(Emotional+spiritual Hook) प्लेन क्रैश में,1बच्चा किसने बचाया?बाकी मारे’ किसने मारा?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“मृत्यु या जीवन? रहस्य जो आपकी सोच बदल देगा”
— आत्मज्ञान, ड्रामा और शिव बाबा की दिव्य दृष्टि से
प्रस्तावना: रहस्य जो सोच बदल देगा
एक चौंकाने वाली घटना — प्लेन क्रैश में 150 में से 1 व्यक्ति बच गया।
अब सवाल उठता है:
“क्या भगवान ने उसे बचाया? और बाकियों को मारा?”
यदि नहीं, तो फिर बाकी क्यों मरे?
क्या भगवान भेदभाव करता है? या न्याय करता है?
यह प्रश्न केवल किसी दुर्घटना का नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु के गहनतम सत्य का है।
यह अध्याय इस प्रश्न का आध्यात्मिक और आत्मिक उत्तर देगा — शिव बाबा के ज्ञान से।
आत्मा का पूर्व-निर्धारित पार्ट
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हर आत्मा एक एक्टर है।
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वह अपने पूर्व निर्धारित, अविनाशी, फिक्स पार्ट को निभा रही है।
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इस स्क्रिप्ट को परमात्मा भी बदल नहीं सकते।
जीवन और मृत्यु — ड्रामा की स्क्रिप्ट का हिस्सा हैं।
जन्म के बाद मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के बाद जन्म भी।
शरीर और आत्मा का संबंध
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यह कर्म क्षेत्र है, जहाँ आत्मा को शरीर लेना ही होता है।
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एक शरीर छोड़ते ही आत्मा तुरंत नया शरीर ले लेती है।
शिव बाबा का ज्ञान:
“हर आत्मा का पार्ट फिक्स है — कोई आता है, कोई जाता है — परमात्मा इसमें कुछ नहीं करते।”
मृत्यु की घड़ी और आत्मा की स्थिति
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मृत्यु की अवस्था, भावना, कारण, स्थान — सब पूर्व निर्धारित है।
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कोई भय से, कोई चिंता से, कोई शांति से — हर आत्मा अपने संस्कारों और कर्मों के अनुसार शरीर छोड़ती है।
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न एक सेकंड पहले, न एक सेकंड बाद।
क्यों कोई बचता है, और कोई मरता है?
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जिनका पार्ट समाप्त हो गया — वो चले गए।
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जिनका पार्ट बचा था — वो किसी न किसी कारण से रुक गए।
उदाहरण:
ट्रेन में 150 यात्री हैं — सभी की मंज़िल अलग-अलग।
कोई बीच में उतरता है — तो क्या टीटी ने उतारा?
नहीं! वो उसकी ही डेस्टिनेशन थी।
गर्भ में प्रवेश — आत्मा की अगली यात्रा
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आत्मा जैसे ही शरीर छोड़ती है, तुरंत अगले गर्भ में प्रवेश करती है।
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तीन महीने पहले ही वो गर्भ तैयार होता है।
13 दिन आत्मा भटकती है — यह अंधविश्वास है।
शिव बाबा समझाते हैं:
“आत्मा अमर है — तुरंत नए शरीर की यात्रा प्रारंभ करती है।”
पुनर्जन्म: किस रूप में आत्मा लौटती है?
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नौकर, बहू, दामाद, मित्र या अजनबी बनकर आत्मा फिर लौटती है।
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ये सब कार्मिक अकाउंट के अनुसार होता है।
क्या भगवान किसी को मारता या बचाता है?
नहीं।
परमात्मा ‘करण करावनहार’ है — स्वयं कुछ नहीं करता।
वह केवल ज्ञान का सागर है।
स्थापना हम करते हैं, परमात्मा तो डायरेक्शन देता है।
परमात्मा का उपाय: ज्ञान की गोली
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परमात्मा के पास एक ही उपाय है — ज्ञान का अमृत।
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वही हमें बनाता है — पावन, निर्भय और संतुलित।
मुरली बिंदु:
“मैं किसी को सुख-दुख नहीं देता।
जो कुछ होता है, वह पहले से फिक्स है।”
कर्म और मृत्यु का रहस्य
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हर आत्मा अपने संस्कारों और कर्मों के अनुसार शरीर छोड़ती है।
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उदाहरण:
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दो भाई — एक बिजली से मर गया, दूसरा बच गया।
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क्यों?
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एक का पार्ट समाप्त, दूसरे का बचा था।
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दोष किसे दें?
कोई गोली, कोई दवा, कोई खुराक — किसी को मार या बचा नहीं सकती।
जो ड्रामा में फिक्स है, वही होगा।
इसलिए भगवान को दोष देना गलत है।
निष्कर्ष: सोच बदलिए
जब कोई कहे —
“भगवान ने क्यों मारा और क्यों बचाया?”
