Divya Swasthya/(09) Kidney cleansing with juice therapy natural ayurvedic treatment

दिव्य स्वास्थय/(09)गुर्दे की सफाई जूस थेरेपी से प्राकृतिक आयुर्वेदिक इलाज

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“शरीर के अंगों की सफाई ही सच्ची पूजा है | गुर्दे की सफाई के प्राकृतिक और आध्यात्मिक उपाय”


भाषण: शरीर के अंगों की सफाई ही सच्ची पूजा है


प्रस्तावना

गुर्दे (Kidneys) हमारे शरीर के प्राकृतिक फ़िल्टर हैं। ये खून से विषैले तत्व, अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट को बाहर निकालते हैं।
अगर इनकी सफाई नियमित न हो, तो शरीर में टॉक्सिन जमा होकर थकान, सूजन और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
आज हम सीखेंगे कि प्राकृतिक जूस थेरेपी और हर्बल उपचार के साथ-साथ आध्यात्मिक जीवनशैली अपनाकर कैसे गुर्दों को स्वस्थ रख सकते हैं।


1. गुर्दे की सफाई के लिए आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपाय

1.1 मक्के के रेशम की चाय (Corn Silk Tea)

  • यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक (diuretic) है।

  • मूत्र मार्ग की सूजन को शांत करता है और यूरिन फ्लो को बेहतर करता है।


1.2 हरे धनिये का रस

  • इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स और मूत्रवर्धक गुण होते हैं।

  • उदाहरण: 1 गिलास पानी में मुट्ठीभर धनिया उबालें, छानकर सुबह खाली पेट लें।


1.3 दालचीनी का काढ़ा

  • सूजन और ब्लड शुगर को कम करता है।

  • इससे किडनी पर दबाव कम होता है।


1.4 हर्बल चाय

इनमें से कोई भी या संयोजन ले सकते हैं:

  • तुलसी के पत्ते

  • कुल्थी दाल

  • बिच्छू बूटी चाय

  • गोखरू चाय

  • जावा चाय

  • पुनर्नवा मंडूर

  • कासनी

  • वरुण

  • पलाश

  • रक्तचंदन

ये सभी सूजन-रोधी, मूत्रवर्धक और टॉक्सिन क्लीनिंग गुणों से भरपूर हैं।


2. जूस थेरेपी द्वारा गुर्दों की सफाई

2.1 लाभकारी रस:

  • सेब का रस – ऑक्सीकरण घटाता है।

  • संतरा और नींबू का रस – विटामिन C युक्त, पथरी से बचाव।

  • खीरा का रस – ठंडक और हाइड्रेशन।

  • गाजर और चुकन्दर का रस – रक्त शुद्धि और किडनी टिशू को पोषण।

नियम: हमेशा ताजे, ऑर्गेनिक, बिना छने रस का सेवन करें। डिब्बाबंद और प्रिजर्वेटिव से बचें।


3. आंतरिक शक्ति और सकारात्मक स्थिति

केवल रस पीना पर्याप्त नहीं —

  • चिंतन, भावनाएं और स्थिति भी शुद्ध होनी चाहिए।

Murli 14 मार्च 1993:

“स्वस्थ तन और पवित्र मन – यह ही आत्मा की सच्ची सेवा है।”

अर्थ: जब हम आत्मा को सकारात्मक विचार और शुद्ध भावनाएं देते हैं, तब शरीर भी उसी ऊर्जावान शक्ति से भरता है।


4. प्रेरक उदाहरण

एक साधक जिसने हफ्ते में 2 दिन जूस उपवास किया, 6 महीने में किडनी का क्रिएटिनिन लेवल सामान्य हो गया।
उसने साथ में —

  • ब्रह्ममुहूर्त में योग

  • सत्संग

  • हल्का सात्विक भोजन
    अपनाया।


5. आध्यात्मिक मूल मंत्र

“शुद्धता से शक्ति मिलती है, और शक्ति से शरीर भी सहयोगी बन जाता है।”

Murli 12 मार्च 1996:

“स्वस्थ तन और मन सेवा का साधन है, इसलिए शरीर की देखभाल आध्यात्मिक सेवा का भाग है।”

Murli 18 अप्रैल 2001:

“प्राकृतिक जीवनशैली ही देही-अभिमानी जीवन का प्रतीक है।”


