D.P 92″ क्या परमपिता परमात्मा ने इस विश्व-नाटक की कभी रचना की है
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“क्या परमपिता परमात्मा ने इस विश्व नाटक की रचना की है? | विश्व नाटक का रहस्य | ओम शांति”
भाषण – मुख्य शीर्षक और उपशीर्षक के साथ
1. प्रस्तावना
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ओम शांति। आज का प्रश्न है — क्या परमपिता परमात्मा ने इस विश्व नाटक की कभी रचना की है?
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यह प्रश्न हमेशा से आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के मन में उठता रहा है।
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आज हम इस प्रश्न का गहराई से मंथन करेंगे और समझेंगे कि सृष्टि की वास्तविकता क्या है।
2. क्या यह सृष्टि कभी रची गई?
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क्या यह सृष्टि अनादि और अविनाशी है या किसी ने इसे रचा है?
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अनादि का अर्थ है — जिसका कोई आरंभ नहीं।
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अविनाशी का अर्थ है — जो कभी नष्ट नहीं होता।
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इस सृष्टि को परमात्मा ने रचा नहीं, क्योंकि यह हमेशा से थी, है, और रहेगी।
3. सत्य और असत्य की परिभाषा
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सत्य वह है जो था, है और रहेगा — अनादि और अनंत।
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असत्य वह है जिसका आरंभ और अंत होता है — विनाशकारी और अस्थायी।
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समय को सत्य माना जाता है क्योंकि इसका कोई आरंभ और अंत नहीं है।
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महाभारत में समय को ‘सूत्रधार’ के रूप में दिखाया गया है — “जब यह नहीं थे तब भी मैं था, जब यह नहीं रहेंगे तब भी मैं रहूंगा।”
4. समय और समय की इकाई
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समय एक सत्य है, लेकिन उसकी इकाइयों (सेकंड, मिनट, घंटा, युग, कल्प) का आरंभ और अंत होता है।
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इसलिए समय की इकाई झूठ है — जो बीत गया वह लौटकर नहीं आता।
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समय की इकाइयों को समझना जरूरी है।
5. प्रकृति का सत्य और असत्य
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प्रकृति पांच तत्वों से बनी है — भूमि, गगन, वायु, अग्नि, नीर।
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ये तत्व सत्य हैं, क्योंकि इन्हें न तो बनाया जा सकता है, न नष्ट।
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जब ये तत्व मिलकर नई चीज बनाते हैं (जैसे पीतल), तो वह नई चीज असत्य होती है — क्योंकि उसमें आरंभ और अंत होता है।
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हमारा शरीर भी इसी प्रकार पांच तत्वों का मिश्रण है, इसलिए अस्थायी है।
6. आत्मा का सत्य
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आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है।
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सभी आत्माएँ एक समान हैं पर गुण और संस्कारों के अनुसार भिन्न हैं।
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परमात्मा भी एक आत्मा है — सभी आत्माओं का जनक और मार्गदर्शक।
7. सृष्टि चक्र का रहस्य
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सृष्टि अनादि और अनंत है, पर इसका चक्र आरंभ और अंत वाला है।
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यह चक्र बार-बार दोहराता रहता है।
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संगम युग में परमात्मा स्वयं आते हैं और ज्ञान देकर नया चक्र प्रारंभ करते हैं।
8. परमात्मा का कार्य और ज्ञान
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परमात्मा जन्मों के चक्र में नहीं आते, वे केवल ज्ञान देने के लिए आते हैं।
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वे सभी आत्माओं के पिता, शिक्षक और गुरु हैं।
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उन्होंने इस नाटक के रहस्यों को संगम युग पर समझाया और स्वर्ग की स्थापना का मार्ग दिखाया।
9. ब्रह्मा और विष्णु का रहस्य
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ब्रह्मा और विष्णु अलग आत्माएँ नहीं हैं।
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ब्रह्मा से विष्णु एक सेकंड में बनता है और विष्णु से ब्रह्मा पूरे जन्म में।
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शंकर कोई आत्मा या शरीर नहीं है, यह केवल परिवर्तन का प्रतीक है।
10. निष्कर्ष
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यह विश्व नाटक अनादि, अविनाशी, और शाश्वत है।
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परमात्मा इसे रचा नहीं बल्कि इसका ज्ञाता और संचालक हैं।
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परमात्मा का कार्य है ज्ञान देना और स्वर्ग की स्थापना करना।
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इस ज्ञान को समझकर हम आत्मा की वास्तविकता और संसार की अस्थिरता को समझ सकते हैं।
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क्या परमपिता परमात्मा ने इस विश्व नाटक की रचना की है?
