Garuda Purana/Brahma Kumari Gyan (19) 1. Garuda Purana: Concept of ghost and rituals

गरुड़ पुराण/ब्रह्मकुमारी ज्ञान(19) 1.गरूड़ पुराण: प्रेत याेनि और कर्मकांड की अवधारणा

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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आपने कभी क्या सोचा है -मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है?

गरुड़ पुराण इस रहस्य का विस्तार से वर्णन करता है।लेकिन जो बातें इसमें कही गई हैं –
वे वास्तव में सच्चाई से अलग क्या हैं?आज हम ब्रह्मा कुमारियों के आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर
इस विषय को गहराई से समझेंगे।

[प्रकाश संक्रमण]

गरुड़ पुराण में कहा गया है किजब आत्मा शरीर छोड़ती है,तो वह तुरंत नया जन्म नहीं ले सकेगा।बल्कि 10 दिन तक प्रेत योनि में रहती है —
तृतीय चरण में एक अस्थिर, अस्थिर और अस्थिर करने वालीना यह आत्मा पूरी तरह से इस भौतिक दुनिया से जुड़ी हुई है,
और ना ही किसी दिव्य लोक में प्रवेश कर सकते हैं।उसे लगता है कि वह घूम रहा है…कोई उसे देख नहीं रहा, समझ नहीं रहा।

[विराम, सूक्ष्म पृष्ठभूमि संगीत]गरुड़ पुराण में आत्मा की स्थिति
उनके व्यवसाय, व्यवसाय और परिवार वालों के संकल्पों पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी गई है।
लेकिन यही गरुड़ पुराण में दो विरोधाभासी बातें भी कही गई हैं –

कभी दिखाते हैं यमदूत आत्मा को यातनाएँ दे रहे हैं,कभी कहते हैं आत्मा बस यूँ ही रहती है, कोई नहीं!

तो प्रश्न उत्तर है -यमदूत किसे सजा दे रहे थे,जब आत्मा को कोई देख ही नहीं रहा था?

[थोड़ा नाटकीय स्वर]

कभी आत्मा बर्फ में, कभी तेज़ लू में,कभी-कभी खौलते पटाखे में डाले जाते हैं…
और यदि 10 दिन तक ब्राह्मणों को भोजन नहीं करना चाहिए,तो यमदूत आत्मा का मांस नोचते हैं!

पर सोचिए -जो जल शरीर चुकाया,वह आत्मा के पास मांस कहाँ से आया?

[नरम, स्पष्ट स्वर]

ये सब बे-सिर-पैर की बातें हैं,जो पुराण वरुण और अन्य ग्रंथों में लिखे गए हैं।[सत्य स्वर में परिवर्तन]

सच्चाई क्या है?ब्रह्मा कुमारियों के दिव्य ज्ञान के अनुसार -जैसे आत्मा शरीर छोड़ती है,
ठीक उसी समय वह एक नए गर्भ में प्रवेश कर जाती है।
(जो पहले से ही तीन महीने की तैयारी होती है।)

ना यमदूत आते हैं,ना देवदूत।आत्मा अपनी गति स्वतः करती है।ये कर्मकांड — ये प्रेत योनि की कहानियाँ —
केवल धन लाभ के उपकरण बनाए गए हैं।

[विराम, हल्का उत्साहवर्द्धक संगीत]

तो समाधान क्या है?

हमें अभी, इस जीवन में,अपने आप को आत्मा समझकरभगवान शिव की याद में स्थित होना चाहिए।

जब आत्मा ज्ञान युक्त और योग युक्त होती है,तो मृत्यु के समय वह पूर्ण शांति और स्थिरता में देह का त्याग करता है।उसकी गति स्वतः और सहज हो जाती है।

[शांत, समापन स्वर]सारांश में:गरुड़ पुराण चेतावनी देता है –
अगर जीवन में आत्मा शुद्ध नहीं हुई,तो मृत्यु के बाद संघर्ष संभव है।लेकिन ब्रह्मा कुमारियों का दिव्य ज्ञान
हमें सिखाया जाता है कि -अपने कर्मों का संतुलन,भगवान से जुड़ें,हम स्वयं को मुक्त कर सकते हैं।तो आओ –आज, अभी,आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का संकल्प लें।यही है सहज, सच्चा मार्ग।

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प्रश्न 1:मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति के बारे में गरुड़ पुराण क्या कहता है?

