Skip to content
brahmakumarisbkomshanti

brahmakumarisbkomshanti

Welcome to The Home of Godly Knowledge

  • HOME
  • RAJYOGA
  • LITRATURE
  • INDIAN FESTIVALS
  • CONTACT US
  • DISCLAMER
  • Home
  • MAIN MENU
  • LITERATURES
  • Paramatma-padam(53) Does God create the universe? How does He create it?

Paramatma-padam(53) Does God create the universe? How does He create it?

April 1, 2025June 10, 2025omshantibk07@gmail.com

P-P 53″ क्या परमात्मा सृष्टि का रचता है?कैसे रचता है?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

ओम शांति

प्रिय आत्माओं,
आज हम एक अत्यंत गहन और महत्वपूर्ण विषय पर चिंतन करेंगे:
आत्मा कैसे अपने परिवार और शरीर का चयन करती है?

हम समझेंगे कि यह कोई संयोग नहीं, बल्कि गहरा रूहानी रहस्य है।
अगर हम “पद्मा पदम पति” बनना चाहते हैं, तो हमें आत्मा और उसके कर्मों की इस सूक्ष्म गहराई को जानना होगा।


भूमिका: आत्मा को न्यारा और प्यारा बनाना

  • आत्मा को ऐसा बनाना है जो न्यारा (डिटैच) और प्यारा (अत्यंत पवित्र और आकर्षक) हो।

  • जब आत्मा न्यारी और प्यारी बनती है, तभी वह ऐसे कर्म करती है जो उसे पद्मा पदम पति बनाते हैं।

  • उन्हीं कर्मों के आधार पर अगला जन्म, परिवार और शरीर निर्धारित होता है।


मुख्य प्रश्न

  • आत्मा ने विशेष रूप से इसी परिवार में जन्म क्यों लिया?

  • इसी व्यक्ति से विवाह क्यों हुआ?

  • शरीर धारण करने का आधार क्या है?

यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे हैं तीन गहरे आधार:


1. ड्रामा का पाठ (World Drama)

  • सृष्टि का खेल पहले से फिक्स है – एक पूर्व-निर्धारित ड्रामा।

  • हर आत्मा का अद्वितीय और सटीक पार्ट है, कोई भी गलती नहीं हो सकती।

  • आत्मा उसी समय, उसी परिस्थिति में जन्म लेती है जो उसके कर्मों के अनुसार बिल्कुल सटीक है।

  • 5000 वर्ष के चक्र में हर दृश्य, हर घटना एक्यूरेट टाइमिंग से रिपीट होती है।


2. आत्मा के नैसर्गिक संस्कार

  • आत्मा उसी परिवार में जन्म लेती है, जहां वह अपने संस्कारों को व्यक्त कर सकती है।

  • हमारे संस्कार पिछले जन्मों के कर्मों से बने हैं।

  • माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी – सब पूर्व जन्म के गहरे संस्कारिक रिश्तों के पुनः मिलन हैं।

  • आत्मा अपने संस्कारों को अनुभव करने और पूरा करने के लिए उपयुक्त वातावरण और परिवार का चयन करती है।


3. आत्माओं का परस्पर हिसाब-किताब (Karmic Account)

  • आत्माओं के बीच पिछले जन्मों में हुए लेन-देन का हिसाब बनता है।

  • सुख-दुख का लेन-देन तय करता है कि आत्मा किस परिवार में और किन रिश्तों के बीच जन्म लेगी।

  • जब तक कर्मों का हिसाब बराबर नहीं होता, आत्माएं फिर से एक-दूसरे से जुड़ती हैं।

  • जब हिसाब पूरा होता है, तब संबंध स्वतः समाप्त हो जाते हैं (जैसे तलाक, मृत्यु, बिछड़ना आदि)।


4. शरीर धारण करने का उद्देश्य

  • आत्मा शरीर इसलिए धारण करती है ताकि अपने संस्कारों और कार्मिक अकाउंट को संतुलित कर सके।

  • हर जन्म आत्मा के सीखने और शुद्ध बनने का अवसर है।

  • जैसे-जैसे हिसाब-किताब समाप्त होता है, आत्मा अपने नैसर्गिक स्वरूप – शुद्धता, प्रेम और शांति – में लौटने लगती है।


निष्कर्ष: कर्मों को समझदारी से संचालित करना

  • परिवार और जन्म स्थान का चयन आत्मा का पूर्व निर्धारित पाठ है।

  • यह गहरी रूहानी योजना का हिस्सा है, जिसे ड्रामा, संस्कार और हिसाब-किताब द्वारा निर्धारित किया गया है।

  • इस समझ के साथ, हमें अपने हर कर्म को पवित्रता और प्यार से भरपूर बनाना चाहिए।

  • ताकि हम अपने अगले जन्म को सुंदर, श्रेष्ठ और पद्मा पदम पति बनने योग्य बना सकें।


समापन

तो आइए, आज से ही यह प्रतिज्ञा करें:

“मैं आत्मा हूँ — न्यारा और प्यारा बनूँगा।
अपने कर्मों को शुद्ध बनाऊंगा।
और इस अमूल्य जीवन को सफल बनाऊंगा।”

ओम शांति।

आत्मा का शरीर धारण करने का आधार – क्यों और कैसे?

प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: आत्मा किस आधार पर एक विशेष परिवार में जन्म लेती है?

उत्तर: आत्मा का किसी विशेष परिवार में जन्म लेना कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह पूर्व निर्धारित है। इसका आधार तीन प्रमुख कारण हैं: ड्रामा का पाठ, आत्मा के नैसर्गिक संस्कार और आत्माओं के परस्पर कार्मिक अकाउंट।

प्रश्न 2: ड्रामा का पाठ क्या होता है और इसका शरीर धारण से क्या संबंध है?

