(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
24-02-1983 “दिलाराम बाप का दिलरूबा बच्चों से मिलन”
प्रस्तावना – मिलन का संकल्प
भाइयों और बहनों,
आज विशेष दिवस है – क्योंकि दिलाराम बाप अपने दिलरूबा बच्चों से मिलने आये हैं।
बापदादा का दिन-रात यही संकल्प रहता है कि बच्चों से मिलन मनाना है।
बच्चे भी दिल से यही पुकार करते रहते हैं, और वह पुकार बाप तक पहुँचती रहती है।
मिलन के दो रूप – आकारी और साकारी
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आकारी मिलन – जहाँ समय, स्थान या टर्न की कोई सीमा नहीं। वहाँ तो जितना चाहो उतना बैठ सकते हो।
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साकारी मिलन – जहाँ तन और समय की मर्यादा को देखना पड़ता है।
फिर भी दोनों ही मिलन बच्चों को मीठा और अविस्मरणीय अनुभव कराते हैं।
बाप का असीम प्यार
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5000 वर्ष बाद बिछड़े हुए बच्चे पुनः मिले हैं।
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इसलिए बाप का 5000 वर्ष का जमा हुआ प्यार, थोड़े से समय में बच्चों पर बरसता है।
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प्यार कम नहीं हो सकता, हर बच्चे के लिए भंडार भरपूर है।
विशेषता पर दृष्टि
बच्चे कभी-कभी माया के कारण डगमगा जाते हैं,
फिर भी बापदादा उस समय भी उनकी विशेषता और लगन को ही देखते हैं।
इसलिए हर बच्चा बाप की नज़र में श्रेष्ठ और प्यार योग्य है।
🌍 पार्टियों से मुलाकात
1. न्यूयॉर्क
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बाप का बनना मतलब विश्व में विशेष आत्मा बनना।
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सब आत्माएँ एक बगीचे के रूह-ए-गुलाब हैं।
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दूरी चाहे भारत या अमेरिका की हो, लेकिन मंज़िल और बाप एक ही है।
2. बारबेडोज
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नम्बरवन बनने का हक सबको है।
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चाहे पीछे से आयें, फिर भी आगे निकल सकते हैं।
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शर्त है – हिम्मत और लगन।
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सीट अभी खाली हैं, समय पूरा नहीं हुआ है।
3. कैनाडा
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उड़ती कला का आधार – डबल लाइट।
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उड़ता पंछी किसी बन्धन में नहीं बँधता।
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ऐसे ही बच्चों को जीवनमुक्त और बन्धनमुक्त बनना है।
4. सैन फ्रांसिस्को
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बच्चे अपने को हीरो एक्टर समझें।
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जब बाप साथ है तो और किसी की याद की आवश्यकता नहीं।
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यही है – एक बल, एक भरोसा।
बाप की बधाई और शुभ संदेश
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जिन्होंने सेवा में सहयोग दिया, उनका रिटर्न अनेक जन्मों तक मिलेगा।
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सतयुग में मेहनत नहीं करनी होगी – इसलिए अभी की मेहनत ही भविष्य को उज्ज्वल बनाएगी।
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बापदादा बच्चों की हिम्मत और निमित्त भाव देखकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
निष्कर्ष – दिलरूबा बच्चों का गीत
बाप और बच्चों का यह मिलन अटूट है।
दिलरूबा बच्चों के दिल में एक ही गीत बजता है:
“वाह बाबा… वाह मेरा बाबा!”
प्रस्तावना – मिलन का संकल्प (Q&A शैली)
प्रश्न 1:
आज का दिन विशेष क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि आज दिलाराम बाप अपने दिलरूबा बच्चों से मिलने आये हैं।
बापदादा का दिन-रात यही संकल्प रहता है कि बच्चों से मिलन मनाना है,
और बच्चों की पुकार भी सदा बाप तक पहुँचती रहती है।
प्रश्न 2:
मिलन के दो रूप कौन से हैं?
