(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
21-02-1983 “शान्ति की शक्ति”
आज बापदादा अमृतवेले चारों ओर बच्चों के पास चक्कर लगाने गये। चक्कर लगाते हुए बापदादा आज अपनी शक्ति सेना वा पाण्डव सेना सभी की तैयारी देख रहे थे कि कहाँ तक सेना शक्तिशाली शस्त्रधारी एवररेडी हुई है। समय का इंतजार है वा स्वयं सदा ही सम्पन्न रहने का इंतजाम करने वाली है। तो आज बापदादा सेनापति के रूप में सेना को देखने गये। विशेष बात, साइन्स की शक्ति पर साइलेन्स के शक्ति की विजय है। तो साइलेन्स की शक्ति संगठित रूप में और व्यक्तिगत रूप में कहाँ तक प्राप्त कर ली है? वह देख रहे थे। साइन्स की शक्ति द्वारा प्रत्यक्ष फल रूप में स्व परिवर्तन, वायुमण्डल परिवर्तन, वृत्ति परिवर्तन, संस्कार परिवर्तन कहाँ तक कर सकते हैं वा किया है? तो आज सेना के हरेक सैनिक की साइलेन्स के शक्ति की प्रयोगशाला चेक की, कि कहाँ तक प्रयोग कर सकते हैं?
स्मृति में रहना, वर्णन करना वह भी आवश्यक है लेकिन वर्तमान समय के प्रमाण सर्व आत्मायें प्रत्यक्षफल देखना चाहती हैं। प्रत्यक्षफल अर्थात् प्रैक्टिकल प्रूफ देखने चाहती हैं। तो तन के ऊपर साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करते हैं। ऐसे ही मन के ऊपर, कर्म के ऊपर, सम्बन्ध सम्पर्क में आने से सम्बन्ध सम्पर्क में क्या प्रयोग होता है, कितनी परसेन्टेज में होता है – यह विश्व की आत्मायें भी देखने चाहती हैं। हरेक ब्राह्मण आत्मा भी स्व में प्रत्यक्ष प्रूफ के रूप में सदा विशेष से विशेष अनुभव करने चाहती है। रिजल्ट में साइलेन्स की शक्ति का जितना महत्व है, उतना उसे विधि पूर्वक प्रयोग में लाने में अभी कम है। चाहना बहुत है, नॉलेज भी है लेकिन प्रयोग करते हुए आगे बढ़ते चलो। साइलेन्स शक्ति के प्राप्ति की महीनता अनुभव करते स्व प्रति वा अन्य प्रति कार्य में लगाना, उसमें अभी और विशेष अटेन्शन चाहिए। विश्व की आत्माओं वा सम्बन्ध, सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को महसूसता हो कि शान्ति की किरणें इन विशेष आत्मा वा विशेष आत्माओं द्वारा मिल रही हैं। हरेक से चलता फिरता “शान्ति यज्ञ कुण्ड” का अनुभव हो। जैसे आपकी रचना में छोटा सा फायरफ्लाई दूर से ही अपनी रोशनी का अनुभव कराता है। दूर से ही देखते सब कहेंगे यह फायरफ्लाई आ रहा है, जा रहा है। ऐसे इस बुद्धि द्वारा अनुभव करें कि यह शान्ति का अवतार शान्ति देने आ गया है। चारों ओर की अशान्त आत्मायें शान्ति की किरणों के आधार पर शान्ति कुण्ड की तरफ खिंची हुई आवें। जैसे प्यासा पानी की तरफ स्वत: ही खिंचता हुआ जाता है। ऐसे आप शान्ति के अवतार आत्माओं की तरफ खिंचे हुए आवें। इसी शान्ति की शक्ति का अभी और अधिक प्रयोग करो। शान्ति की शक्ति वायरलेस से भी तेज आपका संकल्प किसी भी आत्मा प्रति पहुंचा सकती है। जैसे साइन्स की शक्ति परिवर्तन भी कर लेती, वृद्धि भी कर लेती है, विनाश भी कर लेती, रचना भी कर लेती, हाहाकार भी मचा देती और आराम भी दे देती। लेकिन साइलेन्स की शक्ति का विशेष यंत्र है – ‘शुभ संकल्प’ इस संकल्प के यंत्र