A-P”51 क्या आत्मा का कोई वज़न व आकार होता है?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
1. ओम शांति — शुभारंभ और उद्देश्य
आप सभी आत्माओं का इस दिव्य मंथन में हार्दिक स्वागत है।
आज हम एक गहन विषय पर मंथन करने जा रहे हैं—“क्या आत्मा का कोई वजन और आकार होता है?”
और यह मंथन सिर्फ ज्ञान के लिए नहीं, बल्कि एक गहरी प्रेरणा से जुड़ा है—कौन बनेगा पद्म पद्मपति?
हम सभी यही चाहते हैं कि हमारे कर्म ऐसे बनें, जो हमें पद्म पद्मभोगी बना दें।
और ये तभी संभव है जब आत्मा अपने सच्चे स्वरूप को जाने और उस अनुसार कर्म करे।
2. आत्मा का स्वरूप — सूक्ष्म और अमूर्त
आत्मा… एक अत्यंत सूक्ष्म सत्ता है।
ना इसका कोई भौतिक आकार है, ना ही कोई वजन।
यह अमूर्त है — यानी ऐसी शक्ति, जिसकी कोई मूर्ति नहीं बनाई जा सकती।
हम इसे आँखों से नहीं देख सकते, तराजू पर नहीं तौल सकते।
लेकिन इसका अस्तित्व एक अटल और अनंत सत्य है।
जिस प्रकार हवा दिखती नहीं, पर उसका अनुभव होता है,
वैसे ही आत्मा एक चेतन शक्ति है — अनुभव करने योग्य, लेकिन मापने योग्य नहीं।
3. आत्मा को समझने का आध्यात्मिक दृष्टिकोण
अब प्रश्न है — आत्मा को हम कैसे समझें?
तो उत्तर है — आध्यात्मिक दृष्टि से।
जब हम शरीर से अलग होकर अपने अस्तित्व को महसूस करते हैं,
तब हमें अनुभव होता है कि हम एक चेतन ऊर्जा हैं — शुद्ध आत्मा।
आत्मा का स्वभाव है —
शांति, प्रेम, आनंद, शक्ति और पवित्रता।
ये गुण आत्मा के हैं, न कि शरीर के।
इसलिए जब आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप में स्थित होती है,
तो वह परम आनंद और शांति का अनुभव करती है।
4. निष्कर्ष — आत्मा: शाश्वत और दिव्य
इस मंथन से हम एक निष्कर्ष पर पहुंचते हैं —
कि आत्मा का कोई भौतिक आकार या वजन नहीं होता,
लेकिन इसका अस्तित्व शाश्वत और दिव्य है।
यह न कभी मिटती है, न खत्म होती है।
और जब आत्मा अपने स्वरूप को पहचान लेती है,
तो वह पद्म पद्मपति बनने के मार्ग पर चल पड़ती है।
इसलिए, आत्मा का ज्ञान केवल दर्शन नहीं,
बल्कि एक जीवन जीने की कला है — जो हमें परमात्मा से जोड़ती है और कर्म को पद्म बना देती है।
5. समापन — आत्म अनुभूति से पद्म पद्मपति की यात्रा
तो प्यारे आत्माओं,
आइए, हर दिन मुरली मंथन के माध्यम से आत्मज्ञान को आत्मा में धारण करें।
अपने हर कर्म को शुद्ध, श्रेष्ठ और दिव्य बनाएं।
यही है कर्म योग, यही है आत्म साक्षात्कार, और यही है पद्म पद्मपति बनने का मार्ग।
ओम शांति।