30-03-1983 “सहजयोगी बनने का साधन – अनुभवों की अथॉरिटी का आसन”
(कुमारियों के साथ मुलाकात)
आज बेहद ड्रामा के रचयिता बाप बेहद ड्रामा के वण्डरफुल संगमयुग के दिव्य दृश्य के अन्दर मधुबन के विशेष दृश्य को देख रहे हैं। मधुबन स्टेज पर हर घड़ी कितने दिलपसन्द रमणीक पार्ट चलते हैं। जिसको बापदादा दूर बैठे भी समीप से देखते रहते हैं। इस समय स्टेज के हीरो एक्टर कौन हैं? डबल पावन आत्मायें, श्रेष्ठ आत्मायें। लौकिक जीवन से भी पवित्र और आत्मा भी पवित्र। तो डबल पावन विशेष आत्माओं का हीरो पार्ट मधुबन स्टेज पर चलता हुआ देख बापदादा भी अति हर्षित होते हैं। क्या क्या प्लैन बनाते हो, क्या क्या संकल्प करते हो, कौन सी हलचल में आते हो, यह हिम्मत और हलचल दोनों ही खेल देख रहे थे। हिम्मत भी बहुत अच्छी रखते हो। उमंग-उल्लास भी बहुत आता है लेकिन साथ-साथ थोड़ा सा हाँ वा ना का मिक्स संकल्प भी रहता है। बापदादा हँसी का खेल देख रहे थे। चाहना बहुत श्रेष्ठ है कि दिखायेंगे, करके दिखायेंगे। लेकिन मन के उमंग की चाहना वा संकल्प चेहरे पर झलक के रूप में नहीं दिखाई देता है। शुद्ध संकल्प की चमक चेहरों पर चमकती हुई दिखाई दे, वह परसेन्टेज में देखा। यह क्यों? इसका कारण? शुभ संकल्प है लेकिन संकल्प में शक्ति कुछ मात्रा में है। संकल्प रूपी बीज तो है लेकिन शक्तिशाली बीज जो प्रत्यक्ष फल अर्थात् प्रत्यक्ष रूप में रौनक दिखाई दे, वह अभी और चाहिए।
सबसे ज्यादा चेहरे पर उमंग-उल्लास की रौनक वा चमक आने का साधन है – हर गुण, हर शक्ति, हर ज्ञान की प्वाइंट के अनुभवों से सम्पन्नता। अनुभव बड़े ते बड़ी अथॉरिटी है। अथॉरिटी की झलक चेहरे पर और चलन पर स्वत: ही आती है। बापदादा वर्तमान के हीरो पार्टधारियों को देखते हुए मुस्करा रहे थे। खुशी में नाच भी रहे हैं लेकिन कोई कोई नाचते हैं तो सारे वायुमण्डल को ही नचा देते हैं। उनकी एक्ट में रौनक दिखाई देती है। जिसको आप लोग कहते हैं कि रास करते-करते मचा लिया अर्थात् सभी को नचा लिया। तो ऐसी रौनक वाली झलक अभी और दिखानी है। उसका आधार सुन लिया। सुनने सुनाने वाले तो बन ही गये हो। साथ-साथ अनुभवी मूर्त बनने का विशेष पार्ट बजाओ। अनुभव की अथॉरिटी वाला कभी भी किसी प्रकार की माया के भिन्न-भिन्न रॉयल रूपों में धोखा नहीं खायेंगे। अनुभवी अथॉरिटी वाली आत्मा सदा अपने को भरपूर आत्मा अनुभव करेगी। निर्णय शक्ति, सहन शक्ति वा किसी भी शक्ति से खाली नहीं होंगे। जैसे बीज भरपूर होता है वैसे ज्ञान, गुण, शक्तियाँ सबसे भरपूर। इसको कहा जाता है मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी। ऐसे के आगे माया झुकेगी न कि झुकायेगी। जैसे हद की अथॉरिटी वाले विशेष व्यक्तियों के आगे सब झुकते हैं ना क्योंकि अथॉरिटी की महानता सबको स्वत: ही झुकाती है। तो विशेष क्या देखा? अनुभव की अथॉरिटी की सीट पर अभी सेट हो रहे हैं। स्पीकर की सीट ले ली है लेकिन “सर्व अनुभवों की अथॉरिटी का आसन” अभी यह लेना है। सुनाया था ना, दुनिया वालों का है सिंहासन और आप सबका है अथॉरिटी का आसन। इसी आसन पर सदा स्थित रहो। तो सहज योगी, सदा के योगी, स्वत: योगी हैं ही।
