(01)भक्ति अंधेरा ज्ञान प्रकाश- 19/होलिका दहन या जलाना
(01)Devotion darkness knowledge light- 19/Holika Dahan or Burning
Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
भक्ति का अंधकार और ज्ञान का प्रकाश
होलिका दहन का आध्यात्मिक रहस्य
होलिका क्यों जलाते हैं?
हमारे बुजुर्ग वर्षों से होलिका दहन करते आ रहे हैं, लेकिन इसका वास्तविक अर्थ और लाभ क्या है? अधिकतर लोग इसका कारण नहीं जानते और पारंपरिक कहानी सुना देते हैं।
हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए अनेक प्रयास किए, लेकिन वह असफल रहा। उसकी बहन होलिका को वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। उसने प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठने का निश्चय किया, लेकिन परिणामस्वरूप होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया।
वर्तमान में होलिका जलाने का क्या अर्थ है?
प्राचीन समय में यह हिरण्यकश्यप के अत्याचार का अंत था, लेकिन आज हम किस अत्याचार को समाप्त कर रहे हैं? ज्ञान के आधार पर परमपिता परमात्मा हमें समझाते हैं कि प्रह्लाद गहरी पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है, जबकि होलिका अवगुणों का प्रतीक है।
अवगुणों के कारण आज प्रत्येक आत्मा दुखी हो गई है। इसी कारण से गुरु नानक जी ने कहा था:
“नानक दुखिया सब संसार।”
आज संसार दुखी क्यों है? क्योंकि लोगों ने अवगुणों, बुराइयों, और विकारों को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है और सच्चाई व पवित्रता से दूर हो गए हैं।
सच्ची पवित्रता क्या है?
सभी पवित्र और शुद्ध बनना चाहते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि सच्ची पवित्रता क्या होती है। गुरु नानक जी ने कहा:
“राज करेगा खालसा।”
लेकिन लोग “खालसा” का अर्थ केवल सरदारजी से जोड़कर देखते हैं। वास्तव में, “खालसा” का अर्थ है – शुद्ध और पवित्र। जो व्यक्ति पवित्र होगा, वही सच्चा राज्य करेगा। पतित पावन वही होता है, जो दुख को समाप्त कर सुख देता है, जो आत्माओं को सत्य के मार्ग पर ले जाता है।
होलिका दहन का वास्तविक उद्देश्य
हमें अपने अवगुणों, बुराइयों, और गंदे संस्कारों को जलाकर भस्म कर देना चाहिए ताकि उनका नामोनिशान भी न रहे। जब हमारे जीवन से बुराइयाँ समाप्त हो जाएँगी, अज्ञान मिट जाएगा, तब हम शुद्ध, पवित्र और स्वर्ग के अधिकारी बनेंगे।
यही है होलिका दहन – अपने अवगुणों और बुराइयों को जलाना। जब तक इन्हें जलाया नहीं जाएगा, तब तक आत्मा पवित्र नहीं बन सकती। जब आत्मा पवित्र बनेगी, तो सातों गुण उसके जीवन में आएंगे।
होली के सात रंग और उनका आध्यात्मिक अर्थ
होली के रंग केवल बाहरी रंग नहीं होते, बल्कि वे हमारी आत्मा के गुणों का प्रतीक हैं:
- पीला रंग – प्रेम
- गुलाबी रंग – आनंद
- लाल रंग – शक्ति
- नीला रंग – शांति
- हरा रंग – ताजगी
- बैंगनी रंग – उत्थान
- सफेद रंग – पवित्रता
ये सात रंग इंद्रधनुष में भी दिखाई देते हैं, जो पवित्रता का प्रतीक हैं। जब आकाश शुद्ध और प्रदूषण-मुक्त होता है, तब इंद्रधनुष दिखाई देता है। इसी प्रकार, जब आत्मा पवित्र बनेगी, तो इन सात रंगों की झलक उसमें आएगी।
सच्ची होली कैसे मनाएं?
अगले दिन होली खेलने का वास्तविक अर्थ है कि हमने अपने अवगुणों को जलाया और अब हम गुणों का उत्सव मना रहे हैं। लेकिन यदि अवगुण जलाए ही नहीं, तो लोग कीचड़, मोबिल ऑयल और अन्य गंदगी का प्रयोग करने लगते हैं।
यदि होली पर कोई शराब पीता है, भांग या अन्य नशे करता है, तो क्या यह सच्ची होली हुई? इस बार होलिका दहन पर यह संकल्प लें – अपनी सभी बुराइयों, अवगुणों, और विकारों को जलाकर सत्य के मार्ग पर चलेंगे।
शुभकामनाएँ!
इसी के साथ सभी को होलिका दहन और अपने विकारों को दूर करने की एडवांस में
भक्ति का अंधकार और ज्ञान का प्रकाश
होलिका दहन का आध्यात्मिक रहस्य
1. होलिका दहन क्यों किया जाता है?
➤ यह प्रतीक है अवगुणों और बुराइयों को जलाने का, ताकि आत्मा शुद्ध बन सके।
2. होलिका और प्रह्लाद किसका प्रतीक हैं?
➤ होलिका अवगुणों का प्रतीक है और प्रह्लाद गहरी पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है।
3. गुरु नानक जी ने संसार के दुख का कारण क्या बताया?
➤ उन्होंने कहा: “नानक दुखिया सब संसार,” क्योंकि लोग अवगुणों और विकारों में फंसे हुए हैं।
4. “राज करेगा खालसा” का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
➤ “खालसा” का अर्थ है शुद्ध आत्मा। जो आत्मा पवित्र होगी, वही सच्चे अर्थों में राज्य करेगी।
5. सच्ची होली कैसे मनानी चाहिए?
➤ पहले अपने अवगुणों को जलाकर समाप्त करें, फिर गुणों का उत्सव मनाएं, न कि गंदगी या नशे में लिप्त होकर।
6. होली के सात रंग आत्मा के किन गुणों का प्रतीक हैं?
➤
- पीला – प्रेम
- गुलाबी – आनंद
- लाल – शक्ति
- नीला – शांति
- हरा – ताजगी
- बैंगनी – उत्थान
- सफेद – पवित्रता
7. क्या बाहरी होलिका जलाने से कोई लाभ है?
➤ नहीं, असली होलिका दहन तब होगा जब हम अपने अंदर की बुराइयों को समाप्त करेंगे।
8. आत्मा की सच्ची पवित्रता कैसे प्राप्त होगी?
➤ जब हम विकारों को त्यागकर परमपिता परमात्मा के ज्ञान और शक्ति से अपने जीवन को शुद्ध बनाएंगे।
9. क्या नशे और गंदगी के साथ खेली जाने वाली होली सही है?
➤ नहीं, सच्ची होली आत्मा को शुद्ध करने और गुणों का उत्सव मनाने का प्रतीक है।
10. इस बार होलिका दहन पर क्या संकल्प लें?
➤ हम अपनी बुराइयों को जलाकर सत्य और पवित्रता के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
सभी को आध्यात्मिक रूप से जागरूक और शुभ होली की शुभकामनाएँ!