A-p 28″Mukti-Jeevanmukti: The ultimate goal of the soul and its experience in the Confluence Age

आत्मा-पदम (28)मुक्ति-जीवनमुक्ति:आत्मा का परम लक्ष्य और संगमयुग में इसका अनुभव

A-p 28″Mukti-Jeevanmukti: The ultimate goal of the soul and its experience in the Confluence Age

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

कौन बनेगा पद्मा पदम पति

आज हमारे सामने विषय है मुक्ति और जीवन मुक्ति।

मुक्ति और जीवन मुक्ति को हम सभी बहुत अच्छी तरह से जानते और समझते हैं। आत्मा का परम लक्ष्य और संगम युग में इसका अनुभव महत्वपूर्ण है। आत्मा का परम लक्ष्य ही यही है—मुक्ति और जीवन मुक्ति प्राप्त करना, और संगम युग पर इसका अनुभव संभव है।

1. मुक्ति और जीवन मुक्ति—आत्मा की मूल प्यास

हर आत्मा का परम उद्देश्य मुक्ति और जीवन मुक्ति की स्थिति को प्राप्त करना है।

  • मुक्ति और जीवन मुक्ति आत्मा का सहज स्वभाव और सर्वोच्च अवस्था है।
  • यह सहज रूप से आत्मा को मिलती है और सबसे ऊंची अवस्था मानी जाती है।

2. मुक्ति और जीवन मुक्ति का यथार्थ अनुभव कब और कहां?

  • यह अनुभव पुरुषोत्तम संगम युग पर संभव है, जब परमात्मा आत्मा को उसके वास्तविक स्वरूप का ज्ञान देते हैं।
  • परमात्मा जब तक परमधाम से आकर ज्ञान नहीं देते, तब तक आत्मा इसे अनुभव नहीं कर सकती।
  • संगम युग पर ही आत्मा को परमात्मा से मुक्ति और जीवन मुक्ति का वर्षा मिलता है।
  • पहले लोग समझते थे कि मोक्ष ही अंतिम लक्ष्य है, लेकिन परमात्मा समझाते हैं कि मोक्ष तो मुझे भी नहीं मिलता, तो मैं आपको कैसे दे दूं?

3. संगम युग की मुक्ति और जीवन मुक्ति का महत्व

  • संगम युग की मुक्ति जीवन मुक्ति, परमधाम की मुक्ति और सतयुग की जीवन मुक्ति से श्रेष्ठ और दुर्लभ है।
  • परमधाम में सिर्फ मुक्ति मिलती है, वहां कोई संकल्प नहीं होते, कोई कर्म नहीं होते।
  • सतयुग में सिर्फ जीवन मुक्ति होती है, वहां कोई चिंता, पूजा-पाठ, व्यापार आदि नहीं होते—सिर्फ सुख ही सुख होता है।
  • लेकिन संगम युग की मुक्ति जीवन मुक्ति अद्भुत है, क्योंकि यह संसार में रहते हुए, कर्म करते हुए अनुभव होती है।
  • यह सबसे ऊंची अवस्था है, क्योंकि:
    • कभी शरीर में, कभी आत्मा के रूप में अनुभव कर सकते हैं।
    • बंधन मुक्त होते हुए भी जीवन में रहते हैं।
    • अब हमें यह जीवन बोझ नहीं लगता, बल्कि आनंददायक लगता है।

4. संगम युग की श्रेष्ठता—ब्रह्मण जीवन की विशेषता

  • यह जीवन डायमंड युग का जीवन है।
  • ब्रह्मण जीवन में ही आत्मा को सही मायने में मुक्ति और जीवन मुक्ति का अनुभव होता है।
  • ब्रह्मण जीवन का सार यह है कि आत्मा अब भी मुक्ति जीवन मुक्ति का आनंद ले सकती है और इसे जीवन का हिस्सा बना सकती है।
  • यही वह समय है जब परमात्मा स्वयं हमें सर्व शक्तियों का अनुभव कराते हैं।