अभी तो अमृतवेले का दृश्य भी हँसने हँसाने वाला है। कोई निशाना लगाते-लगाते थक जाते हैं। कोई डबल झूलों में झूलते हैं। कोई हठयोगी बन करके बैठते हैं। कोई तो सिर्फ नेमीनाथ हो बैठते हैं। कोई-कोई लगन में मगन भी होते हैं। याद शब्द के अर्थ स्वरूप बनने में अभी विशेष अटेन्शन दो। योगी आत्मा की झलक चेहरे से अनुभव हो। जो मन में होता है वह मस्तक पर झलक जरूर रहती है। ऐसे नहीं समझना मन में तो हमारा बहुत है। मन की शक्ति का दर्पण चेहरा अर्थात् मुखड़ा है। कितना भी आप कहो कि हम खुशी में नाचते हैं लेकिन चेहरा उदास देख कोई नहीं मानेगा। खोया-खोया हुआ चेहरा और पाया हुआ चेहरा इसका अन्तर तो जानते हो ना! “पा लिया” इसी खुशी की चमक चेहरे से दिखाई दे। खुश्क चेहरा नहीं दिखाई दे, खुशी का चेहरा दिखाई दे। बापदादा हीरो पार्टधारी बच्चों की महिमा भी गाते हैं। फिर भी आजकल की फैशनेबुल दुनिया से, मन से, तन से किनारा कर बाप को सहारा तो बना दिया। इस दृढ़ संकल्प की बहुत-बहुत मुबारक। सदा इसी संकल्प में जीते रहो। बापदादा यह वरदान देते हैं। इसी श्रेष्ठ भाग्य की खुशी में, स्नेह के पुष्प भी चढ़ाते हैं। साथ-साथ हर बच्चा सम्पन्न बाप समान अथॉरिटी हो, इस शुद्ध संकल्प की विधि बताते हैं। बधाई भी देते हैं और विधि भी बताते हैं।
सभी ने समारोह तो मना लिया ना! सभी समारोह मनाते सम्पन्न बनने का लक्ष्य लेते हुए जा रहे हो ना! पहले वाले पुराने तो पुराने रहे लेकिन आप सुभान अल्ला हो जाओ। सबका फोटो तो निकला है ना। फोटो तो यादगार हो गया ना यहाँ। अब दीदी दादी भी देखेंगी कि अथॉरिटी के आसन पर कौन कौन कितने स्थित हुए! सेन्टर पर रहना भी कोई बड़ी बात नहीं लेकिन विशेष पार्टधारी बन पार्ट बजाना, यह है कमाल। जो सभी कहें कि इस ग्रुप की हर आत्मा बाप समान सम्पन्न स्वरूप है। खाली नहीं बनो। खाली चीज में हलचल होती है। सयाने बनो अर्थात् सम्पन्न बनो। सिर्फ कुमारियों के लिए नहीं है लेकिन सभी के लिए है। सम्पन्न तो सभी को बनना है ना। जो भी सभी आये हैं मधुबन की विशेष सौगात “सर्व अनुभवों की अथॉरिटी का आसन” यह साथ में ले जाना। इस सौगात को कभी भी अपने से अलग नहीं करना। सबको सौगात है ना कि सिर्फ कुमारियों को है? मधुबन निवासियों को भी आज की यह सौगात है। चाहे कहाँ भी बैठे हैं लेकिन बाप के सम्मुख हैं।
आने वाले सर्व कमल पुष्प समान बच्चों को, मधुबन निवासियों को, चारों ओर के देश विदेश के बच्चों को और वर्तमान स्टेज के हीरो पार्टधारी श्रेष्ठ आत्माओं को, सभी को ‘अनुभवी भव’ के वरदान के साथ वरदाता बाप की याद और प्यार और नमस्ते।
कुमारियों ने विशेष संकल्प किया! विशेष संकल्प द्वारा विशेष आत्मायें बनीं? विशेष संकल्प क्या लिया? सदा महावीरनी बन विजयी रहेंगी, यही संकल्प लिया है ना! सदा विजयी, सदा महावीरनी या थोड़े समय के लिए लिया? इसके बाद कभी भी किसी प्रकार की माया नहीं आयेगी ना! आधाकल्प के लिए खत्म हुई, कभी संकल्पों का टक्कर तो नहीं होगा! कभी व्यर्थ संकल्प का तूफान तो नहीं आयेगा? अगर बार बार माया के वार से हार खाते तो कमजोर हो जाते हैं। जैसे कोई बार बार धक्का खाता तो उसकी हड्डी कमज़ोर हो जाती है ना। फिर प्लास्टर लगाना पड़ता। इसलिए कभी भी कमज़ोर बन हार नहीं खाना। तो महावीरनी अर्थात् संकल्प किया और स्वरूप बन गये। ऐसे नहीं वहाँ जाकर देखेंगे, करेंगे… यह गें गें वाली नहीं। जो संकल्प लिया है उसमें दृढ़ रहना तो विजय का झण्डा लहरा जायेगा। इतने दृढ़ संकल्प वाली अपने अपने स्थान पर जायेंगी तो जय-जयकार हो जायेगी। संकल्प से सब सहज हो जाता है। जो संकल्प किया है उसे पानी देते रहना। हर मास अपनी रिज़ल्ट लिखना। कभी भी कमज़ोर संकल्प नहीं करना। यह संस्कार यहाँ खत्म करके जाना। आगे बढ़ेंगी, विजयी बनेंगी – यह दृढ़ संकल्प करके जाना। अच्छा।
