साइलेंस की अति में कैसे जाएं ?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
आज का विषय है: साइलेंस की अति में कैसे जाएं?
हर कोई कहता है – “मुझे थोड़ी देर शांति चाहिए।” लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि शांति की अति क्या होती है?
आइए, आज इसी पर गहराई से विचार करें।
🧘♀️ 1. साइलेंस की अति क्या है?
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साइलेंस की अति = निरसंकल्प अवस्था
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निरसंकल्प से आगे – कर्मातीत अवस्था
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कर्मातीत से भी आगे – परम अवस्था
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परम अवस्था = ना कर्म, ना संकल्प – बस मौन।
बाबा की श्रीमत:
“तुम आत्मा हो, शरीर नहीं। आत्मा का स्वधर्म है शांति।”
🌳 2. आत्मा की मूल प्रवृत्ति – शांति
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प्रवृत्ति = परिवार;
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आत्मा की मूल प्रवृत्ति = शांति
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जैसे वृक्ष के तने में गति नहीं, फिर भी वह स्थिर है – ऐसे ही आत्मा का शांति गुण है – स्थिर, मजबूत, आधारस्वरूप।
प्रैक्टिकल संकेत:
जब हम थकते हैं, तो क्या कहते हैं?
“थोड़ी देर शांत रहना है…”
यही आत्मा की पुकार है – स्वधर्म की ओर लौटने की।
📿 3. श्रीमत पर चलने से आता है निसंकल्प भाव
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श्रीमत क्या कहती है?
“सोचो मत, जैसा बाबा कहे वैसा करते जाओ।”
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जैसे बच्चा माँ की बात पर चलता है – बिना सवाल किए – क्यों?
क्योंकि विश्वास है – माँ शुभचिंतक है।
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ठीक वैसे ही – बाबा की श्रीमत पर चलने से मन शांत होता है।
🧘♂️ 4. लिविंग साइलेंस का अनुभव क्या है?
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शरीर में रहते हुए स्थूल ध्वनियों से परे,
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मन की हलचल से परे,
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एकदम गहरी शांति की स्थिति – यही है Living Silence।
बाबा की Drill:
“मैं आत्मा…”
“एक बाबा और कोई नहीं…”
इन अभ्यासों से हम धीरे-धीरे निसंकल्प की ओर बढ़ते हैं।
🧠 5. संकल्पों की गति और निर्णय की शक्ति
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सामान्य मनःस्थिति में – 10-15 संकल्प प्रति मिनट।
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शांत स्थिति में – 3-4 संकल्प प्रति मिनट।
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जितनी गहराई से निर्णय लिया, उतनी उसकी शक्ति।
उदाहरण:
महात्मा गांधी ने हिंसा और अहिंसा के बीच शांत मन से निर्णय लिया – वो निर्णय अडिग बन गया।
🔥 6. भट्ठी – शांति की प्रयोगशाला
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भट्ठी = एकांत में बैठना, बाबा की श्रीमत पर चिंतन।
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गीत या कमेंट्री के बिना, बस स्वयं से आत्मा की बातचीत।
नतीजा:
संकल्प धीरे-धीरे स्लो होते हैं।
एक समय आता है – संकल्प शून्य।
“जिसने जीते जी संकल्पों को शून्य किया, वही श्रेष्ठ पुरुषार्थी है।”
🕯️ 7. स्थिर लौ – शांति का प्रतीक
उदाहरण:
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मोमबत्ती – उजाला भी देती है, गर्मी भी देती है, फिर भी स्थिर रहती है।
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ऐसी ही है एक आत्मा की परम शांति की स्थिति – शरीर में रहकर भी अचल, अडोल, जागरूक।
📌 8. निष्कर्ष – शांति की शक्ति बनो
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शांति में रहना = आत्मा की शक्ति को प्रकट करना।
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जीते जी शांति में स्थित रहना – यही सच्चा पुरुषार्थ है।
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ऐसे आत्मा ही बनती है शांति दूत, देवी स्वरूप, माया विजयी।
📢 अंत में यही कहना है:
साइलेंस सिर्फ चुप रहना नहीं है,
यह तो एक जागृत अवस्था है – जिसमें आत्मा अपने स्वरूप में स्थित हो जाती है।
जहां संकल्प रुक जाते हैं,
वहां से परम अवस्था शुरू होती है।
अगर आपको यह विषय अच्छा लगा हो तो:
🎙️ आज का विषय है: साइलेंस की अति में कैसे जाएं?
