Drama-padma (110) “How is the 5000 year cycle of creation calculated?” The beginning and end of a kalpa

D.P 110 “5000 वर्ष के सृष्टि -चक्र की गणना कैसे होती है ?” कल्प का आदि और अंत

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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ओम शांति – 5000 वर्ष के सृष्टि चक्र की गणना और कल्प का आदि-अंत


प्रस्तावना

नमस्कार सभी को,
आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण और रहस्यमयी विषय पर चर्चा करेंगे — सृष्टि चक्र की गणना, यानी 5000 वर्षों का सृष्टि चक्र कैसे चलता है, कल्प का आदि और अंत कैसे तय होता है, और यह सब संगम के साथ कैसे जुड़ा है।


1. सृष्टि चक्र: एक निश्चित और पुनरावृत्ति होने वाला नाटक

  • सृष्टि चक्र एक निश्चित और बार-बार होने वाला नाटक है।

  • इसमें चार युग होते हैं — सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग।

  • यह चक्र अचल, अविनाशी और नियोजित तरीके से चलता रहता है।

  • लेकिन इस चक्र का आरंभ और अंत किस आधार पर तय होता है? यही आज हम समझेंगे।


2. कल्प की गणना का केंद्र बिंदु: आत्माओं का आगमन और प्रस्थान

  • कल्प की शुरुआत तब मानी जाती है जब आत्माएं परमधाम से आना शुरू करती हैं।

  • कल्प का अंत तब होता है जब आत्माएं वापस परमधाम चली जाती हैं।

  • ब्रह्मा बाबा की आत्मा परमधाम से आकर श्री कृष्ण के रूप में गर्भ में प्रवेश करती है — इसी से नया कल्प आरंभ होता है।

  • कृष्ण के जन्म से ही 5000 वर्ष का सृष्टि चक्र शुरू माना जाता है।


3. कृष्ण का जन्म और कल्प की शुरुआत

  • कृष्ण की आत्मा गर्भ में प्रवेश करते ही कल्प की गणना शुरू हो जाती है, जन्म लेने पर नहीं।

  • नारायण और कृष्ण में अंतर है; नारायण से कृष्ण के 5000 वर्ष शुरू होते हैं।

  • कृष्ण की आत्मा अपने शरीर को सुरक्षित रख कर परमधाम जाती है और बाद में वापस आकर उस शरीर को पहनकर खड़ी हो जाती है — यही कल्प का अंत और नया आरंभ है।


4. सृष्टि चक्र का ऐतिहासिक दृष्टिकोण

  • साकार बाबा के अनुसार, 5000 वर्षों का सृष्टि चक्र आधा कल्प है।

  • क्राइस्ट के 2000 वर्ष, बुद्ध के 2250 वर्ष, इस्लाम के 2500 वर्ष मिलाकर आधा कल्प होता है।

  • सतयुग और त्रेतायुग में देवताओं का स्वराज्य था, भारत में सनातन देवी-देवता धर्म था।


5. कल्प का आरंभ: स्वर्णिम युग की स्थापना

  • श्री कृष्ण के जन्म के साथ नया कल्प शुरू होता है।

  • यह सतयुग की शुरुआत है, जहां पूर्ण पवित्रता, सुख और वैभव होता है।

  • 5000 वर्षों में यह चक्र पूरा होता है और फिर पुनरावृत्ति होती है।


6. कल्प का अंत: पुनः परमधाम की यात्रा

  • जब सृष्टि का अंत होता है, तब आत्माएं कर्म के अनुसार वापस परमधाम चली जाती हैं।

  • फिर आत्माएं क्रम से पुनः सृष्टि में प्रवेश करती हैं।

  • यह चक्र अनादि और अविनाशी सत्य है।


निष्कर्ष

  • सृष्टि चक्र की गणना आत्माओं के आने और जाने के बिंदु पर आधारित है।

  • कल्प श्री कृष्ण के जन्म से शुरू होता है और ब्रह्मा बाबा के परमधाम लौटने पर समाप्त होता है।

