Three worlds-padam (73) “Brahmaloka and the subtle world: direction, position and experience

T-L-P 73 “ब्रह्मलोक और सूक्ष्म वतन:दिशा, स्थितिऔरअनुभूति

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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🌸 भूमिका: पद्मा पदम पति बनने की प्रक्रिया

“ओम शांति।”
आज हम एक अत्यंत शुभ और गहन विषय पर मनन करेंगे — ‘पद्मा पदम पति कौन बनेगा?’
बाबा ने स्पष्ट कहा है — सभी आत्माएं पद्मा पदम पति बन सकती हैं, यदि हम हर कर्म को अकर्म बना दें।
अकर्म का अर्थ है — ऐसा कर्म जो बाबा की श्रीमत अनुसार, न्यारा-प्यारा, और कमल फूल समान हो।
जितनी स्पष्टता हमें बाबा के ज्ञान की होगी, उतना ही हम कर्मों को श्रेष्ठ बना सकेंगे।


☀️ नया अध्याय: सूक्ष्म वतन और ब्रह्म लोक का ज्ञान

अब हम प्रवेश कर रहे हैं एक नए अध्याय में —
“सूक्ष्म वतन और ब्रह्म लोक — उनका स्थान, स्थिति और अनुभूति क्या है?”


🌀 1. तीन लोकों की समझ: स्थूल, सूक्ष्म और परम

चित्र द्वारा हम समझेंगे:

  • स्थूल लोक (भूलोक): रंगमंच जहाँ आत्माएं पार्ट बजाती हैं।

  • सूक्ष्म वतन: स्थूल और परमधाम के बीच का मध्यवर्ती सूक्ष्म क्षेत्र।

  • परमधाम (ब्रह्म लोक): आत्माओं का मूल निवास, पूर्ण शांति की स्थिति।


🌐 2. सूक्ष्म वतन कहाँ है?

  • सूक्ष्म वतन आकाश तत्व से भी परे स्थित है।

  • यह न कोई भौगोलिक स्थान है, न कोई स्थूल लोकेशन।

  • यह एक सूक्ष्म अनुभूति का क्षेत्र है, जहाँ हम शरीर से परे अनुभूति करते हैं।


🔴 3. ब्रह्म लोक क्या है?

  • ब्रह्म लोक वह क्षेत्र है जो सूक्ष्म से भी परे, बिल्कुल शून्य, एकदम ‘जीरो स्थिति’ में स्थित है।

  • जहाँ ना प्रकाश है, ना आकाश है, केवल परम शांति है।

  • इसे ही कहा गया है — नेति नेति (इतना सूक्ष्म कि और सूक्ष्म नहीं हो सकता)।


🧘‍♂️ 4. अनुभव का माध्यम: सूक्ष्म या स्थूल शरीर

  • आत्मा जब तक शरीर नहीं लेती, तब तक उसका अस्तित्व प्रकट नहीं होता।

  • चाहे वह सूक्ष्म शरीर हो या स्थूल शरीर, माध्यम की आवश्यकता होती है।

  • सूक्ष्म वतन के दर्शन भी केवल ड्रामा अनुसार, अनुभूति में आते हैं।


🔍 5. क्या सूक्ष्म वतन कोई विशेष स्थान है?

  • नहीं, सूक्ष्म वतन कोई “ऊपर” स्थित स्थान नहीं है।

  • यह आध्यात्मिक अनुभवों की अवस्था है, जो केवल ध्यान व योग से प्राप्त होती है।


✨ 6. ब्रह्म लोक = परमधाम = पूर्ण शांति की स्थिति

  • परमधाम को देखा नहीं जा सकता, उसे केवल अनुभव किया जा सकता है।

  • यह वह क्षेत्र है जहाँ आत्मा बिल्कुल हल्की, पूर्ण शक्तिशाली, शांति स्वरूप होती है।


🔚 निष्कर्ष: पद्मा पदम पति बनने की कुंजी

तो अब हम समझे —

  • हर कर्म को अकर्म बनाने का अर्थ है — श्रीमत पर चलना।

  • बाबा की याद से स्वयं को न्यारा-प्यारा बनाना।

  • गहरे ज्ञान और योग से ब्रह्म लोक और सूक्ष्म वतन का अनुभव करना।

“ओम शांति: कौन बनेगा पद्मा पदमपति? और ब्रह्मलोक व सूक्ष्म वतन का रहस्य”


❓प्रश्नोत्तर शैली: सरल, सटीक और YouTube फ्रेंडली


❓प्रश्न 1: ओम शांति का क्या अर्थ है?

✅ उत्तर:“ओम” आत्मा की पहचान है, और “शांति” आत्मा की स्वाभाविक अवस्था। जब हम कहते हैं “ओम शांति”, तो हम स्वयं को एक शांत, ज्योति बिंदु आत्मा के रूप में अनुभव करते हैं।


❓प्रश्न 2: पद्मा पदमपति कौन बनते हैं?

