Are the 33 crore gods and goddesses not God?

33 कराेड़ देवी-देवता परमात्मा नही हैं क्या ?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“क्या 33 करोड़ देवी–देवता परमात्मा हैं? | एक स्पष्ट ब्रह्माकुमारिज आध्यात्मिक भाषण”


 ओम् शांति।

आज का विषय बहुत ही जिज्ञासापूर्ण है –
“33 करोड़ देवी–देवता परमात्मा नहीं हैं क्या?”

भारत की भूमि पर जब भी ईश्वर की चर्चा होती है, तो देवी–देवताओं की विशाल गिनती सामने आती है – 33 करोड़।
लोग श्रद्धा से कहते हैं, “हर जगह भगवान ही भगवान हैं।”
पर क्या वास्तव में हर देवी–देवता को परमात्मा कहा जा सकता है?
क्या शिव, राम, कृष्ण, गणेश, दुर्गा – सब परमात्मा हैं?

आज हम मुरली ज्ञान और तर्क से इस विषय को बहुत सहज रूप में समझेंगे।


 1. परमात्मा और देवी–देवताओं में मूल अंतर

मुरली: 1 जुलाई 2025
“देवताओं को भगवान नहीं कह सकते। भगवान तो एक ही परमपिता परमात्मा है, जो सबका रचयिता है।”

आधार परमात्मा देवी–देवता
स्वरूप निराकार, बिंदी साकार, देहधारी
जन्म अजन्मा, अयोनी जन्म–मरण चक्र में
कर्म कर्मातीत कर्म बंधन में

उदाहरण:
राम ने बाली को मारा, बाली ने अगले जन्म में कृष्ण को मारा।
इसका अर्थ – देवता भी कर्म अनुसार जन्म लेते हैं।

तुलना:
परमात्मा शिक्षक है। हम आत्माएं विद्यार्थी हैं।
जो उत्तीर्ण होते हैं, वही देवता बनते हैं।


 2. 33 करोड़ देवी–देवताओं का वास्तविक अर्थ

मुरली: 23 जून 2025
“33 करोड़ देवता एक ही समय में नहीं होते, ये संपूर्ण कल्प की संख्या है।”

सत्य:
संपूर्ण 5000 वर्ष की कल्प में कुल मिलाकर 33 करोड़ आत्माएं ही देवता बनती हैं –
वे एक साथ नहीं, बल्कि कालक्रम में सतयुग से त्रेता तक बनती हैं।

देवता कहलाने का कारण:

  • दिव्य गुणों से युक्त

  • पतित से पावन बने

  • श्रेष्ठ कर्म वाले फरिश्ते

सीढ़ी चित्र अनुसार:

  • सतयुग: आत्मा 100% पावन

  • त्रेता: गुण 75%

  • द्वापर: गुण–अवगुण बराबर

  • कलियुग: आत्मा माइनस में = भक्त

देवता = Donor (प्लस)
भक्त = Taker (माइनस)


 3. गलतफहमी और भावना पर आधारित श्रद्धा

मुरली: 5 जुलाई 2025
“बच्चे, मैं आकर तुमको पुनः देवता बनाता हूँ।”

समझने की बात:
लोग हर श्रेष्ठ आत्मा को भगवान मान लेते हैं, जबकि
जैसे स्कूल के एक्स–स्टूडेंट शिक्षक नहीं बनते,
वैसे ही देवता परमात्मा नहीं बनते।

देवता हैं स्मृति रूप – पूजनीय आत्माएं।
परन्तु ईश्वर नहीं।


 4. शिव – एकमात्र परमात्मा

मुरली: 27 जून 2025
“मैं निराकार शिव हूँ। मेरा कोई जन्म नहीं। मैं अजन्मा हूँ।”

चार स्पष्ट पहचान:

तत्व परमात्मा शिव
नाम शिव (हर धर्म में)
रूप ज्योति, बिंदू
निवास परमधाम (तीसरी दुनिया)
कार्य ज्ञान और योग से आत्मा को पावन बनाना

जैसे डॉक्टर की पहचान डिग्री, सेवा और ज्ञान से होती है,
वैसे ही परमात्मा की पहचान है –
ज्ञान, योग और परिवर्तनकारी शक्ति।

तीन लोक की सच्चाई:

  • स्थूल लोक – पृथ्वी

  • सूक्ष्म लोक – देवताओं का प्रतीक

  • परमधाम – परमात्मा का निवास स्थान


 5. स्पष्ट निर्णय – भगवान एक है

मुरली: 10 जुलाई 2025
“भगवान तो एक ही है – शिव। बाकी सब आत्माएं अलग–अलग धर्म में अवतरित हुई हैं।”

 राम, कृष्ण, दुर्गा, गणेश —
ये सभी श्रेष्ठ आत्माएं हैं।
पर परमात्मा नहीं क्योंकि:

  • वे जन्म लेते हैं

  • कर्म करते हैं

  • हार–जीत, बालक–वृद्ध अवस्था में आते हैं

परमात्मा शिव:

  • जन्महीन

  • निराकार

  • सर्वधर्मों का पिता

  • सर्व आत्माओं का कल्याणकारी

33 करोड़ देवी–देवता परमात्मा नहीं हैं।

परमात्मा एक ही है – निराकार शिव
जो संगम युग पर ब्रह्मा के माध्यम से आता है,
ज्ञान और योग देता है,
और आत्माओं को पुनः देवता बनाता है।

अब आत्मा को क्या करना है?

