AP43 आज का विषय: निश्र्चयबुद्धि विजयंति, प्रीतबुद्धि विजयंति प्रश्न और उत्तर: AP43 Today’s topic: Nisharchayabuddhi Vijayanti, Preetabuddhi Vijayanti
भगवानुवाच – ‘निश्र्चयबुद्धि विजयंति, प्रीतबुद्धि विजयंति’
यह भगवान ने कहा है और यह कीस तक ठीक है, यह हमें समझना चाहिए।
निश्र्चयबुद्धि विजयंति
जिन आत्माओं को परमात्मा पर पूर्ण निश्चय है, वै हर स्थितिमें विजयी होते हैं। वै हार में भी विजय होते हैं और उनकी कोई हार नहीं होती।
उनका कोई नुकसान नहीं होता अथवा कीसी भी परिस्थिति में अस्थिरता या अशांति नहीं होती। क्योंकि और निश्चय के कारण ही से व्यक्ति है।
प्रीतबुद्धि विजयंति
जो आत्मा परमात्मा से सच्चा प्रेम रखती है, वै हर कठिनाई पर विजय पा लेती है। उसके लिए कोई कटिनाई की चुनौती नहीं रहती।
प्यार के द्वारा कोई भी थकावट नहीं करता। उदाहरण के द्वारा के अनुसारक होने की चुनौती की संघ्या नहीं होती।
जीव घात और आत्म घात
यथार्थ ज्ञानी की चीन: जो जीव घात या आत्म घात कर रहे है, वै यथार्थ ज्ञानी नहीं हो सकता।
यथार्थ ज्ञानी वै है जो ज्ञान को केवल जानता है और उसे अपने जीवन में लागू करता है।
यानी का अनुभव करके अनुभी बनने की चुनौती है।
निष्कर्ष
ईश्वरीय महावाक्यों की प्रासंगिकता:
- निश्चय और प्रीत की महत्व अति निश्र्चय बुद्धि विजयंति और प्रीत बुद्धि विजयंति महावाक्य आत्मा को हर स्थिति में सशक्त और स्थिर बनाते हैं।
- उन्हे आत्मसात करके जीव घात या आत्म घात का चिन्तन करने की चुनौती है।
प्रेरणा और मार्गदर्शन:
कृपया परमात्मा पर पूर्ण निश्चय रखें और जीवन की हर कठिनाई को समझने की शक्ति बनाएं।
भगवानुवाच – ‘निश्चयबुद्धि विजयंति, प्रीतबुद्धि विजयंति’
प्रश्न और उत्तर:
प्रश्न 1: निश्चयबुद्धि का क्या अर्थ है?
उत्तर: निश्चयबुद्धि का अर्थ है परमात्मा पर पूर्ण निश्चय और विश्वास रखना। ऐसी आत्माएँ किसी भी परिस्थिति में डगमगाती नहीं और हर स्थितिमें विजयी होती हैं।
प्रश्न 2: निश्चयबुद्धि आत्माएँ हार में भी कैसे विजय होती हैं?
उत्तर: निश्चयबुद्धि आत्माएँ हर परिस्थिति को परमात्मा की योजना का हिस्सा समझती हैं। वे हार में भी छिपे हुए लाभ को देखती हैं और किसी भी स्थिति में शांत और स्थिर रहती हैं।
प्रश्न 3: प्रीतबुद्धि का क्या महत्व है?
उत्तर: प्रीतबुद्धि का महत्व यह है कि जो आत्माएँ परमात्मा से सच्चा प्रेम रखती हैं, वे हर कठिनाई और चुनौती पर विजय पा लेती हैं। उनके प्रेम का बल उन्हें अडिग और विजयी बनाता है।
प्रश्न 4: क्या निश्चय और प्रीत का संबंध आत्मा की स्थिति से है?
उत्तर: हाँ, निश्चय और प्रीत आत्मा की आंतरिक स्थिति को स्थिर और शक्तिशाली बनाते हैं। ये गुण आत्मा को हर परिस्थिति में शांत, स्थिर और विजयी रहने में मदद करते हैं।
प्रश्न 5: निश्चय और प्रीत आत्मा के जीवन में किस प्रकार की चुनौतियों को हल करते हैं?
उत्तर: निश्चय और प्रीत आत्मा को मानसिक अशांति, अस्थिरता, और कठिन परिस्थितियों के बीच संतुलन बनाए रखने में सक्षम बनाते हैं। यह हर चुनौती को सहजता से पार करने की शक्ति देते हैं।
प्रश्न 6: ‘निश्चयबुद्धि विजयंति’ और ‘प्रीतबुद्धि विजयंति’ का जीवन में कैसे प्रयोग करें?
उत्तर: इन दोनों गुणों को जीवन में अपनाने के लिए परमात्मा पर पूर्ण निश्चय रखें और उनके प्रति सच्चा प्रेम विकसित करें। कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें और विश्वास रखें कि सब कुछ शुभ है।
प्रश्न 7: निश्चय और प्रीत के बिना आत्मा क्यों अस्थिर हो जाती है?
उत्तर: निश्चय और प्रीत के अभाव में आत्मा परिस्थितियों से प्रभावित होकर भय, अस्थिरता, और अशांति का अनुभव करती है। इन गुणों के बिना आत्मा कमजोर और परिस्थितियों में हार मानने लगती है।