राजयोग का ज्ञान तीन राजतिलक तीन अवस्थाएं
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
राजयोग का ज्ञान तीन राजतिलक, तीन अवस्थाएं
आत्मा कैसे लेती है राजतिलक?बाबा कहता है —“बच्चे, तुम आत्मा हो। राजतिलक लेने के लायक बनो।”
पर यह राजतिलक कोई बाहर से नहीं देता —यह आत्मा खुद को खुद देती है।
राजयोग के तीन राजतिलक और तीन अवस्थाएं हैं,जो आत्मा को विश्व पहला राजतिलक: आत्मा का मन, बुद्धि और संस्कार श्रीमत पर चलें
जब आत्मा अपने मन, बुद्धि और संस्कारों को बाबा की श्रीमत पर चलाती है,तो वह पहला राजतिलक प्राप्त करती है।
यही है आत्मा का स्वराज्य —“मैं सोचूं वही, जो बाबा चाहे।”यह राजतिलक हमें याद दिलाता है किबुद्धि का लगाम बाबा के हाथ में है।
दूसरा राजतिलक: आत्मा शरीर की कर्मेन्द्रियों को श्रीमत पर चलाएअब जब आत्मा अपने अंदर के सिस्टम को कंट्रोल कर लेती है,तो अगला चरण आता है —बाहरी कर्म इन्द्रियाँ।
✋ आंख, 👂 कान, 👃 नाक, 👅 जीभ, और 🖐 हाथ–पैर की इंद्रियाँ…जब ये सभी बाबा की श्रीमत पर चलें,तब आत्मा को दूसरा राजतिलक प्राप्त होता है।
👉 तब आत्मा बनती है कर्मेन्द्रियों की रानी। तीसरा राजतिलक: आत्मा विश्व पर राज्य करने लायक बनती हैअब आती है राजयोग की तीसरी अवस्था —
जब आत्मा:अपने मन, बुद्धि, संस्कारों पर नियंत्रण करती है,अपने शरीर और इंद्रियों को आदेश देती है,और अंततः अपनी सूक्ष्म शक्तियों को जागृत कर लेती है…
तो वह बनती है —विश्व की रानी।यही है राजयोग की सिद्धि।स्वराजऔर अश्वमेध का यज्ञ स्वराज का अर्थ है —“आत्मा अपने मन, बुद्धि, संस्कार को कंट्रोल करे।”अश्वमेध यज्ञ का अर्थ ह
“आत्मा इस शरीर रूपी अश्व (घोड़े) को नियंत्रण में रखे।”जब ये दो यज्ञ पूर्ण हो जाएं —
👉 तब आत्मा बनती है विश्व पर राज्य करने वाली।
🧠 आत्मा की सच्ची सीट कहां है?बाबा ने बहुत सुंदर बात बताई है —
“आत्मा माथे पर नहीं, बल्कि भृकुटि से 3-4 इंच अंदर, रीढ़ की हड्डी के ऊपर स्थित है।”
वहां आत्मा की “सिंहासन” जैसी सीट है —जहां से वह ब्रेन को निर्देश देती है।आत्मा का कंट्रोल सेंटर – तीन सूक्ष्म ग्रंथियाँ
यहां आत्मा जुड़ी होती है तीन मुख्य ग्लैंड्स से:
🧬 1. Pineal Gland – दिव्य दृष्टि की कुंजी
🧬 2. Pituitary Gland – चेतना का नियंता
🧬 3. Hypothalamus – शरीर का संतुलनकर्ता
👉 इन्हीं के माध्यम से आत्मा का आदेश, शरीर के हर भाग में पहुंचता है।
👉 यही है आत्मा का सूक्ष्म कंट्रोल सेंटर।
निष्कर्ष: राजतिलक लेना है? तो आत्मा बनो, और राज करोबच्चे,राजयोग कोई बैठकर सोचने की चीज नहीं है।यह है —
👉 स्व पर राज्य,👉 कर्म इंद्रियों पर नियंत्रण,👉 बाबा की श्रीमत पर चलना।तभी मिलेगा —
👑 सच्चा राजतिलक,👑 सच्चा विश्व राज्य,👑 और सच्ची आत्मा की महिमा।
🪷 शीर्षक: राजयोग का ज्ञान – तीन राजतिलक, तीन अवस्थाएं
❓ प्रश्न 1: राजतिलक का अर्थ क्या है, और आत्मा को यह कैसे मिलता है?