तो आप कहिए:
“परमात्मा किसी को नहीं मारता, ना बचाता है।
वह तो ज्ञान का सागर है।”
हम अपने ही कर्मों का दृश्य देख रहे हैं।
अंतिम संदेश:
“मृत्यु भी जीवन का एक सुंदर,
पूर्व निर्धारित परिवर्तन है।”
जो चले गए — उनका स्क्रिप्ट पूरा हो गया।
जो बचे हैं — उनका कार्य अभी शेष है।
शिव बाबा का वचन:
“यह ड्रामा एक सेकंड भी आगे-पीछे नहीं हो सकता।
इसलिए भय नहीं — समझ रखो।
हर दृश्य को आत्म-ज्ञान से देखो।”
इस अध्याय का सार:
भगवान का दोष नहीं, ज्ञान की दृष्टि चाहिए।
हर आत्मा — अपने कर्मों की कहानी स्वयं लिखती है।
मृत्यु या जीवन? रहस्य जो आपकी सोच बदल देगा
— आत्मज्ञान, ड्रामा और शिव बाबा की दिव्य दृष्टि से
प्रश्न 1:
क्या भगवान किसी को मारता है या बचाता है?
उत्तर: नहीं। परमात्मा न किसी को मारते हैं, न बचाते हैं। वे केवल ज्ञान का दाता हैं — ‘करण करावनहार’ हैं।
प्रश्न 2:
यदि कोई प्लेन क्रैश में बच गया, तो क्या वह ईश्वर की कृपा थी?
उत्तर: नहीं। वह आत्मा का पूर्व निर्धारित पार्ट था। जिसका पार्ट समाप्त नहीं हुआ, वह बच गया।
प्रश्न 3:
कोई दुर्घटना में मरता है, कोई बचता है — क्यों?
उत्तर: क्योंकि सभी आत्माओं का पार्ट अलग-अलग है। किसी का पार्ट वहीं समाप्त होता है, किसी का आगे बचा रहता है।
प्रश्न 4:
क्या भगवान भेदभाव करते हैं?
उत्तर: नहीं। परमात्मा न्याय के अधिकारी नहीं, केवल ज्ञान के सागर हैं। सब कुछ ड्रामा अनुसार होता है।
प्रश्न 5:
क्या मृत्यु अचानक होती है?
उत्तर: नहीं। मृत्यु की घड़ी, स्थान, कारण और आत्मा की अवस्था — सब पूर्व-निर्धारित होती है।
प्रश्न 6:
क्या आत्मा मरने के बाद 13 दिन भटकती है?
उत्तर: नहीं। यह अंधविश्वास है। आत्मा तुरंत अगले गर्भ की यात्रा शुरू करती है।
प्रश्न 7:
क्या पुनर्जन्म होता है?
उत्तर: हाँ। आत्मा पुनर्जन्म लेती है — अपने कर्मों अनुसार, किसी न किसी संबंध में।
प्रश्न 8:
क्या मृत्यु से डरना चाहिए?
उत्तर: नहीं। मृत्यु भी जीवन की स्क्रिप्ट का एक सुंदर परिवर्तन है।
प्रश्न 9:
परमात्मा का असली काम क्या है?
उत्तर: परमात्मा ज्ञान की गोली देते हैं — जिससे हम निर्भय, पावन और आत्म-स्वरूप बनें।
प्रश्न 10:
अगर किसी की दवा या गोली से मृत्यु हो जाए — क्या वो गलती डॉक्टर की है?
उत्तर: नहीं। जो ड्रामा में फिक्स है, वही होता है। कोई गोली किसी को मार या बचा नहीं सकती।
प्रश्न 11:
किसी के जाने पर क्या कहें?
उत्तर: उसकी स्क्रिप्ट पूरी हो गई। आत्मा आगे की यात्रा पर निकल गई है।
प्रश्न 12:
इस विषय से हमें क्या सीखना चाहिए?
उत्तर: ज्ञान की दृष्टि रखो, भय नहीं। मृत्यु को समझो — दोष मत दो।
प्रश्न 13:
ड्रामा के बारे में शिव बाबा क्या कहते हैं?
उत्तर: “यह ड्रामा एक सेकंड भी आगे-पीछे नहीं हो सकता।”
प्रश्न 14:
मृत्यु और जीवन का मूल रहस्य क्या है?
उत्तर: आत्मा अमर है। शरीर बदलता है, आत्मा नहीं। कर्म अनुसार जन्म-मरण का चक्र चलता है।
प्रश्न 15:
भगवान से क्या मांगें?
उत्तर: भय से मुक्ति और ज्ञान की दृष्टि — जिससे हर घटना को आत्म-स्थिति से देखा जा सके।
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