T.L.P 76″क्या सूक्ष्म शरीर से किए गए कर्मों का आत्मा पर प्रभाव पड़ता है
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
I. भूमिका (विषय का परिचय)
कर्म का सार और आत्मा पर उसका प्रभाव:
“आत्मा के कर्मों का प्रभाव इस संसार में बहुत महत्वपूर्ण है। आत्मा के कर्मों का प्रभाव इस संसार में बहुत महत्वपूर्ण है। आत्मा स्थूल शरीर में हो या सूक्ष्म शरीर में, उसके कर्मों का प्रभाव दिखता है। इस सिद्धांत को जानने से हम अपने कर्मों के प्रभाव को अच्छे से समझ सकते हैं।”
कर्म में ईश्वर की भूमिका:
“एक महत्वपूर्ण बात यह है कि परमात्मा के कर्मों का कोई प्रभाव नहीं होता। परमात्मा के कर्म निष्फल जाते हैं क्योंकि वह भोगता हैं। परमात्मा कोई भी कर्म नहीं करता, उसके कर्म उन्हें भोगना नहीं देते, क्योंकि वह इन सभी भौतिक गुणों से मुक्त होता है।”
द्वितीय. कर्म और आत्मा के बीच संबंध:
स्थूल शरीर में कर्म और आत्मा पर प्रभाव:
“जब आत्मा स्थूल शरीर में होती है, तो उसके बने कर्मों का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है। स्थूल शरीर से बने कर्मों का प्रभाव सीधे आत्मा की स्थिति और शक्ति पर होता है।”
कर्म और सूक्ष्म शरीर:
“लेकिन जब आत्मा सूक्ष्म शरीर में होता है, तब भी उसके कर्मों का गहरा प्रभाव होता है। उदाहरण के तौर पर, ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म शरीर में दिव्यता और चमक दिखाई देती है।
तृतीय. ब्रह्मा बाबा का उदाहरण (ब्रह्मा बाबा का उदाहरण)
ब्रह्मा बाबा का परिवर्तन:
“साकार ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने के बाद भी उनके सूक्ष्म शरीर में दिव्यता और तेजस्विता के रूप में देखा गया। यह उनके कर्मों का प्रभाव था जो सूक्ष्म शरीर में स्पष्ट रूप से दिखता था।”
सकाशी भाव और परिवर्तन:
“पहले की तुलना में बाबा का रूप और स्थिति अधिक साक्षी भाव वाली हो गई थी, और यह सूक्ष्म सूक्ष्म शरीर में प्रयुक्त कर्मों का ही परिणाम था।”
चतुर्थ. निष्कर्ष (निष्कर्ष):
कर्म के प्रभाव की अपरिहार्यता:
“हर आत्मा अपने कर्मों का फल स्पष्ट रूप से बताती है, सूक्ष्म शरीर से निकले कर्मों का प्रभाव आत्मा पर होता है।
दोनों शरीरों पर कर्म का प्रभाव (स्थूल और सूक्ष्म):
“कर्म के परिणाम से कोई भी आत्मा बच नहीं सकती, वह ज्ञानी हो या अज्ञानी। जो आत्मा श्रीमत के आधार पर कर्म करती है, उसका परिणाम भी श्रीमत के रूप में होता है। सूक्ष्म वतन में भी आत्मा वही कर्म करती है जो श्रीमत के आधार पर होता है।”
वी. समापन विचार:
कर्म और उसके प्रभाव पर अंतिम चिंतन:
“अंत में, यह आवश्यक है कि हम सूक्ष्म शरीर में या सूक्ष्म शरीर में, हमारे हर कर्म का प्रभाव हमारी आत्मा पर आधारित है। और जो आत्मा कर्म के सिद्धांत को समझकर, श्रीमत के आधार पर जीवन की पहचान है, वह अपने कर्मों के फल को सकारात्मक रूप में प्रदर्शित करता है।”
समापन प्रार्थना:
“आइए हम सब यह प्रार्थना करें कि हम अपने कर्मों को प्राप्त करें और सही मार्ग पर चलें, ताकि हम अपनी आत्मा के स्वरूप में दिव्यता और शक्ति को मजबूत कर सकें। शांति ओम।”
🌸 “ओम शांति: कौन बनेगा पद्मा पदम पति?”
🧘♂️ आज का विषय:“क्या सूक्ष्म शरीर से किए गए कर्मों का आत्मा पर प्रभाव पड़ता है?”
❓ प्रश्न 1:क्या आत्मा सूक्ष्म शरीर से भी कर्म करती है?