विश्व नाटक का रहस्य | ओम शांति
1. प्रस्तावना
प्रश्न: क्या हम यह जान सकते हैं कि क्या परमपिता परमात्मा ने इस विश्व नाटक की रचना की है?
उत्तर: यह प्रश्न सदियों से आध्यात्मिक खोजी लोगों के मन में रहता है। आज हम इसका गहराई से अध्ययन करेंगे ताकि सृष्टि की सच्चाई समझ सकें।
2. क्या यह सृष्टि कभी रची गई?
प्रश्न: क्या यह सृष्टि अनादि-अविनाशी है या किसी ने इसे रचा है?
उत्तर: सृष्टि अनादि (जिसका कोई आरंभ नहीं) और अविनाशी (जिसका अंत नहीं) है। इसलिए इसे परमात्मा ने रचा नहीं; यह सदैव रही, है और रहेगी।
3. सत्य और असत्य की परिभाषा
प्रश्न: सत्य और असत्य का अर्थ क्या है?
उत्तर: सत्य वह है जो था, है और रहेगा — अनादि और अनंत। असत्य वह है जिसका आरंभ और अंत होता है, अर्थात अस्थायी और नष्ट होने वाला। समय को सत्य माना जाता है क्योंकि इसका कोई आरंभ या अंत नहीं।
4. समय और समय की इकाई
प्रश्न: समय क्या है और इसकी इकाइयों का क्या महत्व है?
उत्तर: समय स्वयं सत्य है, पर उसकी इकाइयां (सेकंड, मिनट, युग) अस्थायी हैं क्योंकि उनका आरंभ और अंत होता है। समय की इकाइयों को समझना जीवन में आवश्यक है।
5. प्रकृति का सत्य और असत्य
प्रश्न: प्रकृति और उसके तत्वों का सत्य और असत्य क्या है?
उत्तर: प्रकृति के पांच तत्व — भूमि, गगन, वायु, अग्नि, नीर — सत्य हैं, क्योंकि इन्हें न तो बनाया जा सकता है और न नष्ट। जब ये मिलकर नई चीज बनाते हैं (जैसे पीतल), वह असत्य होती है क्योंकि उसमें आरंभ और अंत होता है। हमारा शरीर भी ऐसे अस्थायी तत्वों का मिश्रण है।
6. आत्मा का सत्य
प्रश्न: आत्मा की क्या प्रकृति है?
उत्तर: आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है। सभी आत्माएं समान हैं, लेकिन गुण और संस्कार के अनुसार भिन्न होती हैं। परमात्मा भी एक आत्मा हैं, जो सभी आत्माओं के जनक और शिक्षक हैं।
7. सृष्टि चक्र का रहस्य
प्रश्न: सृष्टि का चक्र कैसा है?
उत्तर: सृष्टि अनादि और अनंत है, लेकिन इसका चक्र आरंभ और अंत वाला है जो बार-बार दोहराया जाता है। संगम युग में परमात्मा स्वयं आते हैं और ज्ञान देकर नया चक्र प्रारंभ करते हैं।
8. परमात्मा का कार्य और ज्ञान
प्रश्न: परमात्मा इस विश्व नाटक में क्या भूमिका निभाते हैं?
उत्तर: परमात्मा जन्मों के चक्र में नहीं आते, वे केवल ज्ञान देने के लिए आते हैं। वे सभी आत्माओं के पिता, शिक्षक और गुरु हैं और स्वर्ग की स्थापना का मार्ग दिखाते हैं।
9. ब्रह्मा और विष्णु का रहस्य
प्रश्न: ब्रह्मा, विष्णु और शंकर कौन हैं?
उत्तर: ब्रह्मा और विष्णु अलग आत्माएँ नहीं हैं। ब्रह्मा से विष्णु एक सेकंड में बनते हैं, और विष्णु से ब्रह्मा पूरे जन्म में। शंकर कोई आत्मा या शरीर नहीं, बल्कि परिवर्तन का प्रतीक है।
10. निष्कर्ष
प्रश्न: विश्व नाटक की सच्चाई क्या है?
उत्तर: यह विश्व नाटक अनादि, अविनाशी और शाश्वत है। परमात्मा ने इसे रचा नहीं, बल्कि वे इसका ज्ञाता और संचालक हैं। उनका कार्य ज्ञान देना और स्वर्ग की स्थापना करना है। इस ज्ञान से हम आत्मा की सच्चाई और संसार की अस्थिरता को समझ सकते हैं। -