Garuda Purana/Brahma Kumari Gyan-(06) Form and importance of Chandrayan fast for liberation from Yama’s torture

गरुड़ पुराण/ब्रह्मकुमारी ज्ञान-(06)यम-यातना से मुक्ति के लिए चान्द्रायण-व्रत का स्वरूप और महत्व

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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यमयातना  से मुक्ति    के लिए

चान्द्रायण-व्रत का स्वरूप और महत्व

आज हम एक विशेष विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं चान्द्रायण-व्रत का रहस्य और इसका महत्व!

क्या वास्तव में चान्द्रायण-व्रत के माध्यम से आत्मा को पापों से मुक्ति मिलती है?

क्या यमलोक की यातनाओं से बचने के लिए इस व्रत का पालन किया जाता है?

आइए, इस प्राचीन व्रत की गहराई को समझते हैं और जानने का प्रयास करते हैं कि इसका वास्तविक अर्थ क्या है।

 चान्द्रायण-व्रत का अर्थ

सबसे पहले समझते हैं कि चान्द्रायण-व्रत का अर्थ क्या है।

 चान्द्रायण” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैचन्द्र‘ (चन्द्रमा) और आयन‘ (मार्ग)।

इसका अर्थ हैचन्द्रमा के मार्ग और उसकी कलाओं के अनुसार आहार का नियंत्रण।

इस व्रत में व्यक्ति चन्द्रमा की कलाओं के ह्रास और वृद्धि के अनुसार भोजन की मात्रा को घटाता और बढ़ाता है।

 यह व्रत आत्मा की शुद्धि और पापों के निवारण के लिए किया जाता है।

यह व्रत व्यक्ति को संयम और आत्मानुशासन का पाठ पढ़ाता है।

 चान्द्रायण-व्रत के दो मुख्य प्रकार

प्राचीन धर्मशास्त्रों में चान्द्रायण-व्रत के दो मुख्य प्रकार बताए गए हैं:

 (क) पिपीलिका-मध्य चान्द्रायण-व्रत

इसमें चन्द्रमा की कलाओं के क्रमिक वृद्धि और ह्रास के अनुसार भोजन की मात्रा को घटाया और बढ़ाया जाता है।

अमावस्या के दिन सबसे कम भोजन लिया जाता है और पूर्णिमा के दिन सबसे अधिक।

जैसे-जैसे चन्द्रमा की कला बढ़ती है, वैसे-वैसे आहार  की मात्रा भी बढ़ती जाती है। और जब चन्द्रमा की कला घटती है, तो आहार की मात्रा भी क्रमशः कम कर दी जाती है।

 इस  प्रकार  शरीर  पर नियंत्रण के साथ-साथ मन और आत्मा की शुद्धि का प्रयास किया

 जाता है।

(ख) यव-मध्य चान्द्रायण-व्रतइसमें आहार की मात्रा को एक निश्चित क्रम के अनुसार घटाया और बढ़ाया जाता है।

इसमें चन्द्रमा की कलाओं के अनुसार भोजन की मात्रा में बदलाव नहीं किया जाता, बल्कि इसे निश्चित मात्रा में नियंत्रित किया जाता है।

भोजन को क्रमशः बढ़ाना और घटाना इस व्रत का मुख्य नियम है।

इसका उद्देश्य आत्मसंयम और साधना के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करना है।

  1. चान्द्रायण-व्रत का उद्देश्य और लाभ

प्राचीन धर्मग्रंथों में चान्द्रायण-व्रत के पालन से कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ बताए गए हैं:

आत्मा के पापों का नाश होता है।

मन और इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है।

व्यक्ति का आत्मबल और आत्मसंयम बढ़ता है।

मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

शरीर की शुद्धि और रोगों से मुक्ति मिलती है।

मन और चित्त पर नियंत्रण होने से ध्यान और साधना में सफलता मिलती है।

👉 इसे एक उच्च कोटि का तप और साधना माना गया है।

👉 यह व्रत आत्मा की उन्नति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

  1. चान्द्रायण-व्रत से यममार्ग की यातनाओं से बचाव

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को यमलोक में अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है।

 यदि व्यक्ति ने जीवन में बुरे कर्म किए हैं, तो उसे यममार्ग की यातनाओं से गुजरनापड़ता है।

  1. कहा जाता है कि चान्द्रायण-व्रत के पालन से आत्मा को इन कष्टों से बचाव मिलता है।

iii. इस व्रत के प्रभाव से आत्मा के पाप समाप्त होते हैं और उसे यमलोक की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

👉 इसलिए इस व्रत को मृत्यु के बाद आत्मा के कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है

  1. ब्रह्माकुमारी ज्ञान के अनुसार वास्तविक समाधान

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय (PBKIVV) के अनुसार

चान्द्रायण-व्रत का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और आत्मसंयम है।

लेकिन यमलोक और यममार्ग की पीड़ा को प्रतीकात्मक माना गया है।

आत्मा को अपने कर्मों का फल मानसिक रूप से भोगना पड़ता है, न कि किसी भौतिक यातना के रूप में।

PBKIVV के अनुसार, आत्मा की वास्तविक शुद्धि सकारात्मक कर्म और राजयोग के माध्यम से ही संभव है।