✅ उत्तर:हाँ, आत्मा चाहे स्थूल शरीर में हो या सूक्ष्म शरीर में, वह कर्म अवश्य करती है। जैसे स्थूल शरीर में बोलना, चलना, खाना ये कर्म हैं, वैसे ही सूक्ष्म शरीर में भी आत्मा संकल्प, दृष्टि, संकल्प द्वारा सेवा आदि करती है।
❓ प्रश्न 2:क्या सूक्ष्म शरीर से किए गए कर्मों का आत्मा पर प्रभाव पड़ता है?
✅ उत्तर:बिलकुल! आत्मा जब सूक्ष्म शरीर से कोई कर्म करती है, तो उसका प्रभाव आत्मा की शक्ति, स्वरूप और प्रकाश पर पड़ता है। जैसे ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त स्वरूप में भी दिव्यता निरंतर बढ़ती गई — यह प्रमाण है कि सूक्ष्म शरीर से कर्म आत्मा पर असर डालते हैं।
❓ प्रश्न 3:क्या परमात्मा पर भी कर्मों का प्रभाव पड़ता है?
✅ उत्तर:नहीं। परमात्मा “अभोक्ता” हैं — वह कोई भी कर्म करें, चाहे सूक्ष्म या स्थूल माध्यम से, उस पर कोई कर्म का फल नहीं लगता। क्योंकि वे “कर्मातीत” हैं, यानी कर्म के फल से परे हैं। वे शरीर का प्रयोग तो करते हैं, लेकिन शरीर को भोगते नहीं, इसलिए कर्म उन्हें लपेटता नहीं।
❓ प्रश्न 4:अगर सूक्ष्म शरीर से किसी आत्मा ने दुख या सुख दिया, तो क्या वह भी कर्म का हिस्सा है?
✅ उत्तर:हाँ, वह भी कर्म है। चाहे वह सूक्ष्म रूप से संकल्प द्वारा किसी को दुख या सुख दे, यह भी आत्मा के “कार्मिक अकाउंट” का भाग होता है। इसलिए सूक्ष्म रूप से भी सेवा या प्रतिक्रिया करते समय सतर्क रहना चाहिए।
❓ प्रश्न 5:ब्रह्मा बाबा के सूक्ष्म वतन के अनुभव से क्या सिद्ध होता है?
✅ उत्तर:अनेक संदेशियों ने बताया कि ब्रह्मा बाबा के सूक्ष्म स्वरूप में पहले की अपेक्षा अधिक तेज, प्रकाश और दिव्यता देखी गई। इसका अर्थ है कि सूक्ष्म शरीर में भी आत्मा सेवा और पुरुषार्थ के द्वारा आगे बढ़ती है और उसका प्रभाव उसके स्वरूप पर पड़ता है।
❓ प्रश्न 6:क्या ज्ञानी आत्मा और अज्ञानी आत्मा के कर्मों का परिणाम अलग होता है?
✅ उत्तर:कर्मों का फल तो सभी को मिलता है, चाहे ज्ञानी हो या अज्ञानी। लेकिन ज्ञानी आत्मा श्रीमत पर चलकर कर्म करती है, जिससे उसके कर्म श्रेष्ठ बनते हैं और उसके फल भी सुखद होते हैं। अज्ञानी आत्मा श्रीमत के अभाव में कर्म कर सकती है, जिससे कष्टकारी फल भोगने पड़ते हैं।
❓ प्रश्न 7:क्या परमात्मा हमें केवल रूहानी आनंद का अनुभव कराते हैं?
✅ उत्तर:हाँ, परमात्मा किसी को न तो सुख देते हैं, न दुख। वे आत्मिक दृष्टि और ज्ञान के माध्यम से केवल रूहानी आनंद का अनुभव कराते हैं। यदि कोई शरीर समझकर ले रहा है, तो वह आत्मा की अपनी सोच है।
❓ प्रश्न 8:सूक्ष्म शरीर में सेवा करने का क्या अर्थ है?
✅ उत्तर:अव्यक्त ब्रह्मा बाबा अभी भी सूक्ष्म वतन से “सकाश” अर्थात दूर से शक्ति-संचार द्वारा सेवा कर रहे हैं। वे हर आत्मा को देख रहे हैं, मार्गदर्शन दे रहे हैं, लेकिन अब साकार का पार्ट पूरा हो चुका है। इसलिए अब वो सेवा अव्यक्त रूप से करते हैं।
🧾 निष्कर्ष:हर आत्मा को अपने कर्मों का फल अवश्य मिलता है — चाहे वह स्थूल शरीर में हो या सूक्ष्म शरीर में। सिर्फ परमात्मा ही एकमात्र आत्मा हैं जिन पर कर्मों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि वे अभोक्ता और कर्मातीत हैं।
तो पद्मा पदम पति वही बनता है जो श्रीमत के आधार पर हर क्षण श्रेष्ठ कर्म करता है — स्थूल से भी और सूक्ष्म से भी।
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