द्वारा जो चाहो वह सिद्धि स्वरूप में देख सकते हो। पहले स्व के प्रति प्रयोग करके देखो। तन की व्याधि के ऊपर प्रयोग करके देखो, तो शान्ति की शक्ति द्वारा कर्मबन्धन का रूप, मीठे सम्बन्ध के रूप में बदल जायेगा। बन्धन सदा कडुवा लगता है, सम्बन्ध मीठा लगता है। यह कर्मभोग – कर्म का कड़ा बन्धन साइलेन्स की शक्ति से पानी की लकीर मिसल अनुभव होगा। भोगने वाला नहीं, भोगना भोग रही हूँ – यह नहीं, लेकिन साक्षी दृष्टा हो इस हिसाब किताब का दृश्य भी देखते रहेंगे। इसलिए तन के साथ-साथ मन की कमजोरी, डबल बीमारी होने के कारण जो कड़े भोग के रूप में दिखाई देता है, वह अति न्यारा और बाप का प्यारा होने के कारण डबल शक्ति अनुभव होने से कर्मभोग के हिसाब की शक्ति के ऊपर वह डबल शक्ति विजय प्राप्त कर लेगी। बीमारी चाहे कितनी भी बड़ी हो लेकिन दु:ख वा दर्द का अनुभव नहीं करेंगे। जिसको दूसरी भाषा में आप कहते हो कि सूली से काँटे के समान अनुभव होगा। ऐसे टाइम में प्रयोग करके देखो। कई बच्चे करते भी हैं। इसी प्रकार से तन पर, मन पर, संस्कार पर अनुभव करते जाओ और आगे बढ़ते जाओ। यह रिसर्च करो, इसमें एक दो को नहीं देखो। यह क्या करते, इसने कहाँ किया है। पुराने करते वा नहीं करते, बड़े नहीं करते छोटे करते, यह नहीं देखो। पहले मैं इस अनुभव में आगे आ जाऊं क्योंकि यह अपने आन्तरिक पुरूषार्थ की बात है। जब ऐसे व्यक्तिगत रूप में इसी प्रयोग में लग जायेंगे, वृद्धि को पाते रहेंगे तब एक एक के शान्ति की शक्ति का संगठित रूप में विश्व के सामने प्रभाव पड़ेगा। अभी फर्स्ट स्टेप विश्व शान्ति की कॉन्फ्रेंस कर निमंत्रण दिया लेकिन शान्ति की शक्ति का पुंज जब सर्व के संगठित रूप में प्रख्यात होगा तो आपको निमंत्रण आयेंगे कि हे शक्ति, शान्ति के अवतार इस अशान्ति के स्थान पर आकर शान्ति दो। जैसे सेवा में अभी भी जहाँ अशान्ति का मौका (मृत्यु) होता है तो आप लोगों को बुलाते हैं कि आओ आकर शान्ति दो। और यह धीरे-धीरे प्रसिद्ध भी होता जा रहा है कि ब्रह्माकुमारियाँ ही शान्ति दे सकती हैं। ऐसे हर अशान्ति के कार्य में आप लोगों को निमंत्रण आयेंगे। जैसे बीमारी के समय सिवाए डॉक्टर के कोई याद नहीं आता, ऐसे अशान्ति के कोई भी बातों में सिवाए आप शान्ति अवतारों के और कोई दिखाई नहीं देगा। तो अभी शक्ति सेना, पाण्डव सेना, विशेष शान्ति की शक्ति का प्रयोग करो। प्रयोग करके दिखाओ। शान्ति की शक्ति का केन्द्र प्रत्यक्ष करो। समझा क्या करना है।
आजकल तो डबल विदेशी बच्चों के निमित्त सभी बच्चों को भी खजाना मिलता रहता है। जहाँ से भी जो सभी बच्चे आये हैं। बापदादा सभी तरफ के बच्चों की लगन को देख खुश होते हैं। पाँचों ही खण्डों के भिन्न-भिन्न देश से आये हुए बच्चों को बापदादा देख रहे हैं। सभी ने कमाल की है। जो सभी ने लक्ष्य रखा था उसी प्रमाण प्रैक्टिकल पुरुषार्थ का रूप भी लाया है। विदेश से टोटल कितने वी. आई. पी. आये हैं? (75) और भारत के कितने वी. आई. पी. आये? (700) भारत की विशेषता अखबार वालों की अच्छी रही। और विदेश से 75 भी आये, यह कोई कम नहीं। बहुत आये। दूसरे