सतयुग-(34) सतयुग जहाँ न अपराध है न बीमारी
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
सतयुग जहाँ न अपराध है न बीमारी
सतयुग में कोई जेल, कोर्ट-कचहरी, जज वकील आदि नहीं होंगे। क्योंकि कोई भी क्रिमिनल काम वहाँ नहीं होते हैं। सभी सिविलाइज्ड हैं। वहाँ न कोई बीमारियां हैं, न हॉस्पिटल हैं, न कोई डॉक्टर्स हैं।
- सतयुग:
पूर्ण पवित्रता और दिव्यता का युग
सतयुग को स्वर्णिम युग, सत्य की दुनिया और सुखधाम कहा जाता है।
यह वह समय है जब हर आत्मा दिव्य, पवित्र और सतोप्रधान होती है।
🌟 जहाँ आत्मा प्योर है,वहाँ कर्म भी प्योर और श्रेष्ठ होते हैं।
- क्यों नहीं होते कोर्ट, कचहरी और जेल?
सतयुग में कोई भी क्रिमिनल कार्य होता ही नहीं।
✅ वहाँ चोरी, झूठ, धोखा, हत्या, झगड़ा — ये सब चीज़ें होती ही नहीं।
तो स्वाभाविक है:
❌ कोई पुलिस नहीं
❌ कोई कोर्ट या जज नहीं
❌ कोई वकील या केस नहीं
❌ कोई जेल भी नहीं
सभी आत्माएँ धर्मात्मा हैं —धर्मानुसार चलते हैं, इसलिए व्यर्थ कोई दंड की व्यवस्था नहीं।
- क्यों नहीं होते हॉस्पिटल और डॉक्टर?सतयुग में:
✅ आत्मा सतोप्रधान होती है
✅ शरीर निरोगी और दिव्य होता है
कोई रोग नहीं,कोई बीमारी नहीं,कोई मानसिक तनाव नहीं।इसलिए वहाँ:
❌ कोई हॉस्पिटल नहीं
❌ कोई डॉक्टर्स नहीं
❌ कोई दवाइयां नहीं
देवताओं का शरीर स्वर्ण के समान शुद्ध होता है।
एवरहेल्दी जीवन ही उनका स्वाभाव होता है।
- सब आत्माएँ सिविलाइज्ड और शांतस्वभावी
सतयुग में सभी आत्माएँ:पूर्ण सिविलाइज्डश्रेष्ठ आचरण वाली शान्ति और प्रेम से भरपूर होती हैं
वे न तो किसी को दुःख देते हैं,और न ही किसी से दुःख लेते हैं।इसलिए सतयुग में कोई कानूनी व्यवस्था की आवश्यकता ही नहीं होती।
- शासकीय व्यवस्था भी दिव्य राजा-रानी स्वयं धार्मिक और मर्यादित होते हैं।उनकी प्रजा भी उनके जैसे ही श्रेष्ठ चरित्र वाली होती है।
सतयुग की गवर्नेंस: प्रेम आधारित,मर्यादा आधारित,धर्म आधारित
- आज का पुरुषार्थ — कल का स्वर्ण युग
आज हम संगम युग पर हैं — जहाँ भगवान हमें फिर से सतयुग जैसा संसार बनाने की तैयारी करवा रहे हैं।
✨ पवित्रता,
✨ योगबल,
✨ श्रीमत —
इन तीनों से हम आत्मा को फिर से सतोप्रधान बना रहे हैं।ताकि कल जब हम सतयुग में जन्म लें,तो हमारा भी जीवन हो — बिना कोर्ट, हॉस्पिटल, या दुःख के।
📘 शीर्षक: सतयुग — जहाँ न अपराध है, न बीमारी