✅ उत्तर:जो आत्माएं भगवान शिव की श्रीमत पर चलते हुए हर कर्म को अकर्म बनाती हैं – यानी न्यारे-प्यारे बन, कमल फूल समान स्थित रहते हैं – वही आत्माएं पद्मा पदमपति बनती हैं। यह स्थिति तपस्या और बाप की याद से प्राप्त होती है।


❓प्रश्न 3: कर्म को अकर्म कैसे बनाया जा सकता है?

✅ उत्तर:जब हम हर कर्म को बाबा की श्रीमत पर चलते हुए, निरहंकारिता और योगयुक्त स्थिति से करते हैं, तब वह कर्म फल देने वाला नहीं होता – वह अकर्म बन जाता है। इसे ही कहा जाता है – कमल फूल समान रहना।


❓प्रश्न 4: ब्रह्मलोक और सूक्ष्म वतन क्या है? क्या यह कोई स्थान है?

✅ उत्तर:ब्रह्मलोक और सूक्ष्म वतन कोई स्थूल स्थान नहीं, बल्कि यह बहुत सूक्ष्म और दिव्य क्षेत्र हैं। ब्रह्मलोक वह जगह है जहां आत्माएं अपने मूल रूप में, ज्योति बिंदु स्वरूप में निवास करती हैं। सूक्ष्म वतन वह मध्यवर्ती क्षेत्र है जहां परमात्मा सूक्ष्म रूप से ब्रह्मा द्वारा अव्यक्त संदेश देते हैं।


❓प्रश्न 5: सूक्ष्म वतन कहां स्थित है?

✅ उत्तर:सूक्ष्म वतन आकाश तत्व से भी परे है। यह कोई भौतिक स्थान नहीं, बल्कि एक सूक्ष्म अनुभव की स्थिति है। यह स्थूल से परे और परमधाम से नीचे होता है, जहां आत्मा को दिव्य अनुभूति होती है।


❓प्रश्न 6: ब्रह्मलोक क्या है और वह कितना सूक्ष्म है?

✅ उत्तर:ब्रह्मलोक यानी परमधाम – वह स्थान जहां परमात्मा और आत्माएं रहती हैं। वह इतना सूक्ष्म है कि वहां आकाश भी नहीं है। यह बेहद है – अर्थात जिसका कोई अंत नहीं, और साथ ही इतना सूक्ष्म कि उससे छोटा कुछ हो ही नहीं सकता।


❓प्रश्न 7: क्या हम सूक्ष्म वतन या ब्रह्मलोक को देख सकते हैं?

✅ उत्तर:नहीं, हम उन्हें इन आंखों से नहीं देख सकते। ये देखने की नहीं, अनुभव की बातें हैं। परमात्मा हमें स्मृति दिलाते हैं, तब हम ध्यान और योग द्वारा इन सूक्ष्म लोकों की अनुभूति कर सकते हैं – जैसा सपना आता है, वैसा अनुभव होता है, लेकिन स्थूल रूप में कुछ नहीं होता।


❓प्रश्न 8: आत्मा को कैसे अनुभव किया जा सकता है?

✅ उत्तर:आत्मा कोई स्थूल वस्तु नहीं, वह एक ज्योति बिंदु है – एक चेतन शक्ति। आत्मा को देखना नहीं, उसे अनुभव करना होता है। जब आत्मा किसी शरीर (स्थूल या सूक्ष्म) का आधार लेती है, तभी हम उसे समझ पाते हैं।


❓प्रश्न 9: परमधाम का आकार कैसा है?

✅ उत्तर:परमधाम का कोई आकार नहीं होता। वह इतनी सूक्ष्म अवस्था है कि वहां कोई स्पेस, आकाश, दिशा – कुछ भी नहीं होता। यह “न सृष्टि में है, न सृष्टि से बाहर” – इतना सूक्ष्म है कि वहां हम केवल आत्मिक रूप में जा सकते हैं।


❓प्रश्न 10: हद और बेहद का क्या अंतर है?

✅ उत्तर:“हद” वह है जिसका कोई अंत है – जैसे 100, 99, 1 – सब सीमित। लेकिन “बेहद” वह है जिसका कोई अंत नहीं – जैसे परमधाम, परमात्मा, आत्मा की चेतना। परमधाम को समझने के लिए हमें बेहद की धारणा समझनी पड़ती है।


📌 अंतिम संदेश:“बाबा कहते हैं – बच्चे, मुझे याद करो, परंतु शरीर में रहकर नहीं, परमधाम में स्थित होकर। जब तुम बेहद की स्मृति में आ जाते हो, तब पद्मा पदमपति बनने की यात्रा आरंभ होती है।”

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