  • भावना से हटकर सत्य को पहचानना

  • एक परमात्मा की सच्ची भक्ति करना

  • राजयोग द्वारा पावन बनना


अंत में आपसे एक प्रश्न:

क्या आप यह निर्णायक सत्य स्वीकार करते हैं कि –
भगवान एक है – शिव
33 करोड़ देवी–देवता श्रेष्ठ आत्माएं हैं, परमात्मा नहीं?

ओम् शांति।

क्या 33 करोड़ देवी–देवता परमात्मा हैं? | एक स्पष्ट ब्रह्माकुमारिज आध्यात्मिक भाषण”
 ओम् शांति।

नीचे दिए गए प्रश्न–उत्तर इस गूढ़ विषय को सरलता से समझाने के लिए तैयार किए गए हैं, जो आपके आत्मिक चिंतन को स्पष्टता देंगे:


प्रश्न 1:क्या 33 करोड़ देवी–देवता को परमात्मा कहा जा सकता है?

उत्तर:नहीं। देवी–देवता परमात्मा नहीं होते।
मुरली: 1 जुलाई 2025
“देवताओं को भगवान नहीं कह सकते। भगवान तो एक ही परमपिता परमात्मा है, जो सबका रचयिता है।”


प्रश्न 2:परमात्मा और देवी–देवताओं में क्या मुख्य अंतर है?

उत्तर:

आधार परमात्मा देवी–देवता
स्वरूप निराकार, बिंदी साकार, देहधारी
जन्म अजन्मा, अयोनी जन्म–मरण में आते हैं
कर्म कर्मातीत कर्म बंधन में

उदाहरण: राम ने बाली को मारा, बाली ने अगले जन्म में कृष्ण को मारा – इसका अर्थ है कि देवता भी कर्म के बंधन में हैं।


प्रश्न 3:33 करोड़ देवी–देवता एक साथ कब हुए?


उत्तर:वे एक साथ नहीं हुए।
मुरली: 23 जून 2025
“33 करोड़ देवता एक ही समय में नहीं होते, ये संपूर्ण कल्प की संख्या है।”
 सतयुग और त्रेता के संपूर्ण चक्र में 33 करोड़ आत्माएं ही देवता बनती हैं।


प्रश्न 4:देवता क्यों कहलाते हैं?

उत्तर:क्योंकि वे दिव्य गुणों से युक्त, पावन और श्रेष्ठ कर्म वाले होते हैं।
 देवता = Donor (दाता)
 भक्त = Taker (लेवता)


प्रश्न 5:लोग हर पूजनीय को परमात्मा क्यों मान लेते हैं?

उत्तर:भावनाओं के प्रभाव से।
मुरली: 5 जुलाई 2025
“बच्चे, मैं आकर तुमको पुनः देवता बनाता हूँ।”
जैसे स्कूल के एक्स–स्टूडेंट शिक्षक नहीं बनते, वैसे ही देवता परमात्मा नहीं बनते।


प्रश्न 6:परमात्मा कौन है और उसकी पहचान क्या है?

उत्तर:मुरली: 27 जून 2025
“मैं निराकार शिव हूँ। मेरा कोई जन्म नहीं। मैं अजन्मा हूँ।”

 चार पहचानें:

  • नाम: शिव

  • रूप: बिंदु, ज्योति

  • निवास: परमधाम

  • कार्य: ज्ञान व योग द्वारा आत्मा को पावन बनाना


प्रश्न 7:शिव को ही परमात्मा क्यों कहा गया है?

उत्तर:क्योंकि:

  • वे जन्म नहीं लेते

  • सर्व आत्माओं का पिता हैं

  • सदा निराकार हैं

  • संगम युग पर आकर ब्रह्मा द्वारा ज्ञान देते हैं


प्रश्न 8:क्या राम, कृष्ण, दुर्गा, गणेश आदि परमात्मा हैं?

उत्तर:नहीं। वे श्रेष्ठ आत्माएं हैं, परंतु जन्म लेते हैं, कर्म करते हैं और परिवर्तन के अधीन होते हैं।
मुरली: 10 जुलाई 2025
“भगवान तो एक ही है – शिव। बाकी सब आत्माएं अलग–अलग धर्म में अवतरित हुई हैं।”


प्रश्न 9:तीन लोकों का क्या अर्थ है, और परमात्मा कहाँ रहते हैं?

उत्तर:

  • स्थूल लोक: यह पृथ्वी

  • सूक्ष्म लोक: देवताओं का प्रतीक क्षेत्र

  • परमधाम: परमात्मा का निवास – तीसरी दुनिया


प्रश्न 10:अब आत्मा को क्या करना है?

उत्तर:

  • भावना से हटकर सत्य को पहचानना

  • एक परमात्मा शिव की सच्ची भक्ति करना

  • राजयोग द्वारा आत्मा को पावन बनाना

  • 33 करोड़ देवी–देवता की भक्ति से ऊपर उठकर एक की सच्ची याद में लग जाना

 प्रश्न:क्या आप यह स्वीकार करते हैं कि –

भगवान एक है – शिव
33 करोड़ देवी–देवता श्रेष्ठ आत्माएं हैं, परमात्मा नहीं?

 उत्तर आत्मा के विवेक से आएगा।
ओम् शांति।

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