(30) भगवान की वाणी – गीता
1. भूमिका: कौन है भगवान और क्या है उसकी वाणी?
कौन सा भगवान? कैसा भगवान? वह क्या करता है?
वह कहां रहता है? और कैसे कहा जाए कि गीता की वाणी वास्तव में भगवान की है?
इन प्रश्नों पर विचार करते हुए हमें यह समझ आता है कि गीता कोई साधारण ग्रंथ नहीं, बल्कि स्वयं परमात्मा की वाणी है।
इसलिए इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है – यह स्वयं भगवान द्वारा कही गई है।
इसीलिए इसे “श्रीमद् भगवद् गीता” कहा गया है – “श्रीमत” अर्थात् ईश्वर की सर्वोच्च मत, “भगवद्” अर्थात् भगवान से संबंधित, और “गीता” अर्थात् गाया हुआ गीत।
2. गीता और परमात्मा की उपस्थिति
मुरली 15 मार्च 1980 में शिवबाबा कहते हैं:
“मैं ही गीता ज्ञान का सागर हूं। मैं ही आकर गीता का यथार्थ ज्ञान देता हूं जिससे सब आत्माओं का उद्धार होता है।”
भले ही गीता द्वापर युग में लिखी गई हो, लेकिन भगवान तो संगमयुग पर आते हैं।
इसलिए गीता में जो ज्ञान व्यास ने लिखा, वह उस युग की बुद्धि के अनुसार था, परंतु यथार्थ ज्ञान परमात्मा ही आकर देते हैं – संगमयुग पर।
परमात्मा स्वयं कहते हैं:
“मैं ही आकर गीता में हुई त्रुटियों को ठीक करता हूं। संगमयुग पर मैं फिर से सत्य ज्ञान देता हूं।”
“इसलिए मुझे पुकारते हैं – सत्यम् शिवम् सुंदरम्।”
3. गीता का यथार्थ वक्ता: शिव या श्रीकृष्ण?
वास्तव में जिसने ज्ञान दिया वह शिव बाबा थे, परंतु लोगों को ब्रह्मा बाबा अथवा श्रीकृष्ण का स्वरूप दिखाई दिया।
शिवबाबा ने ज्ञान दिया, मुख माध्यम ब्रह्मा का था, और जिसने श्रीमत को पूर्ण रूप से धारण किया, वही आगे चलकर श्रीकृष्ण बना।
यही कारण है कि लोगों ने श्रीकृष्ण को ही गीता का भगवान मान लिया।
आज परमात्मा स्वयं आकर इस गलतफहमी को सुधार रहे हैं।
जैसे डॉक्टर की सलाह और किसी छात्र की सलाह में अंतर होता है,
वैसे ही भगवान की वाणी और मुनियों की टीकाओं में भारी अंतर होता है।
4. “भगवान वाच” – गीता की अद्वितीयता
गीता का एक विशेष पहलू है – इसमें “भगवान वाच” आता है, न कि किसी ऋषि, मुनि या मानव का नाम।
-
वेदों में “ऋषिवाच” होता है।
-
कुरान में पैगंबर का नाम।
-
गुरु ग्रंथ साहिब में संतों के नाम।
लेकिन गीता में – केवल “भगवान वाच”।
यह संकेत करता है कि यह ग्रंथ मानव द्वारा नहीं, बल्कि स्वयं परमात्मा द्वारा बोला गया है।
5. गीता – धर्म से ऊपर, आत्मा के लिए
गीता न किसी धर्म विशेष की है, न किसी संप्रदाय की।
यह है – सभी आत्माओं के परमपिता परमात्मा की वाणी।
मुरली 14 नवम्बर 1972:
“बाप तो एक ही है जो सभी आत्माओं का सद्गति दाता है। वही बाप आकर सर्व आत्माओं को सत्य ज्ञान देता है।”
इसलिए गीता विश्वमान्य ग्रंथ है।
6. महापुरुषों की गीता पर दृष्टि
-
महात्मा गांधी:
“जब मुझे कोई रास्ता नहीं दिखाई देता, तब मैं गीता पढ़ता हूं।”
-
डॉ. राधाकृष्णन:
“गीता का प्रभाव महायान, बौद्ध धर्म, चीन और जापान तक भी पड़ा।”
-
आदि शंकराचार्य:
“गीता वेदों और शास्त्रों का सार है।”
7. केवल परमात्मा ही देते हैं सत्य ज्ञान
मुरली 13 अगस्त 1979:
“सत्य ज्ञान एक ही बार स्वयं ईश्वर ही देता है। बाकी सब तो टीकाएं करते हैं।”
अर्थात् शुद्ध और मूल ज्ञान केवल ईश्वर ही संगमयुग पर देते हैं।
बाकी युगों में वह ज्ञान अनुवाद या टीका बनकर रह जाता है।
8. श्रीमत का अर्थ
श्रीमत = सर्वोच्च मत = ईश्वर की मत
मुरली 23 सितम्बर 1981:
“श्रीमत पर चलो तो जीवन हीरे जैसा बन जाएगा।”
“यही श्रीमत मैंने गीता में दी थी, परंतु अब वह विकृत हो चुकी है।”
इसलिए गीता में कहा गया:
“सर्वधर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।”
यह मत किसी मानव की नहीं, परमात्मा की है।
9. गीता – आत्मा और परमात्मा का मिलनपथ
गीता सत्यम् शिवम् सुंदरम् है।
यह केवल ज्ञान की पुस्तक नहीं, आत्मा और परमात्मा के मिलन का मार्ग है।
मुरली 1 जून 1977:
“यह ज्ञान इतना मधुर है कि सुनते-सुनते आत्मा झूम उठती है।”
10. गीता की त्रिवेणी: तीन मुख्य विषय
-
आत्मज्ञान – आत्मा का स्वरूप और गुण
-
कर्मयोग – श्रेष्ठ कर्म करते हुए योग
-
ईश्वर संपर्क (राजयोग) – परमात्मा से सीधा संबंध
11. आज वही परमात्मा पुनः ज्ञान दे रहे हैं
जिस परमात्मा ने पहले गीता का ज्ञान दिया था,
वही अब संगमयुग पर ब्रह्मा के मुख द्वारा मुरली के रूप में वही ज्ञान दोहरा रहे हैं।
मुरली 18 जनवरी 1969 (अव्यक्त वाणी):
“बाप ने गीता ज्ञान पुनः दिया है। अभी संगमयुग पर इसी ज्ञान से भारत स्वर्ग बनता है।”
12. निष्कर्ष: गीता की वाणी – जीवन मुक्ति का मार्ग
-
गीता सभी धर्मों की आत्माओं के लिए है।
-
इसका वक्ता है – स्वयं परमपिता परमात्मा शिव।
-
आज यह वाणी पुनः मुरली के रूप में बोली जा रही है।
-
यह केवल ज्ञान नहीं, जीवन मुक्ति का दिव्य मार्ग है।
-
भगवान की वाणी – गीता: संक्षिप्त प्रश्नोत्तरी
1. गीता की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
उत्तर: गीता स्वयं भगवान द्वारा कही गई वाणी है।
2. “श्रीमद् भगवद् गीता” में ‘श्रीमत’ का अर्थ क्या है?
उत्तर: ‘श्रीमत’ का अर्थ है – सर्वोच्च ईश्वर की मत।
3. गीता का यथार्थ ज्ञान कब और कौन देता है?
उत्तर: संगमयुग पर स्वयं परमात्मा शिव आकर गीता का यथार्थ ज्ञान देते हैं।
4. मुरली 15 मार्च 1980 में परमात्मा ने क्या कहा?
उत्तर: “मैं ही गीता ज्ञान का सागर हूं। मैं ही आकर गीता का यथार्थ ज्ञान देता हूं।”
5. गीता में भगवान वाच क्यों लिखा है?
उत्तर: क्योंकि गीता की वाणी किसी मानव की नहीं, स्वयं भगवान की है।
6. लोगों ने श्रीकृष्ण को गीता का भगवान क्यों मान लिया?
उत्तर: क्योंकि शिवबाबा ने ज्ञान ब्रह्मा के मुख से दिया और वही आत्मा श्रीकृष्ण बनी, जिससे भ्रम हुआ।
7. गीता किस धर्म या संप्रदाय से जुड़ी है?
