर्क में

  • किसी भी समय अचानक आने वाले पेपर में
    तुरन्त तैयार रहना।

दादी की मिसाल दी गई —
वे स्वभाव में, संपर्क में, सेवा में, संतुष्ट रहने और करने में ‘इज़ी’ थीं, इसलिए हमेशा एवररेडी थीं।


Q5. तीव्र पुरुषार्थी के दो मुख्य लक्षण कौन-से हैं?

A.
नष्टोमोहा — देहभान रहित, व्यर्थ रहित, आसक्ति रहित स्थिति
एवररेडी — हर परिस्थिति में तत्पर, सहज, तैयार स्थिति


Q6. तीन कौन-से खाते हैं जिन्हें संगमयुग पर जमा करना अत्यंत आवश्यक है?

A.

1. पुरुषार्थ का खाता

स्वयं के प्रयास से श्रेष्ठता, प्राप्तियों और प्रालब्ध को जमा करना।

2. पुण्य का खाता

सदा संतुष्ट रहना और सबको संतुष्ट करना।
यह अनेक जन्मों की प्रालब्ध का आधार बनता है।

3. दुआओं का खाता

बड़ी दिल से, अथक, निस्वार्थ सेवा करने पर आत्माओं से स्वतः मिलती दुआएँ।


Q7. कर्मों की गति को ‘गुह्य’ क्यों कहा गया है?

A. क्योंकि साधारण कर्म, साधारण संकल्प, साधारण समय भी प्रालब्ध को बदल देते हैं।
कर्म का फल दिखाई नहीं देता, परन्तु वह भविष्य को गहराई से प्रभावित करता है।
इसलिए बाबा कहते हैं—
“कर्मों की गति का विशेष अटेन्शन रखो।”


Q8. विश्व कल्याणकारी आत्माओं की सबसे बड़ी जिम्मेदारी क्या है?

A. केवल स्वयं का परिवर्तन नहीं, बल्कि:

  • विश्व परिवर्तन में निमित्त बनना

  • मन्सा सेवा द्वारा वातावरण को बदलना

  • सूक्ष्म वृत्तियों से Hope व Happiness फैलाना

  • दु:खी और अशान्त आत्माओं को शक्तिशाली संकल्पों से सहारा देना


Q9. मन्सा सेवा को आज की आवश्यकता क्यों बताया गया है?

A. क्योंकि आज विश्व में दुख, अशान्ति और भय की हलचल बढ़ रही है।
ऐसे समय में:

  • शक्तिशाली संकल्प

  • शुभ भावनाएँ

  • सकाश
    आत्माओं को शांति व हिम्मत देने का सबसे प्रभावशाली माध्यम है।


Q10. ‘साक्षी-दृष्टा’ की सीट पर सेट रहकर साइडसीन को क्रॉस करने का क्या अर्थ है?

A. जीवन में कई दृश्य (परिस्थितियाँ) अच्छे-बुरे आते हैं।
यदि हम उनमें फँसे नहीं, बल्कि साक्षी बनकर देखते जाएँ—
तो वे ड्रामा के दृश्यों की तरह गुजर जाते हैं।
साक्षीभव—

  • मन को हल्का करता है

  • पेपर को आसान बनाता है

  • एवररेडी स्थिति को मजबूत बनाता है।


Q11. बाबा बार-बार अशरीरी और विदेही स्थिति का अभ्यास क्यों कराते हैं?

A. क्योंकि प्रकृति और परिस्थितियों की हलचल बढ़नी ही है।
सेफ्टी का सबसे बड़ा साधन है—
एक सेकण्ड में आत्म-अभिमानी, अशरीरी, विदेही बन जाना।
यह वही साधना है जो कठिन समय में सुरक्षा कवच का काम करेगी।


Q12. दृढ़ता सफलता की चाबी क्यों है?

A. Baba कहते हैं—
“दृढ़ संकल्प करो यह करना है, यह नहीं करना है, बस।”
जब संकल्प दृढ़ होता है—

  • माया हारती है

  • पुरुषार्थ तेज होता है

  • सफलता स्वतः खिंची आती है
    इसलिए दृढ़ता ही सफलता का पासपोर्ट है।


Q13. ‘रीयल्टी’ और ‘रॉयल्टी’ में क्या संबंध है? (वरदान का सार)

A. रीयल्टी मतलब—अपने असली स्वरूप की स्मृति में रहना।
जब रीयलिटी होती है, तो हर कर्म और हर बोल में स्वतः रॉयल्टी दिखाई देती है।
ऐसी आत्माएँ ही फर्स्ट डिवीजन की अधिकारी बनती हैं।


Q14. आज का अव्यक्त इशारा क्या है?