हर कोई कहता है – “मुझे थोड़ी देर शांति चाहिए।”
लेकिन क्या कभी सोचा है कि शांति की “अति” क्या होती है?
आइए आज प्रश्नोत्तर के माध्यम से इस रहस्य को खोलें।
प्रश्न❓ 1. साइलेंस की अति का मतलब क्या है?
उत्तर:साइलेंस की अति का अर्थ है निरसंकल्प अवस्था – जहाँ मन में कोई भी संकल्प न हो।
यह एक यात्रा है:
निरसंकल्प ➝ कर्मातीत ➝ परम अवस्था
जहां न संकल्प है, न कर्म – बस शुद्ध मौन, जाग्रत मौन।
बाबा की श्रीमत:
“तुम आत्मा हो, शरीर नहीं। आत्मा का स्वधर्म है शांति।”
प्रश्न❓ 2. आत्मा की स्वाभाविक प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर:शांति ही आत्मा का मूल स्वभाव है।
जैसे वृक्ष स्थिर होता है, पर जीवंत होता है – वैसे ही आत्मा बिना हलचल के स्थिर रह सकती है।
जब हम थकते हैं, तो कह देते हैं – “थोड़ी देर शांत रहना है।”
यह आत्मा की स्वधर्म में लौटने की आंतरिक पुकार है।
प्रश्न❓ 3. श्रीमत पर चलने से साइलेंस की अति कैसे आती है?
उत्तर:श्रीमत = निसंकल्प मार्ग
जैसे बच्चा माँ की बात मानता है बिना सवाल किए, वैसे ही
अगर हम बाबा की हर बात पर चलें, तो संकल्प खुद-ब-खुद शांत हो जाते हैं।
विश्वास + समर्पण = शांति
प्रश्न❓ 4. लिविंग साइलेंस क्या है?
उत्तर:लिविंग साइलेंस =
शरीर में रहते हुए
बोलने और सोचने की ध्वनि से परे
एक ऐसी स्थिति, जिसमें आत्मा पूर्ण मौन में स्थित हो जाए।
बाबा की ड्रिल:
“मैं आत्मा…”
“एक बाबा और कोई नहीं…”
यह अभ्यास हमें निरसंकल्प की ओर ले जाते हैं।
प्रश्न❓ 5. संकल्पों की गति कम करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर:सामान्य स्थिति में – 10-15 संकल्प/मिनट
शांत स्थिति में – 3-4 संकल्प/मिनट
संकल्प जितने गहरे होंगे, निर्णय उतना ही शक्तिशाली होगा।
उदाहरण:गांधी जी ने शांत मन से निर्णय लिया – उसका प्रभाव स्थायी हुआ।
प्रश्न❓ 6. भट्ठी क्या है? और उसका शांति से क्या संबंध है?
उत्तर:भट्ठी = शांति की प्रयोगशाला
जहाँ हम गीत, कमेंट्री से परे
केवल बाबा और आत्मा की बात करते हैं।
नतीजा:
संकल्प धीमे होते हैं,
फिर रुक जाते हैं।
यही होती है संकल्प शून्यता।
प्रश्न❓ 7. शांति की स्थिति को किस प्रतीक से समझ सकते हैं?
उत्तर:मोमबत्ती की लौ – उजाला देती है, ऊर्जा भी, फिर भी स्थिर रहती है।
ऐसी ही आत्मा की शांति – जाग्रत, स्थिर और गहन।
प्रश्न❓ 8. क्या शांति में रहना ही पुरुषार्थ है?
उत्तर:हाँ।शांति में रहना = आत्मा की शक्ति को जागृत करना।
जो आत्मा जीते जी शांति में स्थित हो जाती है – वही बनती है देवी, देवता, शांति दूत।
📢 अंतिम निष्कर्ष:साइलेंस सिर्फ “चुप रहना” नहीं है,
यह जाग्रत मौन है –
जहाँ आत्मा अपने परम स्वरूप में स्थित हो जाती है।
जहाँ संकल्प रुकते हैं,
वहीं से परम अवस्था शुरू होती है।
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