वर्ष फिर बहुत आयेंगे। अभी गेट तो खुल गया ना आने का। पहले तो विदेश की टीचर्स कहती थीं वी. आई. पी. को लाना बड़ा मुश्किल है। ऐसा तो कोई दिखाई नहीं देता। अब तो दिखाई दिया ना। भले विघ्न पड़े यह तो ब्राह्मणों के कार्यों में विघ्न न पड़े तो लगन भी लग न सके। नहीं तो अलबेले हो जायें। इसलिए ड्रामा अनुसार लगन बढ़ाने के लिए विघ्न पड़ते हैं। अभी एक एक द्वारा आवाज़ सुनकर फिर अनेकों में उमंग आयेगा।
बच्चों ने अच्छी कमाल की है। सर्विस में सबूत अच्छा दिखाया है। सेवा का चांस दिलाने के निमित्त तो बन गये ना। एक द्वारा सहज ही अनेकों तक आवाज तो फैला ना। अमेरिका वालों ने अच्छी मेहनत की। हिम्मत अच्छी की, ज्यादा से ज्यादा आवाज़ फैलाने वाली निमित्त आत्मा को ड्रामा अनुसार विदेश वालों ने ही लाया ना। भारतवासी बच्चों ने भी मेहनत बहुत अच्छी की। उस मेहनत का फल संख्या अच्छी आई। अभी भारत की विशेष आत्मायें भी आयेंगी। अच्छा।
ऐसे सर्व विदेश से आये हुए बच्चों को और भारत के चारों तरफ के बच्चों को जो सब एक ही विशेष शुद्ध संकल्प में हैं कि विश्व के कोने-कोने में बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा लहरायेंगे – ऐसे शुभ संकल्प लेने वाले, विश्व परिवर्तक, विश्व कल्याणकारी, सर्वश्रेष्ठ आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
पार्टियों के साथ अव्यक्त बापदादा की मुलाकात :-
1. वरदान भूमि पर आकर वरदान लिया? सबसे बड़े ते बड़ा वरदान है सदा अपने को बाप द्वारा बाप के साथ का अनुभव करना। सदा बाप की याद में अर्थात् सदा साथ में रहना। तो सदा ही खुश रहेंगे, कभी भी कोई भी बात संकल्प में आये तो बाप के साथ में सब समाप्त हो जायेगा और खुशी में झूमते रहेंगे। तो सदा खुश रहने का यह तरीका याद रखना और दूसरों को भी बताते रहना। दूसरों को भी खुशी में रहने का साधन देना। तो आपको सभी आत्मायें खुशी का देवता मानेंगी क्योंकि विश्व में आज सबसे ज्यादा खुशी की आवश्यकता है। वह आप देते जाना। अपना टाइटिल याद रखना कि मैं खुशी का देवता हूँ।
याद और सेवा इसी बैलेन्स द्वारा बाप की ब्लैसिंग मिलती रहेगी। बैलेन्स सबसे बड़ी कला है। हर बात में बैलेन्स हो तो नम्बरवन सहज ही बन जायेंगे। बैलेन्स ही अनेक आत्माओं के आगे ब्लिसफुल जीवन का साक्षात्कार करायेगा। बैलेन्स को सदा स्मृति में रखते, सर्व प्राप्तियों का अनुभव करते स्वयं भी आगे बढ़ो और औरों को भी बढ़ाओ।
सदा इसी स्मृति में रहो कि बाप को जानने वाली, बाप को पाने वाली कोटों में कोई जो गाई हुई आत्मायें हैं, वह हम हैं। इसी खुशी में रहो तो आपके यह चेहरे चलते फिरते सेवाकेन्द्र हो जायेंगे। जैसे सर्विस सेन्टर पर आकर बाप का परिचय लेते हैं, वैसे आपके हर्षित चेहरे से बाप का परिचय मिलता रहेगा। बापदादा हर बच्चे को ऐसा ही योग्य समझते हैं। इतने सब सेवाकेन्द्र बैठे हैं। तो सदा ऐसे समझो चलते फिरते खाते पीते हमको बाप की सेवा अपनी चलन से व चेहरे से करनी है। तो सहज ही निरन्तर योगी बन जायेंगे। जो बच्चे आदि से सेवा में उमंग-उत्साह का सहयोग देते रहे हैं, ऐसी आत्माओं को बापदादा भी सहयोग देते हुए 21 जन्म आराम से रखेंगे। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। खाओ, पिओ और स्वर्ग का राज्य भाग्य भोगो। आधाकल्प मेहनत शब्द ही नहीं होगा। ऐसी तकदीर बनाने आये हो।