समापन

गुर्दों की सफाई कोई कठिन कार्य नहीं।
अगर हम —

  • अनुशासित जीवन

  • प्राकृतिक जूस थेरेपी

  • सकारात्मक और पवित्र मानसिक स्थिति
    अपनाते हैं, तो यह न केवल शरीर को शुद्ध करेगा बल्कि आत्मा को भी हल्का और शक्तिशाली बनाएगा।

प्रश्न–उत्तर प्रारूप स्क्रिप्ट

प्रस्तावना

Q: गुर्दे हमारे लिए इतने जरूरी क्यों हैं?
A: गुर्दे हमारे शरीर के प्राकृतिक फ़िल्टर हैं, जो खून से विषैले तत्व, अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट निकालते हैं। अगर इनकी सफाई न हो, तो टॉक्सिन जमा होकर थकान, सूजन और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।


Q1: गुर्दे की सफाई के लिए आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपाय क्या हैं?

A:

  1. मक्के के रेशम की चाय – मूत्रवर्धक, सूजन कम करने वाली।

  2. हरे धनिये का रस – एंटीऑक्सिडेंट युक्त, सुबह खाली पेट लें।

  3. दालचीनी का काढ़ा – ब्लड शुगर नियंत्रित, किडनी पर दबाव घटाता है।

  4. हर्बल चाय – तुलसी, कुल्थी दाल, गोखरू, पुनर्नवा, कासनी, पलाश, रक्तचंदन आदि।


Q2: जूस थेरेपी से गुर्दों की सफाई कैसे होती है?

A:

  • सेब का रस – ऑक्सीकरण घटाता है।

  • संतरा व नींबू का रस – विटामिन C, पथरी से बचाव।

  • खीरा का रस – ठंडक और हाइड्रेशन।

  • गाजर व चुकंदर का रस – रक्त शुद्धि और टिशू पोषण।
    ध्यान दें: हमेशा ताजे, ऑर्गेनिक, बिना प्रिजर्वेटिव वाले जूस लें।


Q3: क्या सिर्फ जूस पीना काफी है?

A: नहीं। केवल जूस पीना पर्याप्त नहीं। मानसिक और भावनात्मक शुद्धि भी जरूरी है।
Murli 14 मार्च 1993:
“स्वस्थ तन और पवित्र मन – यह ही आत्मा की सच्ची सेवा है।”


Q4: कोई प्रेरक उदाहरण?

A: एक साधक ने हफ्ते में 2 दिन जूस उपवास और ब्रह्ममुहूर्त में योग शुरू किया, साथ में हल्का सात्विक भोजन अपनाया। 6 महीने में उसका किडनी क्रिएटिनिन लेवल सामान्य हो गया।


Q5: आध्यात्मिक दृष्टि से गुर्दों की सफाई का क्या मतलब है?

A:

  • द्वेष, जलन, भय जैसे नकारात्मक भाव ही असली विष हैं।

  • पवित्र विचार और सकारात्मक भावनाएं ही आत्मा को और शरीर को स्वस्थ बनाते हैं।
    Murli 12 मार्च 1996:
    “स्वस्थ तन और मन सेवा का साधन है, इसलिए शरीर की देखभाल आध्यात्मिक सेवा का भाग है।”


समापन

गुर्दों की सफाई कठिन नहीं —

  • अनुशासित जीवन

  • प्राकृतिक जूस थेरेपी

  • सकारात्मक और पवित्र मानसिक स्थिति
    ये तीनों मिलकर न केवल शरीर को शुद्ध करते हैं बल्कि आत्मा को भी हल्का और शक्तिशाली बनाते हैं।

Disclaimer

इस वीडियो में दी गई जानकारी केवल सामान्य स्वास्थ्य जागरूकता और आध्यात्मिक ज्ञान के उद्देश्य से है। यह किसी भी तरह से चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है। किसी भी प्रकार का उपचार, जूस थेरेपी या हर्बल उपाय अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या प्रमाणित स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लें। इस वीडियो में वर्णित आयुर्वेदिक और आध्यात्मिक उपाय व्यक्तिगत अनुभव और पारंपरिक ज्ञान पर आधारित हैं। इनका परिणाम व्यक्ति-व्यक्ति पर भिन्न हो सकता है।

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