  • यह गणना निश्चित और वैज्ञानिक रूप से व्यवस्थित है, जिसे केवल ईश्वरीय ज्ञान से ही समझा जा सकता है।


समापन

आशा है कि यह विषय आपके लिए स्पष्ट और रोचक रहा होगा।
अधिक विस्तार से जानने के लिए प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के किसी भी सेवा केंद्र से संपर्क करें।
यदि आपके कोई प्रश्न हों, तो आप टेलीग्राम पर भी हमसे जुड़ सकते हैं।

प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: सृष्टि चक्र क्या है और इसमें कौन-कौन से युग आते हैं?
उत्तर:सृष्टि चक्र एक निश्चित और पुनरावृत्ति होने वाला दिव्य नाटक है जिसमें चार युग आते हैं — सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। यह चक्र लगातार चलता रहता है और कभी नहीं रुकता।


प्रश्न 2: 5000 वर्ष का सृष्टि चक्र कब शुरू होता है?
उत्तर:5000 वर्ष का सृष्टि चक्र श्री कृष्ण के जन्म से नहीं, बल्कि उनकी आत्मा के गर्भ में प्रवेश करते ही शुरू होता है। इसी समय से कल्प की गणना शुरू मानी जाती है।


प्रश्न 3: कल्प का आरंभ और अंत किस आधार पर तय होता है?
उत्तर:कल्प तब शुरू होता है जब आत्माएं परमधाम से सृष्टि में प्रवेश करती हैं और अंत तब होता है जब आत्माएं कर्मों के अनुसार वापस परमधाम चली जाती हैं। यह आगमन और प्रस्थान कल्प की गणना का केंद्र बिंदु है।


प्रश्न 4: नारायण और कृष्ण में क्या अंतर है?
उत्तर:नारायण से कृष्ण के 5000 वर्षों का सृष्टि चक्र शुरू होता है। कृष्ण की आत्मा ब्रह्मा बाबा के रूप में परमधाम से आकर अपने शरीर को सुरक्षित रखती है और बाद में वापस आकर उस शरीर को पहनकर कल्प को आरंभ करती है।


प्रश्न 5: 5000 वर्ष के सृष्टि चक्र को आधा कल्प क्यों कहा जाता है?
उत्तर:साकार बाबा के अनुसार, 5000 वर्षों का यह चक्र आधा कल्प है। इसमें क्राइस्ट के 2000 वर्ष, बुद्ध के 2250 वर्ष और इस्लाम के 2500 वर्ष मिलाकर आधा कल्प बनता है।


प्रश्न 6: कल्प की शुरुआत में कौन-सा युग स्थापित होता है?
उत्तर:कल्प के आरंभ में सतयुग की स्थापना होती है, जिसे स्वर्णिम युग भी कहा जाता है, जहाँ पूर्ण पवित्रता, सुख, शांति और वैभव होता है।


प्रश्न 7: कल्प का अंत कैसे होता है?
उत्तर:कल्प के अंत में जब सृष्टि खत्म होती है, तब सभी आत्माएं कर्मों के अनुसार वापस परमधाम चली जाती हैं। फिर पुनः क्रमबद्ध तरीके से आत्माएं सृष्टि में प्रवेश करती हैं, और यह चक्र अनादि और अविनाशी है।


प्रश्न 8: क्या सृष्टि चक्र की यह गणना वैज्ञानिक है?
उत्तर:हाँ, यह गणना निश्चित, व्यवस्थित और वैज्ञानिक रूप से स्थापित है, लेकिन इसे समझने के लिए ईश्वरीय ज्ञान की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह दिव्य और आध्यात्मिक सत्य पर आधारित है।


प्रश्न 9: इस विषय पर और अधिक जानकारी कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:इस विषय पर विस्तार से जानने के लिए प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के किसी भी सेवा केंद्र से संपर्क किया जा सकता है। साथ ही टेलीग्राम पर भी आध्यात्मिक जानकारी के लिए जुड़ा जा सकता है।


समापन:
ओम शांति। आशा है कि इस चर्चा से आपको सृष्टि चक्र और कल्प के रहस्यों की समझ मिली होगी।

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