सभी की आशायें पूरी हुई? कुमारियों की आशायें पूरी हुई तो माताओं की तो हुई पड़ी हैं। अभी आप लोग थोड़े आये हो इसलिए अच्छा चांस मिल गया। इस बारी सभी कुमारियों का उल्हना तो पूरा हुआ। कोई कम्पलेन्ट नहीं, सभी कम्पलीट होकर जा रही हो ना! अभी देखेंगे, नदियाँ कहाँ बहती हैं। तालाब बनती हैं, बड़ी नदी बनती हैं, छोटी बनती हैं या कुआं बनता है। तालाब से भी छोटा कुआं होता है ना। तो देखेंगे क्या बनती हैं! वह रिजल्ट आयेगी ना! कुमारियों को देखकर आता है इतने हैण्ड्स निकलें, माताओं को देखकर कहेंगे कि निकलना थोड़ा मुश्किल है। तो अब निर्विघ्न हैण्ड बनना। ऐसे नहीं सेवा भी करो और सेवा के साथ-साथ मेहनत भी लेते रहो, यह नहीं करना। सेवा के साथ अगर कम्पलेन्ट निकलती रहे तो सेवा का फल नहीं निकलता। इसलिए निर्विघ्न हैण्ड बनना। ऐसे नहीं आप ही विघ्न रूप बन, दादी दीदी के सामने आते रहो, मददगार हैण्ड बनना। खुद सेवा नहीं लेना। तो सदा निर्विघ्न रहेंगे और सेवा को निर्विघ्न बढ़ायेंगे – ऐसा पक्का संकल्प करके जाना। अच्छा।
प्रश्न:– बाप को किन बच्चों पर बहुत नाज़ रहता है?
उत्तर:- जो बच्चे कमाई करने वाले होते, ऐसे कमाई करने वाले बच्चों पर बाप को बहुत नाज़ रहता, एक-एक सेकेण्ड में पद्मों से भी ज्यादा कमाई जमा कर सकते हो। जैसे एक के आगे एक बिन्दी लगाओ तो 10 हो जाता, फिर एक बिन्दी लगाओ तो 100 हो जाता, ऐसे एक सेकण्ड बाप को याद किया, सेकण्ड बीता और बिन्दी लग गई, इतनी बड़ी कमाई अभी ही जमा करते हो फिर अनेक जन्म तक खाते रहेंगे।
“सहजयोगी बनने का साधन – अनुभवों की अथॉरिटी का आसन | कुमारियों के साथ विशेष मुलाकात”
1. मधुबन स्टेज – दिव्य दृश्य और हीरो पार्टधारी आत्माएँ
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परमात्मा बेहद ड्रामा के संगमयुगीन दृश्य को मधुबन में देखकर हर्षित होते हैं।
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इस समय स्टेज पर हीरो हैं – डबल पावन आत्माएँ, जो तन और मन दोनों से पवित्र हैं।
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बापदादा उनकी हिम्मत, हलचल और संकल्पों का खेल समीप से देखते हैं।
2. अनुभवों की अथॉरिटी – आत्मा की असली पहचान
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अनुभव सबसे बड़ी अथॉरिटी है, जो चेहरे पर रौनक और चलन में महानता लाती है।
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केवल सुनना या सुनाना नहीं, बल्कि अनुभव का स्वरूप बनना ही सहजयोगी बनने का साधन है।
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अनुभव की अथॉरिटी पर बैठी आत्मा कभी माया से धोखा नहीं खाती।
3. मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी – भरपूर आत्मा का स्वरूप
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अनुभवी आत्मा निर्णय शक्ति, सहन शक्ति और सभी शक्तियों में भरपूर रहती है।
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जैसे हद की अथॉरिटी वाले के आगे सब झुकते हैं, वैसे ही अनुभव की अथॉरिटी के आगे माया झुकती है।
