दिव्य भोजन: शुद्ध-आहार और सकारात्मक सोच से वास्तविक रोगमुक्त जीवन कैसे?
“दिव्य भोजन: स्वास्थ्य और आत्मा की शुद्धता का आधार | सहज राजयोग और सात्विक आहार के चमत्कार |
दिव्य भोजन: स्वास्थ्य और आत्मा की शुद्धता का आधार
आज हर कोई चाहता है – स्वास्थ्य, शांति और स्थिरता। लेकिन इसका गुप्त सूत्र क्या है?
उत्तर है – “दिव्य सात्विक भोजन + ईश्वर की स्मृति + सहज राजयोग का अभ्यास”।
मुरली 11 जुलाई 2024:
“बच्चे, भोजन बनाते समय भी ईश्वर का स्मरण करो, तभी भोजन सात्विक बनता है, नहीं तो वह विकारी संकल्पों का रूप धारण कर लेता है।“
1. पाचन की शुरुआत – जीभ और लार ग्रंथि से
जब हम भोजन को ध्यानपूर्वक चबाते हैं, तो लार (saliva) उसमें मिलकर उसे तरल बनाती है और पाचन सहज होता है।
उदाहरण:
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अगर आप भोजन को ध्यान से चबाते हैं → गैस, कब्ज और एसिडिटी नहीं होगी।
-
लेकिन अगर तनाव में या मोबाइल देखते हुए खाते हैं → भोजन सीधा पेट में चला जाता है, बिना लार के, जिससे पाचन बिगड़ जाता है।
मुरली 23 सितम्बर 2023:
“बच्चे, जो कुछ भी खाते हो, उसमें भी पवित्र संकल्प और स्मृति होनी चाहिए।“
2. लीवर और पित्ताशय – अम्लीय भोजन को क्षारीय बनाना
लीवर बाइल जूस बनाता है जो भोजन को अल्कलाइन बनाता है। पर अगर हम भोजन को ठीक से चबाएं नहीं, तो यह प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है।
परिणाम:
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अपच, कब्ज, एसिडिटी
-
शरीर में टॉक्सिन्स और हानिकारक बैक्टीरिया
मुरली 19 मई 2024:
“बच्चे, सात्विक जीवन और ईश्वर की याद, शरीर को शक्तिशाली बनाती है।“
3. बृहदान्त्र और मल-सफाई – रोगमुक्त जीवन का रहस्य
अगर मल शरीर से पूरी तरह बाहर नहीं निकलता, तो वही बीमारियों का कारण बनता है।
उदाहरण:
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एक व्यक्ति जो नियमित ध्यान करता है, हल्का भोजन खाता है → उसका शरीर हल्का और मन शांत रहता है।
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वहीं, जो तला-भुना, भारी भोजन करता है → कब्ज, चिड़चिड़ापन और थकान का शिकार होता है।
4. अपचनीय भोजन और आंतों में संक्रमण
यदि भोजन ठीक से पचता नहीं → वह सड़ता है → जिससे विषैले तत्त्व (toxins), बैक्टीरिया और वायरस बनते हैं।
मुरली 16 जनवरी 2025:
“शरीर को स्वच्छ और पवित्र रखना भी सेवा है।“
5. क्या खाएं और क्या न खाएं – दिव्य भोजन की सूची
क्या न खाएं:
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मांसाहारी, डेयरी उत्पाद
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फास्ट फूड, बासी या तला-भुना खाना
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मैदा, सफेद नमक, चीनी
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अचार और इंडस्ट्रियल फूड
क्या खाएं:
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फल, कच्ची सब्ज़ियाँ
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अंकुरित अनाज
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मौसमी व सादा भोजन
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शांति से, ध्यानपूर्वक भोजन
मुरली 2 अप्रैल 2025:
“जो भोजन तुम पवित्र संकल्प से बनाते हो, वही तुम्हारे शरीर को दिव्यता देता है।“
6. सहज राजयोग – भोजन को शक्ति देने की विधि
राजयोग = भोजन + स्मृति + सात्विकता
जब हम भोजन बनाते समय और खाते समय परमात्मा को याद करते हैं, तो भोजन औषधि बन जाता है।
अनुभव:
एक बहन को लंबे समय से गैस, कब्ज, स्किन एलर्जी थी। जैसे ही उसने राजयोग के साथ भोजन लेना शुरू किया, एक महीने में उसका शरीर हल्का, मन शांत और त्वचा दमकने लगी।
7. निष्कर्ष – शरीर और आत्मा दोनों की सफाई आवश्यक
हमारा शरीर एक मंदिर है
और आत्मा उसकी मूर्ति।
अगर मंदिर गंदा है, तो मूर्ति की शक्ति भी कम हो जाती है।
“शुद्ध भोजन + पवित्र संकल्प + परमात्मा की याद = दिव्य भोजन”
प्रश्नोत्तर श्रंखला: “दिव्य भोजन” – स्वास्थ्य और आत्मा का मेल
प्र.1: दिव्य भोजन का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर:दिव्य भोजन वह है जो सात्विक, शुद्ध, और परमात्मा की स्मृति में बनता व खाया जाता है।
यह भोजन शरीर को शक्ति देता है और आत्मा को भी निर्मल करता है।
Murli 11 जुलाई 2024:
“बच्चे, भोजन बनाते समय भी ईश्वर का स्मरण करो, तभी भोजन सात्विक बनता है…”
प्र.2: भोजन पचाने की शुरुआत कहाँ से होती है?