उत्तर:राजतिलक का अर्थ है — आत्मा द्वारा स्वयं को आत्म-राज्य का अधिकारी बनाना।
यह कोई बाहरी वस्तु नहीं है, बल्कि आत्मा खुद को यह तिलक देती है।
बाबा कहते हैं —
“बच्चे, तुम आत्मा हो। खुद को राजतिलक देने के लायक बनो।”
❓ प्रश्न 2: पहला राजतिलक क्या है?
उत्तर:जब आत्मा अपने मन, बुद्धि और संस्कारों को श्रीमत पर चलाती है,
तो उसे पहला राजतिलक प्राप्त होता है।
यह है स्वराज्य की अवस्था —
👉 “मैं वही सोचूं, जो बाबा चाहे।”
👉 “मेरी बुद्धि का लगाम बाबा के हाथ में हो।”
❓ प्रश्न 3: दूसरा राजतिलक कब मिलता है?
उत्तर:जब आत्मा अपनी कर्मेन्द्रियों को भी श्रीमत के अनुसार चलाती है —
👁 आंख, 👂 कान, 👃 नाक, 👅 जीभ, 🖐 हाथ-पैर —
तो आत्मा बनती है कर्मेन्द्रियों की रानी,
और उसे दूसरा राजतिलक मिलता है।
❓ प्रश्न 4: तीसरा राजतिलक किस अवस्था में प्राप्त होता है?
उत्तर:जब आत्मा:
-
स्वराज्य पा लेती है,
-
कर्मेन्द्रियों को नियंत्रण में ले लेती है,
-
और अपनी सूक्ष्म शक्तियों को जागृत कर लेती है,
तब वह बनती है — विश्व की रानी।
यही है तीसरा राजतिलक और राजयोग की सिद्धि।
❓ प्रश्न 5: स्वराज और अश्वमेध यज्ञ क्या हैं?
उत्तर:👉 स्वराज = आत्मा अपने मन, बुद्धि और संस्कार को कंट्रोल करे।
👉 अश्वमेध यज्ञ = आत्मा अपने शरीर रूपी घोड़े को श्रीमत पर चलाए।
जब ये दोनों यज्ञ पूरे हो जाएं,
तो आत्मा बनती है विश्व की मालिक।
❓ प्रश्न 6: आत्मा की सच्ची “सिंहासन” जैसी सीट कहाँ है?
उत्तर:बाबा ने बताया — आत्मा माथे पर नहीं,
बल्कि भृकुटि के 3-4 इंच अंदर, रीढ़ की हड्डी के ऊपर स्थित है।
वही आत्मा की सिंहासन है, जहाँ से वह ब्रेन को निर्देश देती है।
❓ प्रश्न 7: आत्मा का सूक्ष्म कंट्रोल सेंटर कौन-से तीन ग्रंथियों से जुड़ा है?
उत्तर:आत्मा का सूक्ष्म कंट्रोल सेंटर तीन ग्रंथियों से जुड़ा है:
-
Pineal Gland – दिव्य दृष्टि की कुंजी
-
Pituitary Gland – चेतना का नियंता
-
Hypothalamus – शरीर का संतुलनकर्ता
इन्हीं के माध्यम से आत्मा के आदेश शरीर में प्रवाहित होते हैं।
❓ प्रश्न 8: निष्कर्ष में आत्मा को क्या करना चाहिए?
उत्तर:राजतिलक चाहिए? तो:
👉 आत्मा बनो,
👉 श्रीमत पर चलो,
👉 स्व पर राज्य करो,
👉 कर्म इंद्रियों को नियंत्रित करो।
तभी मिलेगा:
👑 सच्चा राजतिलक,
👑 सच्चा विश्व राज्य,
👑 और सच्ची आत्म-महिमा।
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