T.L.P 75 “त्रिमूर्ति चित्र का यथार्थ त्रिमूर्ति के चित्र के संदर्भ में बाबा ने
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
🪔 प्रस्तावना
“ओम शांति। आज हम बाबा द्वारा स्पष्ट किए गए त्रिमूर्ति चित्र के वास्तविक अर्थ को समझने का प्रयास करेंगे। इस चित्र में क्या सही है, क्या प्रतीक है, और किस प्रकार से बाबा ने चित्रों के माध्यम से ज्ञान की गहराई हमें दी है – इस पर आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे।”
🛕 1. त्रिमूर्ति चित्र में दिखाया गया क्रम – क्या और क्यों?
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भक्ति मार्ग में त्रिमूर्ति को ब्रह्मा–विष्णु–शंकर के क्रम में दिखाया गया।
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इसी क्रम में GOD शब्द भी गढ़ा गया – Generator (Brahma), Operator (Vishnu), Destroyer (Shankar)।
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परंतु बाबा ने इस क्रम को स्पष्ट रूप से करेक्शन किया है –
👉 पहले ब्रह्मा द्वारा स्थापना,
👉 फिर शंकर द्वारा विनाश,
👉 और अंत में विष्णु द्वारा पालना।
🌟 2. क्यों विष्णु को बीच में दिखाया गया है?
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शोभा और सौंदर्य की दृष्टि से विष्णु का चित्र बीच में रखा गया।
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परंतु बाबा कहते हैं: “Reality में विष्णु का स्थान अंत में होता है।”
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क्योंकि पालना का कार्य तब शुरू होता है जब आसुरी संस्कारों का विनाश हो चुका हो।
🧘♂️ 3. त्रिमूर्ति के चित्र में एक ही चेहरा – क्यों?
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माउंट आबू के हिस्ट्री हॉल में रखे गए त्रिमूर्ति चित्र में –
तीनों रूपों (ब्रह्मा, विष्णु, शंकर) का चेहरा ब्र. बाबा (दादा लेखराज जी) का है। -
क्योंकि ब्रह्मा की आत्मा ही तीनों कार्यों को करती है –
✔️ स्थापना, ✔️ विनाश का आधार, ✔️ पालना का बीज।
🔮 4. बाबा द्वारा चित्रों में करेक्शन का उद्देश्य
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बाबा स्वयं चित्रों के correction करवाते थे,
ताकि ज्ञान के अनुसार यथार्थता बनी रहे। -
बाबा ने कहा:
“यह चित्र तो सिर्फ समझाने के लिए हैं, सच्चाई इससे अलग है।“
🌍 5. चित्र एक माध्यम हैं – सच्चाई गहराई में है
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जैसे स्कूल में नक़्शा उत्तर को ऊपर और दक्षिण को नीचे दिखाता है –
वैसे ही त्रिमूर्ति का चित्र भी प्रतीकात्मक है। -
चित्रों में शिव बाबा को स्थान मिला –
जबकि दुनिया के चित्रों में शिव नहीं होता। -
यह बड़ा अंतर है – BK ज्ञान में परमात्मा का स्थान केंद्र में है।
💫 6. सूक्ष्म वतन और त्रिमूर्ति – सत्यता क्या है?
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सूक्ष्म वतन में कोई ब्रह्मा, विष्णु, शंकर वास्तव में नहीं हैं।
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केवल ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म रूप (अव्यक्त रूप) कार्य करता है।
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बाबा ने स्पष्ट किया कि:
“आत्मा सूक्ष्म या स्थूल शरीर में ही कार्य कर सकती है।“
“सूक्ष्म वतन का प्रयोग आत्मिक साक्षात्कार के लिए होता है, कार्य के लिए नहीं।“
🪔 7. आत्माओं का सिजरा और चित्रों में परिवर्तन
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आत्माओं का झाड़ (सिजरा) एक प्रतीकात्मक माध्यम है।
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पहले शिव, फिर ब्रह्मा-विष्णु-शंकर, फिर लक्ष्मी-नारायण आदि।
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तीन बिंदियाँ भी चित्र में समझाने के लिए रखी गईं।
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समय अनुसार चित्रों में भी बदलाव होता रहेगा, जैसे:
“छोटे-छोटे बिंदुओं से आत्माओं का झाड़ दिखाना।”
🧠 8. ज्ञान समय अनुसार प्रकट होता है
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बाबा ने कहा:
“पूरा ज्ञान एक साथ नहीं दिया जाता – समय के अनुसार दिया जाता है।”
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इसलिए चित्र भी समय अनुसार बदलते रहते हैं।
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अगर सब कुछ पहले ही बता दिया जाए, तो ड्रामा कृत्रिम बन जाएगा।
✅ निष्कर्ष (Conclusion)
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त्रिमूर्ति का चित्र एक गहरा और प्रतीकात्मक ज्ञान देता है।
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विष्णु को बीच में दिखाना सिर्फ समझाने की सुविधा के लिए है, वास्तविकता में नहीं।
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चित्रों के पीछे की रुहानी सच्चाई को समझना ही सच्चा ज्ञान है।
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बाबा ने हर चीज को यथार्थ और प्रतीकात्मक रूप से हमें ज्ञान द्वारा स्पष्ट किया है।
🔔 अंतिम संदेश
“बाबा कहते हैं – बच्चे, चित्र साधन हैं, पर सच्चा चित्र तुम्हारी आत्मा में अंकित होता है। इसलिए ज्ञान को जीवन में उतारो, समझने के बाद बनने की यात्रा शुरू करो।”
🪔 ओम शांति: “त्रिमूर्ति चित्र का यथार्थ” – ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की भूमिका और चित्रों की गहराई से समझ
❓प्रश्न 1: त्रिमूर्ति चित्र में विष्णु को बीच में क्यों दिखाया जाता है, जबकि बाबा कहते हैं कि विष्णु का चित्र अंत में होना चाहिए?