A.
अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ।
 एक सेकण्ड में मन-बुद्धि को जहाँ चाहो वहाँ पहुँचा सकने की शक्ति विकसित करो।


Q15. आज का विशेष निर्देश क्या है?

A.
आज मास का तीसरा रविवार —
सायं 6:30 से 7:30 बजे
सभी भाई–बहनें मन्सा महादानी बनकर
शुभ भावना – श्रेष्ठ वृत्ति से
संसार को निर्भयता का वरदान दें।

डिस्क्लेमर (Disclaimer):इस वीडियो में प्रस्तुत सभी ज्ञान, विचार और मर्मस्पर्शी संदेश ब्रह्माकुमारीज़ के आध्यात्मिक साहित्य — साकार एवं अव्यक्त मुरलियों पर आधारित हैं। यह वीडियो केवल आध्यात्मिक जागृति, स्व-उन्नति और सकारात्मक परिवर्तन हेतु बनाया गया है। इसका उद्देश्य किसी भी संप्रदाय, मत या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है।

समय का महत्व, कर्मों की गुह्य गति, नष्टोमोहा, एवररेडी बनो, अव्यक्त मुरली, बापदादा संदेश, संगमयुग, पुरुषार्थ, तीव्र पुरुषार्थ, पास विद ऑनर, समय की रफ्तार, देहभान, आत्मिक स्थिति, मन्सा सेवा, सकाश, hope and happiness, विश्व कल्याण, मास्टर सर्वशक्तिवान, श्रेष्ठ संकल्प, inner checking, खुशी का नशा, आत्म-अभिमानी स्थिति, अशरीरी अवस्था, विदेही स्थिति, sudden paper, प्रालब्ध, पुण्य खाता, दुआ का खाता, सेवा का खजाना, राजयोग, ब्रह्माकुमारीज, BK Murli, Avyakt BapDada, Spiritual Power, Spiritual Wisdom, Drama, कर्मों का सिद्धांत, Purushottam Sangam Yug, Om Shanti,Importance of time, secret speed of actions, destruction of attachment, become ever ready, Avyakt Murli, BapDada message, Confluence Age, effort, intense effort, pass with honour, speed of time, body consciousness, spiritual state, service to the mind, Sakash, hope and happiness, world welfare, master almighty, elevated resolution, inner checking, intoxication of happiness, soul conscious state, bodiless state, external state, sudden paper, reward, virtue account, account of blessings, treasure of service, Rajyoga, Brahma Kumaris, BK Murli, Avyakt BapDada, Spiritual Power, Spiritual Wisdom, Drama, Theory of Karmas, Purushottam Sangam Yug, Om Shanti,

MURILI 2025 Tagged account of blessings, Avyakt BapDada, Avyakt Murli, BapDada Message, become ever ready, BK Murli, Bodiless State, body consciousness, brahma kumaris, Confluence Age, destruction of attachment, drama, effort, elevated resolution, external state, hope and happiness, Importance of Time, inner checking, intense effort, intoxication of happiness, master almighty, Om Shanti, pass with honour, Purushottam Sangam Yug, Rajyoga, reward, Sakash, secret speed of actions, service to the mind, soul-conscious state, speed of time, spiritual power, spiritual state, Spiritual Wisdom, sudden paper, Theory of Karmas, treasure of service, virtue account, world welfare, अव्यक्त मुरली, अशरीरी अवस्था, आत्म-अभिमानी स्थिति, आत्मिक स्थिति, एवररेडी बनो, कर्मों का सिद्धांत, कर्मों की गुह्य गति, खुशी का नशा, तीव्र पुरुषार्थ, दुआ का खाता, देहभान, नष्टोमोहा, पास विद ऑनर, पुण्य खाता, पुरुषार्थ, प्रालब्ध, बापदादा संदेश, ब्रह्माकुमारीज़, मन्सा सेवा, मास्टर सर्वशक्तिवान, राजयोग, विदेही स्थिति, विश्व कल्याण, श्रेष्ठ संकल्प, सकाश, संगमयुग, समय का महत्व, समय की रफ्तार, सेवा का खजाना

Post navigation

(16)Shiv Baba – The Supreme Ideal The Supreme Ideal – Brahma Baba First Follower
MURLI 17-11-2025 |BRAHMA KUMARIS

Related Posts

MURLI 12-11-2025 |BRAHMA KUMARIS

Questions & Answers (प्रश्नोत्तर):are given below 12-11-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा”‘ मधुबन “मीठे बच्चे – तुम ड्रामा के खेल को…

MURLI 19-06-2025/BRAHMAKUMARIS

(Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) 19-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा”‘…

MURLI 12-05-2025/BRAHMAKUMARIS

(Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) 12-05-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा”‘…

Copyright © 2025 brahmakumarisbkomshanti | Ace News by Ascendoor | Powered by WordPress.