कुमारों प्रति:- कुमार जीवन में एनर्जी बहुत होती है। कुमार जो चाहे वह कर सकते हैं। इसलिए बापदादा कुमारों को देख विशेष खुश होते हैं कि अपनी एनर्जी डिस्ट्रक्शन के बजाए कन्स्ट्रक्शन के कार्य में लगाया। एक-एक कुमार विश्व को नया बनाने में अपनी एनर्जी को लगा रहे हैं। कितना श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं। एक कुमार 10 का कार्य कर सकते हैं। इसलिए कुमारों पर बापदादा को नाज़ है। कुमार जीवन में अपनी जीवन सफल कर ली। ऐसी विशेष आत्मायें हो ना। बहुत अच्छा समय पर जीवन का फैंसला किया। फैंसला करने में कोई गलती तो नहीं की है ना। पक्का है ना। कोई गलत कहकर खींचे तो? चाहे दुनिया की अक्षौणी आत्मायें एक तरफ हो जाएं, आप अकेले हो फिर क्या होगा? बोलो, मैं अकेला नहीं हूँ, बाप मेरे साथ है। बापदादा खुश होते हैं – स्वयं की भी जीवन बनाई और अनेकों की जीवन बनाने के निमित्त बने हो। अच्छा।
पत्रों के उत्तर देते हुए, बापदादा ने सभी बच्चों प्रति टेप में याद प्यार भरी :-
चारों ओर के सभी सिकीलधे स्नेही, सहयोगी, सर्विसएबुल बच्चों के पत्र तो क्या लेकिन दिल के मीठे-मीठे साजों भरे गीत बापदादा ने सुने। जितना बच्चे दिल से याद करते हैं उससे पदमगुणा ज्यादा बापदादा भी बच्चों को याद करते, प्यार करते और इमर्ज करके टोली खिलाते। अभी भी सामने टोली रखी है। सभी बच्चे बाप के सामने हैं। केक काट रहे हैं और सभी बच्चे खा रहे हैं। जो भी बच्चों ने समाचार लिखा है, अपनी अवस्था व सर्विस का, बापदादा ने सुने। सर्विस का उमंग-उत्साह बहुत अच्छा है। अभी थोड़ा बहुत जो माया के विघ्न देखते हो, वह भी नथिंग न्यू। माया सिर्फ पेपर लेने आती है। माया से घबराओ मत। खिलौना समझकर खेलो तो माया वार नहीं करेगी। लेकिन आराम से विदाई ले सो जायेगी। इसलिए ज्यादा नहीं सोचो यह क्या हुआ, हो गया फुलस्टाप लगाओ और आगे जाकर पदमगुणा जो कुछ रहे गया, वह भर लो। बढ़ते चलो और बढ़ाते चलो। बापदादा साथ है, माया की चाल चलने वाली नहीं है इसलिए घबराओ नहीं। खुशी में नाचो, गाओ। अब तो अपना राज्य आया कि आया। हे स्वराज्य अधिकारी, विश्व का राज्य भाग्य आपका इंतजार कर रहा है। अच्छा।
सर्व को बहुत-बहुत यादप्यार और ‘निर्विघ्न भव’ का वरदान बापदादा दे रहे हैं। जो बच्चे स्थूल धन की कमी के कारण पहुंच नहीं सकते, उन्हें भी बापदादा याद दे रहे हैं। भल धन कम है लेकिन हैं बादशाह क्योंकि आजकल के राजाओं के पास जो नहीं है, वह इन्हीं के पास अविनाशी और जन्म-जन्म के लिए जमा है। बापदादा ऐसे वर्तमान बेगमपुर के बादशाह और भविष्य विश्व के बादशाहों को बहुत-बहुत यादप्यार देते हैं। ऐसे बच्चे दिल से यहाँ हैं शरीर से वहाँ हैं। इसलिए बापदादा सम्मुख बच्चों को देख सम्मुख यादप्यार देते हैं। अच्छा, ओम् शान्ति।
प्रश्न:– परखने की शक्ति किस आधार पर प्राप्त हो सकती है?
