गरुड़ पुराण/ब्रह्मकुमारी ज्ञान(16)”मृत्यु के समय क्या सच में दान और पूजा काम आते हैं
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“क्या मृत्यु के समय गंगाजल, तुलसी, दान… आत्मा को मुक्ति दिला सकते हैं? | ब्रह्मा कुमारी ज्ञान”
🎙️ [परिचय – शांतिपूर्ण दृश्यों के साथ पृष्ठभूमि संगीत]
कथावाचक (शांत स्वर में):
“ओम् शांति।
गरुड़ पुराण, पुराणों में एक प्रमुख ग्रंथ है – और ब्रह्मा कुमारी ज्ञान के अनुसार, यह आत्मा की यात्रा का 16वाँ पाठ है।
आज का बड़ा सवाल है – मृत्यु के समय गंगाजल, तुलसी, दान, मंत्र और पूजा… आत्मा को मुक्ति कैसे दिला सकते हैं?”
🧘♂️ [धारा 1 – भक्ति मार्ग की व्याख्याएँ]
कथावाचक:
“कहते हैं, जब किसी की मौत करीब हो –
● उसके मुँह में गंगाजल डाला जाए,
● तुलसी दल दिया जाये,
● भगवान का नाम लिया जाये,
● गौ दान हो,
● और ब्राह्मणों को भोजनालय जाये।
ये पांच बातें हैं भारत की प्राचीन परंपराएं।
लेकिन आये आज अंतिम छोटी गहराई से स्केच।”
🌊 [धारा 2 – उनका वास्तविक प्रभाव]
कथावाचक (स्वर: विचारोत्तेजक):
“गंगाजल…
आज वही गंगा नदी का पानी पीना नहीं रहा – इतना केमिकल मिला हुआ है।
तो मरते समय अगर गंगाजल मुँह में डालो, तो आत्मा को शांति मिलेगी या शरीर को पीड़ा होगी?
तुलसी…
दवा है, उसके एक पत्ते पर किसी के पापों को कैसे ढोया जा सकता है?
भगवान का नाम…
यदि कोई ‘नारायण नारायण’ रटे, तो जीवन भर विश्वास कर्म करे –
तो क्या केवल नाम लेने से ही भगवान आ जायेंगे?
गौ दान…
अगर गाय को पंडित को भी दे दिया —
तो गाय को क्या विशेष लाभ हो गया?
ब्राह्मण भोजन…
कौन से ब्राह्मण मालिक हैं?
क्या आत्मा को भोजन से मोक्ष मिलेगा?”
🔱 [धारा 3 – भगवान का सच्चा ज्ञान क्या है?]
कथावाचक (शांति से):
“परमात्मा शिव ने ब्रह्मा के तन में ज्ञान दिया जो सच्चा ज्ञान है –
इसमें साफा कहा गया है:
‘मुझे याद करो – तोफ़े विकर्म विनाश होगा।’
भक्ति मार्ग में पूजा होती है।
ज्ञान मार्ग में आत्म-अनुभव होता है।
भक्ति में दीप और धूप जलते हैं।
ज्ञान में कर्म और संकल्प बदलते हैं।
भक्ति में हम पुजारी हैं,
ज्ञान में हम भगवान के संत हैं।”
🌟 [धारा 4 – मृत्यु के समय क्या सच में काम आता है?]