✅ उत्तर:बाबा ने स्पष्ट किया है कि वास्तविकता में विष्णु का कार्य पालना का होता है, जो स्थापना और विनाश के बाद आता है।
परंतु चित्रों में विष्णु को बीच में इसलिए दिखाया गया है क्योंकि दर्शनीयता और समझाने की सुविधा को प्राथमिकता दी गई।
जैसे विश्व का नक्शा समझाने के लिए उत्तर को ऊपर और दक्षिण को नीचे दिखाते हैं, वैसे ही यहाँ भी समझाने की विधि अपनाई गई।
❓प्रश्न 2: त्रिमूर्ति चित्र में तीनों का चेहरा एक ही क्यों है?
✅ उत्तर:बाबा ने बताया है कि तीनों रूपों—ब्रह्मा, विष्णु, शंकर—का कार्य ब्रह्मा बाबा की आत्मा द्वारा होता है।
इसलिए माउंट आबू के हिस्ट्री हॉल में जो त्रिमूर्ति चित्र है उसमें तीनों का चेहरा ब्रह्मा बाबा का ही दिखाया गया है।
यह संकेत है कि एक ही आत्मा तीनों मुख्य कर्तव्यों को निभाती है — स्थापना, विनाश और पालना।
❓प्रश्न 3: त्रिमूर्ति का वास्तविक सीक्वेंस क्या है जो परमात्मा ने बताया है?
✅ उत्तर:परमात्मा शिव बाबा ने सटीक क्रम बताया है:
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ब्रह्मा द्वारा स्थापना (देवी गुणों की स्थापना)
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शंकर द्वारा विनाश (आसुरी संस्कारों का विनाश)
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विष्णु द्वारा पालना (देवीगुणों की पालना)
यह क्रम भक्ति मार्ग के विपरीत है, जहाँ लोग मानते हैं:
विष्णु → ब्रह्मा → शंकर, परंतु यह केवल लोकिक दृष्टिकोण है।
❓प्रश्न 4: त्रिमूर्ति चित्र और भक्ति मार्ग के चित्रों में मुख्य अंतर क्या है?
✅ उत्तर:भक्ति मार्ग के चित्रों में शिव बाबा दिखाई नहीं देते, केवल ब्रह्मा, विष्णु, शंकर दिखाए जाते हैं।
परंतु हमारे बाबा द्वारा बनाए गए चित्रों में शिव बाबा को स्पष्ट रूप से दिखाया जाता है, क्योंकि कार्य वही करवाते हैं।
इसलिए बाबा कहते हैं कि शिव ही परमात्मा हैं, और कार्य त्रिमूर्ति के माध्यम से कराते हैं।
❓प्रश्न 5: सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की कोई देह है?
✅ उत्तर:बिलकुल नहीं। बाबा ने स्पष्ट किया है कि सूक्ष्म वतन कोई वास्तविक स्थान नहीं, बल्कि आकारी दुनिया का अनुभवात्मक क्षेत्र है।
वहां कोई स्थूल देह नहीं होती, न ही तीनों देवताओं की वास्तविक देह होती है।
त्रिमूर्ति के चित्र केवल प्रतीकात्मक हैं, जो समझाने के लिए बनाए गए हैं।
❓प्रश्न 6: आत्माओं के झाड़ और त्रिमूर्ति के चित्रों में समय के साथ क्या परिवर्तन होता है?
✅ उत्तर:ज्ञान समय के अनुसार स्पष्ट होता जाता है, इसलिए चित्रों में भी परिवर्तन होते हैं।
जैसे पहले तीन बिंदियां (ब्रह्मा, विष्णु, शंकर) दिखाई जाती थीं, अब ज्ञान अनुसार उन्हें प्रतीकात्मक माना जाता है।
बाबा ने कहा है कि आत्माओं का सिजरा (रूहानी वंशावली) चित्र के रूप में दर्शाया जाएगा, लेकिन वह वास्तविकता से थोड़ा भिन्न होगा, जैसे नक्शा वास्तविक धरती से अलग होता है।
❓प्रश्न 7: क्या आत्मा शरीर के किसी खास हिस्से से निकलती है? जैसे आंख, कान या नीचे से?
✅ उत्तर:बिलकुल नहीं। बाबा ने मुरलियों में कहा है कि आत्मा शरीर से निकलने के लिए किसी खास सुराख की मोहताज नहीं होती।
आत्मा एक सूक्ष्म शक्ति है, और वह शरीर छोड़ती है अपने कर्म और ड्रामा अनुसार — न ऊपर से न नीचे से, बल्कि एक सहज प्रक्रिया से।
❓प्रश्न 8: त्रिमूर्ति चित्रों को क्यों रखा गया है, जब उनकी वास्तविकता कुछ और है?
✅ उत्तर:बाबा ने यह चित्र नई आत्माओं को समझाने के लिए बनाए हैं।
ये चित्र स्कूल की मैप की तरह हैं — जो बच्चों को समझ में आए, उसके लिए प्रतीकात्मक रूप से उपयोग किया जाता है।
परंतु जैसे-जैसे आत्मा गहराई से ज्ञान को समझती है, उसे इन चित्रों की आंतरिक सच्चाई का बोध हो जाता है।
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