👉 इसलिए चान्द्रायण-व्रत जैसे बाहरी नियमों की जगह आत्मा की आंतरिक साधना पर ध्यान देना चाहिए।

👉 राजयोग के माध्यम से परमात्मा से जुड़ाव ही आत्मा को वास्तविक शांति और मोक्ष दिला सकता है।

 6.आत्मा की शुद्धि के लिए सही मार्ग

PBKIVV का संदेश है कि आत्मा की वास्तविक शुद्धि के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें:

सकारात्मक सोच को अपनाएँ।

मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखें।

ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा की शक्ति को जाग्रत करें।                                                                                                                                                                                                                                                                      अच्छे कर्म करें और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।

परमात्मा के साथमन को जोड़ें और राजयोग का अभ्यास करें।

👉 यही आत्मा की वास्तविक शुद्धि और उन्नति का मार्ग है।

 निष्कर्ष:वास्तविक मुक्ति का मार्ग अपनाएँ!

भाइयों और बहनों, चान्द्रायण-व्रत का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और उन्नति है।

  1. इस व्रत के माध्यम से आत्मा का संयम और आत्मबल बढ़ता है।
  2. लेकिन वास्तविक मुक्ति और शांति के लिए केवल बाहरी व्रत और नियमों से अधिक जरूरी है आत्म-अनुशासन, सकारात्मक कर्म और परमात्मा से जुड़ाव।

iii. चान्द्रायण-व्रत का वास्तविक अर्थ है आत्मा की पूर्ण शुद्धि और परमात्मा की

अनुभूति।

👉 तो आज से ही सकारात्मक सोच, अच्छे कर्म और राजयोग को अपने जीवन में अपनाएँ।

👉 यही वास्तविक शांति, मोक्ष और आत्मकल्याण का मार्ग है।

यम-यातना से मुक्ति के लिए चान्द्रायण-व्रत का स्वरूप और महत्व

प्रश्न और उत्तर

1.प्रश्न चान्द्रायण-व्रत का अर्थ क्या है?
उत्तर: चान्द्रायण-व्रत का अर्थ ‘चन्द्रमा’ और ‘आयन’ (मार्ग) के संयोग से बना है। इसमें चन्द्रमा की कलाओं के अनुसार आहार का नियंत्रण किया जाता है, जिससे आत्मा की शुद्धि और संयम का विकास होता है।

2. प्रश्न चान्द्रायण-व्रत के कितने प्रकार बताए गए हैं?
उत्तर: दो मुख्य प्रकार बताए गए हैं –
(क) पिपीलिका-मध्य चान्द्रायण-व्रत: इसमें चन्द्रमा की कलाओं के अनुसार आहार घटता-बढ़ता है।
(ख) यव-मध्य चान्द्रायण-व्रत: इसमें आहार को निश्चित मात्रा में घटाया-बढ़ाया जाता है, लेकिन यह चन्द्रमा की कलाओं पर निर्भर नहीं होता।

3.प्रश्न चान्द्रायण-व्रत का पालन करने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
✅ आत्मा के पापों का नाश होता है।
✅ मन और इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है।
✅ आत्मसंयम और आत्मबल में वृद्धि होती है।
✅ मानसिक शांति और ध्यान में सफलता मिलती है।
✅ शरीर की शुद्धि और रोगों से मुक्ति मिलती है।

4. प्रश्न क्या चान्द्रायण-व्रत से यमलोक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है?
उत्तर: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से आत्मा के पाप समाप्त हो सकते हैं और यमलोक की यातनाओं से बचाव संभव हो सकता है। लेकिन ब्रह्माकुमारी ज्ञान के अनुसार, यमलोक की पीड़ा प्रतीकात्मक है और आत्मा को अपने कर्मों का फल मानसिक रूप से भोगना पड़ता है।

5. प्रश्न ब्रह्माकुमारी ज्ञान के अनुसार आत्मा की शुद्धि का सही मार्ग क्या है?
उत्तर:
✅ सकारात्मक सोच और अच्छे कर्म करना।
✅ मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना।
✅ ध्यान और राजयोग का अभ्यास करना।
✅ परमात्मा से जुड़कर आत्मा की शक्ति को जाग्रत करना।

6.प्रश्न क्या बाहरी व्रतों से आत्मा की शुद्धि संभव है?
उत्तर: बाहरी व्रत आत्मसंयम सिखाते हैं, लेकिन वास्तविक शुद्धि आत्म-अनुशासन, सकारात्मक कर्म और परमात्मा के जुड़ाव से ही संभव है। इसलिए राजयोग और आत्मिक उन्नति पर ध्यान देना चाहिए।

7. प्रश्न वास्तविक मुक्ति का मार्ग क्या है?
उत्तर:
✅ आत्मा की पूर्ण शुद्धि।
✅ परमात्मा की अनुभूति।
✅ सकारात्मक सोच और अच्छे कर्मों का अभ्यास।
✅ राजयोग द्वारा परमात्मा से जुड़कर मोक्ष की प्राप्ति।

निष्कर्ष:चान्द्रायण-व्रत आत्मसंयम और शुद्धि का एक माध्यम है, लेकिन वास्तविक मुक्ति और आत्म-कल्याण परमात्मा से जुड़कर, सकारात्मक जीवन जीकर और राजयोग का अभ्यास करके ही संभव है।

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