उत्तर:
-
आकारी मिलन – जहाँ समय, स्थान या टर्न की कोई सीमा नहीं होती। वहाँ जितना चाहो उतना बैठ सकते हो।
-
साकारी मिलन – जहाँ तन और समय की मर्यादा का ध्यान रखना पड़ता है।
फिर भी दोनों ही मिलन बच्चों को मीठा और अविस्मरणीय अनुभव कराते हैं।
प्रश्न 3:
बाप का प्यार असीम क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
5000 वर्ष बाद बिछड़े हुए बच्चे पुनः मिले हैं।
इसलिए बाप का 5000 वर्ष का जमा हुआ प्यार थोड़े से समय में बच्चों पर बरसता है।
यह प्यार कभी कम नहीं होता, हर बच्चे के लिए भंडार भरपूर है।
प्रश्न 4:
बच्चे कभी डगमग हो जाएँ तो बाप की दृष्टि कैसी रहती है?
उत्तर:
बच्चे यदि माया से प्रभावित होकर डगमगा भी जाएँ,
तो भी बाप उनकी विशेषता और लगन को ही देखते हैं।
हर बच्चा बाप की नज़र में श्रेष्ठ और प्यार योग्य है।
प्रश्न 5:
न्यूयॉर्क के बच्चों के लिए बाप ने क्या संदेश दिया?
उत्तर:
बाप का बनना मतलब विशेष आत्मा बनना है।
भारत और अमेरिका चाहे दूर हों, लेकिन सब आत्माएँ एक ही बगीचे की रूह-ए-गुलाब हैं।
मंज़िल और बाप सबका एक ही है।
प्रश्न 6:
बारबेडोज़ के बच्चों को क्या शिक्षा दी गई?
उत्तर:
नम्बरवन बनने का हक सबको है।
चाहे पीछे से आएँ, फिर भी हिम्मत और लगन से आगे निकल सकते हैं।
सीट अभी खाली हैं, समय पूरा नहीं हुआ है।
प्रश्न 7:
कनाडा के बच्चों को क्या विशेषता याद दिलाई गई?
उत्तर:
उड़ती कला का आधार है – डबल लाइट।
जैसे उड़ता पंछी किसी बन्धन में नहीं बँधता,
वैसे ही बच्चों को जीवनमुक्त और बन्धनमुक्त बनना है।
प्रश्न 8:
सैन फ्रांसिस्को के बच्चों को क्या संकेत मिला?
उत्तर:
बच्चों को अपने को विश्व नाटक के हीरो एक्टर समझकर पार्ट बजाना है।
जब बाप साथ है तो और किसी की याद की आवश्यकता नहीं।
यही है – एक बल, एक भरोसा।
प्रश्न 9:
बापदादा ने सेवा करने वालों को क्या शुभ संदेश दिया?
उत्तर:
जिन्होंने सेवा में सहयोग दिया, उनका रिटर्न अनेक जन्मों तक मिलेगा।
सतयुग में मेहनत नहीं करनी होगी, इसलिए अभी की मेहनत ही भविष्य को उज्ज्वल बनाती है।
बापदादा बच्चों की हिम्मत और निमित्त भाव देखकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
प्रश्न 10:
इस मिलन का अंतिम अनुभव क्या है?
उत्तर:
बाप और बच्चों का मिलन अटूट है।
दिलरूबा बच्चों के दिल में एक ही गीत गूँजता है:
“वाह बाबा… वाह मेरा बाबा!”
Disclaimer:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ के गहन आध्यात्मिक ज्ञान और मुरली संदेशों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शिक्षा, प्रेरणा और आत्मिक जागृति देना है। यहाँ दी गई सभी शिक्षाएँ ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय (Brahma Kumaris) की मूल शिक्षाओं और मुरली वाणी से प्रेरित हैं। यह किसी भी प्रकार का अंधविश्वास, धार्मिक विवाद या व्यक्तिगत विचार थोपने का माध्यम नहीं है। दर्शकों से विनम्र निवेदन है कि इसे खुले मन और आत्मिक दृष्टि से समझें व अपनाएँ।
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