5. भविष्य की मुक्ति जीवन मुक्ति वर्तमान अनुभव का ही विस्तार है

  • बापदादा ने स्पष्ट किया है कि यदि संगम युग पर मुक्ति जीवन मुक्ति का अनुभव नहीं किया, तो भविष्य में भी यह संभव नहीं होगा।
  • इसलिए, जो इसे संगम युग पर अनुभव करेगा, वही इसे सतयुग में प्राप्त कर सकेगा।
  • अब यदि यह अनुभव नहीं किया, तो फिर किसी कल्प में भी नहीं कर सकेंगे।

6. मुक्ति जीवन मुक्ति का आधार—वर्तमान पुरुषार्थ

  • मुक्ति और जीवन मुक्ति संगम युग में किए गए पुरुषार्थ पर निर्भर करती है।
  • जितना हम आत्मा रूप में स्थित रहेंगे, उतना ही बंधनों से मुक्त महसूस करेंगे।
  • जो आत्मा सच्चा पुरुषार्थ करेगी, वही परमधाम में जाकर संपूर्ण शांति का अनुभव करेगी।

7. निष्कर्ष

  • मुक्ति और जीवन मुक्ति आत्मा की सर्वोच्च उपलब्धि है, और इसका अनुभव सिर्फ संगम युग पर ही संभव है।
  • संगम युग ही वह समय है जब आत्मा बंधन मुक्त और जीवन मुक्त हो सकती है।
  • परमधाम में जाकर आत्मा कोई संकल्प नहीं कर सकती, इसलिए संगम युग पर ही इसका अनुभव आवश्यक है।
  • प्रश्न और उत्तर

    प्रश्न 1: मुक्ति और जीवन मुक्ति का क्या अर्थ है? उत्तर: मुक्ति का अर्थ है बंधनों से पूर्ण स्वतंत्रता, जबकि जीवन मुक्ति का अर्थ है जीवन में रहते हुए भी आत्मा की स्वतंत्रता और आनंद की अनुभूति।

    प्रश्न 2: आत्मा को मुक्ति और जीवन मुक्ति कब और कैसे प्राप्त होती है? उत्तर: आत्मा को यह प्राप्ति संगम युग पर होती है, जब परमात्मा स्वयं ज्ञान और योग द्वारा आत्मा को उसके वास्तविक स्वरूप का अनुभव कराते हैं।

    प्रश्न 3: संगम युग की मुक्ति जीवन मुक्ति अन्य युगों से श्रेष्ठ क्यों मानी जाती है? उत्तर: क्योंकि यह संसार में रहते हुए, कर्म करते हुए अनुभव की जाती है, जबकि परमधाम की मुक्ति में कोई संकल्प और कर्म नहीं होते और सतयुग की जीवन मुक्ति में केवल सुख होता है।

    प्रश्न 4: ब्रह्मण जीवन में मुक्ति और जीवन मुक्ति का क्या महत्व है? उत्तर: ब्रह्मण जीवन में ही आत्मा को सही मायने में मुक्ति और जीवन मुक्ति का अनुभव होता है और यही वह समय है जब परमात्मा आत्मा को सर्व शक्तियों का अनुभव कराते हैं।

    मुक्ति, जीवन मुक्ति, आत्मा, संगम युग, परमात्मा, मोक्ष, ब्रह्मण जीवन, पुरुषार्थ, परमधाम, आत्मा का स्वरूप, सर्वोच्च अवस्था, संकल्प रहित स्थिति, सतयुग, दिव्य अनुभव, बापदादा, आध्यात्मिक ज्ञान, आत्मिक स्थिति, बंधन मुक्त जीवन, आनंददायक जीवन, परम लक्ष्य,

    Mukti, life liberation, soul, confluence age, God, salvation, Brahmin life, effort, Paramdham, nature of soul, highest state, thoughtless state, Satyug, divine experience, Bapdada, spiritual knowledge, soul conscious state, bondage free life, blissful life, ultimate goal,