कथावाचक (दृढ़ लेकिन प्रेमपूर्ण):
“मृत्यु के समय अगर आत्मा को याद हो जाए –
‘मैं आत्मा हूं… अब शरीर को ठीक कर अपने प्रिय शिव बाबा के पास जा रही हूं।’
तो यही योग और स्मृति को मुक्त कर सकते हैं।
ना कोई श्लोक,
ना कोई ब्राह्मण,
ना कोई तुलसी या गंगाजल…
बस एक बात:
बाबा की याद और उनके पवित्र स्वरूप की पहचान।
यही सच्चा सिमरन है।”
🧠 [धारा 5 – निष्कर्ष/निष्कर्ष]
कथावाचक (सौम्य समापन स्वर):
“तो निष्कर्ष ये है –
दान, मंत्र, पूजा – ये सभी भक्ति मार्ग की सुंदर सादृश्य परंपराएँ हैं।
लेकिन आत्मा की सच्ची मुक्ति और जीवन मुक्ति की सार्थकता है –
जब वह भगवान से जुड़कर अपना कर्म साहसी है।
ज्ञान और योग ही असली मोक्ष के द्वार हैं।
और यही ब्रह्माजी कुमार ज्ञान की गहराई है।
📌 क्या मृत्यु के समय गंगाजल, तुलसी, दान… आत्मा को मुक्ति दिला सकते हैं? | ब्रह्मा कुमारी ज्ञान
❓प्रश्न 1: क्या मृत्यु के समय गंगाजल आत्मा को पवित्र कर सकता है?
उत्तर: आज के समय में गंगा जल शुद्ध नहीं रहा — उसमें केमिकल भरे हैं। तो क्या गंदा जल किसी मरते हुए व्यक्ति को आत्मिक शांति देगा? गंगाजल केवल प्रतीक है, सच्ची शुद्धता आती है परमात्मा की याद से।
❓प्रश्न 2: क्या तुलसी का पत्ता पापों को काट सकता है?
उत्तर: तुलसी औषधीय पौधा है, पर मरते समय उसका एक पत्ता आत्मा के पाप नहीं मिटा सकता। पाप विनाश होता है केवल परमात्मा शिव बाबा की याद और योग से।
❓प्रश्न 3: क्या भगवान का नाम जपना ही पर्याप्त है?
उत्तर: केवल नाम जपना तब तक फलदायक नहीं, जब तक आत्मा को सच्चा ज्ञान और स्मृति ना हो कि मैं आत्मा हूँ और मेरे परमपिता शिव हैं। नाम की गूंज से नहीं, याद की गहराई से आत्मा मुक्त होती है।
❓प्रश्न 4: गौ दान से आत्मा को क्या लाभ मिलता है?
उत्तर: गाय को दान करना एक परंपरा हो सकती है, पर आत्मा को इससे मुक्ति नहीं मिलती। गाय को भी घास ही मिलेगी — आत्मा को मुक्ति चाहिए तो उसे ज्ञान और योग की घास चाहिए।
❓प्रश्न 5: ब्राह्मण भोजन कराकर आत्मा को क्या लाभ मिलता है?
उत्तर: ब्राह्मणों को भोजन कराना भक्ति मार्ग की रीत है, पर आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती। आत्मा को मोक्ष तब मिलता है जब वह विकर्म विनाश के मार्ग पर चले — शिव बाबा की याद और श्रीमत के अनुसार कर्म करे।
❓प्रश्न 6: ब्रह्मा कुमारियों के अनुसार मृत्यु के समय आत्मा को क्या करना चाहिए?
उत्तर: मृत्यु के समय आत्मा को यह स्मृति होनी चाहिए: “मैं आत्मा हूँ, यह शरीर छोड़ रही हूँ और अपने प्यारे शिव बाबा के पास जा रही हूँ।”
यह स्मृति और योग ही आत्मा को सच्ची मुक्ति दिलाते हैं।
❓प्रश्न 7: क्या मंत्र, पूजा और दान से मोक्ष संभव है?
उत्तर: नहीं। वे भक्ति मार्ग के सुंदर साधन हैं, लेकिन सच्चा मोक्ष केवल ज्ञान और योग से ही संभव है — जब आत्मा परमात्मा से जुड़कर स्वयं को पवित्र और श्रेष्ठ कर्मों में लगाती है।
🌟 निष्कर्ष:
“दान, पूजा, मंत्र — ये भक्ति मार्ग की परंपराएं हैं।
लेकिन मोक्ष का मार्ग है ज्ञान और योग।
मृत्यु के समय सच्चा लाभ वही आत्मा ले सकती है जो याद में हो —
जो जानती है कि वह आत्मा है और शिव बाबा उसका सच्चा पिता है।”
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