उत्तर:गरुड़ पुराण के अनुसार, जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो वह तुरंत नया जन्म नहीं लेती।
उसे 10 दिनों तक प्रेत योनि में रहना पड़ता है, जो एक अस्थिर, दुखद और भ्रमित करने वाली स्थिति होती है।
इस अवस्था में आत्मा न तो भौतिक संसार से पूरी तरह जुड़ी होती है, न ही किसी दिव्य लोक में प्रवेश कर पाती है।

प्रश्न 2:गरुड़ पुराण में आत्मा को मिलने वाली यातनाओं का क्या वर्णन है?

उत्तर:गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यमदूत आत्मा को विभिन्न यातनाएँ देते हैं —
कभी उसे बर्फ में डाला जाता है, कभी तेज लू में, कभी खौलते कड़ाह में।
यह भी कहा गया कि यदि 10 दिनों तक ब्राह्मणों को भोजन नहीं कराया, तो यमदूत आत्मा का मांस नोचते हैं।

प्रश्न 3:इन कथाओं में क्या विरोधाभास दिखाई देता है?

उत्तर:एक ओर कहा गया कि आत्मा को कोई देख नहीं पाता, वह बस भटकती रहती है।
दूसरी ओर, यमदूत उसे पकड़कर यातनाएँ देते हैं।
यह विरोधाभास बताता है कि इन कथाओं में तर्क और सच्चाई का अभाव है।

प्रश्न 4:सच्चाई क्या है, ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान के अनुसार?

उत्तर:ब्रह्मा कुमारियों के अनुसार, जैसे ही आत्मा शरीर छोड़ती है,
वह उसी क्षण एक नए गर्भ में प्रवेश कर जाती है (जो पहले से ही लगभग तीन महीने का तैयार होता है)।
ना यमदूत आते हैं, ना देवदूत।
आत्मा अपनी गति स्वयं करती है, कर्मों के अनुसार।

प्रश्न 5:कर्मकांड और प्रेत योनि की कहानियाँ किसलिए बनाई गईं?

उत्तर:ये सब कहानियाँ धन कमाने के साधन बनाए गए थे, ताकि मृत्यु के बाद कर्मकांड करवाकर ब्राह्मणों को लाभ पहुंचाया जा सके।
इनका वास्तविकता से कोई सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 6:मृत्यु के समय आत्मा की गति को सहज बनाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

उत्तर:हमें जीवन में ही आत्मा का बोध करते हुए,
परमात्मा शिव की याद में स्थित रहना चाहिए।
जब आत्मा ज्ञानयुक्त और योगयुक्त होती है,
तो मृत्यु के समय वह शांत और स्थिर अवस्था में देह त्यागती है,
और उसकी गति सहज होती है।

प्रश्न 7:गरुड़ पुराण और ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान में मूल अंतर क्या है?

उत्तर:गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद संघर्ष और पीड़ा पर बल देता है,
जबकि ब्रह्मा कुमारियों का ज्ञान आत्मा की स्व-गति, कर्म सिद्धांत और ईश्वर से जुड़ने पर आधारित है।
यह हमें भय नहीं, बल्कि आत्म जागृति और मुक्ति का मार्ग दिखाता है।

अंतिम संदेश:

अगर हम आज, अभी, आत्मा को परमात्मा से जोड़ लें —
तो न मृत्यु का भय रहेगा, न कर्मों का बंधन।
यही है सहज और सच्चा मार्ग।

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