उत्तर: गीता किसी एक धर्म की नहीं, सभी आत्माओं के लिए परमात्मा की वाणी है।
8. मुरली 14 नवम्बर 1972 में क्या कहा गया?
उत्तर: “बाप तो एक ही है जो सभी आत्माओं का सद्गति दाता है।”
9. महात्मा गांधी गीता के बारे में क्या कहते हैं?
उत्तर: “जब मुझे कोई रास्ता नहीं दिखाई देता, तब मैं गीता पढ़ता हूं।”
10. डॉ. राधाकृष्णन ने गीता का प्रभाव कहाँ तक बताया?
उत्तर: उन्होंने कहा कि गीता का प्रभाव महायान, बौद्ध धर्म, चीन और जापान तक पड़ा।
11. केवल परमात्मा ही सत्य ज्ञान कब देते हैं?
उत्तर: संगमयुग पर ही, जब परमात्मा स्वयं आकर गीता का सत्य ज्ञान देते हैं।
12. मुरली 13 अगस्त 1979 के अनुसार टीका और ज्ञान में क्या अंतर है?
उत्तर: केवल ईश्वर सत्य ज्ञान देते हैं, बाकी सब उसकी टीका या व्याख्या करते हैं।
13. श्रीमत का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर: श्रीमत = सर्वोच्च मत = ईश्वर की मत।
14. “सर्वधर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज” किसकी मत है?
उत्तर: यह स्वयं परमात्मा शिव की श्रीमत है।
15. गीता केवल एक ज्ञान पुस्तक क्यों नहीं है?
उत्तर: क्योंकि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का मार्ग है।
16. गीता की त्रिवेणी कौन से तीन विषय हैं?
उत्तर: आत्मज्ञान, कर्मयोग, और ईश्वर संपर्क (राजयोग)।
17. आज परमात्मा गीता का ज्ञान कैसे दे रहे हैं?
उत्तर: आज परमात्मा ब्रह्मा के मुख द्वारा मुरली के रूप में वही ज्ञान दे रहे हैं।
18. मुरली 18 जनवरी 1969 में क्या कहा गया?
उत्तर: “बाप ने गीता ज्ञान पुनः दिया है। इसी ज्ञान से भारत स्वर्ग बनता है।”
19. गीता की वाणी का अंतिम उद्देश्य क्या है?
उत्तर: जीवन मुक्ति का मार्ग दिखाना।
20. गीता किसके लिए है?
उत्तर: यह सभी धर्मों की आत्माओं के लिए है, संपूर्ण मानवता के लिए।
- भगवान की वाणी, गीता ज्ञान, श्रीमद भगवद गीता, शिवबाबा, परमात्मा की वाणी, ब्रह्मा बाबा, श्रीकृष्ण और गीता, मुरली ज्ञान, संगमयुग, राजयोग, आत्मज्ञान, कर्मयोग, ईश्वर संबंध, श्रीमत, गीता का यथार्थ वक्ता, भगवान वाच, आध्यात्मिक ज्ञान, ब्रह्माकुमारी, जीवन मुक्ति, गीता का सत्य ज्ञान, धर्म के पार, आध्यात्मिक ब्लॉग, आत्मा परमात्मा संबंध, श्रीमत का अर्थ, गीता और मुरली, ईश्वर द्वारा दिया गया ज्ञान, गीता का सार, गीता और शिवबाबा, गीता की त्रिवेणी, गीता की महिमा, सत्यम शिवम् सुंदरम्
- God’s words, Gita knowledge, Shrimad Bhagavad Gita, Shivbaba, God’s words, Brahma Baba, Shri Krishna and Gita, Murli knowledge, Confluence Age, Rajyoga, Self-knowledge, Karmayoga, God relationship, Shrimat, True speaker of Gita, God speaks, Spiritual knowledge, Brahma Kumaris, Life Liberation, True knowledge of Gita, Beyond religion, Spiritual blog, Soul God relationship, Meaning of Shrimat, Gita and Murli, Knowledge given by God, Essence of Gita, Gita and Shivbaba, Triveni of Gita, Glory of Gita, Satyam Shivam Sundaram