उत्तर:- क्लीयर बुद्धि। ज्यादा बातें सोचने के बजाए एक बाप की याद में रहो, बाप से क्लीयर रहो तो परखने की शक्ति प्राप्त हो जायेगी और उसके आधार पर सहज ही हर बात का निर्णय कर लेंगे। जिस समय जैसी परिस्थिति, जैसा सम्पर्क सम्बन्ध वाले का मूड, उसी समय पर उस प्रमाण चलना, उसको फौरन परख लेना, यह भी बहुत बड़ी शक्ति है।
प्रश्न:- शमा पर फिदा होने वाले सच्चे परवाने की निशानी क्या होगी?
उत्तर:- शमा पर जो फिदा हो चुके वह स्वयं भी शमा के समान हो गये। समा गये तो समान हो गये। जैसे शमा सबको रास्ता बताती है ऐसे शमा समान रोशनी द्वारा रास्ता बताने वाले। रास्ते में भटकने वाले नहीं। यह करें वा वह करें, यह क्वेश्चन समाप्त। फुलस्टाप आ जाता तो याद और सेवा इसी में रहो, चक्र सब समाप्त। कोई भी चक्कर रहा हुआ होगा तो चक्र लगाने जायेंगे। कभी सम्बन्ध का चक्र, कभी अपने स्वभाव संस्कार का चक्र, अगर सब चक्र समाप्त हो गये, पूरा फिदा हो गये तो फिर फिदा होना अर्थात् जल मरना। उन्हों को सिवाए शमा के और कुछ नहीं।
शान्ति की शक्ति | Silence की शक्ति से विश्व परिवर्तन”
✨ प्रस्तावना
भाइयों और बहनों,
आज हम गहराई से समझेंगे – शान्ति की शक्ति।
बापदादा ने अमृतवेले बच्चों की शक्ति सेना और पाण्डव सेना का हाल देखा। जैसे सेनापति अपनी सेना को तैयार करता है, वैसे ही आज बापदादा ने देखा कि बच्चे कहाँ तक एवररेडी, शस्त्रधारी और सम्पन्न हुए हैं।
1. शान्ति बनाम साइन्स
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आज संसार में साइन्स की शक्ति ने अकल्पनीय तरक्की की है।
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लेकिन साइन्स कभी सुख देती है, कभी दुःख; कभी निर्माण करती है, कभी विनाश।
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इसके विपरीत, साइलेन्स की शक्ति केवल शान्ति, सुख, और सृजन का आधार है।
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साइन्स के शोर पर अन्त में विजय साइलेन्स की होगी।
2. प्रयोगशाला है – आत्मा
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बापदादा कहते हैं – हर आत्मा अपने भीतर एक साइलेन्स प्रयोगशाला बनाए।
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सिर्फ शान्ति का वर्णन नहीं, बल्कि उसका प्रैक्टिकल प्रूफ चाहिए।
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तन पर, मन पर, संस्कारों पर, सम्बन्धों पर – शान्ति की शक्ति का प्रयोग करें।
उदाहरण:
जैसे रोगी पर दवाई का असर प्रत्यक्ष दिखता है, वैसे ही आत्मा पर शान्ति की शक्ति का असर दिखना चाहिए।
3. शान्ति की शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण
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शान्ति का अनुभव ऐसा हो कि हर कोई महसूस करे –
“यह चलता-फिरता शान्ति यज्ञकुण्ड है।” -
जैसे अंधेरे में दूर से एक जुगनू चमकता है, वैसे ही आत्मा की शान्ति दूर से अनुभव हो।
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अशान्त आत्माएँ स्वतः खिंच कर शान्ति के अवतारों की ओर आने लगें।
4. वायरलेस से भी तेज संकल्प
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शान्ति की शक्ति का सबसे बड़ा यंत्र है – शुभ संकल्प।
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शुभ संकल्प वायरलेस से भी तेज़ किसी आत्मा तक पहुँच जाता है।
