D.P 97 “ड्रामा बीती हुई बात पर ही लागू होता है या भूत-वर्तमान-भविष्य तीनों कालों पर ?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
आज का गूढ़ पदम है: “ड्रामा बीती हुई बात पर लागू होता है।”
लेकिन क्या यह वाक्य पूरा सत्य है?
क्या ड्रामा केवल बीती बातों पर ही लागू होता है या भूत, वर्तमान और भविष्य – तीनों कालों पर लागू होता है?
आइए इस विषय को आज गहराई से समझते हैं…
🔄 1. ड्रामा का कालचक्र और उसकी निरंतरता
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ड्रामा यानी विश्व नाटक – यह कोई साधारण स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि अनादि और अविनाशी चक्र है।
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यह चक्र लगातार, हूबहू दोहराया जाता है। जो आज वर्तमान है, वह कल भूतकाल बन जाएगा, और जो भूतकाल था, वह भविष्य में फिर से वर्तमान बनेगा।
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उदाहरण: अगर अभी दोपहर 1 बजे हैं, तो आगे फिर एक बजेगा।
समय रुकता नहीं – यह निरंतर साइकल में चलता है।
Main Point:
ड्रामा सिर्फ बीते समय पर नहीं, हर सेकंड, हर पल पर लागू होता है – भूत, वर्तमान और भविष्य – तीनों पर।
🔁 2. ड्रामा में “नथिंग न्यू” और “एवरीथिंग न्यू” दोनों सच हैं
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हर साल वही घटनाएँ दोहराई जाती हैं – इस दृष्टि से “Nothing New”।
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लेकिन हर राउंड में वह घटना नए रूप, नई अनुभूति और नई आत्मा के दृष्टिकोण से घटती है – इसलिए “Everything New in Every Cycle”।
“Nothing new after years, but everything new in years.”
🤝 3. पुरुषार्थ और ड्रामा – क्या पार्ट बदला जा सकता है?
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ड्रामा फिक्स है, लेकिन हमारी प्रतिक्रिया और दृष्टिकोण बदल सकता है।
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घटनाओं को नहीं बदल सकते, लेकिन उनका अनुभव कैसा हो, वह हमारे पुरुषार्थ पर निर्भर करता है।
उदाहरण:
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एक आत्मा प्रिय जन की मृत्यु पर विलाप कर सकती है,
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वहीं कोई ब्रह्मा कुमार/कुमारी गीत चला कर ड्रामा को सेलिब्रेट कर सकता है।
“ड्रामा को छोड़ो मत, ड्रामा के अनुसार एंजॉय करो।”
🔥 4. होनी और अनहोनी – दोनों घटनाएँ होती हैं, पर फ़र्क दृष्टिकोण में है
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होनी: जो निश्चित है – उसे कोई नहीं बदल सकता।
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अनहोनी: जो घटने जैसी लगती है, पर संकल्प से बदल सकती है।
उदाहरण:
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अगर आपने संकल्प से परिस्थिति को टाल दिया, तो वो होनी नहीं थी – अनहोनी थी।
क्लासिक मुरली लाइन:
“Events cannot be changed, but our attitude towards them can be changed.”
🎭 5. प्रेजेंट ही असली शक्ति है – “यह सेकंड” आपका है
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भविष्य अभी आया नहीं, भूतकाल जा चुका।
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केवल वर्तमान सेकंड – यही है जो आपके पुरुषार्थ का मैदान है।
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इस सेकंड में आत्मिक स्थिति बनाएंगे, तो अगला सेकंड और अच्छा होगा।
“यह सेकंड मेरा है – इसे सर्वश्रेष्ठ बनाना ही मेरा पुरुषार्थ है।”
🧘♂️ 6. श्रीमत – ड्रामा के अंदर परमात्मा की चालाकी
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श्रीमत पर चलने का अर्थ है – हर परिस्थिति में स्थिर और अचल रहना।
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यदि कर्म सफल ना भी हुआ, पर आपने श्रीमत पर चले, तो कर्म फल शुभ है।
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हमें रिजल्ट से नहीं, राइट एक्शन से बंधन है।
🔥 7. संकल्प ही शक्ति है – “जलते हाथ” भी संकल्प से सहन हो सकते हैं
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स्वतंत्रता सेनानी, भक्त, तपस्वी – सब ने दिखाया कि शरीर जल सकता है,
लेकिन आत्मा के संकल्प को कोई नहीं जला सकता।
“मुझे यह अग्नि नहीं जला सकती” – यह संकल्प हो, तो वह सीन भी तपस्या बन सकता है।
📿 8. ड्रामा कल्याणकारी है – फिर क्यों रोना?
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बाबा ने कहा – कोई दुख नहीं दे सकता।
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दुख तब आता है जब हम उसे “मेरा” समझ बैठते हैं।
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जब यह शरीर भी “बाबा का” है, तो किस बात का डर?
नायक बनें, दर्शक नहीं।
हर सीन में, चाहे वह कितना भी कठोर क्यों ना हो –
“ड्रामा इज ग्रेट।”
“एंजॉय एवरी सीन।”
“बाबा का पार्ट ग्रेटेस्ट है – मेरा भी।”
📘 निष्कर्ष:
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ड्रामा बीती हुई बात पर ही नहीं,
वह हर सेकंड, हर क्षण, तीनों कालों में लागू होता है। -
घटना नहीं बदलती, हम बदल सकते हैं।
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प्रेजेंट ही पुरुषार्थ का समय है।
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श्रीमत पर चलकर, हर सीन को सत्संग बनाएं।
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🌀 आज का गूढ़ पदम: “ड्रामा बीती हुई बात पर लागू होता है।” लेकिन क्या यह वाक्य पूरा सत्य है?