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यह सीट – सर्व अनुभवों की अथॉरिटी का आसन – ही सहजयोगी का सिंहासन है।
4. योग में मुख की रौनक – मन का दर्पण
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जो मन में है, वही मुखड़े पर झलकता है।
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“पा लिया” की खुशी वाला चेहरा और खोया-खोया चेहरा अलग पहचाना जाता है।
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योगी आत्मा के चेहरे से आनंद और उपलब्धि की चमक दिखाई देनी चाहिए।
5. कुमारियों का विशेष संकल्प – महावीरनी बनना
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कुमारियों ने दृढ़ संकल्प किया है – “सदा विजयी रहेंगे, कभी माया से हार नहीं खाएंगे।”
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संकल्प में दृढ़ता से विजय का झंडा लहराया जाता है।
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संकल्प को पानी देते रहना और मासिक रिज़ल्ट लिखना – यही सफलता की विधि है।
6. निर्विघ्न हैण्ड – सेवा में मददगार बनना
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सेवा करते समय कम्पलेन्ट नहीं, बल्कि समाधान और सहयोग का भाव होना चाहिए।
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दादी-दीदी के सामने विघ्न नहीं, मददगार बनकर आना है।
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निर्विघ्न सेवा ही आत्मा को अथॉरिटी की सीट पर स्थिर रखती है।
7. बाप का नाज़ – कमाई करने वाले बच्चों पर
प्रश्न: बाप को किन बच्चों पर बहुत नाज़ रहता है?
उत्तर: जो बच्चे हर सेकण्ड बाप को याद कर पद्मों से भी अधिक कमाई जमा करते हैं। जैसे एक बिन्दी के आगे एक बिन्दी लगाते जाओ तो 10, 100, 1000 बन जाते हैं, वैसे ही सेकण्ड-सेकण्ड की याद कमाई बन जाती है।
8. निष्कर्ष – परमात्मा का वरदान और आशीर्वाद
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बापदादा का वरदान – “सदा अनुभव की अथॉरिटी पर स्थित रहो और सहजयोगी बनो।”
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हर बच्चा बाप समान सम्पन्न बने – यही ईश्वरीय संकल्प है।
“सहजयोगी बनने का साधन – अनुभवों की अथॉरिटी का आसन | कुमारियों के साथ विशेष मुलाकात”
Q&A प्रारूप
1. मधुबन स्टेज – दिव्य दृश्य और हीरो पार्टधारी आत्माएँ
प्रश्न: मधुबन में परमात्मा किस दृश्य को देखकर हर्षित होते हैं?
उत्तर: परमात्मा बेहद ड्रामा के संगमयुगीन दृश्य को देखकर हर्षित होते हैं, जहाँ डबल पावन आत्माएँ तन और मन से पवित्र रहकर हीरो पार्ट निभा रही हैं।
2. अनुभवों की अथॉरिटी – आत्मा की असली पहचान
प्रश्न: सहजयोगी बनने के लिए सबसे बड़ा साधन क्या है?
उत्तर: अनुभवों की अथॉरिटी। केवल ज्ञान सुनना या सुनाना नहीं, बल्कि अनुभव का स्वरूप बनना ही आत्मा की असली पहचान है।
3. मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी – भरपूर आत्मा का स्वरूप
प्रश्न: अनुभवी आत्मा में कौन-कौन सी विशेषताएँ स्वतः आ जाती हैं?
उत्तर: निर्णय शक्ति, सहन शक्ति और सभी शक्तियों में भरपूरता। अनुभव की अथॉरिटी पर बैठी आत्मा के आगे माया भी झुकती है।
4. योग में मुख की रौनक – मन का दर्पण
प्रश्न: योगी आत्मा के चेहरे से क्या प्रकट होना चाहिए?