उत्तर: ड्रामा का पाठ सृष्टि काताब क्या होता है?

उत्तर: आत्माओं के बीच के कर्म और प्रति पूर्वनिर्धारित खेल है, जिसमें हर आत्मा की भूमिका तय होती है। आत्मा का शरीर धारण और जन्म लेना इस ड्रामा का हिस्सा होता है, जो पूर्व जन्मों के कर्मों और संस्कारों पर आधारित होता है।

प्रश्न 3: आत्मा के नैसर्गिक संस्कार का शरीर धारण पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: आत्मा के नैसर्गिक संस्कार वही परिवार और रिश्ते तय करते हैं जहां आत्मा अपनी भूमिका को बेहतर तरीके से निभा सकती है। ये संस्कार पिछले जन्मों के कर्मों के अनुसार निर्धारित होते हैं।

प्रश्न 4: आत्मा का परस्पर हिसाब-कि

क्रियाएँ एक अकाउंट बनाती हैं, जो तय करती हैं कि आत्मा किस परिवार और संबंध में जन्म लेगी। सुख-दुख के हिसाब से आत्माएँ एक-दूसरे से मिलती हैं और संबंध बनाती हैं।

प्रश्न 5: शरीर धारण करने का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: आत्मा शरीर धारण करती है ताकि वह अपने नैसर्गिक संस्कारों और परस्पर के हिसाब-किताब को संतुलित कर सके। यह आत्मा के सीखने के सफर का हिस्सा है, जिससे वह अपनी आत्मिक उन्नति की ओर बढ़ सकती है।

प्रश्न 6: आत्मा का परिवार चुनने की प्रक्रिया में ड्रामा और कार्मिक अकाउंट का क्या महत्व है?

उत्तर: ड्रामा और कार्मिक अकाउंट यह तय करते हैं कि आत्मा किस परिवार में जन्म लेगी। यह प्रक्रिया आत्मा के पिछले जन्मों के कर्मों और संस्कारों पर आधारित होती है, जो उसका वर्तमान जीवन निर्धारित करती है।

प्रश्न 7: आत्मा के शरीर धारण करने का क्या परिणाम होता है?

उत्तर: आत्मा के शरीर धारण करने का परिणाम यह है कि वह अपने नैसर्गिक स्वरूप के और करीब जाती है। जैसे-जैसे आत्मा अपने लेन-देन को संतुलित करती है, वह अपने आत्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करती है।

आत्मा का परिवार चयन, शरीर धारण का आधार, ड्रामा का पाठ, आत्मा के नैसर्गिक संस्कार, आत्मा का कार्मिक अकाउंट, परिवार का चयन, पूर्व जन्म का असर, आत्मा का उन्नति, सुख-दुख का चक्र, आत्मिक उन्नति, आत्मा का हिसाब-किताब, कर्मों का प्रभाव, आत्मा का जीवन उद्देश्य, शरीर धारण का उद्देश्य, कार्मिक संबंध, आत्मा के संस्कार, आध्यात्मिक ज्ञान, आत्मा का पारिवारिक संबंध,

Soul’s family selection, basis of taking a body, lesson of drama, soul’s natural sanskars, soul’s karmic account, selection of family, effect of previous birth, soul’s progress, cycle of happiness and sorrow, spiritual progress, soul’s accounts, effect of karmas, soul’s life purpose, purpose of taking a body, karmic relationship, soul’s sanskars, spiritual knowledge, soul’s family relationship,

LITERATURES SOUL Ultimate Knowledge of God Tagged # Spiritual progress, #Spiritual knowledge, basis of taking a body, cycle of happiness and sorrow, effect of karmas, effect of previous birth, karmic relationship, lesson of drama, purpose of taking a body, selection of family, soul's accounts, soul's family relationship, Soul's family selection, soul's karmic account, soul's life purpose, soul's natural sanskars, soul's progress, soul's sanskars, आत्मा का उन्नति, आत्मा का कार्मिक अकाउंट, आत्मा का जीवन उद्देश्य, आत्मा का परिवार चयन, आत्मा का पारिवारिक संबंध, आत्मा का हिसाब-किताब, आत्मा के नैसर्गिक संस्कार, आत्मा के संस्कार, आत्मिक उन्नति., आध्यात्मिक ज्ञान, कर्मों का प्रभाव, कार्मिक संबंध, ड्रामा का पाठ, परिवार का चयन, पूर्व जन्म का असर, शरीर धारण का आधार, शरीर धारण का उद्देश्य, सुख-दुख का चक्र

Post navigation

Atma-padam(52) The soul of a living being is its own friend and its own enemy.
Atma-padam (54) The basis for the soul to take a body in a particular family or in any form

Related Posts

A-P(15)”Sentient and mobile: difference in tendency of species expansion”

आत्मा-पदम (15)”चेतन और जंगम: प्रजाति विस्तार की प्रवृत्ति का अंतर” A-P15″Sentient and mobile: difference in tendency of species expansion” (…

(17)How long does the soul remember old relationships after death?

AAT.(17)आत्मा मृत्यु के बाद कब तक पुराने संबंधों को याद करती है? (प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) अध्याय:…

Drama-Padma(111) ” Peace will be found in bodiless form

D.P 111″ शांति तो अशरीरी बनकर मिलेगी ( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) शांति कहाँ मिलेगी? शरीर में…

Copyright © 2025 brahmakumarisbkomshanti | Ace News by Ascendoor | Powered by WordPress.