आइए इस विषय को प्रश्नोत्तर शैली में गहराई से समझें…
❓ प्रश्न 1: क्या ड्रामा केवल भूतकाल पर ही लागू होता है?
✅ उत्तर: नहीं, ड्रामा भूत, वर्तमान और भविष्य – तीनों कालों पर लागू होता है।
यह एक अनादि, अविनाशी और निरंतर दोहराव वाला चक्र है।
जैसे समय रुकता नहीं – वैसे ही ड्रामा भी हर सेकंड में चल रहा है।🕒 उदाहरण: अगर अभी दोपहर 1 बजे हैं, तो आगे भी फिर एक बजेगा – यह समय की तरह दोहराव है।
❓ प्रश्न 2: फिर “ड्रामा बीती हुई बात पर लागू होता है” – इस वाक्य का क्या अर्थ है?
✅ उत्तर: इसका अर्थ है कि जो घटना घट चुकी है, वह परिवर्तनीय नहीं है – वह ड्रामा में पहले से ही फिक्स थी।
परंतु, इसका यह मतलब नहीं कि ड्रामा सिर्फ बीते समय पर ही लागू होता है।
ड्रामा हर समय सक्रिय है – बीता, वर्तमान और आने वाला – सब पहले से ही निश्चित है।
❓ प्रश्न 3: अगर ड्रामा फिक्स है, तो पुरुषार्थ का क्या मूल्य है?
✅ उत्तर: ड्रामा में घटनाएँ फिक्स हैं, परंतु हमारा दृष्टिकोण और प्रतिक्रिया – यह हमारा पुरुषार्थ है।
हम परिस्थिति को नहीं, पर उस पर अपनी आत्मिक स्थिति और अनुभव को जरूर बदल सकते हैं।🎵 उदाहरण:
किसी की मृत्यु पर कोई रोता है, तो कोई “ड्रामा इज ग्रेट” गाकर, आत्मा की यात्रा को समझकर शांत रहता है।
❓ प्रश्न 4: “Nothing New” और “Everything New” – ये दोनों कैसे सही हो सकते हैं?
✅ उत्तर:
हर कल्प वही घटनाएँ दोहरती हैं – इसलिए “Nothing New”.
लेकिन हर कल्प में आत्माएँ, परिस्थितियाँ और अनुभव की गहराई बदलती है – इसलिए “Everything New”.🌀 Beautiful line:
“Nothing new after years, but everything new in years.”
❓ प्रश्न 5: क्या होनी और अनहोनी भी ड्रामा के सिद्धांत में आती है?
✅ उत्तर: हाँ।
होनी – जो निश्चित है, वह होकर रहेगा।
अनहोनी – जो हमारे संकल्प, स्थिति या श्रीमत से टल सकती है।🧠 उदाहरण: अगर आत्मा के संकल्प से संकट टल गया, तो वह अनहोनी थी – ड्रामा में यह भी फिक्स था कि यह टलेगा।
❓ प्रश्न 6: क्या केवल प्रेज़ेंट ही हमारे हाथ में है?
✅ उत्तर: हाँ।
भविष्य अभी आया नहीं, भूतकाल जा चुका।
केवल यह सेकंड – यही हमारा असली पुरुषार्थ का मैदान है।🕉️ मूल मंत्र:
“यह सेकंड मेरा है – इसे सर्वश्रेष्ठ बनाना ही मेरा पुरुषार्थ है।”
❓ प्रश्न 7: श्रीमत का ड्रामा से क्या संबंध है?
✅ उत्तर: श्रीमत यानी परमात्मा की बुद्धिमत्ता – वह हमें हर सीन में “राइट एक्शन” करने की दिशा देती है।
फल क्या होगा, वह ड्रामा पर निर्भर है – लेकिन कर्म सही है तो फल हमेशा कल्याणकारी होगा।📘 मुरली वाक्य:
“फल नहीं देखो, कर्म सही करो – वही तुम्हारी विजय है।”
❓ प्रश्न 8: क्या संकल्प से दर्द या अग्नि को भी सहन किया जा सकता है?
✅ उत्तर: हाँ।
संकल्प की शक्ति से शरीर की पीड़ा को भी आत्मा पार कर सकती है।
तपस्वियों, स्वतंत्रता सेनानियों और भक्तों ने इसे प्रमाणित किया है।🔥 उदाहरण:
“यह अग्नि मुझे नहीं जला सकती” – यदि यह संकल्प पक्का हो, तो सीन भी तपस्या बन जाता है।
❓ प्रश्न 9: अगर ड्रामा कल्याणकारी है, तो फिर दुख क्यों लगता है?
✅ उत्तर: जब हम सीन को “मेरा” मान लेते हैं, तब दुख होता है।
जब समझते हैं कि यह सब “बाबा का” है और ड्रामा ग्रेट है – तब वह सीन भी कल्याणकारी लगता है।🌟 उपसंहार वाक्य:
“मैं नायक हूँ, दर्शक नहीं।
हर सीन को एंजॉय करना ही ड्रामा की सच्ची समझ है।”
📘 निष्कर्ष:
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ड्रामा सिर्फ बीती बातों पर नहीं, हर क्षण, हर काल पर लागू होता है।
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घटनाएँ नहीं बदलतीं, हमारी प्रतिक्रिया बदल सकती है।
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पुरुषार्थ का समय केवल वर्तमान सेकंड है।
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श्रीमत ही हमें ड्रामा को जीतने वाला बनाती है।
🎭 ड्रामा इज ग्रेट।
हर सीन में बाबा ग्रेट, मैं ग्रेट।
एंजॉय एवरी सीन। -
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