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तन की व्याधि, मन की कमजोरी, संस्कारों के बन्धन – सब पर शान्ति की शक्ति विजय दिला सकती है।
Murli Point (20-01-82):
“सूली भी काँटे के समान अनुभव होगी।”
यानी कष्ट रहते हुए भी आत्मा शान्ति में रह सकती है।
5. व्यक्तिगत से विश्व तक
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पहले आत्मा स्वयं प्रयोग करे।
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फिर एक-एक आत्मा की शान्ति मिलकर बनेगी – विश्व शान्ति की शक्ति।
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जब यह शक्ति संगठित रूप से प्रत्यक्ष होगी, तब दुनिया स्वयं पुकारेगी –
“हे शान्ति के अवतार, आकर हमें शान्ति दो।”
6. सेवा का नया आयाम
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आज ब्रह्माकुमारियों की पहचान बन रही है –
“ये ही सच्चे शान्तिदूत हैं।” -
जैसे बीमारी में केवल डॉक्टर याद आता है, वैसे अशान्ति के समय केवल शान्ति अवतार आत्माएँ याद की जाएँगी।
7. कुमारों और युवाओं का योगदान
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कुमार जीवन में अपार ऊर्जा है।
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इस ऊर्जा को डि-स्ट्रक्शन नहीं, बल्कि कन्स्ट्रक्शन में लगाना ही श्रेष्ठ है।
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एक कुमार दस का कार्य कर सकता है।
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इसीलिए बापदादा कुमारों पर गर्व करते हैं।
8. सच्ची खुशी का रहस्य
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याद और सेवा का बैलेन्स ही आत्मा को निरन्तर खुशी देता है।
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स्मृति रखो:
“मैं खुशी का देवता हूँ। मेरे चेहरे से बाप का परिचय मिलता है।” -
जब आत्मा इस स्मृति में रहती है, तो उसका चेहरा ही चलता-फिरता सेवाकेन्द्र बन जाता है।
निष्कर्ष
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आज की सच्ची आवश्यकता है – शान्ति की शक्ति।
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जब आत्मा स्वयं शान्ति का अनुभव करेगी, तभी यह शक्ति विश्व में फैल सकेगी।
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बापदादा का सन्देश है –
“स्वयं प्रयोग करो, बढ़ते चलो और दूसरों को बढ़ाते चलो। शान्ति ही सबसे बड़ा वरदान है।” -
शान्ति की शक्ति | Silence की शक्ति से विश्व परिवर्तन”
प्रश्न 1: बापदादा ने बच्चों की शक्ति सेना और पाण्डव सेना का हाल कब देखा?
उत्तर: अमृतवेले। जैसे सेनापति अपनी सेना को तैयार करता है, वैसे ही बापदादा ने देखा कि बच्चे कहाँ तक एवररेडी, शस्त्रधारी और सम्पन्न हुए हैं।
1. शान्ति बनाम साइन्स
प्रश्न 2: साइन्स और साइलेन्स की शक्ति में क्या अन्तर है?
उत्तर: साइन्स कभी सुख देती है, कभी दुःख; कभी निर्माण करती है, कभी विनाश। जबकि साइलेन्स की शक्ति केवल शान्ति, सुख और सृजन का आधार है। अन्त में विजय साइलेन्स की ही होगी।
2. प्रयोगशाला है – आत्मा
प्रश्न 3: बापदादा आत्मा को किससे तुलना करते हैं?
उत्तर: एक साइलेन्स प्रयोगशाला से। आत्मा को चाहिए कि वह तन, मन, संस्कार और सम्बन्धों पर शान्ति की शक्ति का प्रैक्टिकल प्रयोग करे।प्रश्न 4: शान्ति के प्रयोग का परिणाम कैसा होना चाहिए?