उत्तर: “पा लिया” की खुशी, आनंद और उपलब्धि की चमक। मन में जो है, वही मुखड़े पर झलकना चाहिए।
5. कुमारियों का विशेष संकल्प – महावीरनी बनना
प्रश्न: कुमारियों का मुख्य संकल्प क्या है?
उत्तर: “सदा विजयी रहेंगे, कभी माया से हार नहीं खाएंगे।” इस दृढ़ता से विजय का झंडा लहरता है।
6. निर्विघ्न हैण्ड – सेवा में मददगार बनना
प्रश्न: सेवा में निर्विघ्न रहने का अर्थ क्या है?
उत्तर: कम्पलेन्ट नहीं, बल्कि समाधान और सहयोग का भाव रखना। दादी-दीदी के सामने मददगार बनकर आना ही निर्विघ्न सेवा है।
7. बाप का नाज़ – कमाई करने वाले बच्चों पर
प्रश्न: बाप को किन बच्चों पर सबसे अधिक नाज़ रहता है?
उत्तर: जो बच्चे हर सेकण्ड बाप को याद कर पद्मों से भी अधिक कमाई जमा करते हैं। जैसे बिन्दी जोड़ते-जोड़ते संख्या बढ़ती है, वैसे ही सेकण्ड-सेकण्ड की याद कमाई बन जाती है।
8. निष्कर्ष – परमात्मा का वरदान और आशीर्वाद
प्रश्न: सहजयोगी आत्माओं के लिए परमात्मा का वरदान क्या है?
उत्तर: “सदा अनुभव की अथॉरिटी पर स्थित रहो और सहजयोगी बनो।” हर आत्मा बाप समान सम्पन्न बने – यही ईश्वरीय संकल्प है। Disclaimer: यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक उन्नति, प्रेरणा और सकारात्मकता फैलाना है। इसमें किसी भी धर्म, मत या संप्रदाय की आलोचना नहीं की गई है। दर्शक अपने विवेक अनुसार इस ज्ञान को आत्मसात करें। आज के विशेष संदेश में बापदादा हमें अनुभव की अथॉरिटी बनने का महत्व बताते हैं। सहजयोगी बनने का साधन, अनुभवों की अथॉरिटी, कुमारियों का संकल्प, मधुबन स्टेज, दिव्य दृश्य, हीरो पार्टधारी आत्माएँ, डबल पावन आत्माएँ, बापदादा का संदेश, आत्मा की असली पहचान, मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी, योग में मुख की रौनक, मन का दर्पण, आनंदमय योग, उपलब्धि की चमक, कुमारियों की शक्ति, महावीरनी आत्माएँ, दृढ़ संकल्प, सेवा में मददगार बनना, निर्विघ्न सेवा, आध्यात्मिक अथॉरिटी, बाप का नाज़, ईश्वरीय कमाई, सेकंड-सेकंड की याद, अथॉरिटी की सीट, सहजयोगी सिंहासन, अनुभव की शक्ति, योगी जीवन, आध्यात्मिक प्रवचन, परमात्मा का वरदान, ईश्वरीय आशीर्वाद, मधुबन अनुभव, कुमारियों का विशेष मिलन, सहज योग की विधि, मास्टर अथॉरिटी आत्मा, पवित्रता की शक्ति, आत्मिक आनंद, आत्मा की महानता, बाप समान सम्पन्न आत्मा,Means of becoming a Sahaja Yogi, Authority of experiences, Thoughts of Kumaris, Madhuban stage, Divine scene, Souls who are hero actors, Double pure souls, Message of BapDada, True identity of the soul, Master almighty authority, Shine on the face in yoga, Mirror of the mind, Anandmay Yoga, Sparkle of achievement, Power of Kumaris, Mahaveerni souls, Determined thoughts, Becoming helpers in service, Unobstructed service, Spiritual authority, Pride of the Father, Godly earnings, Remembrance every second, Seat of authority, Sahaja Yogi throne, Power of experience, Yogi life, Spiritual discourse, Blessings of the Supreme Soul, Godly blessings, Madhuban experience, Special meeting of Kumaris, Method of Sahaja Yoga, Master authority soul, Power of purity, Spiritual bliss, Greatness of the soul, Complete soul like the Father,