उत्तर:पाचन की शुरुआत जीभ और लार ग्रंथि से होती है।
यदि हम भोजन को ध्यान से चबाते हैं, तो पाचन सरल और प्रभावी होता है।
उदाहरण:
मोबाइल देखते हुए भोजन करने पर गैस और कब्ज की समस्या बढ़ती है।
Murli 23 सितम्बर 2023:
“जो कुछ खाते हो, उसमें भी पवित्र संकल्प और स्मृति होनी चाहिए।”
प्र.3: लीवर भोजन को कैसे पचाने में सहायक है?
उत्तर:लीवर पित्त (bile) का निर्माण करता है, जो भोजन को क्षारीय (alkaline) बनाता है।
यदि भोजन अच्छे से चबाया न जाए, तो पाचन बिगड़ जाता है।
Murli 19 मई 2024:
“सात्विक जीवन और ईश्वर की याद, शरीर को शक्तिशाली बनाती है।”
प्र.4: कब्ज और बृहदान्त्र (large intestine) का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:अगर मल समय पर बाहर नहीं निकलता, तो विषाक्तता (toxins) शरीर में जमा होती है।
दिव्य भोजन से बृहदान्त्र स्वच्छ रहता है और मन शांत।
उदाहरण:
राजयोगी साधारण भोजन करता है → शरीर हल्का, मन स्थिर
भारी-भोजन करने वाला व्यक्ति → कब्ज, चिड़चिड़ापन
प्र.5: कौन से खाद्य पदार्थ अपचनीय होते हैं?
उत्तर:तला-भुना, बासी, बेकरी आइटम, इंडस्ट्रियल फूड पचने में कठिन होते हैं और शरीर में संक्रमण पैदा करते हैं।
Murli 16 जनवरी 2025:
“शरीर को स्वच्छ और पवित्र रखना भी सेवा है।”
प्र.6: कौन-कौन से आहार से बचना चाहिए?
उत्तर: बचें:
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मांसाहारी
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डेयरी (दूध-दही)
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मैदा, सफेद चीनी
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अचार, बासी और प्रोसेस्ड फूड
अपनाएं:
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फल, कच्ची सब्जियाँ
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अंकुरित अनाज
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सादा भोजन
-
ध्यानपूर्वक खाया गया भोजन
Murli 2 अप्रैल 2025:
“जो भोजन तुम पवित्र संकल्प से बनाते हो, वही तुम्हारे शरीर को दिव्यता देता है।”
प्र.7: भोजन को शक्तिशाली कैसे बनाएं?
उत्तर:राजयोग + स्मृति + सात्विकता = शक्तिशाली भोजन
परमात्मा की याद में बनाया और खाया गया भोजन औषधि बन जाता है।
अनुभव:
एक बहन को वर्षों से गैस, कब्ज, एलर्जी थी। राजयोगयुक्त भोजन से उसका शरीर और मन हल्का हो गया।
प्र.8: शरीर और आत्मा की सफाई का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:हमारा शरीर मंदिर है और आत्मा उसकी मूर्ति।
अगर मंदिर गंदा हो गया, तो मूर्ति की शक्ति घट जाती है।
इसलिए शुद्ध भोजन आत्मा की शक्ति का आधार है।
सूत्र:“शुद्ध भोजन + पवित्र संकल्प + परमात्मा की याद = दिव्य भोजन”
Disclaimer (BK Affidavit-Based)
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी संस्था की आधिकारिक घोषणा (दिनांक 13 जून 2025) के अनुसार प्रकाशित किया गया है। यह ज्ञान केवल ईश्वर द्वारा प्रतिदिन साकार वाणी (मुरली) के माध्यम से दिया जाता है और इसे आध्यात्मिक शिक्षार्थियों के लिए प्रस्तुत किया गया है। अधिक जानकारी के लिए www.brahmakumarisbkomshanti.com पर जाएँ।
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