उत्तर: जैसे रोगी पर दवाई का असर प्रत्यक्ष दिखता है, वैसे ही आत्मा पर शान्ति की शक्ति का असर प्रत्यक्ष अनुभव होना चाहिए।
3. शान्ति की शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण
प्रश्न 5: शान्ति की शक्ति वाले को किससे तुलना दी गई है?
उत्तर: चलता-फिरता शान्ति यज्ञकुण्ड और अंधेरे में चमकते जुगनू से।प्रश्न 6: शान्ति के अवतार के पास अशान्त आत्माएँ क्यों खिंचती हैं?
उत्तर: क्योंकि वे स्वतः शान्ति की तरंगों को अनुभव करती हैं।
4. वायरलेस से भी तेज संकल्प
प्रश्न 7: शान्ति की शक्ति का सबसे बड़ा यंत्र कौन-सा है?
उत्तर: शुभ संकल्प। यह वायरलेस से भी तेज गति से आत्मा तक पहुँचता है।प्रश्न 8: मुरली दिनांक 20-01-82 का विशेष पॉइंट क्या है?
उत्तर: “सूली भी काँटे के समान अनुभव होगी।” अर्थात कष्ट होते हुए भी आत्मा शान्ति में रह सकती है।
5. व्यक्तिगत से विश्व तक
प्रश्न 9: विश्व शान्ति की शुरुआत कहाँ से होती है?
उत्तर: पहले आत्मा स्वयं प्रयोग करती है, फिर एक-एक आत्मा की शान्ति मिलकर विश्व शान्ति की शक्ति बनती है।प्रश्न 10: जब शान्ति की शक्ति संगठित होगी, तब दुनिया क्या पुकारेगी?
उत्तर: “हे शान्ति के अवतार, आकर हमें शान्ति दो।”
6. सेवा का नया आयाम
प्रश्न 11: ब्रह्माकुमारियों की पहचान आज क्या बन रही है?
उत्तर: सच्चे शान्तिदूत। जैसे रोगी को डॉक्टर याद आता है, वैसे ही अशान्ति के समय आत्माएँ शान्तिदूतों को याद करेंगी।
7. कुमारों और युवाओं का योगदान
प्रश्न 12: कुमार जीवन की विशेषता क्या है?
उत्तर: कुमार जीवन में अपार ऊर्जा होती है। यह ऊर्जा यदि निर्माण (कन्स्ट्रक्शन) में लगे तो एक कुमार दस का कार्य कर सकता है।
8. सच्ची खुशी का रहस्य
प्रश्न 13: निरन्तर खुशी का रहस्य क्या है?
उत्तर: याद और सेवा का बैलेन्स।प्रश्न 14: आत्मा को कौन-सी स्मृति रखनी चाहिए?
उत्तर:
“मैं खुशी का देवता हूँ, मेरे चेहरे से बाप का परिचय मिलता है।”
ऐसी आत्मा का चेहरा ही चलता-फिरता सेवाकेन्द्र बन जाता है।
निष्कर्ष
प्रश्न 15: आज की सच्ची आवश्यकता क्या है?
उत्तर: शान्ति की शक्ति। जब आत्मा स्वयं शान्ति का अनुभव करेगी, तभी यह शक्ति विश्व में फैल सकेगी।प्रश्न 16: बापदादा का अन्तिम सन्देश क्या है?
उत्तर:
“स्वयं प्रयोग करो, बढ़ते चलो और दूसरों को बढ़ाते चलो। शान्ति ही सबसे बड़ा वरदान है।” - Disclaimer:
- यह वीडियो एवं लेख ब्रह्माकुमारीज़ की शिक्षाओं और मुरली के गहन अध्यात्मिक संदेश पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक जागृति, प्रेरणा और आत्मिक शक्ति का अनुभव कराना है। यह किसी धर्म, पंथ, संप्रदाय अथवा परंपरा की आलोचना या विरोध नहीं करता। सभी आत्माएँ एक परमपिता परमात्मा की संतान हैं और इस ज्ञान का लक्ष्य है – आत्म-शक्ति जागृति, शान्ति अनुभव और विश्व कल्याण।
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